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देहरादून में कोरोना मरीज़ों के लिए अब नहीं हैं आईसीयू और वेंटिलेटर?

तो जब पूरे राज्य में 25 हज़ार से अधिक और देहरादून में पांच हज़ार से अधिक मरीज़ मिलने पर अस्पतालों के बेड फुल हो गए हैं, आईसीयू फुल हो गए हैं, वेंटिलेटर नहीं मिल रहे, मरीज अस्पताल के गेट से लौटाए जा रहे हैं तो सितंबर अंत तक हम कहां होंगे?
कोरोना वायरस

देहरादून में आईसीयू न मिलने की वजह से एक कोरोना संक्रमित ने दम तोड़ दिया। यहां के सबसे बड़े दून अस्पताल में मरीजों की संख्या बढ़ने और आईसीयू में बेड खाली न होने की वजह से कोरोना पॉजिटिव मरीज गेट से ही लौटाए जा रहे हैं। जिलाधिकारी डॉ. आशीष चौहान ने आदेश जारी किया है कि निजी अस्पताल कोरोना मरीजों के इलाज से इंकार करेंगे तो उन पर कार्रवाई होगी। अनलॉक प्रक्रिया के साथ ही राज्य में कोरोना संक्रमण तेज़ी से फैल रहा है। स्वास्थ्य मोर्चे पर पहले ही संकट से गुज़र रहे उत्तराखंड की स्थिति बिगड़ती दिखाई देती है। राज्य में कोरोना संक्रमितों का आंकड़ा 25 हज़ार पार कर चुका है। मैदानी जिलों में संक्रमण ज्यादा है। साथ ही पर्वतीय गांव भी तेजी से कोरोना की जद में आ रहे हैं।

देहरादून के अस्पतालों के आईसीयू और वेंटिलेटर फुल

प्रदेश कांग्रेस उपाध्यक्ष सूर्यकांत धस्माना कहते हैं कि त्रिवेंद्र सरकार ने कोरोना की लड़ाई को भी राजनीतिक लड़ाई बना डाला। सूर्यकांत धस्माना सोमवार को देहरादून में कोविड-19 का इलाज कर रहे सभी सरकारी अस्पतालों, दो निजी मेडिकल कालेजों और कोरोना का इलाज कर रहे निजी अस्पतालों में स्थिति का निरीक्षण करने गए। उनका कहना है कि दून अस्पताल समेत सभी अस्पतालों में आईसीयू और वेंटिलेटर फुल मिले। सभी ने गंभीर रूप से बीमार कोविड संक्रमित मरीजों को भर्ती करने में असमर्थता जाहिर की। प्रदेश कांग्रेस उपाध्यक्ष ने आरोप लगाया कि स्वास्थ्य महकमा संभालने वाले मुख्यमंत्री आज तक राज्य के सरकार अस्पतालों में स्थितियों को देखने नहीं गए। विपक्ष ने राज्य सरकार को स्वास्थ्य के मोर्चे पर बन रही आपात स्थिति के लिए तैयारी करने को लेकर आगाह किया।

उत्तराखंड में तेजी से बढ़ रही है कोरोना संक्रमण की दर

देहरादून में संस्था सोशल डेवलपमेंट फॉर कम्यूनिटीज फाउंडेशन कोरोना से जुड़े डाटा का लगातार गहन विश्लेषण कर रही है। संस्था के अध्यक्ष अनूप नौटियाल कहते हैं कि राज्य में कुल संक्रमण दर अभी 5.68 प्रतिशत है। लेकिन बीते हफ्ते यानी कोरोना संक्रमण के 25वें हफ्ते में संक्रमण दर 7.41 प्रतिशत थी। उससे पहले 24वें हफ्ते में 5.94 प्रतिशत। 23वें हफ्ते में 5.99 प्रतिशत। सरकार को हालिया नए आंकड़ों के आधार पर स्थिति से निपटने की तैयारी करनी होगी। उनके मुताबिक उत्तराखंड में कोरोना की संक्रमण दर 5-6 प्रतिशत के बीच रहती है तो इस महीने के अंत तक 40 हज़ार से अधिक कोरोना संक्रमित होंगे।

चमोली के गांव में स्वास्थ्य जांच करती आशा-.jpg

25 हजार कोरोना संक्रमितों पर स्वास्थ्य सेवाएं चरमराई

तो जब पूरे राज्य में 25 हज़ार से अधिक और देहरादून में पांच हज़ार से अधिक मरीज मिलने पर अस्पतालों के बेड फुल हो गए हैं, आईसीयू फुल हो गए हैं, वेंटिलेटर नहीं मिल रहे, मरीज अस्पताल के गेट से लौटाए जा रहे हैं तो सितंबर अंत तक हम कहां होंगे? राज्य में अभी कुल एक्टिव केस 7965 हैं। 348 कोरोना संक्रमितों की मौत हो चुकी है। 10 अगस्त को राज्य में दस हजार से अधिक कोरोना संक्रमित थे। सितंबर की शुरुआत 20 हजार से अधिक मरीजों के साथ हुई और इस महीने के पहले हफ्ते में ही 25 हज़ार का आंकड़ा पार हो चुका है।

देहरादून में इस समय 5617 कुल कोरोना संक्रमित केस हो चुके हैं। हरिद्वार में 5608, नैनीताल में 3429 और उधम सिंह नगर में 4571 कोरोना संक्रमित हो चुके हैं।

