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फिर एक तरफ़ा संबोधन : फिर कुछ दावे, फिर छवि का प्रबंधन

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हर मुश्किल सवाल से बच निकलते हैं। अब उनसे पूछा भी कैसे जाए क्योंकि वे हमेशा एकतरफ़ा संवाद करते हैं। कभी मन की बात, कभी राष्ट्र के नाम संबोधन।
फिर एक तरफ़ा संबोधन : फिर कुछ दावे, फिर छवि का प्रबंधन

नयी दिल्ली: कोरोना की दूसरी लहर की तबाही इतनी बड़ी है कि इसका दुख केवल बातों से कम नहीं होगा। अपने राष्ट्र के नाम संबोधन में प्रधानमंत्री ने इस सब पर दुख तो जताया लेकिन अपनी सरकार की विफलता पर ज़रा भी अफ़सोस न जताया। अपने प्रबंधन की कमी पर ज़रा भी शर्मिंदगी नहीं जताई। उनके भाषण में तो हर बार की तरह सिर्फ़ अपना और अपनी सरकार का गुणगान था। बातें थी, दावे थे। उपलब्धियां थीं। जो किसी को उपलब्ध नहीं हैं।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हर मुश्किल सवाल से बच निकलते हैं। अब उनसे पूछा भी कैसे जाए क्योंकि वे हमेशा एकतरफ़ा संवाद करते हैं। कभी मन की बात, कभी राष्ट्र के नाम संबोधन। सात साल में उन्होंने एक भी सीधी प्रेस कॉन्फ्रेंस नहीं की। तो कोई उनसे कैसे पूछे कि कब किया गया ऑक्सीजन का इंतज़ाम। तब जब पूरे देश में हाहाकार मच गया। हज़ारों लोगों की सांसें टूट गईं। कब मिला इंजेक्शन, तब जब लोगों की जानें चली गईं।  

मोदी जी, हमेशा रेडियो, टीवी पर एकतरफ़ा बोलकर चले जाते हैं, फिर आप करते रहिए बहस। पूछते रहिए सवाल। कोई जवाब देने वाला नहीं। उनके प्रवक्ता टीवी पर आएंगे, और पूरी बहस पटरी से उतारकर चले जाएंगे। देश को किसी सवाल का जवाब नहीं मिलेगा। इस सवाल का भी नहीं जब टीके के रिसर्च में भारत ने इतना खर्च किया है तो फिर टीके के उत्पादन का ठेका दो कंपनियों को ही क्यों दिया गया। क्यों सुप्रीम कोर्ट में कुछ और बातें कहीं गईं। क्यों सबको टीका उपलब्ध कराने में केंद्र-राज्य के टकराव में इतना समय गंवा दिया गया।

इतना तक नहीं बताया गया कि जब देश में कोरोना की दूसरी लहर चरम पर पहुंच गई थी, तब भी वे क्यों बंगाल में चुनावी रैलियां कर रहे थे। क्यों उनके मुख्यमंत्री कुंभ का आयोजन कर रहे थे और कह रहे थे कि गंगा मैया के आशीर्वाद से किसी को कोरोना नहीं होगा। क्यों उनके चहेते बाबा रामदेव उनकी वैक्सीन पर ही सवाल खड़े कर रहे हैं। और क्यों “किसी के बाप में दम नहीं” कि उनके ख़िलाफ़ कार्रवाई हो सके।

क्या कहा प्रधानमंत्री ने?

पीटीआई-भाषा की ख़बर के अनुसार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को कहा कि अब 18 से 44 साल के आयु वर्ग के लोगों के टीकाकरण के लिए भी राज्यों को टीका मुफ्त में उपलब्ध कराया जाएगा और अगले दो सप्ताह में इससे जुड़़े दिशानिर्देश तय कर लिए जाएंगे।

उन्होंने राष्ट्र के नाम संबोधन में यह भी कहा कि पूरे देश में सभी लिए के मुफ्त टीकाकरण 21 जून से शुरू होने की उम्मीद है।

मोदी ने कई विपक्ष शासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों के बयानों का परोक्ष रूप से हवाला देते हुए यह भी कहा कि टीकाकरण को लेकर राजनीतिक छींटाकशी उचित नहीं है।

