NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu
image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
कोई सुनेगा: ‘ये परीक्षा हमारी जान पर भी भारी, जेब पर भी’
श्रीनगर के साथ देहरादून के शैक्षिक संस्थानों में भी फाइनल ईयर की परीक्षाओं को लेकर ऐसी ही स्थिति बनी है। यहां भी हज़ारों की संख्या में दूसरे राज्यों से आने वाले छात्र हैं। छात्र-छात्राओं की प्रतिक्रिया है कि यूजीसी हमें हमारी सेहत और परीक्षा में से एक को चुनने को कह रहा है।

वर्षा सिंह
25 Aug 2020
कोई सुनेगा: ‘ये परीक्षा हमारी जान पर भी भारी, जेब पर भी’

कोरोना की मुश्किल घड़ी में सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले पर देश भर के छात्र-छात्राओं की निगाहें टिकी हैं। फाइनल ईयर की परीक्षाएं होंगी या नहीं इस पर सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई पूरी हुई है। संभव है कि बुधवार, 26 अगस्त को कोर्ट इस पर फैसला सुनाए। यूजीसी बिना परीक्षा कराए डिग्री नहीं देना चाहता। जबकि छात्रों और अभिवावकों का एक बड़ा तबका चाहता है कि परीक्षाएं रद्द हों। ऑनलाइन परीक्षा या पिछले सेमेस्टर के औसत अंकों के आधार पर छात्र-छात्राओं को मार्कशीट और डिग्री जारी की जाए।

उत्तराखंड के हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल केंद्रीय विश्वविद्यालय और उससे सम्बद्ध कॉलेज के 41 हज़ार से अधिक स्टुडेंट्स को फाइनल ईयर की परीक्षा देनी है। इसमें पांच हज़ार से अधिक बच्चे दूसरे राज्यों के हैं। 10 सितंबर से परीक्षाओं को लेकर डेटशीट जारी की जा चुकी है।

 परीक्षा के लिए असम से गढ़वाल पहुंची पूजा

अकेले उत्तराखंड में ही 41 हज़ार से अधिक छात्र-छात्राओं के सामने फाइनल ईयर की परीक्षाओं को लेकर बड़े असमंजस की स्थिति है। असम की रहने वाली पूजा गढ़वाल विश्वविद्यालय में एमए योगा की अंतिम वर्ष की छात्रा हैं। न्यूज़क्लिक को वह बताती हैं कि असम में बाढ़ के चलते पहले ही मुश्किल स्थितियां बनी हुई हैं। परीक्षाओं की डेटशीट आ गई थी। इसलिए उन्होंने कोविड-19 का टेस्ट कराने का फ़ैसला लिया। 19 अगस्त को नेगेटिव रिपोर्ट लेकर वह असम से निकलीं और 21 अगस्त को श्रीनगर (उत्तराखंड) पहुंची। कोविड-19 की नेगेटिव रिपोर्ट 72 घंटों के लिए मान्य है। अब वह विश्वविद्यालय के चौरास कैंपस हॉस्टल में 7 दिनों के लिए क्वारंटीन हैं। पूजा बताती हैं कि असम से दिल्ली की हवाई यात्रा, फिर हरिद्वार तक बस का सफ़र, वहां से ऋषिकेश और ऋषिकेश से श्रीनगर तक का सफ़र आर्थिक तौर पर तो भारी पड़ा। सभी टिकट्स महंगे हो गए हैं। उत्तराखंड में रोडवेज़ की बसों में दोगुना किराया लिया जा रहा है। इसके साथ ही कोरोना का जो खतरा मोल लिया, वह अलग।

 पूजा यह भी बताती हैं कि उनके विषय में फाइनल सेमेस्टर के इक्का-दुक्का ऑनलाइन क्लास हुए। 6 में से 5 विषयों के तो सिर्फ नोट्स भेजे गए। वह बताती हैं कि असम में रह रही गढ़वाल विश्वविद्यालय की एक और छात्रा श्रीनगर पहुंचने के लिए एंटीजन टेस्ट करा चुकी है। सुप्रीम कोर्ट के फैसले को लेकर पूजा जैसे कई छात्र-छात्राओं का असमंजस ज्यादा बढ़ गया है। परीक्षा की पढ़ाई करना तो बाद की बात है।

