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प्रधानमंत्री के संसदीय क्षेत्र में आधी रात घरों में घुस रही है पुलिस, लोगों को दे रही है धमकियाँ
वाराणसी जिले के आदमपुर थाना क्षेत्र के करीब पंद्रह लोगों का कहना है कि, 'पुलिस बिना किसी कागज के बिना किसी आधार पर देर रात हमारे घर पर आ रही है और हमारे बच्चों को ले जाकर परेशान कर रही है। इतना ही नहीं पुलिस ने वसीम अहमद और जमाल अख्तर नाम के दो लोगों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया है।
रिज़वाना तबस्सुम
10 Feb 2020
UP Police
प्रतीकात्मक तस्वीर

वाराणसी : पीएम मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी जिले में एक बार फिर पुलिस आधी रात को लोगों के घर -घर जा रही है। जिले के आदमपुर थाना क्षेत्र के करीब पंद्रह लोगों का कहना है कि, 'पुलिस बिना किसी कागज के बिना किसी आधार पर देर रात हमारे घर पर आ रही है और हमारे बच्चों को ले जाकर परेशान कर रही है। इतना ही नहीं पुलिस ने वसीम अहमद और जमाल अख्तर नाम के दो लोगों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया है। जबकि मोहम्मद वसीम, मोहम्मद इरफान, इमरान अहमद, मोहम्मद आरिफ़ समेत कई लोगों को कभी भी पुलिस स्टेशन बुलाकर पूछताछ कर रही है।'

सभी लोगों पर वही धाराएँ लगाई गई हैं जो धाराएँ नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ़ 19 दिसंबर को बेनियाबाग में हुए प्रदर्शन के बाद गिरफ्तार लोगों पर लगाया गया था।

लोगों में है दहशत का माहौल

देर रात पुलिस के इस तरह से घर पर आने से लोगों में दहशत का माहौल है। लोगों के दिल में डर बस गया है। जिले के आदमपुर थाना क्षेत्र के जाहिद हसन बताते है कि, 'मेरे घर 31 जनवरी की रात ग्यारह बजे 3 पुलिस वाले आए और मेरे बेटे इमरान अहमद को पूछने लगे। उस समय इमरान अहमद घर पर नहीं था, काम के लिए बाहर गया था, तो पुलिस वालों ने मुझे और मेरे बड़े बेटे रिज़वान अहमद और छोटे बेटे सूफियान अहमद को थाना कोतवाली ले कर गई। फिर सुबह इमरान अहमद कोतवाली पर हाजिर हुआ तो उससे पूछ्ताछ किया और उसका मोबाइल रख लिया फिर हमें और मेरे बेटे को जाने दिया। फिर 01 जनवरी को शाम के तीन बजे के करीब 2 पुलिस वाले मोटर साईकिल से आये और इमरान अहमद को साथ लेकर थाना कोतवाली चले गए।'

गिरफ्तार वसीम अहमद की माँ कहती हैं कि, 'जुमा का दिन था, मेरा बेटा खाना खाकर अपना काम कर रहा था, तभी शाम को पुलिस वाले उसके बारे में पूछने लगे, उनके साथ लोकल पार्षद भी थे, उन लोगों ने कहा कि कुछ पूछताछ के लिए वसीम को थाने ले जाना है, बाद में आ जाएगा, वो गया देर रात के बाद उसे पार्षद लेकर आए। अगले दिन उसे फिर बुलाया गया, वो अपने अब्बू के साथ फिर थाने गया। वसीम के अब्बू कहते हैं कि पुलिस स्टेशन से ये कहकर कहीं और ले जाया गया कि कुछ पूछताछ करनी है। उसे एक गाड़ी में बैठाया गया, शाम हो गया उसका कुछ मालूम नहीं हो रहा था, लोकल पार्षद और पुलिस वाले भी कुछ नहीं बता रहे थे, अंधेरा होने तक हम इधर-उधर लोगों से पूछ रहे थे, फिर मालूम चला कि उसे जेल भेज दिया गया है।'

वसीम अहमद के अब्बू बताते हैं कि, 'अब हम अपने बेटे की जमानत के लिए दौड़ रहे हैं, मेरे बेटे पर वही धाराएँ लगाई गई हैं जो 19 दिसंबर को बेनियाबाग में सीएए के खिलाफ हुए प्रदर्शन के बाद गिरफ्तार लोगों पर लगाया गया था। उस समय भी मेरा एक बेटा शाहिद गिरफ्तार हुआ था, अब मेरा एक और बेटा गिरफ्तार हो गया है। हम उसकी जमानत के लिए दौड़ रहे हैं, अगली तारीख 12 फरवरी की है।

