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कटाक्ष: ...नूपुर शर्मा तुम डटी रहो!

गुजरात-2002 के लिए मोदी जी-शाह जी ने कभी माफ़ी मांगी? फिर नूपुर शर्मा माफ़ी क्यों मांगेगी? छप्पन इंचियों की सेना की असली सिपाही है। उसे अग्निवीर होने का डर दिखाकर कोई माफ़ी नहीं मंगवा सकता है।
nupur sharma
फ़ोटो साभार: ट्विटर

जज लोगों को ये क्या हो गया है! न्यायमूर्ति क्या कहलाने लगे, हमें ही सीख देने लगे, क़ानून के साथ नैतिक शिक्षा भी पढ़ाने लगे। बताइए, कह रहे हैं कि नूपुर शर्मा को माफ़ी मांगनी चाहिए!

और माफ़ी भी किस से?

माफ़ी नड्डा जी से नहीं। माफ़ी शाह जी से भी नहीं। यहां तक कि माफ़ी मोदी जी से, भागवत जी से भी नहीं। माफ़ी, देश से मांगनी चाहिए।

माफ़ी उस देश से जो स्वतंत्रता के पचहत्तर साल बाद भी हिंदू राष्ट्र बनने को राजी नहीं है?

माफ़ी उस देश से जिसमें सौ करोड़ हिंदू रहते हैं, और बस बीस करोड़ मुसलमान और दस करोड़ बाकी सब...

जज साहिबान कान खोलकर सुन लें, नूपुर शर्मा माफ़ी नहीं मांगेगी। किसी देश-वेश से माफ़ी नहीं मांगेगी। सार्वजनिक रूप से, बिना शर्त के, टीवी पर जाकर माफ़ी, हर्गिज़-हर्गिज़ नहीं मांगेगी।

हां! बेचारी की तपस्या में कोई कमी रह गयी हो तो, उसके लिए उसने पार्टी और मोदी जी की सरकार से पहले ही माफ़ी मांग ली है। अब और किसी से माफ़ी नहीं मांगेगी। किसी अदालत-वदालत के कहने से तो हर्गिज माफ़ी नहीं मांगेगी।

गुजरात-2002 के लिए मोदी जी-शाह जी ने कभी माफ़ी मांगी? फिर नूपुर शर्मा माफ़ी क्यों मांगेगी? छप्पन इंचियों की सेना की असली सिपाही है। उसे अग्निवीर होने का डर दिखाकर कोई माफ़ी नहीं मंगवा सकता है।

और जज साहिबान के यह कहने का क्या आधार है कि उदयपुर की घटना समेत देश में जो कुछ हो रहा है, उसके लिए नूपुर शर्मा ही जिम्मेदार है? सब कुछ के लिए नूपुर शर्मा अकेली जिम्मेदार है? नूपुर शर्मा अकेली, वाकई? नहीं हम यह नहीं कह रहे हैं कि नूपुर शर्मा को प्रवक्ता बनाने वाली पार्टी पर भी कुछ जिम्मेदारी आती है। ऐसे तो जिम्मेदारी ऊपर से ऊपर तक चलती चली जाएगी और ग्रेट लीडर तक भी पहुंच जाएगी। वो बेचारे तो वैसे भी बहुत परेशान हैं, देश के बाहर नूपुर शर्माओं की सफाइयां दिला-दिलाकर और देश के अंदर चुप लगाने के ताने सुन-सुनकर। अडानी जी-अंबानी जी को दुनिया में नंबर वन बनाने की टेंशन ऊपर से। उधर की जिम्मेदारी की बात नहीं है। पर देश भर में जो कुछ हो रहा है, नूपुर शर्मा को उसके लिए जिम्मेदार कैसे माना जा सकता है।

माना कि नूपुर शर्मा ने देश भर में भावनाएं भड़कायीं। माना कि नूपुर शर्मा ने जान-बूझकर भावनाएं भड़कायीं। लेकिन, भावनाएं भड़काने की उनकी जिम्मेदारी मान भी लें तो, जो कुछ हो रहा है उसके लिए नूपुर शर्मा को जिम्मेदार कैसे माना जा सकता है?

मिसाल के तौर पर जो उदयपुर में हुआ, उसके लिए नूपुर शर्मा को जिम्मेदार कैसे माना जा सकता है? क्या हुआ कि गरीब टेलर के दो हत्यारों में से एक का नूपुर शर्मा की पार्टी से कनेक्शन निकल आया है। होगा कनेक्शन। पर दुनिया की सबसे बड़ी पार्टी है, उससे कनेक्शन होने से ही, नूपुर शर्मा से कनेक्शन नहीं हो जाएगा। फिर नूपुर शर्मा की, उसके एक्शन के लिए जिम्मेदारी का तो सवाल ही कहां उठता है। फिर सोचने की बात है कि अगर उदयपुर की घटना के लिए भी नूपुर शर्मा ही जिम्मेदार हो जाएगी, तो पाकिस्तान की जिम्मेदारी का क्या?

