NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
प्रधानमंत्री की ‘मन की बात’- कचरे से कंचन की शातिराना कोशिश
आज की मन की बात ने फिर यह साबित किया है कि प्रधानमंत्री जो देश के लिए मुखिया समान हैं, देश की वास्तविकताओं से, अपने नागरिकों के सरोकारों से और उनकी चिंताओं से न केवल अनभिज्ञ हैं बल्कि शातिराना ढंग से उन समस्याओं से मुंह फेरने की बलात कोशिश करते हैं।
सत्यम श्रीवास्तव
29 Nov 2020
प्रधानमंत्री की ‘मन की बात’- कचरे से कंचन की शातिराना कोशिश

आज, रविवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने फिर मन की बात की। हालांकि यह नितांत श्रव्य माध्यम है जिसके तहत प्रधानमंत्री आकाशवाणी से अपनी मन की बात का सीधा प्रसारण करते रहते हैं लेकिन ‘उनकी मीडिया’ इसका लाइव चलाती है और एकरसता तोड़ने के लिए बात के मौंजू के मुताबिक कुछ दृश्य भी चलाते रहती है।

आज की मन की बात ने फिर यह साबित किया है कि प्रधानमंत्री जो देश के लिए मुखिया समान हैं, देश की वास्तविकताओं से, अपने नागरिकों के सरोकारों से और उनकी चिंताओं से न केवल अनभिज्ञ हैं बल्कि शातिराना ढंग से उन समस्याओं से मुंह फेरने की बलात कोशिश करते हैं।

यह अनभिज्ञता या मुंह फेर लेना वास्तव में देश के नागरिकों का न केवल गंभीर अपमान है बल्कि उस पद के प्रति भी गंभीर अपराध है। यह गैर-जिम्मेदाराना रवैया तो है ही, एक बेपरवाह निरंकुशता भी है जिससे अंतत: लोकतन्त्र की मूल अवधारणा को गंभीर क्षति पहुँचती है।

आज की मन की बात में प्रधानमंत्री ने सबसे पहले एक खुशखबरी सुनाई कि माँ अन्नपूर्णा की एक प्राचीन मूर्ति कनाडा से वापस भारत आ रही है जो वाराणसी में पुनर्प्रतिष्ठित होगी। इसके बाद उन्होंने न्यूज़ीलैंड में भारत मूल के गौरव शर्मा द्वारा संस्कृत में शपथ लेने की घटना का अभिमान पूर्ण ज़िक्र किया।

फिर वेदान्त की महिमा का प्रलाप करते हुए बीते कुछ समय में विभिन्न विश्वविद्यालयों में छात्रों से हुए संवाद का ज़िक्र किया। इसके बाद गुरुनानक देव के 500वें प्रकाश पर्व के बहाने सेवा के महत्व पर बात की। इस दौरान एक निश्चित मंशा के साथ यह बताना नहीं भूले कि कैसे कच्छ में एक स्थित लखपत गुरुद्वारे का जीर्णोद्धार कराया गया और वह महान काम उनके कर कमलों से हुआ। इसके बाद गुरू तेग बहादुर जी से होते हुए गुरु गोविंद सिंह जी के महत्व पर बात की।

बंगाल चुनाव के मद्देनजर महर्षि अरविंद के व्यक्तित्व पर एक दीर्घ निबंध का वाचन करते हुए बांग्ला में कुछ सूक्ति वाक्य बताए। महर्षि अरविंद के बहाने नई शिक्षा नीति के ऐतिहासिक महत्व के बारे में भी बताया।

सबसे बाद में उनकी बात का रुख धुले के एक किसान श्री जितेंद्र भुई की तरफ हुआ। लगा कि अब दिल्ली की सरहदों पर रोके गए किसानों का ज़िक्र निश्चित तौर पर होगा और शायद उन्हें कुछ राहत देने की बात होगी। लेकिन ये क्या? जितेंद्र का ज़िक्र उन्होंने किसानों का ‘भ्रम निवारण’ करने के उद्देश्य से ही किया। एक केस स्टडी की तरह जितेंद्र की कहानी का इस्तेमाल करते हुए उन्होंने बताया कि कैसे जितेंद्र ने मक्का की खेती की। फसल को बेचने के लिए एक निजी व्यवसायी से संपर्क किया। उन्हें तत्काल 25,000 एडवांस मिला। फिर फसल की बाकी कीमत मिलने में देर होने लगी तो उन्होंने कैसे उस निजी व्यवसायी को इन नए कृषि क़ानूनों का हवाला दिया और इन क़ानूनों की ताकत का इस्तेमाल करने की धमकी दी और जिससे डरकर निजी व्यवसायी ने तत्काल उनकी बाकी रकम लौटाई।

इस दौरान मोदी ने इन क़ानूनों के तहत उप-जिलाधिकारी (एसडीएम) को मिली बाध्यकारी शक्तियों का ज़िक्र किया और बताया कि एसडीएम को एक महीने के अंदर किसानों की शिकायतों का निवारण करना कैसे अनिवार्य है।