 ये परीक्षा जान पर भी भारी, जेब पर भी

यही स्थिति जम्मू-कश्मीर के डोडा ज़िले के रहने वाले अनीब शेख की है। वह गढ़वाल विश्वविद्यालय के एमएससी फाइनल ईयर के छात्र हैं। जम्मू-कश्मीर में 2जी नेटवर्क सर्विस ही उपलब्ध है। अनीस कहते हैं कि 2जी नेटवर्क में ऑनलाइन क्लास करना संभव नहीं था। हम भी अपना साल खराब नहीं करना चाहते। लेकिन कोरोना के मौजूदा हालात में हमें परीक्षा के लिए फोर्स किया जा रहा है। अनीस बताते हैं कि उनके जिले से ही गढ़वाल विश्वविद्यालय के फाइनल ईयर के 200 से अधिक छात्रों के सामने ऐसे ही हालत हैं। कोरोना टेस्ट कराने के लिए पैसे खर्च करने होंगे। डोडा से गढ़वाल पहुंचने का अपेक्षाकृत अधिक किराया देना होगा। फिर वहां क्वारंटीन होना पड़ेगा। उसके अलग पैसे खर्च होंगे। इस सबके बाद हम गढ़वाल पहुंचे तो रहेंगे कहां? कोरोना संक्रमण के डर से मकान-मालिक कमरा देने को तैयार नहीं। अनीस कहते हैं कि हम मिडिल क्लास के हैं। पिता एक दुकान में काम करते हैं। ये परीक्षा शारीरिक, मानसिक, आर्थिक, हर तरह से भारी है।

परीक्षा रद्द कराने की मांग को लेकर विश्वविद्यालय प्रशासन से मिले छात्र.jpeg

 फाइनल ईयर की परीक्षाएं बनी बड़ी चुनौती

गढ़वाल विश्वविद्यालय में ऑल इंडिया स्टुडेंट्स एसोसिएशन से जुड़े अंकित उछोली कहते हैं कि परीक्षा को लेकर छात्र-छात्राओं की मुश्किलें कई गुना बढ़ गई हैं। इस बारे में विश्वविद्यालय प्रशासन से भी बात की गई। लेकिन वे जवाब देने को तैयार नहीं। छात्र नेता अंकित बताते हैं कि जम्मू-कश्मीर, लद्दाख, असम, बिहार से स्टुडेंट्स के फोन आ रहे हैं। उत्तर प्रदेश के एक स्टुडेंट ने कहा कि शनिवार-रविवार को बंद चल रहा है। ट्रेनें हफ्ते में दो-तीन दिन ही चल रही हैं। कोविड-19 का रिपोर्ट लेकर पहुंचने में ही 72 घंटे से अधिक समय बीत जाएगा। उत्तराखंड में ही कोविड टेस्ट के रिपोर्ट का बैकलॉग हज़ारों में है। अंकित कहते हैं कि परीक्षा के लिए आने वाले बच्चे कहां रहेंगे। बाहर से आ रहे लोगों को लेकर यहां के स्थानीय लोगों में भय है। ऐसे समय में कोई भी आसानी से किराये पर कमरा  नहीं देगा। वह कहते हैं कि बच्चों की जान से खेलकर ये परीक्षाएं करायी जा रही हैं।

 अपनी व्यवस्था खुद देखें छात्र

गढ़वाल विश्वविद्यालय प्रशासन को भी अभी नहीं पता कि परीक्षा देने वाले बच्चों के रहने-ठहरने, क्वारंटीन करने के इंतज़ाम क्या-कैसे होंगे। बी.फार्मा के अंतिम सेमेस्टर के छात्र गौरव ने विश्वविद्यालय प्रशासन को ऑन लाइन परीक्षा कराने के लिए पत्र लिखा। ये भी पूछा कि यदि वह परीक्षा देने श्रीनगर आ गए तो छात्रों के लिए किस तरह की व्यवस्था की गई है। विश्वविद्यालय प्रशासन की ओर से गौरव को पत्र लिखकर जवाब भेजा गया कि विश्वविद्यालय छात्र-छात्राओं को यातायात सुविधा उपलब्ध नहीं करा सकता। सीमित संख्या वाले छात्रावास में पहले आओ-पहले पाओ वाली नीति लागू होगी। क्वारंटीन के नियम राज्य सरकार के निर्देशों के मुताबिक होंगे। जिले की सीमा पर कोरोना संक्रमण की जांच होगी और वहीं क्वारंटीन होंगे। रिपोर्ट नेगेटिव आने पर ही विश्वविद्लाय में प्रवेश मिलेगा।

hostel sop.jpg

 कोरोना की मुश्किल में हॉस्टल में रहने वाले छात्रों के लिए भी दिशा-निर्देश तय किए गए हैं। जिसमें कहा गया है कि हॉस्टल आने वाले सभी लोग अपने रिस्क पर आ रहे हैं। 72 घंटे पहले की कोविड-19 रिपोर्ट लेकर ही आना होगा। कोरोना से बचाव के लिए मास्क, सेनेटाइज़र के साथ थर्मामीटर भी अपना ही लेकर आना होगा।

 परीक्षा के इंतज़ाम तो अब तक हुए नहीं

गढ़वाल विश्वविद्यालय के कुलसचिव प्रोफेसर एनएस पंवार न्यूज़क्लिक को बताते हैं कि छात्र-छात्राओं के परीक्षा से जुड़े इंतज़ाम को लेकर अभी बैठक होनी है। जिसमें परीक्षा की व्यवस्था पर चर्चा की जाएगी। उनकी बातचीत में भी असमंजस साफ़ झलकता है। वह जिला प्रशासन से मदद लेने की बात कहते हैं। उनका कहना है कि जो बच्चे दूर से चल दे रहे हैं उनको समय देंगे कि वो अभी न चलें। परीक्षाएं ऑनलाइन करायी जा सकती थीं या पिछले मूल्यांकन के आधार पर नतीजे घोषित कर देते। इन सवालों पर अनिर्णय की स्थिति झलकती है।

