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मध्यप्रदेश : सिर्फ़ तीन दिन चला मानसून सत्र, नहीं हो पाई किसी भी अहम मुद्दे पर चर्चा

हंगामे के बीच मध्यप्रदेश विधान सभा की कार्यवाही अनिश्चितकाल के लिए स्थगित हो जाने से पोषण आहार पर कैग की रिपोर्ट, महिलाओं एवं आदिवासियों पर अत्याचार और बारिश से फ़सलों के नुकसान जैसे मुद्दे पर चर्चा नहीं हो पाई।
MP Assembly

मध्यप्रदेश विधान सभा के मानूसन सत्र शुरू होने से महज 10 दिन पहले पोषण आहार वितरण पर सीएजी (नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक) की आई एक रिपोर्ट ने प्रदेश सरकार को कठघरे में खड़ा कर दिया। उस रिपोर्ट के आते ही विपक्ष ने सड़क से लेकर सदन तक सरकार को घेरने की रणनीति बना ली। ऐसे में मानूसन सत्र के हंगामेदार होने की संभावना पहले से ही थी। लेकिन पक्ष-विपक्ष की तकरार के बीच महज 4 दिन का मानसून सत्र भी पूरा नहीं चल पाया और न ही मुद्दों पर बहस हो पाई। तीसरे दिन ही सदन की कार्यवाही अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दी गई।

तीसरे दिन भाजपा एवं कांग्रेस दोनों के विधायकों ने सदन में हंगामा किया। कांग्रेस विधायक पांचीलाल मेड़ा ने भाजपा विधायक उमाकांत शर्मा पर मारपीट का आरोप लगाते हुए सदन में आसंदी का घेराव किया। कई विधायकों ने भी उनका साथ दिया। भाजपा की ओर से भी विधायक नारेबाजी करते रहे। विपक्ष ने आदिवासी विधायक के साथ मारपीट और पोषण घोटाले पर चर्चा नहीं कराने का आरोप लगाते हुए लगातार हंगामा किया। हंगामे के कारण बैठक को कुछ देर के लिए स्थगित किया गया। दोबारा कार्यवाही शुरू होने के साथ ही फिर हंगामा शुरू हो गया और इस बीच सदन अनुपूरक बजट एवं अन्य विधेयकों को पारित कराने के बाद सदन की कार्यवाही अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दी गई।

मीडिया से बात करते हुए कांग्रेस विधायक पांचीलाल मेड़ा

मध्यप्रदेश विधानसभा के पिछले कई सत्र हंगामे की भेंट चढ़ गए। सत्रों के कार्य दिवस भी पहले की तुलना में कम होने लगे हैं। पहले से ही छोटे इस 5 दिवसीय मानसून सत्र को 4 दिवसीय करते हुए विधानसभा अध्यक्ष ने कहा कि बैठकों का समय बढ़ा दिया गया है और लंच ब्रेक भी नहीं होगा। ऐसे में यह उम्मीद की जा रही थी कि यह छोटा सत्र कम से कम पूरा चलेगा और विभिन्न मुद्दों पर प्रभावी चर्चा होगी। लेकिन ऐसा नहीं हो पाया।

सत्र के पहले दिन कांग्रेसी विधायक लहसुन की बोरी लेकर विधानसभा पहुंचे। उन्होंने कहा कि लहसुन उत्पादन करने वाले किसानों को उचित मूल्य नहीं मिल रहा है और किसान लहसुन को सड़कों पर फेंक रहे हैं। उन्होंने सरकार पर आरोप लगाया कि सरकार उन्हें मुआवजा नहीं दे रही है। कांग्रेसी विधायकों ने प्रदर्शन करते हुए विधानसभा के गेट पर लहसुन को बिखेर दिया। उल्लेखनीय है कि मध्यप्रदेश में लहसुन उत्पादक किसानों को 5 रुपए किलो का भी भाव नहीं मिल रहा है।

