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लखनऊ : अब घंटाघर और उजरियां में महिलाओं की जगह उनके दुपट्टे धरने पर

“हम सभी महिलाएं संकेत के रूप में अपने दुपट्टों को और बनाए हुए मंच यथास्थिति में छोड़कर जा रहे हैं। और प्रशासन से निवेदन करते हैं कि हमारे सांकेतिक धरने को यथास्थिति बनाए रखने में सहयोग प्रदान करे : प्रेषक- संघर्षशील महिलाएं”
Lucknow Protest

लखनऊ के घंटाघर (हुसैनाबाद) में संशोधित नगरिकता क़ानून के विरोध में दो महीने से चल रहा प्रदर्शन महिलाओं ने स्वयं फ़िलहाल स्थगित कर दिया है। महिलाओं ने प्रदर्शन स्थल पर अपना मंच और दुपट्टे छोड़ दिए हैं और चेतावनी दी है अगर इसको हटाया गया तो आंदोलन दोबारा शुरू कर दिया जाएगा। प्रदर्शनकारी महिलाओं का कहना है कि अगर प्रशासन बर्बरता नहीं करता तो करोना  वायरस के प्रकोप को देखते हुए धरना पहले ही स्थगित हो गया होता।

इसी तरह लखनऊ के उजरियां में चल रहे धरने को भी स्थगित कर दिया गया है। वहां भी महिलाओं ने अपनी उपस्थिति बतौर अपने दुपट्टे और चप्पलें छोड़ दी हैं।

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नागरिकता संशोधन क़ानून (सीएए) के विरोध में उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के पुराने इलाक़े हुसैनाबाद में 17 जनवरी से शुरू हुआ धरना आज सुबह करोना वायरस के प्रकोप ख़त्म होने तक स्थगित कर दिया गया है। प्रशासन ने 19 मार्च को बलपूर्वक धरना हटाने की कोशिश की लेकिन विफ़ल हो गया। पुलिस द्वारा लाठीचार्ज किया गया और महिलाओं से अभद्रता की गई थी। लेकिन महिलाओं ने घंटाघर परिसर ख़ाली नहीं किया। महिलाओं का उस समय कहना था कि सरकार लाठी और बंदूक़ के बल पर संविधान कि रक्षा के लिए हो रहे आंदोलन को ख़त्म नहीं करा सकती है।

पुलिस बर्बरता की ख़बर फैलते ही बड़ी संख्या में महिलाएँ घंटाघर पर जमा हो गई थी। जिसके बाद प्रशासन को पीछे हटना पड़ा था। कल 22 मार्च को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा घोषित जनता कर्फ़्यू के दौरान भी बड़ी संख्या में महिलाएँ घंटाघर पर प्रदर्शन करती रहीं। हालाँकि पुलिस ने घंटाघर आने वाले सभी रास्तों को सुबह से ही बंद कर दिया था।

लेकिन कल रात जनता कर्फ़्यू के दौरान प्रशासन का रवैया कुछ नरम हुआ। आज से लखनऊ समते प्रदेश के 15 ज़िलों में लॉकडाउन भी शुरू हो गया है। इसी सबको देखते हुए महिलाओं ने आपस में प्रदर्शन को स्थगित करने पर विचार शुरू किया। प्रशासन के आला अधिकारियों ने महिलाओं से सम्पर्क किया और नरमी से  प्रदर्शन ख़त्म करने के लिए आग्रह किया। प्रशासन की महिलाओं के साथ बात आज सुबह होते तक जारी रही।

जिसके बात महिलाओं ने स्वयं ही प्रदर्शन स्थल ख़ाली करने का फ़ैसला लिया। लेकिन महिलाओं ने कहा की धरना ख़त्म नहीं हो रहा है बल्कि करोना वायरस के प्रकोप की वजह से कुछ समय के लिए स्थगित किया जा रहा है। प्रदर्शनकारी महिलाओं ने कहा कि यह फ़ैसला देश हित में लिया जा रहा है। लेकिन करोना के साथ-साथ सीएए के विरुद्ध भी जंग जारी रहेगी। 

