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हरियाणा बेरोज़गारी में नंबर-1, हवा हो गए खट्टर और दुष्यंत के सारे वादे और दावे

हरियाणा की यह स्थिति तब है जब भाजपा सरकार राज्य के युवकों से पिछले दो विधानसभा चुनावों से लगातार लुभावने वादे करती आ रही है।
 खट्टर और दुष्यंत
Image Courtesy:The Financial Express

बेरोज़गारी के मामले में हरियाणा देश का नंबर 1 राज्य बन गया है। यह स्थिति तब है जब हरियाणा की भाजपा सरकार राज्य के युवकों से पिछले दो विधानसभा चुनावों 2014 और 2019 से लगातार लुभावने वादे करती आ रही है। उसके सहयोगी दल जननायक जनता पार्टी (जेजेपी) ने तो भाजपा से भी आगे जाकर बेरोज़गार युवकों से वादे किए थे।

2 अक्टूबर 2014 को हरियाणा भाजपा ने घोषणापत्र की जगह संकल्पपत्र जारी किया था। पार्टी ने इसमें 12वीं पास बेरोज़गार युवक और युवतियों को महीने में कम से कम 100 घंटे पार्ट टाइम जॉब के बदले 6000 रुपये मासिक मानदेय तथा ग्रेजुएट और पोस्ट ग्रेजुएट बेरोज़गार युवाओं को 9000 रुपये मासिक मानदेय का वादा किया था। भाजपा ने अपने दम पर सरकार बना ली और इस वादे को भूल गई। 2019 में वह फिर से चुनावी मैदान में उतरी। पिछले वादों को पूरा करने का ज़िक्र किए बिना भाजपा ने 2019 में 500 करोड़ खर्च कर 25 लाख युवाओं को कौशल प्रदान करने और अलग से युवा विकास और रोज़गार मंत्रालय बनाने की बात कही। लगभग एक साल होने जा रहे हैं लेकिन खट्टर सरकार इन दोनों वादों पर आगे नहीं बढ़ी है।

2019 के चुनाव में जेजेपी भी मैदान में थी। उसने अपने घोषणापत्र में कहा था -  हरियाणवी युवकों के लिए सभी नौकरियों में 75 फीसदी नौकरियाँ आरक्षित, नौकरी मिलने तक शिक्षित युवकों को 11000 रुपये बेरोज़गारी भत्ता, ग्रामीण छात्रों को नौकरी की परीक्षाओं में दस फीसदी अतिरिक्त अंक दिए जाने का वादा।

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ग्राफिक इमेज़ साभार

मुंह चिढ़ाते आंकड़े

सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनमी (सीएमआईई) ने अगस्त महीने  की बेरोज़गारी की जो रिपोर्ट जारी की है, उसके मुताबिक हरियाणा में बेरोज़गारी की दर 33.5 फीसदी पहुंच गई है। हरियाणा उन टॉप 5 राज्यों में पहले नंबर पर है, जहां बेरोज़गारी सबसे ज्यादा है। लॉकडाउन ने हरियाणा को लगभग बर्बाद कर दिया है। बिहार जिसे रोज़गार देने के मामले में बहुत पीछे माना जाता है, उसने भी अपनी स्थिति सुधारी है। इसी तरह झारखंड की हालत में भी सुधार हुआ है।

हरियाणा में पिछले 6 साल में न तो कोई निवेश हुआ है और न ही रोज़गार के नए अवसर पैदा हुआ है। हालांकि खट्टर सरकार के पास रोज़गार देने के सुनहरे आंकड़े मौजूद हैं। लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और है। राज्य में मैन्यूफैक्चरिंग सेक्टर पूरी तरह बैठ गया है, टूरिज्म तबाह हो चुका है। खुदरा (रिटेल) दुकानदारों ने खूब ताली और थाली बजाई लेकिन हालात नहीं सुधरे।

रिटेलर्स एसोसिएशन आफ इंडिया के सीईओ कुमार राजगोपालन का कहना है कि देश में दस करोड़ लोग रिटेल बिजनेस में रोज़गार से लगे हुए हैं, जिसमें हरियाणा का योगदान 4-5 फीसदी है। यानी करीब 50 लाख लोग जो रिटेल बिजनेस में हरियाणा में रोज़गार पाये हुए थे, वे बेरोज़गार हो चुके हैं। होटल-रेस्तरां में काम करने वालों पर खासा असर पड़ा है। होटल्स एंड रेस्टोरेंट्स एसोसिएशन आफ हरियाणा के मनबीर चौधरी के मुताबिक राज्य के विभिन्न होटलों में काम करने वालों में से 25-30 फीसदी लोग बेरोज़गार हो चुके हैं। इसी तरह रेस्तरां में काम करने वाले 60-70 फीसदी लोग बेरोज़गार हो चुके हैं। इसके अलावा मैन्यूफैक्चरिंग सेक्टर में बड़े पैमाने पर छंटनी हुई है। 

हरियाणा में शिक्षक भर्ती के लिए जरूरी परीक्षा एचटेट की परीक्षा करीब एक लाख युवकों ने पास की है लेकिन वो घरों में बैठे हैं। खट्टर सरकार अब तक उन्हें जेबीटी शिक्षक नियुक्त नहीं कर सकी है। जबकि राज्य के सरकारी स्कूल शिक्षकों की कमी से जूझ रहे हैं। हालांकि सरकार इस परीक्षा को हर साल कराकर करोड़ों रुपये फीस के रूप में वसूल लेती है। पिछले छह साल में इन बेरोज़गार युवकों से वसूली गई फीस को जोड़ लिया जाए तो उससे कई स्कूल-कॉलेज ही खोलकर इन्हें खपाया जा सकता है।