इसी जगह के सैयद हसन कहते हैं कि, '30 जनवरी की रात को करीब 11 बजे 2 पुलिस वाले मेरे घर पर आए और मेरे बेटे मोहम्मद आरिफ को पूछने लगे। उस समय आरिफ सोया हुआ था तब मैंने उसे नींद से जगाया और नीचे बुलाया और वो दोनों पुलिस वाले मोहम्मद आरिफ को अपने साथ ले कर थाना आदम पूरा गए और काफी पूछताछ की और रात 01: 00 बजे वह घर वापस आया। फिर दूसरे दिन करीब 10:00 बजे को हनुमान फाटक पुलिस चौकी पर मोहम्मद आरिफ को बुलाया गया और डरा धमका कर पूछ्ताछ की गई। फिर तीसरे दिन 01 जनवरी को दो बजे थाना कोतवाली में बुलाया गया और पूरे 8 घंटे तक कोतवाली पुलिस वाराणसी ने बैठाया और कई पुलिस वालों ने मिल कर पूछताछ की। इसके बाद मोबाइल की जांच की और रात को मोहम्मद आरिफ घर आया। फिर 02 फरवरी को सुबह सात बजे हनुमान फाटक पुलिस चौकी पर मोहम्मद आरिफ को बुलाया गया। सुबह गया हुआ मेरा लड़का शाम को लौटा।

रात में किसी भी वक्त आ जा रही है पुलिस

मोहम्मद वसीम करीब तीस साल के हैं, पिछले कई दिनों से पुलिस इन्हें बार-बार थाने बुला रही है। उस रात को याद करते हुए की माँ कहती हैं कि, 30 जनवरी की रात थी, करीब साढ़े ग्यारह बज रहे थे, जुम्मेरात (बृहस्पतिवार) होने की वजह से मेरे पति मज़ार पर गए थे, दो बच्चे सरस्वती जी की मूर्ति देखने गए थे, एक बच्चा शादी में गया था। तभी दरवाजे पर दो लोगों की आवाज सुनाई देती है, अपने खिड़की में से देखते हैं तो दो पुलिस वाले रहते हैं, हम उनसे कहते हैं कि, 'सर! हमारे घर में कोई जेन्स नहीं हैं, आप कल आ जाइएगा, पुलिस वाले तेज़-तेज़ दरवाजा पीटने लगे, वो मुझसे मेरे सभी बच्चों के बारे में पूछ रहे थे, सबका नाम पूछे। हम सब बता दिए। इसके बाद भी वो दरवाजा पीट रहे थे, मेरे घर में केवल मैं और मेरी बेटियाँ थी, इतनी रात हो गई थी, मुझे बहुत तेज़ डर लग रहा था, इसलिए हम दरवाजा नहीं खोले।

जब हम पुलिस से बोले कि बच्चे मूर्ति देखने गए हैं तो पुलिस वाले कहते हैं कि, 'इतनी रात को बच्चों से डकैती करा रही हो? हम बोले- नहीं सर! वो लोग मूर्ति पूजा के प्रोग्राम में गए हैं। ये बात बताते हुए उनके पैर काँप रहे हैं। वो कहती हैं कि उस दिन जब पुलिस वाले थे मुझे बहुत तेज़ दहशत हो रही थी। पुलिस वाले मेरे बेटे वसीम के बारे में पूछ रहे थे। जब हम बहुत देर तक दरवाजा नहीं खोले तो पुलिस वालों ने कहा सुबह अपने पति को पुलिस स्टेशन भेज देना। जब मेरे पति पुलिस स्टेशन गए तो वहाँ पर मेरे बेटे वसीम को भी बुलाया गया।

वसीम के पिता नुरुलहोदा कहते हैं कि, 'मैं सुबह आदमपुर थाने पर गया, वहाँ पर पुलिस वालों ने मुझसे कहा कि अपने बेटे (वसीम) को लेकर नहीं आए? हम बोल दिए कि वो शादी में गया है , कल शाम तक आएगा। इसके बाद पुलिस वाले बैठने के लिए कहते हैं। बैठने के बाद पुलिस वाले बताते हैं कि, "देखिए हमारे पास आगे से आदेश है योगी जी का, कि जितने पॉपुलर (पीएफ़आई) के सदस्य हैं, उसको पकड़कर उसके ऊपर रासूका लगाकर भेज दीजिए। इतना ही नहीं नुरुलहोदा बताते हैं कि, 'पुलिस वालों ने कहा कि अगर कोई भी फोन पर करोगे तो समझ लेना दरोगा जी सुन रहे हैं। अगले दिन जब वसीम घर आए तो उन्हें पुलिस के पास ले गए।