उन्होंने साथ ही यह भी कहा कि ‘प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना’ के तहत गरीब परिवारों को मुफ्त अनाज दीपावली तक उपलब्ध कराया जाएगा।

प्रधानमंत्री ने राज्यों को 18 से 44 साल आयु वर्ग के लोगों के लिए भी टीका राज्यों को मुफ्त उपलब्ध कराने संबंधी घोषणा उस वक्त की है जब दिल्ली और पंजाब समेत कई विपक्ष शासित राज्यों की सरकारों ने हाल के महीनों में टीके की कमी और राज्य के स्तर पर टीके की खरीद में दिक्कतों का मुद्दा कई बार उठाया था।

मोदी ने कहा, ‘‘आज ये निर्णय़ लिया गया है कि राज्यों के पास टीकाकरण से जुड़ा जो 25 प्रतिशत काम था, उसकी जिम्मेदारी भी भारत सरकार उठाएगी। ये व्यवस्था आने वाले 2 सप्ताह में लागू की जाएगी। इन दो सप्ताह में केंद्र और राज्य सरकारें मिलकर नई गाइडलाइंस के अनुसार आवश्यक तैयारी कर लेंगी।’’

प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘उम्मीद है कि 21 जून से 18 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों के लिए केंद्र सरकार, राज्य सरकारों को मुफ्त टीका देगी। किसी भी राज्य सरकार को टीके पर कुछ खर्च नहीं करना होगा।

उन्होंने घोषणा की, ‘‘देश में बन रहे टीके में से 25 प्रतिशत, निजी क्षेत्र के अस्पताल सीधे ले पाएं, ये व्यवस्था जारी रहेगी। निजी अस्पताल, वैक्सीन की निर्धारित कीमत के उपरांत एक डोज पर अधिकतम 150 रुपये ही सेवा शुल्क ले सकेंगे। इसकी निगरानी करने का काम राज्य सरकारों के ही पास रहेगा।’’

प्रधानमंत्री ने लोगों का आह्वान किया कि वे कोरोना रोधी टीकाकरण से जुड़ी अफवाहों से बचें और टीकाकरण को लेकर जागरुकता बढ़ाने में मदद करें।

राष्ट्र के नाम संबोधन में मोदी ने यह भी कहा कि 2014 में देश में टीकाकरण की कवरेज 60 फीसदी थी, लेकिन उनके पिछले पांच-छह वर्षों में इसे बढ़ाकर 90 प्रतिशत कर दिया गया।

उन्होंने कहा, ‘‘कोरोना की दूसरी लहर से हम भारतवासियों की लड़ाई जारी है। अनेक देशों की तरह भारत भी बड़ी पीड़ा से गुजरा है। हम में से कई लोगों ने अपने परिजनों, परिचितों को खोया है। ऐसे सभी परिवारों के साथ मेरी संवेदनाएं हैं।’’

प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘बीते 100 वर्षों में आई यह सबसे बड़ी महामारी है। इस तरह की महामारी आधुनिक विश्व ने न देखी थी न अनुभव की थी। इस महामारी के खिलाफ हमारा देश कई मोर्चों पर एक साथ लड़ा है।’’

उनके मुताबिक, ‘‘देश में एक नयी स्वास्थ्य अवसरंचना तैयार की गई। अप्रैल और मई में ऑक्सीजन की मांग अकल्पनीय रूप से बढ़ गई थी। भारत के इतिहास में कभी इतनी मेडिकल ऑक्सीजन की जरूरत महसूस नहीं की गई थी। इस जरूरत को पूरा करने के लिए सरकार के सभी तंत्र लगे।’’

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, ‘‘बहुत कम समय में ऑक्सीजन के उत्पादन को 10 गुना बढ़ाया गया। जरूरी दवाओं का उत्पादन भी कई गुना बढ़ाया गया।’’

उन्होंने कहा, ‘‘कोरोना जैसे अदृश्य और रूप बदलने वाले दुश्मन के खिलाफ लड़ाई में सबसे प्रभावी हथियार प्रोटोकॉल का पालन है।’’

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