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विपक्षी पार्टियों ने की बजट की आलोचना, बताया दिशाहीन

माकपा महासचिव सीताराम येचुरी ने कहा कि बजट में सिर्फ ‘बेकार’ की बातें हैं और यह लोगों की समस्याओं का समाधान नहीं करता।
Opposition leaders

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शनिवार को केंद्रीय बजट पेश किया। यह मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल का पहला बजट है। विपक्षी पार्टियों ने बजट की आलोचना की है। माकपा ने शनिवार को कहा कि इसमें सिर्फ ‘बेकार’ की बातें हैं और यह लोगों की समस्याओं का समाधान नहीं करता।

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा पेश बजट पर प्रतिक्रिया देते हुए माकपा महासचिव सीताराम येचुरी ने कहा कि इसमें ‘लोगों की दिक्कतें’ दूर करने के लिए कुछ नहीं किया गया। उन्होंने ट्वीट किया, ‘सिर्फ बेकार की बातें और जुमले हैं। इसमें लोगों की दिक्कतें दूर करने, बढ़ती बेरोजगारी, गांवों में मजदूरी भुगतान संकट, परेशान किसानों की आत्महत्या करने जैसी समस्याओं का कोई ठोस समाधान नहीं है।’

कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने वित्त वर्ष 2020-21 के लिए पेश किए गए आम बजट को खोखला करार देते हुए शनिवार को दावा किया कि बजट में रोजगार सृजन और अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के ठोस उपाय नहीं हैं।

गांधी ने संसद परिसर में संवाददाताओं से कहा, ‘आज देश के सामने बेरोजगारी और अर्थव्यवस्था की स्थिति प्रमुख मुद्दा हैं। लेकिन मुझे बजट में कोई ठोस विचार नहीं दिखा जिससे कहा जाए कि हमारे नौजवानों को रोजगार मिलेगा।’

 

उन्होंने दावा किया, ‘इसमें सरकार की खूब सराहना की गई। कई बातों को दोहराया गया। इसमें कुछ ठोस नहीं, यह सिर्फ सरकार की सोच है। खूब बातें हो रही हैं, लेकिन किया कुछ नहीं जा रहा। देश मुश्किल का सामना कर रहा है। युवाओं को रोजगार नहीं मिला।’

कांग्रेस नेता ने आरोप लगाया, ‘सरकार ने कर व्यवस्था के सरलीकरण की बात कही थी, लेकिन उसे और जटिल बना दिया। बजट में कुछ नहीं। यह खोखला है।’

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अहमद पटेल ने आरोप लगाया कि ढाई घंटे से अधिक समय तक चला बजट भाषण आम लोगों से ज्यादा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी प्रशंसा पर केंद्रित था। उन्होंने ट्वीट कर कहा, ‘जब भारत आर्थिक मंदी से घिरा है तो उस समय बजट भाषण आम नागरिक की मदद से ज्यादा प्रधानमंत्री की सराहना पर केंद्रित था।’

पार्टी के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने वित्त मंत्री पर तंज करते हुए कहा, ‘निर्मला जी, पांच हजार अरब डॉलर की अर्थव्यवस्था की बात जुमला ही निकली? बजट में रोज़गार शब्द का ज़िक्र तक नहीं? पांच नए स्मार्ट सिटी बनाएंगे। पिछले सौ स्मार्ट सिटी का ज़िक्र तक नहीं!’

उन्होंने सवाल किया कि ग़रीबी रेखा से नीचे जीवन यापन करने वालों की संख्या बढ़ कैसे गई?

