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प्रधानमंत्री मोदी अचानक लेह पहुंचे, जवानों से की बातचीत

प्रधानमंत्री का यह दौरा ऐसे समय में हुआ है जब पूर्वी लद्दाख में भारत और चीन की सेना के बीच गतिरोध जारी है और इस पूरे प्रकरण को लेकर सरकार गंभीर सवालों से घिरी हुई है।
प्रधानमंत्री मोदी अचानक लेह पहुंचे

नयी दिल्ली: पूर्वी लद्दाख में भारतीय एवं चीनी सैनिकों के बीच हिंसक झड़प के करीब 17 दिन बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज, शुक्रवार को अचानक लेह पहुंचे। यहां उन्होंने थलसेना, वायुसेना और आईटीबीपी के जवानों से बातचीत की।

सूत्रों ने बताया कि मोदी प्रमुख रक्षा अध्यक्ष जनरल बिपिन रावत के साथ सुबह करीब साढ़े नौ बजे लेह पहुंचे।

आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि प्रधानमंत्री इस समय निमू में एक अग्रिम स्थल पर हैं। वहां उन्होंने थलसेना, वायुसेना एवं आईटीबीपी के कर्मियों से बातचीत की।

उन्होंने बताया कि सेना के वरिष्ठ अधिकारियों ने प्रधानमंत्री को सीमा की स्थिति से अवगत कराया।

सिंधु नदी के तट पर 11,000 फुट की ऊंचाई पर स्थित निमू सबसे दुर्गम स्थानों में से एक है। यह जंस्कार पर्वत श्रृंखला से घिरा हुआ है।

मोदी ने रविवार को आकाशवाणी पर मासिक रेडियो कार्यक्रम ‘मन की बात’ के जरिए देश को संबोधित करते हुए कहा था कि भारत ने लद्दाख में अपनी भूमि पर आंख उठाकर देखने वालों को करारा जवाब दिया है।

उन्होंने यह भी कहा था कि भारत मित्रता की भावना का सम्मान करता है लेकिन यदि कोई उसकी भूमि पर आंख उठाकर देखता है तो वह इसका उचित जवाब देने में भी सक्षम है।

गलवान घाटी में चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी के साथ हिंसक झड़प में शहीद हुए 20 जवानों को श्रद्धांजलि देते हुए प्रधानमंत्री ने कहा था कि भारत के वीर सपूतों ने दिखा दिया कि वे कभी भी मां भारती के गौरव को आंच नहीं आने देंगे।

हालांकि पूर्वी लद्दाख में भारत और चीन की सेना के बीच जारी गतिरोध और भारतीय सैनिकों की शहादत को लेकर मोदी सरकार पर लगातार सवाल उठ रहे हैं। विपक्ष ने भी इस पूरे मसले पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर कड़ा निशाना साधा है। विपक्ष ने इसे मोदी सरकार की राजनयिक विफलता बताया है। साथ ही प्रधानमंत्री मोदी की भाषा और रवैये पर भी सवाल उठाए।

15-16 जून की रात गलवान घाटी में हुई झड़प और भारतीय सैनिकों की शहादत के बाद अलग-अलग मौकों पर प्रधानमंत्री का बयान कई बार देश के सामने आया। अभी मंगलवार को प्रधानमंत्री मोदी ने राष्ट्र के नाम संबोधन भी दिया, लेकिन इस सबके दौरान उन्होंने एक बार भी सीधे चीन का नाम नहीं लिया। इसे लेकर मोदी को काफी आलोचना झेलनी पड़ी। आज का यह आक्समिक लेह दौरा शायद इसी सबकी भरपाई का प्रयास है।

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