Skip to main content
xआप एक स्वतंत्र और सवाल पूछने वाले मीडिया के हक़दार हैं। हमें आप जैसे पाठक चाहिए। स्वतंत्र और बेबाक मीडिया का समर्थन करें।

मध्यप्रदेश: मुख्यमंत्री के विभाग में बड़ा घोटाला, भोजन बंटवारें में धांधली!

शिवराज सरकार के भीतर चल रही धांधली अब कुछ रिपोर्ट्स के ज़रिए खुल कर सामने आ गई है। कुपोषण को खत्म करने के लिए बांटे जाने वाले भोजन में बड़ा घोटाला सामने आया है।
Mid day meal

कोरोना काल में गुज़ारे वक्त को कौन भूल सकता है, चारों तरफ आपदा का दौर था, लेकिन असल में इस आपदा को किसी ने अवसर में तब्दील किया तो वो है सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी... उत्तर प्रदेश का चुनाव हो, उत्तराखंड का चुनाव हो या मणिपुर का... प्रधानमंत्री समेत भाजपा का हर नेता जोर-शोर से यही कह रहा था हमने फ्री में राशन बांटा-फ्री में राशन बांटा...

मतलब सरकार अपने दायित्वों को कैसे जनता पर अहसान साबित कर देती है, ये कोई मौजूदा सरकार से सीखे...

ख़ैर... राशन बांटने की बहुत सी योजनाएं है जो सरकारें चलाती हैं, इन्हीं में एक है ‘टेक होम राशन योजना’ या ‘पोषण आहार योजना’।

कहा जा रहा है कि मध्यप्रदेश अकाउंटेंट जनरल की रिपोर्ट और लीक हुई एक कैग की रिपोर्ट के मुताबिक योजना का लाभ लेने वालों की पहचान, उत्पादन, अनाज बांटने और क्वालिटी कंट्रोल में बड़े पैमाने पर हेराफेरी की गई है।

कथित लीक रिपोर्ट के मुताबिक- इस योजना में इस योजना के तहत करीब साढ़े 49 लाख रजिस्टर्ड बच्चों और महिलाओं को पोषण आहार दिया जाना था। करोड़ों का हज़ारों किलो पोषणा आहार ट्रक से लाया जाना था, लेकिन हक़ीकत में इसके लिए मोटरसाइकिल, स्कूटर और ऑटो का इस्तेमाल किया गया है। इसके अलावा लाभार्थियों की संख्या भी खूब बढ़ा-चढ़ाकर बताई गई है।

आरोप है कि अकाउंटेंट जनरल की रिपोर्ट कह रही है कि आंकड़ों में हेर-फेर करके 110 करोड़ से ज्यादा रुपयों का राशन काग़ज़ों पर ही बांट दिया गया।

इसमें सबसे बड़ी बात ये है कि ये भ्रष्टाचार का खेल उस मंत्रालय में चल रहा था जो ख़ुद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के पास है। अगर यह सब रिपोर्ट सही हैं तो इसका नतीजा ये रहा कि जनता के करोड़ों रुपये भ्रष्ट सिस्टम की जेब में चले गए और बच्चे, महिलाएं कुपोषित ही रह गए।

हम कुपोषण जैसी गंभीर जैसी समस्या की बात क्यों कह रहे हैं इसके लिए ‘टेक होम राशन योजना’ क्या है? समझना ज़रूरी है।

केंद्रीय महिला एंव बाल विकास मंत्रालय ‘टेक होम राशन योजना’ चलाती है। इसके तहत छोटे बच्चों और गर्भवती महिलओं को पोषणयुक्त राशन उपलब्ध कराया जाता है, ताकि बच्चों को कुपोषण से मुक्त किया जाए और महिलाओं को ज़रूरत के हिसाब से पूरा प्रोटीन दिया जाए। रिपोर्ट्स के मुताबिक इस योजना के तहत मध्य प्रदेश में 49.58 लाख बच्चे और महिलाएं रजिस्टर्ड हैं। इस बड़ी संख्या में 6 महीने से 3 साल तक के 34.69 लाख बच्चे जबकि 14.25 लाख गर्भवती और स्तनपान कराने वाली महिलाएं शामिल हैं। इसके अलावा इसमें स्कूल छोड़ चुकीं 0.64 लाख लड़कियां भी शामिल हैं जिनकी उम्र 11 से 14 साल के बीच है।

टेक होम राशन योजना में रजिस्टर्ड बच्चों और महिलाओं की संख्या से अंदाज़ा लगाया जा सकता है कि ये कितने बड़े स्तर का घोटाला हो सकता है, क्योंकि संपूर्ण पोषण नहीं मिलना महज़ महिलाओं पर ही नहीं बल्कि नवजात बच्चों की ज़िंदगी के साथ भी खिलवाड़ करने जैसा है।