इस सफल कहानी के मार्फत उन्होंने किसानों की जागरूकता पर एक विशेष टिप्पणी की और जागरूकता के महत्व पर प्रकाश डाला। इसमें उन्होंने यह भी कहा कि अगर किसान जागरूक है तो उसे कोई बरगला नहीं सकता।

इन क़ानूनों को सफलता की कुंजी बताने के लिए उन्होंने राजस्थान के बारां जिले के एक किसान उत्पाद संघ के चीफ एक्ज़ीक्यूटिव ऑफिसर (सीईओ) श्री मोहम्मद असलम का भी ज़िक्र किया और यह बताने में गर्व की अनुभूति की कि अब देश विदेश में बैठे हुए लोग यह सुनकर चौंक रहे हैं कि किसानों में भी सीईओ होते हैं। तो मोहम्मद असलम ने जो काम अपने क्षेत्र के किसानों के साथ किए हैं उन पर विस्तार से बताते हुए मोदी ने कहा कि -असलम जी एक व्हाट्स ग्रुप चलाते हैं। हर रोज़ मंडियों में उत्पादों की कीमत के बारे में इस ग्रुप के माध्यम से किसानों को बताते हैं। यह भी इसलिए संभव हो पाया है क्योंकि तीन नए कानून लाये गए हैं।

हरियाणा के एक किसान श्री वीरेंद्र यादव की सफलता का प्रचार भी उन्होंने मन की बात के माध्यम से किया। बताया कि श्री वीरेंद्र पहले आस्ट्रेलिया में रहते थे वहाँ से वो कैथल लौट आए। फिर यहाँ आकर उन्होंने पराली की समस्या के लिए समाधान खोजा। उन्होंने पराली के गट्ठे बनाना शुरू किया। दूसरे किसानों को भी इसमें शामिल किया और एक साल में करीब डेढ़ करोड़ रुपयों का व्यवसाय किया। इसमें उन्हें पचास लाख का मुनाफा हुआ। इस मुनाफे में उन किसानों को भी हिस्सा मिला जो इनके साथ जुड़े थे। इसे इन्होने ‘कचरे से कंचन’ बनाने की मिसाल बताया।

सफलता की तीन कहानियाँ सुना लेने के बाद उन्होंने पूरे आत्मविश्वास के साथ बताया कि यह सब इसलिए संभव हो सका क्योंकि सदियों से दासता की जंजीरों में जकड़ी भारतीय किसानी को संसद में गहन विचार—विमर्श के बाद तीन कानून बनाए गए हैं। ये कानून किसानों की समृद्धि के द्वार हैं।

जब प्रधानमंत्री मोदी ने संसद शब्द का उच्चारण किया तभी टेलीविज़न मीडिया ने गलती से राज्यसभा के दृश्य स्क्रीन पर शाया किए जिसमें साफ दिखलाई दे रहा है कि किस तरह इस कानून को विपक्ष के तमाम सक्रिय विरोध के बावजूद संसदीय मर्यादाओं को तार-तार करते हुए उपसभापति ने ये कानून पास कर दिये।

संसद में गहन विचार-विमर्श से पहले जो विचार-विमर्श किसानों के साथ किया जाना था उसके बारे में इन्होंने कुछ नहीं बतलाया। बतलाते अगर एक भी किसान संगठन से बात की होती।

बहरहाल, आज की मन की बात के माध्यम से प्रधानमंत्री उन लाखों किसानों को भरोसा दे सकते थे जो दिल्ली की सरहदों पर इस जाड़े में डेरा जमाये हैं और सरकार से बात करने को तरस रहे हैं। लेकिन भरोसा देना तो छोड़िए प्रधानमंत्री ने उन्हें महाराष्ट्र के एक किसान के हवाले लगभग जाहिल करार दे दिया। पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, उत्तर प्रदेश और अन्य कई राज्यों से दिल्ली आ रहे लाखों किसानों की चिंताओं, प्रतिरोध और सरोकारों को अपनी लगभग लफ़्फ़ाज़ी से आदतन और साज़िशन शर्मनाक और गैर-जिम्मेदाराना रवैया अपनाते हुए न केवल उनका अपमान किया है बल्कि उन्हें यह संदेश भी दिया है कि तुम भारत सरकार के लिए कतई मायने नहीं रखते।

एक तरफ भारत सरकार में नंबर दो की हैसियत रखने वाले गृह मंत्री किसानों से अविलंब बातचीत करने की इच्छा जता रहे हैं, देश के कृषि मंत्री आगामी 3 दिसंबर को किसानों के ‘भ्रम निवारण’ के लिए उन्हें समय दे रहे हैं, भारतीय जनता पार्टी के प्रवक्ता और नेता इन किसानों को भ्रम में बताते हुए इन्हें खालिस्तान का मोहरा, गुंडों की फौज, पाकिस्तान समर्थक और न जाने क्या क्या बता रहे हैं, भाजपा की राज्य सरकारें इनके साथ आतंकवादियों की तरह व्यवहार और इनके खिलाफ कार्यवाहियाँ कर रही हैं, सत्ता में भागीदार मीडिया किसानों के आंदोलन को देशद्रोह करार देने पर आमादा है, देश के न्यायालय ने जैसे स्वत: संज्ञान लेने की अपनी शक्तियों को छुट्टी पर भेज दिया है।