पर्वतीय ज़िलों का क्या होगा

राज्य के पर्वतीय जिले जहां स्वास्थ्य सुविधाएं बेहद कमज़ोर हैं और मैन पावर बेहद कम। वहां भी संक्रमण तेजी से फैल रहा है। टिहरी में 1496, उत्तरकाशी 1139, पौड़ी में 860, अल्मोड़ा 754, बागेश्वर में 317,चमोली 428, चंपावत 417, पिथौरागढ़ 444 और रुद्रप्रयाग 356 मरीज सामने आ चुके हैं। गढ़वाल के ज्यादातर पर्वतीय जिले गंभीर मरीजों के इलाज के लिए पौड़ी के श्रीनगर और देहरादून पर निर्भर करते हैं। कुमाऊं में मरीजों की हालत बिगड़ने पर हल्द्वानी के अस्पतालों की शरण लेनी होती है।

सोशल डेवलपमेंट फॉर कम्यूनिटीज फाउंडेशन के अनूप नौटियाल कहते हैं कि कोरोना से जुड़े सारे ट्रेंड्स बढ़ रहे हैं। टेस्ट की संख्या, एक्टिव केस, रिकवरी रेट और मौतों का आंकड़ा। हमें इस श्रृंखला को तोड़ने की जरूरत है। वह कहते हैं कि यदि इस समय देहरादून का ये हाल है तो आने वाले दिनों में जब 50 हजार केस हो जाएंगे, फिर हम अपने लोगों की जान बचा पाएंगे? सरकार, सिस्टम और स्वास्थ्य महकमे को इस पर गंभीर चिंतन करने की जरूरत है।

विरोध पर डटे डॉक्टरों की हड़ताल वापसी से राहत

ये मुश्किल और गहरी हो जाती यदि डॉक्टर-नर्स हड़ताल पर जाने का फ़ैसला सोमवार को वापस नहीं लेते। हर महीने एक दिन के वेतन की कटौती और सरकारी अस्पतालों में प्रशासनिक हस्तक्षेप बढ़ने से नाराज़ डॉक्टर और नर्सें हाथों पर काली पट्टी बांध कर काम कर रहे थे। डॉक्टरों का कहना है कि दूसरे राज्यों में चिकित्सा सेवा दे रहे लोगों को प्रोत्साहन राशि दी जा रही है और हमारा एक दिन का वेतन काटा जा रहा है। आज प्रान्तीय चिकित्सा सेवा संघ के अध्यक्ष डॉ नरेश सिंह नपलच्याल, महासचिव डॉ मनोज वर्मा और डॉ एनएस बिष्ट ने मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत से मुलाकात की। प्रान्तीय चिकित्सा सेवा संघ उत्तराखण्ड के अध्यक्ष डॉ. नरेश सिंह नपलच्याल ने कहा कि मुख्यमंत्री ने उनकी मांगों पर सकारात्मक सहयोग का आश्वासन दिया है। इसके बाद संघ ने अपना आन्दोलन तत्काल वापस लेने का निर्णय लिया है।

उत्तराखंड भाजपा पर भी कोरोना का कहर

उत्तराखंड के कैबिनेट मंत्री मदन कौशिक रविवार रात कोरोना पॉजिटिव रिपोर्ट आने पर ऋषिकेश एम्स में भर्ती हो गए। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत कुछ दिनों पहले ही आइसोलेशन से बाहर आए हैं। उधर, राज्य के कृषि मंत्री सुबोध उनियाल और उनका पूरा स्टाफ आइसोलेशन में चला गया है। इससे पहले पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज कोरोना की चपेट में आए थे। वे फिलहाल स्वस्थ हैं। प्रदेश भाजपा अध्यक्ष बंशीधर भगत को भी कोरोना संक्रमण की पुष्टि होने के बाद अस्पताल में इलाज चल रहा है। मंत्रियों के संपर्क में आए कई देहरादून के कई पत्रकार भी कोरोना पॉज़िटिव हुए। देहरादून में सचिवालय में भी कई कर्मचारियों के कोरोना पॉजिटिव होने के बाद हलचल मची है। यहां बाहरी व्यक्तियों का प्रवेश प्रतिबंधित कर दिया गया है। सभी कर्मचारियों के एंटीजन टेस्ट की तैयारी चल रही है। 23 सितंबर से राज्य में विधानसभा सत्र शुरू होना है। मंत्री क्वारंटीन हैं और सचिवालय कोरोना की दहशत में।

मई महीने में जब प्रवासियों के लौटने के साथ राज्य में कोरोना संक्रमण के मामले बढ़े थे तो मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह ने बयान दिया था कि हम मान कर चल रहे हैं कि राज्य में 25 हज़ार तक कोरोना संक्रमित होंगे। तो अब इस महत्वपूर्ण संख्या को पार कर चले हैं। अब आगे क्या? विपक्ष का सरकार से सवाल है कि कोरोना के गंभीर रोगियों की संख्या बढ़ रही है तो ऐसे लोगों को कहां भर्ती किया जाएगा? इतने आईसीयू और वेंटिलेटर कहां से आएंगे? आत्मनिर्भर का नारा देकर आप बच नहीं सकते।

(वर्षा सिंह, देहरादून स्थित स्वतंत्र पत्रकार हैं।)

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