Skip to main content
xआप एक स्वतंत्र और सवाल पूछने वाले मीडिया के हक़दार हैं। हमें आप जैसे पाठक चाहिए। स्वतंत्र और बेबाक मीडिया का समर्थन करें।

प्रख्यात रंगकर्मी, लेखक,इतिहासकार और इप्टा के अध्यक्ष रणबीर सिंह का निधन

7 जुलाई 1929 को डुंडलाड राजस्थान में जन्मे रणवीर सिंह ने अभिनय और निर्देशन के अतिरिक्त अनेक नाटक लिखे जो हज़ारों बार खेले गए। इप्टा की राष्ट्रीय समिति ने उनके निधन पर गहरा दुख व्यक्त किया है।
Ranbir Singh

देश के जाने माने रंगकर्मी, निर्देशक, नाट्य एवं फ़िल्म अभिनेता,लेखक एवं इतिहासकार रणवीर सिंह का आज, मंगलवार को जयपुर में निधन हो गया। वे 93 वर्ष के थे। जयपुर के राजस्थान अस्पताल में अभी 4 दिन पहले ही उनकी जटिल एंजियोप्लास्टी हुई थी।

इप्टा के महासचिव राकेश वेदा की ओर से जारी बयान के अनुसार इप्टा की राष्ट्रीय समिति अपने जिंदादिल अभिवावक के निधन पर उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए परिवार और मित्रों के दुख में शरीक है।

7 जुलाई 1929 को डुंडलाड राजस्थान में जन्मे रणवीर सिंह ने मेयो कॉलेज से प्रारंभिक शिक्षा के बाद कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी से 1945 में बीए किया। रंगमंच और फ़िल्म में प्रारंभ से ही उनकी रुचि थी और वे राजघराने के बंधन तोड़ कर 1949 में मुम्बई चले गए जहां उन्होंने बी आर चोपड़ा की फ़िल्म शोले में अशोक कुमार और बीना के साथ तथा चांदनी चौक में मीना कुमारी और शेखर के साथ अभिनय किया। 1953 में वे जयपुर लौटे और जयपुर थिएटर ग्रुप की स्थापना की जिसमे अनेक नाटकों का निर्देशन किया, अभिनय एवं प्रकाश व्यवस्था भी संभाली।

1959 में वे कमला देवी चट्टोपाध्याय के बुलावे पर दिल्ली चले गए जहां उनकी सरपरस्ती में उन्होंने "भारतीय नाट्य संघ" की स्थापना की जो इंटरनेशनल थिएटर इंस्टिट्यूट से सम्बध्द था। यहाँ उन्होंने "यात्रिक" थिएटर ग्रुप के साथ अनेक नाटक किये। उन्होंने अनेक टीवी धारावाहिकों में भी महत्वपूर्ण भूमिकाएं निभाईं जिनमे अमाल अल्लाना के निर्देशन में "मुल्ला नसरुद्दीन"अनुराग कश्यप के निर्देशन में "गुलाल"एवं संजय खान के निर्देशन में "टीपू सुल्तान की तलवार" प्रमुख हैं।

अभिनय और निर्देशन के अतिरिक्त उन्होंने अनेक नाटक लिखे जो हज़ारों बार खेले गए हैं, इनमें प्रमुख हैं:-पासे, हाय मेरा दिल,सराय की मालकिन,गुलफाम,मुखौटों की ज़िंदगी, मिर्ज़ा साहब, अमृतजल, तन्हाई की रात। उन्होंने कई विदेशी नाटकों के भारतीय रूपांतरण भी किये।वे इतिहास के गहरे अध्येता थे। रंगमंच के इतिहास को उन्होंने वाजिद अली शाह,पारसी रंगमंच का इतिहास, इंदर सभा,संस्कृत नाटक का इतिहास जैसी पुस्तकों से समृध्द किया। साथ ही नाटकों के कई विश्व कोषों में भारतीय रंगमंच की उपस्थिति दर्ज कराई।

वे मॉरीशस में सांस्कृतिक सलाहकार भी रहे तथा राजस्थान संगीत अकादमी के उपाध्यक्ष रहे। उन्होंने रंगमंच के आदान प्रदान हेतु इंग्लैंड, चेकोस्लोवाकिया, रूस,जर्मनी,फ्रांस,बंगलादेश, नेपाल आदि देशों का कई बार भ्रमण किया।

इप्टा से जुड़ाव

1984 में इप्टा के पुनर्गठन की प्रक्रिया में वे इप्टा से जुड़े और 1985 में आगरा में आयोजित राष्ट्रीय कन्वेंशन में शामिल हुए तथा 1986 में हैदराबाद के राष्ट्रीय सम्मेलन में उपाध्यक्ष चुने गए तथा 2012 में ए के हंगल के निधन के बाद राष्ट्रीय अध्यक्ष चुने गए। इप्टा के हर राष्ट्रीय सम्मेलन,कार्यक्रम में नौजवानों की ऊर्जा के साथ शामिल होते थे। उनके मार्गदर्शन में इप्टा की सक्रियता निरंतर बढ़ती रही। रंगमंच में नए नाटकों और नए प्रयोगों को वे जरूरी मानते थे।

अपने टेलीग्राम ऐप पर जनवादी नज़रिये से ताज़ा ख़बरें, समसामयिक मामलों की चर्चा और विश्लेषण, प्रतिरोध, आंदोलन और अन्य विश्लेषणात्मक वीडियो प्राप्त करें। न्यूज़क्लिक के टेलीग्राम चैनल की सदस्यता लें और हमारी वेबसाइट पर प्रकाशित हर न्यूज़ स्टोरी का रीयल-टाइम अपडेट प्राप्त करें।

टेलीग्राम पर न्यूज़क्लिक को सब्सक्राइब करें

Latest