सत्र के दूसरे दिन कांग्रेस के विधायक हाथ में तख्तियां लेकर विधानसभा में पहुंच गए। बालिकाओं के साथ बलत्कार एवं अत्याचार और पोषण आहार घोटाले को लेकर उनके हाथों में तख्तियां थीं। तख्तियां लेकर विधानसभा के भीतर जाने से रोकने के दौरान सुरक्षाकर्मियों से विवाद हो गया। कांग्रेस विधायक पांचीलाल मेड़ा ने सदन के भीतर कहा कि पुलिसकर्मियों ने उनका हाथ मरोड़ा, जमीन पर पटका और पजामा फाड़ दिया। इसके बाद सदन में भाजपा विधायक उमाकांत शर्मा के साथ उनकी बहस हो गई। दोनों एक-दूसरे पर कॉलर पकड़ने का आरोप लगाए। इस हंगामे के बीच मुख्यमंत्री ने पोषण आहार पर सीएजी की रिपोर्ट को लेकर कहा कि यह कैग की अंतरिम रिपोर्ट है, अंतिम रिपोर्ट नहीं। उल्लेखनीय है कि मध्यप्रदेश में टेक होम राशन और मुफ्त भोजन योजना में बड़ा घोटाला सामने आया है। यह खुलासा सीएजी की अंतरिम रिपोर्ट में हुआ है। सीएजी ने 8 जिलों में सैंपल जांच में पाया है कि वर्ष 2018-21 के दौरान 8 जिलों की 48 आंगनबाड़ियों में रजिस्टर्ड बच्चों से ज्यादा को 110.83 करोड़ रुपए का राशन कागजों में बांट दिया गया। इन जिलों में करीब 97 हजार मीट्रिक टन पोषण आहार स्टॉक में बताया था, जबकि करीब 87 हजार मीट्रिक टन पोषण आहार बांटना बताया यानी करीब 10 हजार मीट्रिक टन आहार गायब था।

सत्र के तीसरे दिन प्रश्नकाल के दरम्यान विपक्ष पोषण आहार पर स्थगन प्रस्ताव स्वीकार करने एवं उस पर चर्चा कराने की मांग करता रहा। भाजपा विधायक उमाकांत शर्मा ने भी अपनी जान को खतरा बताते हुए व्यवधान किया और फिर दो बार स्थगित होने के बाद जब कार्यवाही शुरू हुई तो कांग्रेस विधायक पांचीलाल मेड़ा सहित कई कांग्रेस विधायक गर्भगृह में आकर आदिवासी विधायक के साथ मारपीट का आरोप लगाते हुए हंगामा करने लगे। दो दिन के इन हंगामों के बीच सदन में पोषण आहार पर कैग की रिपोर्ट, महिलाओं एवं आदिवासियों पर अत्याचार और बारिश से फसलों के नुकसान जैसे मुद्दे पर चर्चा नहीं हो पाई।

पांचीलाल मेड़ा ने मीडिया से बातचीत करते हुए कहा कि प्रदेश में आदिवासियों पर हो रहे अत्याचार को नहीं उठा सके, इसके लिए मेरे साथ मारपीट की गई। उन्होंने कहा, ‘मेरी जान को खतरा है, मुझे सुरक्षा दी जाए।’ उन्होंने कहा कि प्रदेश में विश्व आदिवासी दिवस के दिन आदिवासी की हत्या कर दी गई और दोषियों पर कोई कार्रवाई नहीं हुई। कांग्रेस विधायक कुणाल चौधरी ने कहा कि पोषण आहार घोटाला के बाद सरकार को इस्तीफा देना चाहिए। क्षेत्र में कई हितग्राहियों से उन्होंने बातचीत की है और पाया है कि उन्होंने राशन नहीं मिला है। विधायक पीसी शर्मा ने भोपाल में साढ़े तीन साल की बच्ची के साथ स्कूल बस ड्राइवर द्वारा दुराचार किए जाने के मामले में कहा कि प्रदेश में बेटियां सुरक्षित नहीं है।

नेता प्रतिपक्ष गोविंद सिंह

नेता प्रतिपक्ष गोविंद सिंह ने इस सत्र को लेकर कहा कि जब भी विपक्ष गंभीर मुद्दों पर चर्चा करना चाहता है, सरकार उससे भागती है। सरकार विपक्ष की आवाज दबाती है। सदन में सत्ता पक्ष अपने साथियों से हल्ला करवा कर बात समाप्त करवा देती है। जिन सवालों से सरकार के घोटाले उजागर हो सकते हैं, उनका जवाब नहीं देते। ऐसे सवालों के जवाब में ‘‘जानकारी एकत्र की जा रही है’’ जैसे जवाब आते हैं।

पोषण आहार पर कैग रिपोर्ट को लेकर मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के राज्य सचिव जसविंदर सिंह ने भी कहा है कि घोटालों एवं विभिन्न जन मुद्दों पर सरकार बचकाने तरीके से बचाव कर रही है। सरकार जब यह कह रही है कि भ्रष्टाचार हुआ ही नहीं है तो फिर सरकार विधान सभा की सर्वदलीय समिति या राजनीतिक दलों और सामाजिक संगठनों की संयुक्त समिति से इसकी जांच करवाने को तैयार क्यों नहीं है?

भले ही विधानसभा का सत्र समाप्त हो गया हो, लेकिन विपक्षी दल इन मुद्दों को आगे तक ले जाने की योजना बना रहे हैं। वे इन मुद्दों को लेकर धरना-प्रदर्शन करने की योजना भी बना रहे हैं।

(लेखक स्वतंत्र पत्रकार हैं।)

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