बेनियाबाग प्रोटेस्ट और पीएफ़आई के बारे में पुलिस कर रही है सवाल

वसीम बताते हैं कि, 'जब मैं पुलिस स्टेशन गया तो मुझे वहाँ पर एक पेपर दिया गया, उस पर मुझसे साइन करने को कहा गया। जल्दी से साइन करना था, मैं पढ़ नहीं पाया। उसके बाद पुलिस वालों ने मुझसे कहा कि आदमपुर थाना क्षेत्र के अंतर्गत कहीं प्रोटेस्ट नहीं हुआ है, यहाँ के कुछ लोगों ने बेनियाबाग में जाकर प्रोटेस्ट किया है जिसकी वजह से आप लोगों को दिक्कत हो रहा है।

अगले दिन यानि एक फरवरी को हमें (हमें और हमारे साथ 11 और लोगों को) फिर पुलिस स्टेशन बुलाया गया, ऐसा कहा गया कि सीओ आए हैं आपसे पूछताछ करने के लिए। हम वहाँ पर बहुत देर तक इंतज़ार किए, फिर कहा गया कि आप लोग कोतवाली चलिए, हम लोग वहाँ पर गए। वहाँ पर हम लोग कई घंटे खड़े रह गए उसके बाद सीओ साहब आए । उनके साथ कई और पुलिस वाले आए हुए थे।

वहाँ पर मुझसे बेनियाबाग के बारे में पूछ गया। हमसे भी पूछा गया कि आपके मुहल्ले में लोगों को कैसे मालूम कि बेनियाबाग में प्रोटेस्ट है? हम बता दिए कि उसकी इतनी चर्चा थी। वसीम बताते हैं कि पुलिस वालों ने कहा कि आप पीएफ़आई के सदस्य हैं? मैं उनसे कहा कि, नहीं सर! मैं पीएफ़आई को नहीं जानता। इतना ही नहीं, मुझे ये भी कहा गया कि आपके घर में मीटिंग होती है जबकि हमारे घर में तो हमें खुद के रहने के लिए भी जगह नहीं है।

गौरतलब हो कि नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ़ 19 दिसंबर को हुए प्रदर्शन के बाद वाराणसी में गिरफ्तार किए गए कुल 57 लोगों के खिलाफ़ मुकदमा दर्ज किया गया था जिनमें 56 नामजद हैं और एक अज्ञात है। 19 दिसंबर की दोपहर करीब एक बजे हुई इस कार्रवाई में बेनियाबाग से गिरफ्तार किए गए लोगों को उसी दिन शाम 7 बजे तक जिला कारागार भेज दिया गया था।

गिरफ्तार लोगों में बीएचयू के स्टूडेंट्स, सोशल वर्कर्स, एक्टिविस्ट्स, शहर के कुछ बुद्धजीवी और वरिष्ठ नागरिक शामिल थे। इनमें कुछ ऐसे भी लोग हैं जिनकी उम्र 70 साल से ज़्यादा है। इनमें 57 लोगों के खिलाफ आईपीसी की विभिन्न धाराओं 147, 148, 149, 188, 332, 353, 341 और आपराधिक कानून संशोधन अधिनियम की धारा 7 के तहत मुकदमा दर्ज़ कर लिया गया। 16 दिन जेल में रहने के बाद 2 जनवरी को इन सभी लोगों की जमानत हो गई और अब ये सभी लोग जेल से रिहा कर दिए गए।  

इन्हीं लोगों में एक और नाम शामिल है शहाबुद्दीन का। शहाबुद्दीन की उम्र करीब 62 साल है। शहाबुद्दीन के बेटे अनवारुल बताते हैं कि, '30 जनवरी को दोपहर के ढाई बजे दो पुलिस वाले हमारे घर पर आए और हमारे अब्बू के बारे में पूछने लगे। इसके बाद बोले कि आप पुलिस थाने पर चलिए, वहाँ पर पुलिस वालों ने अब्बू से एक पेपर पर साइन कराया, साइन इतनी जल्दी में कराया गया कि वो पढ़ नहीं पाये कि उसपर क्या लिखा है। उसके बाद एक दिन फिर अब्बू को बुलाया गया, इसके बाद उन्हें यहाँ के लोकल थाने में न ले जाकर कोतवाली में ले जाया गया। कोतवाली में उन्हें तीन घंटे तक पूछताछ की गई। 19 दिसंबर को बेनियाबाग में हुए विरोध प्रदर्शन को लेकर पूछताछ की गई। उसके बाद 02 फरवरी की सुबह लोकल पार्षद के माध्यम से फिर पुलिस का कॉल आया कि पुलिस स्टेशन जाना पड़ेगा, यहाँ पर उन्हें तेन बजे तक बैठाया गया, वो सुबह से ही भूखे गए थे, शाम तक भूखे रहे।