नूपुर शर्मा पर दोष लागने के चक्कर में जज साहिबान ने पाकिस्तान को भी क्लीन चिट दे दी और वह भी हिंदुस्तान में। ये तो नये इंडिया के न्याय के लक्षण नहीं हैं।

और ये जो जज लोगों ने इसका ताना मारा है कि नूपुर शर्मा के सिर पर देश पर राज करने वालों का हाथ है, इसलिए उन्हें किसी ने छुआ तक नहीं; उनके लिए दिल्ली पुलिस ने लाल गलीचे बिछा रखे हैं, जबकि दूसरों को बिना सोचे-समझे जेल में डाल दिया जाता है; यह जज साहिबान को शोभा नहीं देता है। कहना क्या चाहते हैं, जज साहब। मोदी जी, शाह जी के इशारे पर ही नूपुर शर्मा को चलने को लाल गलीचे मिलते हैं? सॉरी! जज साहिबान अपने चैंबरों में बंद आपको कुछ पता ही नहीं है कि 2014 में असली आजादी आने के बाद से इंडिया कितना बदल गया है। पुलिस के लिए अब किसी के इशारे की जरूरत ही नहीं पड़ती। अब वह सब कुछ अपने विवेक से ही कर लेती है। अब कोई शाह जी या मोदी जी ने थोड़े ही कहा होगा, पर फैक्ट चैक करने वाला जुबैर अंदर है। बेशक वही जुबैर जेल में है, जिसे नूपुर शर्मा के साथ एफआईआर में दर्जनों अन्य में भावनाएं भड़काने का आरोपी बनाया गया था, जबकि नूपुर शर्मा को दिल्ली पुलिस न खुद पकड़ रही है और न महाराष्ट्र, बंगाल वगैरह में से कहीं की भी पुलिस को पकड़ने दे रही है।

पर जुबैर जेल में है और नूपुर आजाद, इसका मतलब यह हर्गिज नहीं है कि नूपुर शर्मा को पुलिस बचा रही है। सच तो यह है कि जुबैर भी कोई नूपुर शर्मा वाले मामले में नहीं, एक और ही मामले में जेल में है। उसने तो हनीमून होटल का नाम बदलकर हनुमान होटल करने पर, पुरानी फिल्म के एक चुटकुले की तस्वीर ट्वीट कर, हनुमान-भक्तों की भावनाओं पर चोट पहुंचायी है। उसने तो नूपुर शर्मा तक की भावनाओं पर आघात किया है। फिर उसके जुर्म और सजा की, नूपुर शर्मा के लाल कालीन से तुलना कोई कर ही कैसे सकता है? सच्ची बात तो यह है कि अगर नूपुर शर्मा ने जो कुछ कहा है, उससे कोई भावनाएं वगैरह भड़की भी हैं, तो उनके लिए भी ये जुबैर ही जिम्मेदार है। वह बेचारी तो टीवी पर अपनी बात कहकर भूल भी गयी थीं। बहुत होगा तो दस-बीस लाख लोगों ने देख लिया होगा, बस। कहां-किसी की भावनाएं भड़कनी थीं? पर फैक्ट चेक-फैक्ट चेक कर के इस जुबैर ने ही सारी दुनिया को यह दिखा दिया कि नूपुर शर्मा ने क्या कहा था? इस समय देश में जो कुछ हो रहा है, उसके लिए ये फैक्ट चेकर ही जिम्मेदार है। क्या और किसे जरूरत थी, सच सामने लाने की। देख लिया न सच सामने लाने का नतीजा! जज साहिबान आप नाहक बेचारी नूपुर शर्मा को कोस रहे हो।

और एक बात और। जज साहिबान के यह कहने का क्या मतलब है कि नूपुर शर्मा को घमंड हो गया है, कि उसे लगता है कि वह कुछ भी कहकर निकल सकती है, कि उसे कानून की भी कोई फिक्र करने की जरूरत नहीं है, वगैरह। यह अहंकार नहीं गर्व है, अपने नूपुर शर्मा होने पर। और भरोसा है, अपने मोदी जी के राज पर। पर जज साहिबान आप किस के भरोसे खरी-खरी कह रहे हो—सिर्फ पेंशन के भरोसे!

(इस व्यंग्य आलेख के लेखक वरिष्ठ पत्रकार और लोक लहर के संपादक हैं।)

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