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विपक्ष ने बजट को जनविरोधी बताया, सीपीआईएम ने कहा- यह एक संकुचनशील बजट है जो केवल आर्थिक संकट को बढ़ाएगा

विपक्षी पार्टियों ने मोदी सरकार की तरफ से पेश की गई बजट को आम लोगों के ख़िलाफ़ बताया है। कांग्रेस ने इस पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि मोदी सरकार ने पिछले साल बजट पर वाहवाही बटोरी थी, लेकिन वास्तविकता सामने आ गई क्योंकि उसकी रणनीति ‘वादे ज़्यादा और काम कम करने’ वाली है।
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सीपीआईएम ने केंद्रीय बजट 2023-24 पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि ये बजट ऐसे समय में आया है जब महामारी के आने से पहले भारतीय अर्थव्यवस्था धीमी हो गई थी, महामारी के दूसरे चरण में स्थिति और खराब हो गई थी और महामारी के बाद की रिकवरी संभावित मंदी की ओर बढ़ रही वैश्विक आर्थिक मंदी से प्रतिकूल रूप से प्रभावित हुई है। इन परिस्थितियों में इस बजट में रोजगार सृजन के साथ लोगों की क्रय शक्ति बढ़ाने और घरेलू मांग में वृद्धि को बढ़ावा देने के केंद्रीय मुद्दों को संबोधित किया जाना चाहिए था। यह बजट इस स्थिति को पूरा करने में विफल है। इसके विपरीत, यह अमीरों को और कर रियायत देते हुए राजकोषीय घाटे को कम करने के लिए सरकारी खर्चों को कम करता है। यह ऐसे समय में आया है जब ऑक्सफैम की रिपोर्ट से पता चलता है कि भारत में सबसे अमीर 1 प्रतिशत लोगों ने पिछले 2 वर्षों में उत्पन्न धन का 40.5 प्रतिशत हड़प लिया है। इस प्रकार, यह एक संकुचनशील बजट है जो केवल आर्थिक संकट को बढ़ाएगा।

कांग्रेस ने वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा पेश बजट को लेकर कहा कि नरेंद्र मोदी सरकार ने पिछले साल बजट पर वाहवाही बटोरी थी, लेकिन वास्तविकता सामने आ गई क्योंकि उसकी रणनीति ‘वादे ज्यादा और काम कम करने’ वाली है।

पार्टी महासचिव जयराम रमेश ने ट्वीट किया, ‘‘ पिछले साल के बजट ने कृषि, स्वास्थ्य, शिक्षा, मनरेगा और अनुसूचित जातियों के लिए कल्याण से जुड़े आवंटन को लेकर वाहवाही बटोरी थी। आज वास्तविकता सर्वविदित है। वास्तविक खर्च बजट के मुकाबले काफी कम है।’’.

उन्होंने दावा किया, ‘‘ यह ‘हेडलाइन मैनेजमेंट’ के लिए मोदी की ‘ओपेड’ रणनीति-ओवर प्रॉमिस, अंडर डिलिवर’ (वादे ज्यादा, कम काम) है।’’.

वित्त वर्ष 2023-24 के बजट में बुनियादी ढांचा विकास पर पूंजीगत व्यय 33 प्रतिशत बढ़ाकर 10 लाख रुपये करने की घोषणा की गई है। यह सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का 3.3 प्रतिशत बैठता है।

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट भाषण में कहा कि हाल में स्थापित अवसंरचना वित्त सचिवालय की मदद से और निजी निवेश आकर्षित किया जा सकेगा।

बजट पार्टी से ज्यादा देश के लिए हो तो बेहतर है : मायावती

बहुजन समाज पार्टी प्रमुख मायावती ने केंद्रीय बजट पर अपनी प्रतिक्रिया में बुधवार को कहा कि लोग उम्मीदों के सहारे जीते हैं, लेकिन झूठी उम्मीदें क्यों? उन्होंने कहा कि बजट पार्टी से ज्यादा देश के लिए हो तो बेहतर होता है क्योंकि देश के 130 करोड़ गरीब, मजदूर, वंचित और किसान अपने अमृतकाल को तरस रहे हैं।

उन्होंने कहा कि पिछले नौ वर्षो में भी केन्द्र सरकार के बजट आते-जाते रहे जिसमें घोषणाओं, वादों, दावों व उम्मीदों की बरसात की जाती रही लेकिन मध्यम वर्ग महंगाई व बेरोजगारी के कारण निम्न मध्यम वर्ग बन गया हैं ।

बजट के बाद मायावती ने ट्वीट कर कहा,''केन्द्र सरकार जब भी योजना लाभार्थियों के आंकड़ों की बात करे तो उसे यह जरूर याद रखना चाहिए कि भारत लगभग 130 करोड़ गरीबों, मजदूरों, वंचितों, किसानों आदि का विशाल देश है जो अपने अमृतकाल को तरस रहे हैं। उनके लिए बातें ज्यादा हैं। बजट पार्टी से ज्यादा देश के लिए हो तो बेहतर।''