पुलिस वाले लगातार पीएफ़आई के बारे में पूछ रहे थे, अनवारुल बताते हैं कि, 'रईस हमारे रिश्तेदार हैं, रईस बेनियाबाग में विरोध करने के आरोप में जेल गए थे। पुलिस बता रही है कि, रईस को हमारे नंबर से कॉल किया गया है। वो सिम अब्बू के नाम से है लेकिन इस्तेमाल मैं करता हूँ। पुलिस वाले अब्बू से लगातार रईस के बारे में पूछ रहे थे। अब ज़ाहिर सी बात है रिश्तेदार हैं तो बात हुई है। शहाबुद्दीन के बेटे अनवारुल बताते हैं कि, 'हमारा या हमारे घर के लोगों का किसी का भी पीएफ़आई में कोई जान पहचान नहीं है, लेकिन पुलिस लगातार अब्बू से पीएफ़आई के बारे में सवाल कर रहे हैं।

प्रोटेस्ट करना हमारा संवैधानिक अधिकार

यहाँ के लोकल पार्षद साजिद अंसारी कहते हैं कि, 'मैं पिछले कई दिनों से इन्हीं सब में फंसा हुआ हूँ, करीब 12 लड़कों का नाम एटीएस की लिस्ट में आ गया था, जिसमें दो लोगों के बारे में पुलिस ने बताया कि, 'इनकी संधिग्दता ज्यादा है तो पुलसि ने उन्हें जेल भेज दिया।' जब मैंने अपने यहाँ के एसएचओ से सवाल किया कि वो हमारे क्षेत्र के लड़कों को क्यों परेशान कर रहे हैं तो उन्होने कहा कि, 'इन सबके मोबाइल के लोकेशन 19 दिसंबर को बेनियाबाग में मिले हैं। इतना ही नहीं पुलिस का कहना है कि एटीएस के पास पीएफ़आई से जुड़े होने के साक्ष्य हैं।'

अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए साजिद कहते हैं कि, 'ये बच्चे कोई माफिया या गुंडा तो हैं नहीं। ये हमारा संवैधानिक अधिकार है कि, गांधीवादी तरीके से हम अपनी बात रख सकते हैं, प्रोटेस्ट कर सकते हैं, धरना-प्रदर्शन कर सकते हैं। इसी को तो जम्हूरियत कहते हैं, इसी को तो डेमोक्रेसी कहते हैं। संविधान ने हमें ये अधिकार दिया हैं कि, 'सरकार के खिलाफ, हमारे खिलाफ जो जुर्म हो रहा है या जो हमारे खिलाफ गलत कर रहा है उसके खिलाफ प्रोटेस्ट तो कर ही सकते हैं। हमारा ये अधिकार है लेकिन पुलिस उसका गलत इस्तेमाल कर रही है, सरकार उसका गलत इस्तेमाल कर रही है, प्रशासन गलत इस्तेमाल कर रहा है।'

गोल-मोल घूमा रही है वाराणसी पुलिस
 
इसके बारे में जब वाराणसी पुलिस से बात की गई तो कोतवाली पुलिस का कहना है कि, 'ये मामला हमारे का यहाँ का नहीं है, हमारे यहाँ किसी को इतने घंटे तक नहीं बैठाया गया है। उन्होने कहा कि, 'इसके बारे में लोकल पुलिस स्टेशन से जानकरी मिल पाएगी।' जब लोकल पुलिस स्टेशन आदमपुर थाना में इस बारे में पता किया गया तो उन्होने कहा कि, 'मेरे हमारे यहाँ से किसी के ऊपर एफ़आईआर नहीं हुआ है, इससे ज्यादा जानकारी देने से उन्होने मना कर दिया।

वसीम अहमद और अख्तर जमाल के खिलाफ दर्ज एफ़आईआर के अनुसार, 'चेतगंज थाना से उनके खिलाफ एफ़आईआर दर्ज की गई है' लेकिन जब चेतगंज थाना से इस बारे में बात की गई तो वहाँ के एसओ प्रवीण कुमार ने बताया कि, 'ये हमारे थाने का मामला नहीं है, हमारे यहाँ से एफ़आईआर दर्ज नहीं किया गया है।'

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