संघर्षरत किसान डेरा-डंगर लेकर महीनों तक दिल्ली में बिताने के इरादे से दिल्ली की सीमाओं पर जूझ रहे हैं। सिख किसानों की अधिसंख्या के मद्देनजर सरकार जानबूझकर उन्हें निरंकारी के अहाते में लाकर सांप्रदायिक कार्ड खेलने की कोशिश कर रही है।

इन अलग अलग प्रतिक्रियाओं से जो तस्वीर उभरती है वो एक बेहद कमजोर हो चले लोकतन्त्र की बनती है। जिसका सर्वोपरि नेता देश के बारे में कुछ न जानने का बेहूदा और फूहड़ नाटक करने में मुब्तिला है।

(लेखक पिछले 15 सालों से सामाजिक आंदोलनों से जुड़कर काम कर रहे हैं। विचार व्यक्तिगत हैं।)

Narendra modi
mann ki baat
farmers protest
DILLI CHALO
agricultural crises
Farm Bills
farmer crises
Modi government

Related Stories

‘’बलात्कारी अगर ब्राह्मण समाज से हैं, तो संस्कारी होंगे’’... वाह रे भाजपा!

कार्टून क्लिक: "सरकार बनाने में नहीं, देश बनाने में कड़ी मेहनत लगती है"

गुजरात दंगे : 'बलात्कारियों' की आज़ादी से बिलक़ीस बानो स्तब्ध 

दो टूक: हिंदू राष्ट्र में बिलक़ीस

व्यक्ति विशेष की पार्टी बनकर रह गई भाजपा? आपस में लड़ रहे हैं मंत्री!

प्रधानमंत्री का स्वतंत्रता दिवस भाषण: कथनी से उलट करनी द्वारा रचा गया विद्रूप 

आज़ादी@75: निजीकरण से आम आदमी का भला नहीं हो सकता

विश्व गुरु बनने में अभी 25 साल और मोदी जी ?

आज़ादी के दिन बिलक़ीस बानो के गैंगरेप दोषियों की आज़ादी कितनी जायज़?

ध्रुवीकरण की राजनीति और सांझा विरासत पर हमले


बाकी खबरें

  • भाषा
    राजस्‍थान सरकार 1.35 करोड़ महिलाओं को मुफ़्त स्मार्टफोन देगी, तीन कंपनियां दौड़ में
    19 Aug 2022
    अधिकारी इस प्रक्रिया को जल्‍द से जल्‍द पूरा करना चाहते हैं ताकि अगले साल विधानसभा चुनाव से पहले मुख्‍यमंत्री अशोक गहलोत की इस बजटीय घोषणा को अमली जामा पहनाया जा सके। परियोजना की कुल लागत 12000 करोड़…
  • भाषा
    भाजपा से खुश नहीं हैं सहयोगी दल, अगले लोस चुनाव में बनेगा मजबूत विकल्‍प : अखिलेश
    19 Aug 2022
    "बिहार में मुख्‍यमंत्री नीतीश कुमार के भाजपा-नीत राष्‍ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) से नाता तोड़कर राष्‍ट्रीय जनता दल (राजद), कांग्रेस तथा कई अन्‍य दलों के साथ मिलकर महागठबंधन की सरकार बनाना एक '…
  • भाषा
    दवाइयों की कमी को लेकर एड्स के मरीज़ों का प्रदर्शन जारी
    19 Aug 2022
    राष्ट्रीय एड्स नियंत्रण संगठन (नाको) ने इस संबंध में एक बैठक की और प्रदर्शन कर रहे लोगों को दवाइयों की आपूर्ति का आश्वासन दिया।
  • भाषा
    भारत में कोरोना वायरस संक्रमण के 15,754 नए मामले, 39 रोगियों की मौत
    19 Aug 2022
    केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से शुक्रवार को सुबह आठ बजे जारी अद्यतन आंकड़ों के अनुसार, देश में संक्रमण से 47 और लोगों की मौत होने के बाद मृतक संख्या बढ़कर 5,27,253 हो गई।
  • सुभाष गाताडे
    दो टूक: हिंदू राष्ट्र में बिलक़ीस
    19 Aug 2022
    क्या अत्याचार की पीड़िताओं को अदालतों द्वारा मिले न्याय से भी इसी तरह वंचित किया जाता रहेगा?, बिना डर के और शांति के साथ जीने के अपने अधिकार को बिलक़ीस बानो क्या कभी पा सकेगी!
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें