कोरोना संकट के दौर में भी एनडीएमसी कर्मियों को वेतन नहीं, हालात भयावह
दिल्ली: कोरोना संकट के दौरान काम कर रहे सफाई कर्मचारियों, शिक्षकों और स्वास्थ्यकर्मियों को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कोरोना योद्धा बताया है लेकिन इन्हीं कोरोना योद्धाओं को उन्हीं की पार्टी की सत्ता वाली उत्तरी दिल्ली नगर निगम (एनडीएमसी) वेतन नहीं दे रही है। जब स्थिति गंभीर हुई तो यहां काम करने वाले शिक्षकों को भूख हड़ताल करनी पड़ी तो वहीं डॉक्टरों ने भी इस्तीफ़े तक की बात कही।
हालात की भयावहता को देखते हुए दिल्ली हाई कोर्ट ने मामले में हस्तक्षेप किया और अखिल दिल्ली प्राथमिक शिक्षक संघ के एक याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि कोरोना काल में ड्यूटी करने के बाद भी मार्च से वेतन न मिलाना अफ़सोस जनक है। हाईकोर्ट ने इस मामले में कड़ा रुख अपनाया। इसके बाद की निगम ने कोर्ट में शपथ पत्र दाखिल किया वो निगम की खस्ताहाल हालत को दर्शाता है। एनडीएमसी के मुताबिक उसके ऊपर 1000 करोड़ से अधिक का वेतन बकाया है। इसमें शिक्षक,सफाई कर्मचारी, डॉक्टर, स्वाथ्यकर्मचारी सहित अन्य कर्मचारियों का वेतन शामिल हैं।
आपको बता दें कि यह कोई पहला मौका नहीं जब एनडीएमसी के कर्मचारियों को अपने काम के बदले वेतन के लिए परेशान होना पड़ा है। वेतन में अनियमिता आम बात हो गई है। लेकिन जैसा की हमेशा से होता आया कि निगम इसका ठीकरा दिल्ली सरकार पर फोड़ता है। इसके जबाब में सरकार कहती है कि उसने सभी फंड दे दिया। इस मामले में भी निगम ने दिल्ली सरकार पर जिम्मेदारी थोपनी चाही है।
क्या हुआ अदालत में?
हाईकोर्ट ने शुक्रवार यानि 26 मई को निगम को फटकार लगाते हुए लंबित वेतन के मामले में शिक्षकों की याचिका को गंभीर माना और खुद ही उसे जनहित याचिका में बदल दिया। अब इस मामले में अगली सुनवाई 30 जून को मुख्य न्यायाधीश के समक्ष होनी है।
इस मामले की सुनवाई न्यायमूर्ति हिमा कोहली और न्यायमूर्ति एस प्रसाद की पीठ ने किया। पीठ ने यह भी रिकॉर्ड पर लिया कि शिक्षक ही नहीं बल्कि उत्तरी नगर निगम के सफाई कर्मचारियों और डॉक्टरों को भी उनका वेतन नहीं दिया गया।
हालंकि इसी मामले में पीठ ने 18जून को निगम को एक हफ्ते के भीतर बकाया वेतन भुगतान करने को कहा था। कोर्ट ने कहा कि जब न्यायिक आदेश पारित किया गया तब जाकर दिल्ली सरकार ने मार्च का वेतन जारी किया और सुबह में ही एनडीएमसी के शिक्षकों को भुगतान हो गया। इसे भी रिकॉर्ड पर लिया गया। इसके साथ ही सुनवाई के दौरान दिल्ली सरकार ने कहा कि शिक्षकों के वेतन का मई माह का पैसा एनडीएमसी को भुगतान कर दिया है लेकिन एनडीएमसी का कहना है कि उसे भुगतान प्राप्त नहीं हुआ है लेकिन कोरोना में ड्यूटी करने वाले 5000 अध्यापकों का मार्च माह का वेतन शुक्रवार को जारी कर दिया जाएगा। एनडीएमसी मे लगभग 9000 अध्यापक कार्यरत हैं। पीठ ने इस पर आपत्ति जताते हुए कहा कि बाकी अध्यापकों को वेतन क्यों नहीं मिलेगा। पीठ ने कहा कि यह मामला जनहित से जुड़ा हुआ है।
भयावयता दिखाता शपथ पत्र
दिल्ली हाईकोर्ट को सौंपे गए शपथ पत्र को न्यूज़क्लिक द्वारा प्राप्त किया गया ,जिसके मुताबिक एनडीएमसी को इस महीने जून तक बकाया वेतन लगभग 1,145.75 करोड़ देने है। एनडीएमसी ने खुद माना है कि न सिर्फ कर्मचारियों के वेतन बल्कि पेंशन और टर्मिनल भी बकाया है।
एनडीएमसी के डिप्टी कंट्रोलर ऑफ़ अकॉउंटेंट बिश्वजीत रॉय ने न्यूज़क्लिक से बात करते हुए कहा कि “निगम के विभाजन के बाद यह पहली बार है कि बकाया राशि इतनी अधिक है। आमतौर पर वेतन में देरी दो से तीन महीने तक रहती है। हालांकि, इस समय हम चार महीने तक सैलरी नहीं दे पाए हैं। "
अपने कर्मचारियों को वेतन जारी नहीं करने के लिए "वित्तीयबाधाओं" का हवाला देते हुए निगम ने लंबित वेतन को अलग हिस्सों में बाँटा हैं। जिससे पता चलता है कि किसी भी कर्मचारी को मई के महीने का वेतन का भुगतान नहीं किया गया है। नर्सों सहित स्वास्थ्य कर्मी को अप्रैल से नहीं किया गया है। जबकि डॉक्टरों और शिक्षकों को तो अंतिम बार फरवरी में वेतन भुगतान किया गया था।
गौरतलब है कि यह आंकड़े डराने वाले हैं। इस लॉकडाउन और महामारी में तीन महीने से वेतन न मिलना वो भी दिल्ली जैसे शहर में जहाँ अधिकतर आदमी प्रवासी है। लेकिन यह बीजेपी शासित निगम की सच्चाई है।
निगम ने शुक्रवार कोर्ट में खुद माना कि, "यह बड़ी पीड़ा और परेशानी की बात है कि हम कई तरह की वित्तीय बाधाओं के कारण अपने विभिन्न कर्मचारियों की वेतन जारी नहीं कर पा रहा है।"
रॉय ने'वित्तीय बाधाओं' की व्याख्या करते हुए कहा कि महामारी और बाद में लॉकडाउन के कारण लोगों ने अब तक टैक्स जमा नहीं किये हैं। उनके अनुसार,बिक्री और खरीद में कमी आई है और पार्किंग जैसे स्रोतों से राजस्व भी लॉकडाउन से प्रभावित हुआ है। इसलिए खजाना खाली हो गया है।
दूसरी ओर शुक्रवार को दिल्ली सरकार ने कोर्ट को सूचित किया कि नॉर्थ एमसीडी को अनुदान जारी करने में उसकी ओर से कोई समस्या नहीं हैं। उसने पूरी अनुदान राशि दे दी है।
आम आदमी पार्टी की दिल्ली सरकार ने अपनी स्टटेस रिपोर्ट में कहा कि 'एनडीएमसी मार्च 2020 से शिक्षकों को वेतन का भुगतान नहीं कर रही हैं, जबकि दिल्ली सरकार ने पहले ही मई 2020 तक सहायता अनुदान में दे दिया है और जून के महीने का वेतन जुलाई में देना होता है उसे भी मंजूरी के लिए भी वित्त विभाग को भेज दिया गया है और मंजूरी मिलने के बाद इसे भी बिना किसी देरी के जारी कर दिया जाएगा।'
इसकी पुष्टि करते हुए रॉय ने न्यूज़क्लिक को बताया कि अप्रैल और मई के महीने में निगम को जारी किए गए अनुदान का उपयोग पिछली देनदारियों को ख़त्म करने के लिए किया गया था।
एनडीएमसी ने भी कोर्ट को बताया कि ऐसा इसलिए था क्योंकि चौथे दिल्ली वित्त आयोग (DFC) के तहत सरकार को निगम को पैसे देने है। जिसका मामला अभी सुप्रीम कोर्ट में लंबित है।
एनडीएमसीके अनुसार, चौथे DFC के तहत बकाया देनदारी 968.97 करोड़ रुपये है। हालांकि AAP के राष्ट्रीय प्रवक्ता और दिल्ली MCD प्रभारी दुर्गेश पाठक ने चौथे DFC को "निरर्थक" बताया और उसके तहत भुगतान की मांग को गलत बताया।
उनके अनुसार, AAP सरकार ने पांचवें DFC के तहत एनडीएमसी को भुगतान को मंजूरी दे दी है और यदि कर्मचारियों को अभी तक वेतन का भुगतान नहीं किया गया है, तो मामला जांच का विषय है।
उन्होंने कहा “दिल्ली एमसीडी बीजेपी के तहत भ्रष्टाचार का अड्डा बन गया है। जब एनडीएमसी को अनुदान जारी किया गया था तो अदालत को यह जांच करनी चाहिए कि पैसा कहां गया है।"
वहीं, शिक्षक संघ कहना है कि पिछले कई वर्षों से निगम शिक्षकों को वेतन, भत्ते, पेंशन आदि न मिलना आम बात हो गई है। इसको लेकर धरना प्रदर्शन, भूख हड़ताल आदि आंदोलनों सब कुछ कर लिया। परंतु निगम इस तरफ कोई ध्यान नही नहीं देता है।
आपको बात दे एनडीएमसी में कार्यरत 9000 शिक्षक सहित हज़ारों सफाई कर्मचारी और अन्य कर्मचारी है। निगम का बंटवारा 2012 में हुआ, तबसे ही बीजेपी तीनो निगमों में काबिज है और वेतन इत्यादि समय पर मिलने में मुश्किल हो रही है।
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