मध्यप्रदेश: लाठीचार्ज से कोरोना वॉरियर्स का अपमान, कहां गया ताली-थाली का सम्मान!
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पहले जहां कोरोना योद्धाओं के सम्मान में ताली और थाली बजवाई थी अब उन्हीं योद्धाओं पर मध्यप्रदेश की बीजेपी सरकार लाठीचार्ज करवा रही है। मीडिया में आई खबरों की मानें तो आंदोलन कर रहे कई हेल्थ वर्कर्स को लाठीचार्ज में गंभीर चोटें आई हैं तो वहीं कई प्रदर्शकारियों को पुलिस ने गिरफ्तार भी किया है। इस घटना के बाद विपक्ष सरकार पर हमलावर है तो वहीं सरकार मामले में उचित कदम उठाने की बात कर रही है।
क्या है पूरा मामला?
नियमित नौकरी की मांग को लेकर करीब 500 हेल्थ वर्कर्स मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल के नीलम पार्क में बीते तीन दिनों से धरने पर बैठे थे। पुलिस ने इन प्रदर्शनकारी चिकित्साकर्मियों पर गुरुवार, 3 दिसंबर को जमकर लाठीचार्ज किया और प्रदर्शन स्थल से खदेड़ दिया।
हेल्थ वर्कर्स के मुताबिक कोरोना संकट के दौरान एमपी सरकार ने अप्रैल 2020 में छह हज़ार से ज्यादा स्वास्थ्यकर्मियों को तीन महीने के लिए कॉन्ट्रैक्ट पर रखा था। लेकिन कोरोना के बढ़ते संक्रमण का खतरा देख दो बार और इनके कॉन्ट्रैक्ट को रिन्यू कर दिया गया। यानी कुल मिलाकर नौ महीने का कॉन्ट्रैक्ट हो गया। अब 31 दिसंबर को इन स्वास्थ्य कर्मियों का कॉन्ट्रैक्ट खत्म हो रहा है, जिसे लेकर हेल्थ वर्कर्स राज्य सरकार से सेवा बहाली और नौकरियों के नियमितीकरण की मांग कर रहे हैं।
प्राप्त जानकारी के मुताबिक प्रदर्शनकारी कई दिनों से शांतिपूर्ण प्रदर्शन कर रहे थे लेकिन मामले ने तब तूल पकड़ा जब 3 दिसंबर को पुलिस नीलम पार्क पहुंची और उनसे जगह खाली करने को कहने लगी। हेल्थ वर्कर्स जब अपनी बात पर डटे रहे, तो पुलिस ने लाठीचार्ज किया। इस दौरान करीब 15 हेल्थ वर्कर्स को चोट भी लगी। 47 को हिरासत में लिया गया, जिनमें से 15 को बाद में गिरफ्तार कर लिया गया। घटना के कई सारे वीडियो भी इस वक्त वायरल हो रहे हैं।
प्रदर्शनकारी हेल्थ वर्कर्स का क्या कहना है?
मीडिया मे छपी खबरों के मुताबिक प्रदर्शनकारी हेल्थ वर्कर्स का आरोप है कि प्रदेश में अभी कोरोना खत्म नहीं हुआ है फिर भी मिशन डायरेक्टर छवि भारद्वाज बेवजह लगातार स्वास्थ्य कर्मचारियों को हटा रही हैं। जबकि पिछले दिनों राजधानी में खुद स्वास्थ्य मंत्री प्रभु राम चौधरी ने उन्हें भरोसा दिया था कि उनकी सेवा समाप्त नहीं की जाएगी।
उनका कहना है कि प्रदेश में कोरोना की रोकथाम के लिए उन्होंने अपनी जान जोखिम में डालकर दिन-रात काम किया। भूखे-प्यासे रह कर तमाम कठिनाईयों को झेलते हुए मरीजों की देखभाल की बावजूद इसके राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन द्वारा अकारण सेवा से निकाल दिया गया है।
इस आंदोलन का नेतृत्व कर रहे डॉ. जितेंद्र कुशवाहा ने स्थानीय मीडिया को बताया कि कोरोना मरीजों को अस्पताल में समय से उपचार देने के लिए 6200 स्वास्थ्य कर्मियों की नियुक्ति की गई थी। इनमें डॉक्टर सहित एएनएम एवं अन्य कर्मचारी शामिल थे। अब मिशन द्वारा 3000 कर्मचारियों को हटा दिया गया है।
डॉ. जितेंद्र कुशवाहा के अनुसार जब तक सेवा बहाली नहीं हो जाती तब तक स्वास्थ्यकर्मी राजधानी में ही डेरा डाले रहेंगे और अपने हक़ की आवाज़ उठाते रहेंगे।
आंदोलनकारी हेल्थ वर्कर्स का कहना है कि वे नीलम पार्क में शांतिपूर्ण तरीके से प्रदर्शन कर रहे थे लेकिन पुलिस ने मौके पर उनकी पिटाई की जिसमें आधा दर्जन महिला डॉक्टर और नर्स घायल हुए हैं। यहां तक की एक गर्भवती महिला को भी मारा गया। इसके बाद पुलिस कई प्रदर्शनकारियों को वाहन में भरकर ले गई । जिसमें से कुछ को बाद में छोड़ दिया गया तो वहीं कुछ को गिरफ्तार किया गया है।
अस्पतालों में इन कर्मचारियों की ज़रूरत
मध्यप्रदेश स्वास्थ्य कर्मचारी संघ के प्रदेश अध्यक्ष डॉक्टर एसबी सिंह का कहना है कि मध्यप्रदेश में अभी कोरोना का प्रकोप कम नहीं हुआ है। ऐसे में फिलहाल अस्पतालों में इन कर्मचारियों की जरूरत है।
डॉक्टर एसबी सिंह के अनुसार राजधानी भोपाल सहित प्रदेश के प्रत्येक जिले में हर दिन कोरोना मामलों में बढ़ोतरी हो रही है। ऐसे में मौजूदा सप्ताह के दौरान ही इस संबंध में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से मुलाकात कर उन्हें ज्ञापन सौंपेंगे। ऐसे समय में कर्मचारियों को सेवा से निकालना कहीं से भी उचित नहीं है।
पुलिस क्या कह रही है?
इस घटना के संबंध में भोपाल पुलिस का कहना है कि प्रदर्शकारियों ने पहले पुलिस पर हमला किया। जिसके बाद हालात को काबू में करने के लिए पुलिस द्वारा कम से कम फोर्स का इस्तेमाल किया गया।
भोपाल के एएसपी रजत सकलेचा ने मीडिया से बात करते हुए कहा, “वो पिछले चार दिनों से प्रदर्शन कर रहे थे और हेल्थ मिनिस्टर और सांसद से भी मुलाकात की थी। उनकी मांगें सीएम तक पहुंचा दी गई थीं। फिर भी वो बिना परमिशन के प्रोटेस्ट कर रहे थे। उनसे जगह खाली करने के लिए कहा गया, इसके बाद कुछ ने पुलिस पर हमला करने की कोशिश की। एक पुलिसकर्मी को चोट भी लगी। इस दौरान हमने कम से कम फोर्स का इस्तेमाल किया।”
They were protesting for last 4 days & had met Health Minister & MP. Their demands were forwarded to CM. Still they were protesting without permission. They were asked for arrest, some of them tried to attack Police & a cop was injured. Minimum force used for arrest: Bhopal ASP https://t.co/if0T4SpCEY pic.twitter.com/PwUwP9OROC
— ANI (@ANI) December 3, 2020
सरकार क्या कह रही है?
डॉक्टरों के आंदोलन के संबंध में स्वास्थ्य मंत्री डॉ. प्रभुराम चौधरी ने मीडिया को बताया कि अभी यह मामला उनके संज्ञान में नहीं आया है। अधिकारियों से चर्चा कर पूरी स्थिति का पता लगाया जाएगा। निष्कासित डॉक्टर नर्स सहित अन्य स्टाफ के हित में क्या अच्छे से अच्छा किया जाए, इस दिशा में तत्काल काम प्रारंभ किया जाएगा।
प्रभु राम चौधरी के अनुसार यह लोग क्यों आंदोलन कर रहे हैं इस संबंध में अधिकारियों से चर्चा की जाएगी। अस्पतालों से कितने लोगों को हटाया गया है। इसकी अधिकारियों के माध्यम से रिपोर्ट मांगी जा रही है।
विपक्ष ने सरकार पर साधा निशाना
मध्यप्रदेश के पूर्व सीएम और कांग्रेस नेता कमलनाथ ने कोरोना वॉरियर्स पर हुए लाठीचार्ज की निंदा करते हुए दोषियों पर तुरंत कड़ी कार्रवाई की मांग की।
जहाँ एक तरफ़ विश्व भर में कोरोना योद्धाओं का सम्मान किया जा रहा है , उन्हें प्रोत्साहित किया जा रहा है वही दूसरी तरफ़ मध्यप्रदेश की शिवराज सरकार उन पर बर्बर तरीक़े से लाठियाँ बरसा रही है , यह घटना बेहद निंदनीय व मानवीयता व इंसानियत को शर्मसार करने वाली। pic.twitter.com/Besp56S9Kc
— Office Of Kamal Nath (@OfficeOfKNath) December 3, 2020
कमलनाथ ने ट्वीट किया, “जहां एक तरफ़ विश्व भर में कोरोना योद्धाओं का सम्मान किया जा रहा है, उन्हें प्रोत्साहित किया जा रहा है, वहीं दूसरी तरफ़ मध्यप्रदेश की शिवराज सरकार उन पर बर्बर तरीके से लाठियां बरसा रही हैं। ये घटना बेहद निंदनीय और मानवीयता व इंसानियत को शर्मसार करने वाली है।”
कमलनाथ ने मांग की कि लाठीचार्ज के दोषियों पर तुरंत कड़ी कार्रवाई हो और हेल्थ वर्कर्स की मांगों पर तुरंत सहानुभूति के साथ फैसला लिया जाए।
Bad scenes
Female covid warrior was brutally attacked by MP(Bhopal) Police. @ChouhanShivraj please do something as she was firstly COVID WARRIOR and secondly FEMALE COVID WARRIOR.
PLEASE TAKE ACTION IMMEDIATELY ON THOSE, WHO ARE INVOLVED IN THE ACT. https://t.co/hpu92yKi3U pic.twitter.com/ePeASGEWvK— Dr Amarinder Singh Malhi AP/DM/SR AIIMS, New Delhi (@drasmalhi) December 3, 2020
गौरतलब है कि अभी कुछ दिनों पहले ही देश ने किसानों के आंदोलन पर पुलिस की बर्बता देखी थी। इससे पहले सीएए और एनआरसी के विरोध में छात्रों और प्रदर्शकारी लोगों पर लाठीचार्ज की आलोचना हुई थी। अब कोरोना योद्धाओं पर बरसी पुलिस की लाठियों का सोशल मीडिया पर लोग जमकर विरोध कर रहे हैं। कोरोना के मुश्किल समय में उनके योगदान को याद करते हुए बीजेपी की शिवराज सरकार पर जमकर हल्ला बोल रहे हैं। तो वहीं अभी पूरे मामले पर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने चुप्पी साध रखी है।
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