Skip to main content
xआप एक स्वतंत्र और सवाल पूछने वाले मीडिया के हक़दार हैं। हमें आप जैसे पाठक चाहिए। स्वतंत्र और बेबाक मीडिया का समर्थन करें।

लखनऊ घंटाघर : अब कोरोना के नाम पर धरना हटाने की कोशिश, महिलाओं पर लाठीचार्ज़

पुलिस ने प्रदर्शनकारी महिलाओं पर हल्का बल प्रयोग भी किया। जिसमें कुछ महिलाओं को चोट आई और वह बेहोश होकर गिर गईं। महिलाओं द्वारा लगाए गए अस्थायी तम्बू को भी पुलिस ने उखाड़ फेंका
Ghanta Ghar protest

लखनऊ के घंटाघर पर आज, गुरुवार दोपहर उस समय स्थिति तनावपूर्ण हो गई जब अचानक पुलिस वहाँ नगरिकता संशोधन क़ानून के विरुद्ध हो रहे प्रदर्शन को ख़त्म कराने पहुँच गई। कोरोना वायरस के नाम पर धरना उठाने आई पुलिस ने प्रदर्शनकारी महिलाओं पर हल्का बल प्रयोग भी किया। जिसमें कुछ महिलाओं को चोट आई और वह बेहोश होकर गिर गईं।

हुसैनाबाद इलाक़े के घंटाघर पर दो महीने से अधिक चल रहे प्रदर्शन को हटाने आज, गुरुवार दोपहर करीब 2 बजे अचानक पुलिस आ गई। महिला पुलिसकर्मियों के साथ भारी पुलिस बल को घंटाघर परिसर में देख वहाँ मौजूद महिलाएँ घबरा गईं। ऐसे में महिला पुलिसकर्मी, प्रदर्शनकारी महिलाओं से उनका सामान छीनने लगीं। इसके अलावा महिलाओं द्वारा लगाए गए अस्थायी तम्बू को भी पुलिस ने उखाड़ फेंका।

धीरे-धीरे हालत तनावपूर्ण हो गए। पुलिस और प्रदर्शनकारी महिलाओं में कहासुनी भी शुरू हो गई। महिलाओं ने सरकार  और पुलिस विरोधी नारे लगाना शुरू कर दिए। महिलाओं को क़ाबू में करने में लिए पुलिस को हल्का बल प्रयोग करना पड़ा। जिसमें कई बुज़ुर्ग महिलाएँ घायल और बेहोश हो गईं।

5ffe8efb-d122-4990-ac77-e778db917a3e.jpg

देखते देखते घंटाघर परिसर के बाहर बड़ी संख्या में लोग जमा होने लगे। पुलिस को अतिरिक्त पुलिस बल आरएएफ़ आदि को बुलाना पड़ा। जमा भीड़ को हटाने के लिए पुलिस ने हुसैनाबाद रोड पर लाठीचार्ज भी किया। जिसके बाद इलाक़े में दहशत का माहौल पैदा हो गया और भगदड़ मच गई। हालत को बेक़ाबू होते देख पुलिस ने इलाक़े की सभी दुकाने बंद करा दीं।

जैसे ही घंटाघर परिसर में पुलिस प्रवेश की ख़बर लोगों को मिली बड़ी संख्या में लोग ख़ासकर महिलाएँ वहाँ जमा होने लगी। कुछ देर में वहाँ प्रदर्शन के समर्थन में अधिवक्ता भी आ गए। महिलाओं ने बाद में पुलिस को घंटाघर परिसर से बाहर निकाल दिया। हालाँकि वहां पर मौजूद वरिष्ठ पुलिस अधिकारी विकास चंद्र त्रिपाठी ने इसके लिए महिलाओं को मुक़दमा लिखे जाने की धमकी भी दी। महिलाओं ने आरोप लगाया की प्रदर्शन हटाने आये पुलिसकर्मियों में बहुत से अपनी नेम प्लेट नहीं लगाए थे।

न्यूज़क्लिक से बात करते हुए प्रदर्शनकरी महिलाओं ने कहा की कोरोना से बड़ा वायरस भेदभाव है, जो सरकार संशोधित नगरिकता क़ानून के नाम पर भारतीय समाज में फैलाना चाहती है। प्रदर्शन में मौजूद एजाज़ कहती है कि कोरोना से ज़्यादा जान-माल का नुक़सान दिल्ली हिंसा में हुआ है। सरकार को पहले उसकी फ़िक्र करना चाहिए।

28ac35af-6cbc-4bc5-8729-622f596d2b61.jpg

धरने पर मौजूद शाज़िया, शबीना और फ़ातिमा ख़ान कहती हैं कि हम संविधान को बचाने के लिए धरना दे रहे हैं और हमको सरकार किसी बहाने या दबाव से हटा नहीं सकती है। फ़ातिमा ख़ान के अनुसार अगर सरकार की नीयत ठीक होती तो उसे प्रदर्शनकरी महिलाओं से बात करने के लिए एक प्रतिनिधि मंडल भेजना चाहिए था। यह लाठी और बन्दूकों का डर दिखाकर महिलाओं का धरना स्थल कभी ख़त्म नहीं करा सकते हैं।

अखिल भारतीय प्रगतिशील महिला एसोसिएशन (ऐपवा) ने घंटाघर पर महिलाओं पर हुए लाठीचार्ज और दमन की निंदा की है। ऐपवा ने एक बयान ने कहा है कि योगी आदित्यनाथ फ़सीवादी हैं। ऐपवा की प्रदेश अध्यक्ष कृष्णा अधिकारी ने कहा कि उत्तर प्रदेश में कानून व्यवस्था की बात करने वाले मुख्यमंत्री योगी पूरे प्रदेश में धारा 144 और पुलिस के बल पर बर्बर दमन चक्र चला कर शासन कर रहे हैं। ऐपवा की  प्रदेश सचिव कुसुम वर्मा ने कहा कि लखनऊ में योगी सरकार के द्वारा महिलाओं पर किया गया लाठीचार्ज संविधान विरोधी और फासिस्ट कार्रवाई है। सरकार ऐसा इसलिए कर रही है क्योंकि आंदोलनकारी महिलाओं से सरकार डरी हुई है।

अपने टेलीग्राम ऐप पर जनवादी नज़रिये से ताज़ा ख़बरें, समसामयिक मामलों की चर्चा और विश्लेषण, प्रतिरोध, आंदोलन और अन्य विश्लेषणात्मक वीडियो प्राप्त करें। न्यूज़क्लिक के टेलीग्राम चैनल की सदस्यता लें और हमारी वेबसाइट पर प्रकाशित हर न्यूज़ स्टोरी का रीयल-टाइम अपडेट प्राप्त करें।

टेलीग्राम पर न्यूज़क्लिक को सब्सक्राइब करें

Latest