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किसान आंदोलन अपने 38वें दिन में, सरकार के साथ वार्ता विफल होने पर सख़्त क़दम उठाने के संकेत

किसान संगठनों के प्रतिनिधियों ने कहा कि सरकार के साथ अब तक हुई बैठकों में किसानों द्वारा उठाए गए मुद्दों में से केवल पांच प्रतिशत पर चर्चा हुई है।
किसान आंदोलन

दिल्ली: उत्तर भारत में कड़ाके की सर्दी पड़ रही है। दिल्ली में तो पारा 2 डिग्री से भी कम पहुँच गया है। इसके बाबजूद किसान पिछले 38 दिनों से सड़क पर बैठकर आंदोलन कर रहे हैं। नए साल के अवसर पर संयुक्त किसान मोर्चा (SKM) ने आम लोगों से अपील की थी वे नए साल का जश्न किसानों के चल रहे किसी भी धरना स्थल पर मनाएं। यह दिल्ली की विभिन्न सीमाओं पर हुआ। देश भर में हजारों स्थानों पर, किसानों और अन्य लोगों ने किसानों के आंदोलन में भाग लिया और समर्थन करने का संकल्प लिया। इस निमंत्रण पर देशवासियों की प्रतिक्रिया बहुत सकारात्मक दिखी। परन्तु इस आंदोलन में अभीतक 50 से अधिक किसानों ने अपनी जान गँवा दी है। कल नए साल के दिन भी गाजीपुर बॉर्डर पर एक किसान ने अपनी जान गंवा दी।

"दिल्ली फॉर फार्मर्स" ने किसानों के समर्थन में दिल्ली के विभिन्न हिस्सों में सुबह 8 बजे से देर शाम तक विरोध प्रदर्शन किया। एक जनवरी को टिकरी बॉर्डर पर, बरनाला से किसान अपने ट्रैक्टर को पीछे की ओर से चलाकर (बैक ड्राइव कर) पहुँचे। गाजीपुर सीमा पर पूर्व-सैनिको ने किसानों को समर्थन दिया और किसानों को हरसंभव सहयोग सुनिश्चित करने का भरोसा दिया। गाजीपुर सीमा पर किसानों ने बड़े पैमाने पर सफाई अभियान का आयोजन करके नया साल मनाया। गाजीपुर सीमा पर ही किसानों के समर्थन में बड़ी संख्या में बौद्ध भिक्षु पहुँचे।

नए साल का 20वां और 21वां दिन नव वर्ष शाहजहांपुर बॉर्डर पर किसानों ने पड़ाव स्थल पर ही मनाया। कल 11 साथी अनशन पर बैठे उनका अनशन तुड़वा कर नये साथियों को अनशन पर बैठाया गया।

अखिल भारतीय किसान सभा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष अमराराम ने कहा आज शाहजापुर बॉर्डर पर अन्नदाता 20 दिनों से बेठा हुआ है, तीन डिग्री ठंड के बावजूद किसानों का हौसला कम होने का नाम नहीं ले रहा है। मैं समझता हूं की मोदी सरकार को किसानों की एकता के बल पर झुकाया जाएगा, उन्होंने कहा कि आंदोलन दिनों दिन और तीव्र होता जा रहा है। आए दिन राजस्थान के विभिन्न जिलों से किसानों की संख्या लगातार बढ़ रही है। सभी जिलो के पदाधिकारियों की मीटिंग कर गांवों से किसानों को और अधिक बुलाने की जिम्मेदारी दी गयी और 4 जनवरी को मोदी सरकार झुकेगी नहीं तो फिर आर-पार की लड़ाई के जरिए इस देश के अन्नदाता हटधर्मी सरकार को झुका कर अपनी मांगे मनवाएगा।

देश भर में कई जगहों पर कई राज्यों में अनिश्चितकालीन धरने / धरने शुरू किए गए हैं। वर्धा में "पक्का मोर्चा" 19वें दिन में प्रवेश कर गया है।

संयुक्त किसान मोर्चा केरल विधानसभा सदस्यों की सराहना करता है जिन्होंने किसान आंदोलन के समर्थन में एक प्रस्ताव पारित किया।

सरकार के साथ चार जनवरी की वार्ता विफल होने पर सख्त कदम उठाने होंगे : किसान संगठन

केंद्र के साथ अगले दौर की बातचीत से पहले अपने तेवर सख्त करते हुए किसान संगठनों ने शुक्रवार को चेतावनी दी कि अगर सरकार चार जनवरी की बैठक में तीन नए कृषि कानूनों को रद्द करने और न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) को कानूनी गारंटी देने की उनकी मुख्य मांगों को हल करने में नाकाम रहती है तो वे हरियाणा में सभी मॉल और पेट्रोल पंप बंद करना शुरू कर देंगे।

सिंघु बॉर्डर प्रदर्शन स्थल पर संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए कृषक संगठनों के प्रतिनिधियों ने कहा कि सरकार के साथ अब तक हुई बैठकों में किसानों द्वारा उठाए गए मुद्दों में से केवल पांच प्रतिशत पर चर्चा हुई है।

उन्होंने अपनी मुख्य मांगों के पूरा नहीं होने पर कदमों की चेतावनी दी।

मुख्य मांगों को पूरा नहीं किए जाने पर कृषक संगठनों ने गणतंत्र दिवस समारोह से पहले तक के कार्यक्रमों की घोषणा करते हुए कई विरोध कार्यक्रमों का जिक्र किया।

