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किसान आंदोलन: “सरकार उच्चतम न्यायालय का इस्तेमाल ‘राजनीतिक ढाल’ की तरह कर रही है”

अपडेट:  किसान आंदोलन का आज 47वां दिन, सुप्रीम कोर्ट में किसानों को लेकर सुनवाई। एआईकेएससीसी ने कहा- नए कृषि कानूनों पर बने ‘‘राजनीतिक गतिरोध’’ का समाधान उच्चतम न्यायालय के दख़ल के बगैर निकालना चाहिए।
किसान आंदोलन

दिल्ली/हरियाणा: पिछले डेढ़ महीने से दिल्ली की सीमाओं पर विरोध कर रहे किसानों का अंदोलन और तेज़ होता दिख रहा है। इस दौरान लगातार किसानों की मौत की संख्या भी बढ़ रही है। किसान संगठनों के दावे के मुताबिक अभी तक 70 से अधिक किसानों की मौत हो चुकी है। इस बीच आज, सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में किसानों को लेकर सुनवाई होनी है, हालांकि किसानों ने साफ कर दिया है कि उनके मसले में कोर्ट की कोई भूमिका नहीं है। कानून सरकार ने बनाए हैं और उसे ही वापस लेने हैं।

एक-एक दिन बीतने के साथ किसानों का गुस्सा भी लगातार बढ़ रहा है। रविवार को हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाला खट्टर को किसानों का सीधा विरोध झलना पड़ा। विरोध इतना तेज़ था कि मुख्यमंत्री अपने हेलीकॉप्टर को लैंड तक न करा सके। किसानों के विरोध को दबाने के लिए हरियणा पुलिस ने एकबार फिर किसानों पर बर्बर लाठीचार्ज, भीषण ठंड में पानी की बौछार और आंसू गैस जैसे के गोलों से हमला किया परन्तु यह सब मिलकर भी किसानों विरोध को दबा न सके। बड़ी संख्या में किसान खट्टर की सभास्थल पर पहुंचे और पूरा पंडाल अस्त-व्यस्त कर दिया। इन सभी खबरों पर विस्तार से एकबार नज़र डालते है -

“सरकार उच्चतम न्यायालय का इस्तेमाल ‘राजनीतिक ढाल’ की तरह कर रही है”

ऑल इंडिया किसान संघर्ष कॉर्डिनेशन कमेटी (एआईकेएससीसी) ने रविवार को कहा कि सरकार को नए कृषि कानूनों पर बने ‘‘राजनीतिक गतिरोध’’ का समाधान उच्चतम न्यायालय के दखल के बगैर निकालना चाहिए। उसने चेतावनी दी कि प्रदर्शनकारी किसानों की कानूनों को रद्द करने की मांग नहीं मानी जाएगी तो वे ‘‘दिल्ली की सभी सीमाओं को जल्द ही बंद कर देंगे’’।

आपको बता दें कि सुप्रीम कोर्ट के प्रधान न्यायाधीश एस ए बोबडे की अध्यक्षता वाली पीठ द्वारा आज, सोमवार को इस पूरे मामले पर सुनवाई की जा रही है। और केंद्र और किसान नेताओं के बीच 15 जनवरी को अगली बैठक निर्धारित है।

इस सुनवाई से पहले संगठन ने कहा कि केंद्र सरकार द्वारा ‘‘कॉरपोरेट घरानों के दबाव’’ में लागू किए गए कानूनों को लेकर बने ‘‘राजनीतिक गतिरोध को सुलझाने में’’ उच्चतम न्यायालय की ‘‘भूमिका नहीं है और न ही होनी चाहिए।’’

संगठन ने कहा कि इसमें ‘‘उच्चतम न्यायालय की कोई भूमिका नहीं है’’ और यह मामला ‘‘राजनीतिक नेतृत्व पर छोड़ देना चाहिए’’।

एआईकेएससीसी ने आरोप लगाया कि सरकार उच्चतम न्यायालय का इस्तेमाल ‘‘राजनीतिक ढाल’’ की तरह कर रही है।

उसने एक वक्तव्य में कहा, ‘‘किसान सभी दिशाओं से दिल्ली को घेर रहे हैं और जल्द ही सभी सीमाओं को बंद कर देंगे।’’

