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‘हर घर तिरंगा’ के नाम पर वसूली अभियान!, आदेशपत्र वायरल होने के बाद किया गया निरस्त

बागेश्वर के मुख्य शिक्षा अधिकारी ने बताया कि ‘हर घर तिरंगा’ अभियान के नोडल अधिकारी मुख्य विकास अधिकारी ने सभी विभागों के साथ चर्चा के बाद तय किया था कि कर्मचारियों से ही झंडे के पैसे लिए जाएं। अब 22 जुलाई को मुख्य सचिव के साथ होने वाली बैठक के बाद ही इस संबंध में कार्ययोजना बनाई जाएगी।
Har Ghar Tiranga

केंद्र सरकार के ‘हर घर तिरंगा अभियान’ को सफल बनाने के लिए उत्तराखंड सरकार पूरे ज़ोर-शोर से जुट गई है। मुख्यमंत्री ने सभी आला अधिकारियों को पूरी गम्भीरता व सर्वोच्च प्राथमिकता के साथ इस अभियान की तैयारी करने के निर्देश चार दिन पहले ही दे दिए थे जब केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने इस संबंध में मुख्यमंत्रियों के साथ बैठक की थी। इसके बाद बागेश्वर से शिक्षा विभाग का एक आदेश वायरल हो गया जिसमें सभी कर्मचारियों से झंडे के पैसे वसूलने की बात थी। पैसे राज्य के खजाने में पहुंचते इससे पहले ही यह आदेश वापस भी ले ले लिया गया। हालांकि इस सबसे एक बड़ा सवाल खड़ा हो गया है... संभवतः 46 करोड़ का सवाल।

बीजेपी का अभियान बना सरकारी फरमान !

भारतीय जनता पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक 2 और 3 जुलाई को हैदराबाद में हुई थी। इसके पहले दिन प्रेस को संबोधित करते हुए राजस्थान की पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने कहा, "कार्यकर्ताओं की बैठक में देश को एकजुट करने के उद्देश्य से 20 करोड़ घरों तक 'हर घर तिरंगा' पहुंचाने के अभियान सहित नई संगठनात्मक गतिविधियों की रूपरेखा पर चर्चा हुई।"

इसके बाद 17 जुलाई को गृह मंत्री अमित शाह ने वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों के राज्यपाल, उपराज्यपाल और मुख्यमंत्रियों से बात की। इसमें आज़ादी के अमृत महोत्सव के तहत ‘हर घर तिरंगा’ अभियान की तैयारियों की समीक्षा की।

इसके बाद जारी बयान में कहा गया कि आज़ादी के अमृत महोत्सव के तहत 13 से 15 अगस्त तक देश भर में ‘हर घर तिरंगा’ अभियान संचालित किया जाएगा। जन जन को इसमें भागीदारी के लिए प्रेरित किया जाएगा। सरकारी बयान के अनुसार तीन दिन (13-15) 20 करोड़ से अधिक घरों पर तिरंगा फहराया जाएगा।

उत्तराखंड कांग्रेस की प्रदेश प्रवक्ता गरिमा मेहरा दसौनी ने इस पर प्रतिक्रिया करते हुए कहा, “बड़ी होशियारी के साथ जो फैसला भाजपा की हैदराबाद राष्ट्रीय कार्यसमिति में लिया गया, उसे भाजपा ने हर घर में अपनी पैठ बनाने के लिए आजादी के अमृत महोत्सव के तहत 9 अगस्त से 15 अगस्त के बीच जिला मंडल व शक्तिकेन्द्र पर समितियों का गठन कर उसे सरकारी कार्यक्रम के साथ मिला कर #झंडे के लिए #वसूली का ज़रिया बना लिया।”

इस बात को कांग्रेस की खिसियाहट कहकर खारिज करने से पहले ज़रा रुकें... इसमें कुछ दम भी हो सकता है। वह कैसे, आगे ख़बर में बताते हैं।

सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता

गृह मंत्री के साथ वीडियो कांफ्रेंसिंग के बाद मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने अधिकारियों को ‘हर घर तिरंगा अभियान’ की तैयारी पूरी गम्भीरता व सर्वोच्च प्राथमिकता से करने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि प्रदेश में 20 लाख घरों में तिरंगा लोगों द्वारा स्वयं लगाया जाना है। मुख्यमंत्री ने प्रदेश में हर घर तिरंगा अभियान कार्यक्रम की विस्तृत रूपरेखा बनाकर अविलंब तैयारियां शुरू करने को कहा और निर्देश दिए कि सभी विभाग मिलकर काम करें।

इसके अगले ही दिन, 18 जुलाई को, बागेश्वर के मुख्य शिक्षा अधिकारी ने एक आदेश जारी कर दिया। बागेश्वर, कपकोट और गरुड़ के खंड शिक्षा अधिकारियों को जारी पत्र में कहा गया कि हर घर तिरंगा अभियान को सफल बनाने के लिए स्वयं सहायता समूहों से खादी के ध्वज बनवाए जाने हैं जिनकी लागत 230 रुपये है।

तीनों खंड शिक्षा अधिकारियों को कहा गया कि अपने अधीनस्थ सभी शिक्षकों/कर्मचारियों से 230 रुपये इकट्ठे कर ज़िला मुख्यालय में तीन दिन के अंदर जमा करवा दें।

आदेश वापस...

दो दिन के अंदर यह आदेश वायरल हो गया। स्थानीय पत्रकार जगदीश उपाध्याय कहते हैं कि शिक्षा विभाग के किसी कर्मचारी ने तो इसका विरोध नहीं किया लेकिन सोशल मीडिया पर इस पर चटखारे लेकर चर्चा होने लगी थी। इसी का असर हुआ कि 21 जुलाई को इस आदेश को निरस्त कर दिया गया।

बागेश्वर के मुख्य शिक्षा अधिकारी गजेंद्र सिंह सौन ने न्यूज़क्लिक से बातचीत में बताया कि यह आदेश वापस ले लिया गया है और अब 22 जुलाई को मुख्य सचिव के साथ होने वाली बैठक के बाद ही इस संबंध में कार्ययोजना बनाई जाएगी।

सौन ने यह भी कहा कि सभी ‘हर घर तिरंगा’ अभियान के नोडल अधिकारी मुख्य विकास अधिकारी ने सभी विभागों के साथ चर्चा के बाद तय किया था कि कर्मचारियों से ही झंडे के पैसे लिए जाएं। झंडे की कीमत खादी ग्रामोद्योग के बाद करने के बाद तय की गई थी। सौन के अनुसार हुआ यह कि उनका जारी किया आदेश वायरल हो गया बाकियों का पता नहीं चला।

46 करोड़ का सवाल

सीडीओ के साथ मीटिंग में मौजूद बागेश्वर के ही एक अन्य अधिकारी ने नाम ज़ाहिर न करने की शर्त पर बताया ये आदेश राज्य स्तर से ही जारी हुए हैं। सीडीओ की ज़िम्मेदारी यह सुनिश्चित करना भी है कि सभी घरों, कार्यालयों पर झंडा दिखे।

कमाल की बात यह है कि इतने बड़े अभियान को लेकर कोई बजटीय प्रावधान नहीं किया गया है। अब कार्यक्रम को सफल बनाना है तो कुछ न कुछ तो करना ही पड़ेगा। इसलिए यह सोचा गया कि कर्मचारियों से ही झंडे की कीमत वसूल ली जाए। माना गया कि देशभक्ति के कार्यक्रम के लिए कोई मना भी नहीं करेगा।

ऐसे में एक बड़ा सवाल यह उठता है कि अगर 230 रुपये का एक झंडा है और राज्य सरकार 20 लाख घरों में तिरंगा लगाने का वादा या दावा कर चुकी है तो इसके लिए 46 करोड़ रुपये आएंगे कहां से? मुख्यसचिव की अध्यक्षता में 22 जुलाई की शाम होने वाली बैठक में संभवतः करोड़ों के इस सवाल पर भी चर्चा हो।

अब वह बात जिससे कांग्रेस प्रवक्ता गरिमा मेहरा दसौनी के आरोप में दम नज़र आता है। सीडीओ की बैठक में शामिल अधिकारी ने बताया कि इस बारे में मौखिक आदेश तो 2 जुलाई को ही हो गए थे लेकिन शिक्षा विभाग (और संभवतः अन्य विभागों ने भी) आदेश 15 जुलाई को सीडीओ की ओर से आधिकारिक आदेश जारी होने के बाद किए (देखें तस्वीर)।

ध्यान देने बात यह है कि 15 जुलाई तक केंद्र सरकार की ओर से ‘हर घर तिरंगा’ योजना का ऐलान नहीं किया गया था। इस बारे में सार्वजनिक रूप से 17 जुलाई की समीक्षा बैठक के बाद ही पता चला।

(देहरादून स्थित लेखक स्वतंत्र पत्रकार हैं।)

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