प्रदर्शनस्थल से जाते समय प्रदर्शनकारी महिलाएँ घंटाघर की सीढियों पर अपने द्वारा बनाया मंच छोड़ गई। इस के अलावा घंटाघर पर अपने दुपट्टे रख दिए हैं ताकि आंदोलन को ख़त्म नहीं माना जाए। महिलाओं ने प्रशासन को चेतावनी भरी एक चिट्ठी भी दी है, जिस में लिखा है कि अगर मंच या दुपट्टे हटाए गए तो प्रदर्शनकारी महिलाएँ तुरंत दोबारा जमा हो कर पुनः आंदोलन शुरू कर देगी। प्रशासन की तरफ़ से सहायक पुलिस ने इस चिट्ठी को प्राप्त कर लिया है।

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धरने में शामिल कुछ महिलाओं से न्यूज़क्लिक ने बात की तो उन्होंने कहा आंदोलन ख़त्म नहीं हुआ है, स्थगित किया गया है। घंटाघर पर मौजूद इरम कहती हैं, आंदोलन को इंसानियत के लिए स्थगित किया गया है। उन्होंने कहा आंदोलन उस समय तक ही स्थगित है जब तक महिलाओं द्वारा घंटाघर पर छोड़ी गई चीज़ों को प्रशासन हाथ नहीं लगता है।

यही प्रक्रिया उजरियां के लिए भी अपनाई गई है। यहां भी धरने-प्रदर्शन को चलते दो महीने से ज़्यादा हो गए थे। यहां भी पुलिस को पत्र देकर धरना स्थल पर दुपट्टे और चप्पल इत्यादि छोड़ दी गईं हैं।

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सीएए की मुखर विरोधी भी करोना को देखते प्रदर्शन को स्थगित करने को सही क़दम मान रहे हैं। सदफ़ जाफ़र जो सीएए का विरोध करने के लिए जेल जानी वाली पहली महिला हैं, कहती हैं कि सरकार तो घंटाघर पर बैठी महिलाओं को लेकर प्रारम्भ से संवेदनहीन रही है। शुरू से सर्दी -बारिश और प्रशासन की सख़्ती के बीच महिलाओं ने संघर्ष किया है। लेकिन इस समय देश के लिए प्रदर्शन को स्थगित करना ज़रूरी था। सदफ़ जाफ़र कहतीं हैं घंटाघर वापस लौटने तक संकेतिक प्रदर्शन के तौर पर सोशल मीडिया के ज़रिए बड़ी संख्या में लोगों को सीएए विरोधी आंदोलन से जोड़ा जायेगा।

महिलाओं का कहना है अब घरों से प्रदर्शन किया जायेगा।

सुमैया राना के अनुसार भारत हमारा मुल्क है, हमें इसको स्वस्थ भी रखना है और इसके संविधान की रक्षा भी करना है।

सुमैया राना के कहा करोना ख़त्म होने तक महिलाएँ अपने घर से सीएए का विरुद्ध काले ग़ुब्बारे छोड़ कर और बाल्कनी में शमाएँ (कैंडल) जला कर संकेतित प्रदर्शन करेंगी। उन्होंने बताया की कल (रविवार) देर रात पुलिस कमिश्नर सुजीत पांडे ने महिलाओं से पहले फ़ोन और मिलकर धरना ख़त्म करने की बात की थी। लेकिन महिलाओं ने स्वयं प्रदर्शन स्थगित करने का फ़ैसला लिया है।

रविवार दोपहर में ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के वरिष्ठ उपाध्यक्ष डॉ. कल्बे सादिक़ ने भी सोशल मीडिया से प्रदर्शन  स्थगित करने की अपील की। बता दें कि डॉ कल्बे सादिक़ ने सबसे पहले घंटाघर जा कर सीएए के विरुद्ध धरने के समर्थन का ऐलान किया था। उनके बेटे डॉ. कल्बे सिब्तैन ‘नूरी’ के विरुद्ध सीएए का विरोध करने के लिए सख़्त धाराओं में मुक़दमे दर्ज हैं। डॉ. नूरी कि विवादित होर्डिंग पर तस्वीर भी है पर प्रशासन ने उनके घर पर वसूली का नोटिस भी चस्पा किया है। किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी के मेडिसिन विभाग के  वरिष्ठ डॉक्टर क़ौसर उस्मान ने भी प्रदर्शंकरी महिलाओं से करोना का ख़तरा बताते हुए उन से प्रदर्शन स्थगित करने कि अपील की थी। सीएए का विरोध कर के जेल जाने वाले पूर्व आईपीएस एसआर दारापुरी ने भी सोशल मीडिया पर प्रदर्शन स्थगित करने की अपील की थी।

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