आपको बता दें कि केंद्र और किसान संगठनों के बीच आठ जनवरी को हुई आठवें दौर की बातचीत में भी कोई समाधान निकलता नजर नहीं आया क्योंकि केंद्र ने विवादास्पद कानून निरस्त करने से इनकार कर दिया जबकि किसान नेताओं ने कहा कि वे अंतिम सांस तक लड़ाई लड़ने के लिये तैयार हैं और उनकी “घर वापसी” सिर्फ “कानून वापसी” के बाद होगी।

किसानों के गुस्से का शिकार हुए मुख्यमंत्री कार्यक्रम करना पड़ा रद्द

हरियाणा के करनाल जिला जो मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर का गृह जिला भी है, वहां के कैमला गांव में प्रदर्शनकारी किसानों ने ‘किसान महापंचायत’ कार्यक्रम स्थल पर रविवार को तोड़फोड़ की। यहां मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर लोगों को संबोधित कर केंद्र के तीन कृषि कानूनों के ‘‘लाभ’’ बताने वाले थे। किसान संगठनों ने कहा अगर मुख्यमंत्री हमे लाभ बताना चाहते है तो हमारे धरना स्थल पर जाएं।

पुलिस द्वारा किये गए सुरक्षा इंतजामों के बावजूद प्रदर्शनकारी किसान कार्यक्रम स्थल तक पहुंच गए और उस अस्थायी हेलीपैड को क्षतिग्रस्त कर दिया जहां खट्टर का हेलीकॉप्टर उतरना था। बाद में प्रदर्शनकारी किसानों ने हेलीपैड को अपने नियंत्रण में ले लिया और वहां बैठ गए। कुछ प्रदर्शनकारियों ने हेलीपैड की टाइल भी उखाड़ दी।

किसानों ने मंच को क्षतिग्रस्त करके, कुर्सियां, मेज और गमले तोड़कर ‘किसान महापंचायत’ कार्यक्रम को बाधित किया।

नाराज किसानों में मुख्य तौर पर युवा शामिल थे और उन्होंने मंच, टेंट और कार्यक्रम स्थल पर लगाये गए स्पीकर क्षतिग्रस्त कर दिये। इन लोगों ने भाजपा के होर्डिंग फाड़ दिये और पुलिसकर्मियों की मैाजूदगी में बैनर उखाड़ दिये।

किसानों ने पहले ही किसान महापंचायत का विरोध करने की घोषणा की थी। किसान मांग कर रहे हैं कि कृषि कानूनों को रद्द किया जाए।

कांग्रेस और वामपंथियों को पूरे मामले के लिए जिम्मेदार ठहराते हुए हरियाणा के मुख्यमंत्री ने कहा कि इस तरह की 'अंधेरगर्दी' स्वीकार नहीं की जाएगी।

इससे पहले काले झंडे लिए हुए प्रदर्शनकारी किसानों ने भाजपा नीत सरकार के खिलाफ नारेबाजी करते हुए कैमला गांव की ओर मार्च करने की कोशिश की। पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को कार्यक्रम स्थल तक पहुंचने से रोकने के लिए गांव के प्रवेश बिंदुओं पर बैरीकेड लगाये थे। लेकिन किसानों ने कैमला रोड पर घरौंदा पर लगाये गए बेरिकेड पार कर लिये।

पुलिस ने किसानों को कैमला गांव में प्रवेश करने से रोकने के लिए एक सड़क पर बालू लदे कई ट्रक भी खड़े किये थे। कैमला गांव में मार्च कर रहे किसानों को रोकने के लिए हरियाणा पुलिस ने पानी की बौछारें की और आंसू गैस के गोले छोड़े।

एक प्रदर्शनकारी ने कहा, ‘‘सभी किसान यहां हैं, मुख्यमंत्री साहेब कृषि कानूनों के बारे में किसे समझाना चाहते हैं। हम सरकार को यह कार्यक्रम नहीं करने देंगे।’’

किसानों ने राज्य की खट्टर सरकार को आड़े हाथ लिया और कहा कि वह केंद्र के कृषि कानूनों पर एक कार्यक्रम ऐसे समय में आयोजित कर रही है जब देशभर के किसान इसके खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं।