किसान नेता युद्धवीर सिंह ने कहा कि अगर केंद्र सरकार सोचती है कि किसानों का विरोध शाहीन बाग की तरह हो जाएगा, तो यह गलत है। उन्होंने कहा, "वे (सरकार) हमें इस जगह से वैसे नहीं हटा सकते हैं, जैसा उन्होंने शाहीन बाग में किया था।"

आपको मालूम है कि संशोधित नागरिकता कानून के खिलाफ सैकड़ों प्रदर्शनकारियों ने कई महीनों तक शाहीन बाग में डेरा डाला था। बाद में, दिल्ली पुलिस ने पिछले साल मार्च में कोरोना वायरस के कारण लागू लॉकडाउन में लोगों को वहां से हटा दिया था।

किसान नेताओं ने संवाददाता सम्मेलन में कहा कि अगर सरकार चार जनवरी को उनके पक्ष में फैसला नहीं लेती है तो वे कड़े कदम उठाएंगे।

संयुक्त किसान मोर्चा ने एक प्रेस नोट जारी कर कहा हम यह स्पष्ट करना चाहते हैं कि कुंडली-मानेसर-पलवल फ्लाईओवर पर किसानों के प्रस्तावित ट्रैक्टर मार्च को रद्द नहीं किया गया है, इसे स्थगित कर दिया गया है। वर्तमान में इसे 6 जनवरी को आयोजित करने की योजना है, इसके बारे में ज्यादा जानकारी आने वाले कार्यक्रमो में दी जाएगी।

संयुक्त किसान मोर्चा द्वारा भविष्य के कार्यक्रम इस प्रकार हैं-

2 जनवरी - प्रेस क्लब, नई दिल्ली में दोपहर 12.30 बजे सयुंक्त किसान मोर्चा समन्वय समिति द्वारा प्रेस कॉन्फ्रेंस

4 जनवरी - सरकार के साथ अगले दौर की बातचीत

6 जनवरी - केएमपी राजमार्ग पर ट्रैक्टर मार्च, सरकार के साथ वार्ता में प्रगति के आधार पर;

- अगले हफ्ते कुछ निश्चित तारीख - अगर सरकार के साथ कोई प्रगति नहीं होती है, तो शाहजहांपुर सीमा नाकाबंदी को दिल्ली की ओर ले जाया जाएगा

- 7 से 20 जनवरी - देश जागृति अभियान पखवाड़ा - राष्ट्रव्यापी कार्य - जिला स्तरीय धरना, रैलियां, प्रेस कॉन्फ्रेंस आदि।

- 18 जनवरी - महिला किसान दिवस

- 23 जनवरी - सुभाष चंद्र बोस जयंती - किसान चेतना दिवस

पूर्वनिर्धारित कार्यक्रम जारी रहेंगे:

* अडानी / अंबानी के उत्पादों और सेवाओं का बहिष्कार जारी रहेगा

* एनडीए के सहयोगियों को एनडीए छोड़ने और बीजेपी के साथ साझेदारी छोड़ने के लिए प्रदर्शन जारी रहेगा

* पंजाब और हरियाणा में टोल प्लाजा को टोल-फ्री रखा जाएगा

किसान नेताओ ने साफ किया की इन सभी कार्यक्रमों की प्रगति 4 जनवरी को सरकार के साथ बातचीत पर भी निर्भर रहेगी।

अबतक 50 किसान आंदोलनकारी की मौत हो चुकी है, ज़िम्मेदार कौन ?

पूरी दुनिया जब नया साल का जश्न मना रही थी, दिल्ली बॉर्डर पर एक और किसान की ठंड से मौत हो गई। 57 साल के गुलतान सिंह बागपत के किसान थे। गाजीपुर बॉर्डर पर शहीद हो गए। केंद्र के नए कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे थे, उनकी शुक्रवार को गाजीपुर सीमा पर दिल का दौरा पड़ने से मौत हो गयी।

एक अधिकारी ने कहा कि बागपत जिले के भगवानपुर नांगल गांव के निवासी मोहर सिंह (57) को पास के एक अस्पताल ले जाया गया, जहां डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया।

डीएसपी, इंदिरापुरम अंशु जैन ने पीटीआई-भाषा को बताया कि मेडिकल जानकारी के अनुसार किसान की दिल का दौरा पड़ने से मौत हुयी।

इस संबंध में किसान संगठन बीकेयू के प्रदेश अध्यक्ष राजबीर सिंह ने कहा कि कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन के दौरान जिन किसानों की मृत्यु हो गई, उन्हें शहीद का दर्जा दिया जाना चाहिए।

सिंह के शव को बीकेयू के झंडे में लपेटा गया। बीकेयू नेता राकेश टिकैत ने उन्हें श्रद्धांजलि दी।

इससे पहले नववर्ष की पूर्व संध्या पर, आंदोलन के दौरान मारे गए सभी किसानों को श्रद्धांजलि दी गई और कैंडल लाइट मार्च निकाला गया।

इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, 30 दिसंबर तक आंदोलन के चलते 50 किसानों की मौत हो चुकी थी। इन मौतों पर कई सवाल उठ रहे है। पत्रकार कृष्णकांत ने सोशल मीडिया के माध्यम से कुछ सवाल उठाए और कहा हर मौका सबके लिए मुबारक नहीं होता। जिनका पेट भरा है, जिनकी जेबें भरी हैं, नया साल सिर्फ उन्हीं के लिए आया है। क्या आपने सोचा है कि 50 से ज्यादा जानें लेकर भी सरकार क्यों अड़ी हुई है? अगर ये कानून किसानों के हित में है तो वे जान की बाजी क्यों लगा रहे हैं?

(समाचार एजेंसी भाषा इनपुट के साथ)

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