हरियाणा जहां दूसरे राज्यों से आये हुए लोगों को रोज़गार मुहैया कराता था, वहां पिछले 6 साल से वह रोज़गार देने में नाकाम है। राज्य में न तो नया निवेश हुआ और न ही दूर दूर तक फिलहाल कोई संभावना नजर आ रही है। खट्टर सरकार यह आंकड़ा देने में नाकाम है कि पिछले छह साल में कोई नई इंडस्ट्री निजी क्षेत्र में शुरू हुई हो।

हरियाणा की ईज़ आफ डूइंग बिजनेस में भी रैंकिंग 13 से गिरकर 16वें नंबर पर पहुंच चुकी है। ईज़ आफ डूइंग बिजनेस का अर्थ है कि राज्य में ऐसा वातावरण बनाना कि यहां काम करना या इंडस्ट्री चलाना आसान हो जाए। इसी रैंकिंग से स्पष्ट है कि दूसरे राज्यों से उद्योगपति और विदेशी कंपनियां हरियाणा में निवेश की इच्छुक नहीं हैं।

डूब रही है इंडस्ट्री

हरियाणा की छवि आमतौर पर एक कृषि प्रधान राज्य की है, जो सच भी है। इसके बावजूद फरीदाबाद, गुड़गांव, पानीपत बावल, कोंडली, बहादुरगढ़ में छोटी, बड़ी कंपनियों की भरमार है। जिनमें मारुति, बाटा, लखानी, हीरो हांडा, हांडा मोटर्स, एस्कॉर्ट्स ट्रैक्टर्स आदि बड़े कारखानों के अलावा हजारों की तादाद में छोटी-छोटी वर्कशॉप हैं। गुड़गांव में देश और विदेश की जानी-मानी आईटी कंपनियों के डेवेलपमेंट सेंटर हैं। लेकिन लॉकडाउन की वजह से जून से फैक्ट्रियों के बंद होने का सिलसिला शुरू हो गया। काफी जगहों पर छंटनी कर दी गई। मैन्यूफैक्चरिंग सेक्टर की कोई कंपनी अछूती नहीं रही जिसने फरीदाबाद और गुड़गांव में अपने कर्मचारियों को पिंक स्लिप न पकड़ाई हो। पानीपत में हैंडलूम का पूरा कारोबार ठप हो गया है। हिसार और बावल में कई फूड प्रोसेसिंग यूनिटों पर ताले लटक रहे हैं।

दुष्यंत चौटाला की राजनीतिक शोशेबाजी

जेजेपी को करीब एक साल बाज हरियाणवी युवकों को नौकरियों में 75 फीसदी नौकरियां आरक्षित करने की याद आई। जुलाई के पहले हफ्ते में हरियाणा की खट्टर सरकार हरियाणा स्टेट एम्प्लॉयमेंट आफ लोकल कैंडिडेट्स आर्डिनैंस ( Haryana State Employment of Local Candidates Ordinance, 2020) ले आई। इसे खट्टर का मास्टर स्ट्रोक कहा गया। मीडिया में ऐसी खबरें देखने को मिलीं कि खट्टर सरकार ने अपनी सहयोगी पार्टी जननायक जनता पार्टी (जेजेपी) के दबाव में यह कदम उठाया है। हालांकि राज्यपाल सत्यदेव नारायण आर्य इस आर्डिनेंस को मंजूरी दे चुके हैं और इसे राष्ट्रपति के पास विचार के लिए भेज दिया है। लेकिन राष्ट्रपति द्वारा इसे मंजूर करने की उम्मीद कम ही है, क्योंकि बाकी राज्य भी अगर इसी रास्ते पर चल पड़े तो एक तरह की अव्यवस्था की स्थिति पैदा हो सकती है।

यही नहीं हरियाणा के उद्योगों और कृषि आधारित उद्योग धंधे में ज्यादातर बिहार, झारखंड और यूपी के लोग कार्यरत हैं। वहां से इस अध्यादेश का विरोध तो नहीं हुआ लेकिन भाजपा के आला नेता इस अध्यादेश को लेकर अभी भी सशंकित हैं। उन्हें लगता है कि कांग्रेस इस मुद्दे पर उन राज्यों में आंदोलन खड़ा कर सकती है।

जाग रहा है देश का युवा

देश के बेरोज़गार युवकों के अलग-अलग संगठनों ने 9 सितंबर को रात 9 बजे 9 मिनट के लिए लाइट बंद करने का आह्वान देश के लोगों से किया था। यूपी कांग्रेस ने फौरन इस मुहिम का समर्थन कर दिया। इसके बाद आरजेडी नेता तेजस्वी यादव और समाजवादी पार्टी के नेता व पूर्व सीएम अखिलेश यादव ने भी इस मुहिम का समर्थन कर दिया। इस आंदोलन के पीछे हरियाणा के बेरोज़गार युवक थे तो यहां से भी कांग्रेस के कुछ नेताओं ने आंदोलन का समर्थन कर दिया। हरियाणा प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कुमारी शैलजा ने 17 और 21 सितंबर को इस मुद्दे पर आंदोलन की घोषणा की है।

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