इस घोटाले के स्तर का अंदाज़ा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि छह कंपनियों का दावा था कि उन्होंने 6.94 करोड़ रुपये के 1125.64 टन राशन को पहुंचाने में ट्रकों का इस्तेमाल किया गया है, हालांकि जब इसकी जांच हुई तब पता चला कि ट्रकों का रजिस्ट्रेशन नंबर स्कूटर, मोटरसाइकिल और ऑटो का है।

आपको बता दें कि महिला और बाल विकास मंत्रालय द्वारा अप्रैल 2018 तक ये सर्वे पूरा करना था कि स्कूल छोड़ चुकी कितनी लड़कियां टेक होम राशन योजना के लिए पात्र हैं। हालांकि साल 2021 तक भी ये सर्वे नहीं कराया गया और बाद में इसकी संख्या बढ़ा-चढ़ाकर बता दी गई।

बताया जा रहा है कि यह रिपोर्ट कहती है कि, 2018-19 के करीब स्कूल शिक्षा विभाग में ये कहा गया था कि ऐसी लड़कियों की संख्या 9 हज़ार है, लेकिन महिला और बाल विकास मंत्रालय ने बिना किसी सर्वे के ऐसी लड़कियों की संख्या 36.08 लाख बता दी।

इस कथित लीक जांच रिपोर्ट के मुताबिक राज्य के धार, झाबुआ, रीवा, सागर, सतना, मंडला और शिवपुरी जिले की आंगनबाड़ियों में सैंपल जांच की थी। इसमें पाया गया कि पोषण आहार स्टॉक में 97 हजार मैट्रिक टन में से 87 हजार मीट्रिक टन बांट दिया, यानी 10 हजार टन गायब था। इसकी कीमत करीब 62 करोड़ रुपये है। इसी तरह 6 फर्मों से 6.94 करोड़ का राशन का परिवहन बाइक, ऑटो और टैंकर से होना पाया गया है। यहां 4.95 करोड़ का 821.8 टन राशन की नकली आपूर्ति होना संदेह का विषय है।

इसके अलावा बाड़ी, धार, मांडला, रीवा, सागर और शिवपुरी के छह प्लांट ने दावा किया कि उन्होंने 4.95 करोड़ रुपये के 821 टन राशन की सप्लाई की है, जबकि इतनी मात्रा में राशन उनके पास उपलब्ध भी नहीं था।

इतना ही नहीं जो थोड़ा बहुत राशन बांटा गया है उसकी गुणवत्ता पर भी प्रश्नचिह्न है। प्रदेश सरकार ने पोषण आहार की गुणवत्ता की जांच करवाई थी, जिसमें पता चला कि 40 टन राशन घटिया गुणवत्ता वाला ही बांट दिया गया, इसके बदले करीब 238 करोड़ रुपये का भुगतान भी कर दिया गया, लेकिन इन फर्मों के ख़िलाफ अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है।

इतने बड़े घोटाले के आरोप के बाद अब सरकार इसके बचाव में उतर आई है, एक ओर सरकार इसे क्लैरिकल मिस्टेक बता रही है दूसरी ओर कह रही है कि ये अंतिम रिपोर्ट नहीं हो सकती।

वहीं इस मुद्दे पर नेता विपक्ष कमलनाथ ने भी सवाल खड़े किए हैं। कमलनाथ ने ट्वीट कर कहा है कि मध्यप्रदेश में भाजपा सरकार में हर योजना में, हर काम में भ्रष्टाचार और घोटाले होना आम बात है।

अब सवाल ये है कि जिस मंत्रालय की निगरानी ख़ुद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान कर रहे हैं, उसमें इतना बड़ा घोटाला हो जाना कितना सही है। सवाल ये भी है जिस तरह केंद्र सरकार की दबाव में सरकारी जांच एजेंसियां विपक्षियों को घेरे रहती हैं, छापेमारी करती हैं, मध्य प्रदेश वाले मामले में भी कोई सीबीआई जांच होगी, या फिर ये मान लिया जाए कि भाजपा सरकार को यह सब एलाऊ है।

ये कहना भी ग़लत नहीं होगा कि बच्चों और गर्भवती महिलाओं से जुड़ी योजना में घोटाला होना, न सिर्फ सुरक्षा के साथ खिलवाड़ है, बल्कि लाभार्थियों को बड़ी बीमारी की ओर ढकेलने जैसी भी बात है।

अपने टेलीग्राम ऐप पर जनवादी नज़रिये से ताज़ा ख़बरें, समसामयिक मामलों की चर्चा और विश्लेषण, प्रतिरोध, आंदोलन और अन्य विश्लेषणात्मक वीडियो प्राप्त करें। न्यूज़क्लिक के टेलीग्राम चैनल की सदस्यता लें और हमारी वेबसाइट पर प्रकाशित हर न्यूज़ स्टोरी का रीयल-टाइम अपडेट प्राप्त करें।

टेलीग्राम पर न्यूज़क्लिक को सब्सक्राइब करें

Latest