एक अन्य प्रदर्शनकारी ने कहा, ‘‘सरकार इस किसान महापंचायत कार्यक्रम के जरिये हमारे जख्मों पर नमक छिड़कने का काम कर रही है।’’

इस घटना पर प्रतिक्रिया जताते हुए विपक्ष के नेता भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा कि सरकार को प्रदर्शनकारी किसानों के साथ टकराव टालना चाहिए था।

उन्होंने कहा, ‘‘नये कृषि कानूनों के बारे में किसानों की कुछ आशंकाएं हैं, सरकार को किसानों की मांग के अनुरूप इन अधिनियमों को रद्द कर देना चाहिए और महापंचायत जैसे कार्यक्रम आयोजन करके उनके साथ टकराव से बचना चाहिए।’’

पूर्व मुख्यमंत्री ने राज्य विधानसभा का एक आकस्मिक सत्र बुलाने की अपनी मांग दोहराई।

उन्होंने कहा, ‘‘इस सरकार ने अपने विधायकों और लोगों का विश्वास खो दिया है। कांग्रेस खट्टर सरकार के खिलाफ एक अविश्वास प्रस्ताव लाना चाहती है।’’

हरियाणा कांग्रेस प्रमुख कुमारी सैलजा ने कहा कि खट्टर द्वारा बुलाई गई महापंचायत को लोगों का समर्थन नहीं मिला। उन्होंने कहा, ‘‘सरकार ने लोगों का भरोसा खो दिया है।’’

कांग्रेस नेता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने कहा कि प्रस्तावित महापंचायत ‘‘सरकार प्रायोजित’’ कार्यक्रम था जिसे प्रदर्शनकारियों द्वारा उसकी ‘‘असली तस्वीर’’ दिखा दी गई। सुरजेवाला ने किसानों पर पानी की बौछारें छोड़ने और आंसू गैस के गोले दगवाने के लिए मुख्यमंत्री खट्टर की आलोचना की।

पूर्व बीजेपी सहयोगी शिरोमणि अकाली दल के प्रमुख सुखबीर सिंह बादल ने कहा कि खट्टर के नेतृत्व वाली सरकार द्वारा शांतिपूर्ण और लोकतांत्रिक तरीके से प्रदर्शन कर रहे किसानों के खिलाफ ‘‘प्रचंड और नृशंस कदम’’ दिखाता है कि केंद्र और राज्य में भाजपा सरकारें किसानों से बहुत नफरत करती हैं।

बादल ने कहा कि पानी की बौछारों समेत पुलिसिया ‘दमन’ का कदम दिखाता है कि भाजपा किसानों की बदहाली पर किस कदर असंवेदनशील हो चुकी है। उन्होंने शांतिपूर्ण, अनुशासित और लोकतांत्रिक तरीके से प्रदर्शन के लिए किसानों की सराहना की।

26 जनवरी की तैयारी में किसान संगठन

भारतीय किसान यूनियन के राष्‍ट्रीय प्रवक्‍ता राकेश टिकैत ने रविवार को यहां कहा 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस की परेड में एक तरफ टैंक चलेंगे तो दूसरी तरफ हमारे तिरंगा लगे हुए ट्रैक्टर।

टिकैत ने कहा, '26 जनवरी को दिल्‍ली में गणतंत्र दिवस की परेड में एक तरफ टैंक चलेंगे और दूसरी तरफ हमारे तिरंगा लगे हुए ट्रैक्‍टर। वो हम पर लाठी चलाएंगे और हम राष्‍ट्रगान गाएंगे।'

बागपत के बड़ौत में किसानों के धरने में पहुंचे राकेश टिकैत ने दावा किया कि जब तक तीन कृषि क़ानूनों की वापसी नहीं होती तब तक किसानों की घर वापसी नहीं होगी।

उन्‍होंने बताया कि एक तरफ दिल्‍ली में किसान आंदोलन चल रहा है और दूसरी तरफ 26 जनवरी की परेड में शामिल होने के लिए किसान बड़ी तैयारी में जुटे हैं। टिकैत ने कहा कि राजनीति और चुनाव से नहीं बल्कि किसानों के आंदोलन से सब कुछ ठीक होगा।

(समाचार एजेंसी भाषा इनपुट के साथ)

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