उन्होंने कहा, ''देश में पहले की तरह पिछले 9 वर्षों में भी केन्द्र सरकार के बजट आते-जाते रहे जिसमें घोषणाओं, वादों, दावों व उम्मीदों की बरसात की जाती रही, किन्तु वे सब बेमानी हो गए जब भारत का मिडिल क्लास महंगाई, गरीबी व बेरोजगारी आदि की मार के कारण निम्न मिडिल क्लास बन गया, अति-दुखद ।''

मायावती ने कहा,''इस वर्ष का बजट भी कोई ज्यादा अलग नहीं। पिछले साल की कमियां कोई सरकार नहीं बताती और नए वादों की फिर से झड़ी लगा देती है जबकि जमीनी हकीकत में 100 करोड़ से अधिक जनता का जीवन वैसे ही दांव पर लगा रहता है जैसे पहले था। लोग उम्मीदों के सहारे जीते हैं, लेकिन झूठी उम्मीदें क्यों?''

उन्होंने कहा कि सरकार की संकीर्ण नीतियों व गलत सोच का सर्वाधिक दुष्प्रभाव उन करोड़ों गरीबों, किसानों व अन्य मेहनतकश लोगों के जीवन पर पड़ता है जो ग्रामीण भारत से जुड़े हैं और असली भारत कहलाते हैं। सरकार उनके आत्म-सम्मान व आत्मनिर्भरता पर ध्यान दे ताकि देश विकसित हो।

भाजपाई बजट महंगाई और बेरोज़गारी दोनों को और बढ़ाता है : अखिलेश

लखनऊ: समाजवादी पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव ने बुधवार को कहा कि भाजपाई बजट महंगाई एवं बेरोज़गारी दोनों को और बढ़ाता है ।

बजट पर प्रतिक्रिया देते हुए अखिलेश ने बुधवार को ट्वीट किया, '' भाजपा अपने बजट का दशक पूरा कर रही है, पर जब जनता को पहले कुछ न दिया तो अब क्या देगी।’’

उन्होंने कहा, ‘‘भाजपाई बजट महंगाई एवं बेरोज़गारी को और बढ़ाता है। किसान, मज़दूर, युवा, महिला, नौकरीपेशा, व्यापारी वर्ग में इससे आशा नहीं निराशा बढ़ती है क्योंकि ये चंद बड़े लोगों को ही लाभ पहुंचाने के लिए बनता है।''

बजट पर केजरीवाल ने कहा : 1.75 लाख करोड़ आयकर देने के बावजूद दिल्ली को सिर्फ़ 325 करोड़ मिले

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने बुधवार को कहा कि पिछले साल 1.75 लाख करोड़ रुपये से अधिक का आयकर चुकाने के बावजूद शहर को केंद्रीय बजट 2023-24 में केवल 325 करोड़ रुपये आवंटित किए गए।.

केंद्र पर राष्ट्रीय राजधानी के साथ सौतेला व्यवहार करने का आरोप लगाते हुए उन्होंने कहा कि बजट में महंगाई और बेरोजगारी की दोहरी समस्याओं से कोई राहत नहीं मिली है।.

केजरीवाल ने एक के बाद एक किए गए सिलसिलेवार ट्वीट में कहा, “दिल्ली के लोगों के साथ एक बार फिर सौतेला व्यवहार। दिल्ली के लोगों ने पिछले साल 1.75 लाख करोड़ से ज्यादा का आयकर चुकाया । उसमें से दिल्ली के विकास के लिये सिर्फ 325 करोड़ रुपये दिए गए। यह दिल्ली के लोगों के साथ घोर अन्याय है।”.

उन्होंने कहा, “इस बजट में मंहगाई से कोई राहत नहीं है। उल्टे इस बजट से मंहगाई बढ़ेगी। बेरोजगारी दूर करने के लिए कोई ठोस योजना नहीं है। शिक्षा बजट को 2.64 फीसदी से घटाकर 2.5 फीसदी करना दुर्भाग्यपूर्ण है। स्वास्थ्य बजट को 2.2 फीसदी से घटाकर 1.98 प्रतिशत करना हानिकारक है।”.

बीजेपी ने बिहार को ठगने का काम किया है : तेजस्वी

बजट पर प्रतिक्रिया देते हुए बिहार के उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि बिहार को बजट से उम्मीद नहीं है। बीजेपी ने बिहार को ठगने का काम किया है। कई वादे किए लेकिन उसे पूरा नहीं किया। उन्होंने कहा कि पहले के बजट और अब के बजट में बहुत अंतर हो गया है। उन्होंने कहा कि बजट नील बटे सन्नाटा है। बिहार को इससे कुछ नहीं मिला है. जो टैक्स में छूट दिए गए हैं वो आंखों में धूल झोंकने जैसा है।

(समाचार एजेंसी भाषा इनपुट के साथ)

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