पार्टी के वरिष्ठ प्रवक्ता आनंद शर्मा ने ट्वीट कर कहा, 'किसानों की आय दोगुना करने का वित्त मंत्री का दावा खोखला है और तथ्यात्मक वास्तविकता से परे है । कृषि विकास दर दो फीसदी हो गयी है। आय दोगुनी करने के लिए कृषि विकास दर को 11 फीसदी रहना होगा।'

उन्होंने दावा किया, 'निर्मला सीतारमण बजट संबंधी गणित को स्पष्ट करने में विफल रही हैं । नवंबर महीने तक जो राजस्व आया है वो बजट आकलन का सिर्फ 45 फीसदी है।'

शर्मा ने वित्त मंत्री पर तंज कसते हुए कहा, 'लच्छेदार भाषा और ऊंची आवाज में बोलना और पुरानी बातें करने का कोई मतलब नहीं।'

कांग्रेस नेता गौरव गोगोई ने कहा, ‘प्रधानमंत्री को बड़ा जनादेश देकर अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने का मौका दिया गया, लेकिन यह बहुत कमजोर बजट है। इसमें कुछ नया नहीं है। इससे अर्थव्यवस्था को गति नहीं मिलेगी।’

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और लोकसभा सदस्य शशि थरूर ने कहा, ‘बजट में शायद एकमात्र अच्छी बात जो हो सकती है वह मध्यवर्ग के लिये कर में कटौती करना है। इससे 12.5 लाख रुपये से कम सालाना आय वालों को थोड़ी राहत मिलेगी। इसके अलावा पूरे बजट में हमें ऐसा कुछ भी नहीं सुनाई दिया जो ऊर्जा दे सके।’

थरूर ने कहा कि यह बजट निराश करने वाला है, शायद यही वजह है कि संसद में भाजपा की तरफ से भी बजट पर ताली बजाने वाला कोई नहीं था।

वहीं, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने शनिवार को आरोप लगाया कि बजट में इस बार भी दिल्ली के साथ सौतेला व्यवहार किया गया है।

केजरीवाल ने 2020-21 के लिए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा शनिवार को पेश किये गये बजट पर निराशा जताते हुए ट्वीट किया, ‘दिल्ली भाजपा की प्राथमिकताओं में आता ही नहीं तो दिल्ली वाले भाजपा को वोट क्यों दें?’

 

उन्होंने हिंदी में किये गये ट्वीट में कहा, ‘दिल्ली को बजट से बहुत उम्मीदें थीं। लेकिन एक बार फिर दिल्ली वालों के साथ सौतेला व्यवहार हुआ।’

समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने बजट को दिशाहीन बताते हुये कहा है, ‘वित्त मंत्री ने इस दशक का पहला दिवालिया बजट पेश किया है।’

अखिलेश ने कहा, ‘हमें उम्मीद नहीं है कि इस बजट से किसानों के जीवन में कोई बदलाव आयेगा, गरीब के परिवार में कोई खुशहाली आयेगी।’

उन्होंने कहा कि बजट में नौजवानों के लिये रोजगार के नये अवसर सृजित करने के कोई प्रावधान नहीं किए गए हैं। उत्तर प्रदेश को बजट में नजरंदाज किए जाने का आरोप लगाते हुये उन्होंने कहा कि राज्य में निवेश के लिये आयोजित सम्मेलन में राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री आये लेकिन इसके बावजूद कोई निवेश नहीं आया।

अखिलेश ने वित्त मंत्री के लंबे बजट भाषण पर तंज कसते हुये कहा कि यह लोगों को भ्रमित करने का एक तरीका था। उन्होंने कहा, ‘यह बजट इतना बड़ा इसीलिये था कि लोग समझ न पायें। लोग उलझे रहें।’

तृणमूल कांग्रेस ने बजट में कर छूट के प्रस्ताव पर सवालिया निशान लगाते हुये कहा है कि देश में सामाजिक सुरक्षा के अभाव में कर छूट बेमानी है। तृणमूल कांग्रेस के राज्यसभा सदस्य एवं पार्टी के प्रवक्ता डेरेक ओ ब्रायन ने ट्वीट कर कहा, ‘टैक्स कट की गोली मत दो। कर छूट को बारीकी से देखें। सरकार ने ऐसे देश में जहां सामाजिक सुरक्षा नहीं है, बचत पर मिलने वाली प्रोत्साहन राशि हटा दी है।’

उन्होंने कहा, ‘70 प्रतिशत कर छूट वापस ले ली गई है। यह छूट पीपीएफ, एलआईसी और स्वास्थ्य बीमा आदि से पैसे की बचत पर प्रोत्साहन राशि के रूप में मिलती थी।’

(समाचार एजेंसी भाषा के इनपुट के साथ)

 

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