 श्रीनगर नगर पालिका ने भी खड़े किए हाथ

 श्रीनगर गढ़वाल की नगर पालिका अध्यक्ष पूनम तिवाड़ी ने 14 अगस्त को गढ़वाल विश्वविद्यालय के कुलपति को पत्र लिखा। श्रीनगर अभी कोरोना संक्रमण से मुक्त है लेकिन अंतिम वर्ष की परीक्षाएं करायी जाती हैं तो अन्य प्रदेशों से यहां पढ़ने आ वाले छात्रों के साथ शहर में कोरोना फैलने की आशंका है। जबकि श्रीनगर में इस बीमारी से लड़ने के लिए पर्याप्त सुविधाएं उपलब्ध नहीं है।

नगर पालिका परिषद की अध्यक्ष का पत्र.jpeg

नगर पालिका परिषद की अध्यक्ष ने भी विश्वविद्यालय से इस फैसले पर विचार करने का अनुरोध किया। हालांकि पिछले दो दिनों में वहां भी कोरोना संक्रमण के कुछ केस सामने आए हैं।

 बिना सूचना दिए छात्र पहुंचे तो होगी एफआईआर

 परीक्षा को लेकर श्रीनगर से सटे कीर्तिनगर के उप ज़िलाधिकारी ने भी 20 अगस्त को एक आदेश निकाला। जिसमें छात्र-छात्राओं को कोविड-19 की नेगेटिव रिपोर्ट लाने या फिर कीर्तनिगर में कोविड जांच कराने और क्वारंटीन रहने के आदेश दिए गए। ये भी कहा गया कि जो छात्र-छात्रा बिना बताए पौड़ी गढ़वाल और अन्य जिलों की सीमाओं से आ रहे हैं उनको संस्थागत क्वारंटीन किया जाएगा। चूंकि वो बिना बताए आए हैं इसलिए उन पर धारा-188 के तहत कार्रवाई होगी। जो छात्र कोविड-19 नियमों का पालन नहीं करेगा उस पर आपदा अधिनियम के तहत कार्रवाई होगी।

 परीक्षा ही है ज्ञान के आकलन का एकमात्र तरीका-यूजीसी

 यूजीसी का तर्क है कि सीखना एक गतिशील प्रक्रिया है और परीक्षा के माध्यम से किसी के ज्ञान के आकलन का एकमात्र तरीका है। परीक्षाओं को लेकर दिल्ली, पश्चिम बंगाल, पंजाब और तमिलनाडु की सरकारों ने भी यूजीसी के दिशानिर्देशों को लागू न करने की मांग की थी। इससे पहले कर्नाटक की खबर थी कि वहां परीक्षा में बैठे 32 स्टुडेंट्स कोरोना पॉजिटिव पाए गए।

 उत्तराखंड में भी कोरोना संक्रमण के मामले तेज़ी से बढ़ रहे हैं। कोरोना इस समय चरम पर है। पर्वतीय क्षेत्रों में स्वास्थ्य सुविधाओं की बड़ी मुश्किल है। राज्य में हर रोज 4-5 सौ कोरोना केस सामने आ रहे हैं। श्रीनगर के साथ देहरादून के शैक्षिक संस्थानों में भी फाइनल ईयर की परीक्षाओं को लेकर ऐसी ही स्थिति बनी है। यहां भी हजारों की संख्या में दूसरे राज्यों से आने वाले छात्र हैं। छात्र-छात्राओं की प्रतिक्रिया है कि यूजीसी हमें हमारी सेहत और परीक्षा में से एक को चुनने को कह रहा है। 72 घंटे पहले की कोविड-19 रिपोर्ट लेकर चला छात्र यदि यात्रा के दौरान कोरोना संक्रमण की जद में आता है और इस दौरान वह अन्य लोगों के संपर्क में भी आया, फिर क्या। हमारे विश्वविद्यालय, शहर, अस्पताल सब पहले ही कोविड-19 की स्वास्थ्य सुविधाओं, आर्थिक खर्चों और अन्य स्थितियों से जूझ रहे हैं। ये परीक्षाएं छात्र-छात्राओं के साथ इन सब पर भारी बीतेंगी।

 

 

online exam
UGC
Garhwal University
Dehradun
final year exam
COVID-19
Coronavirus
Uttrakhand

Trending

एमपी भवन पर महिलाओं का प्रदर्शन, कहा सुरक्षा के नाम पर निग़रानी मंज़ूर नहीं
कांट्रैक्ट फार्मिंग सिर्फ किसान विरोधी नहीं, देश विरोधी भी
किसान सरकार बातचीत नाकाम, राहुल उतरे मैदान में
किसानों ने लोहड़ी की आग में जलाए कृषि क़ानून
किसान आंदोलन का 51 वां दिन :कृषि क़ानूनों पर उच्चतम न्यायालय की कमेटी से अलग हुए मान
अंतरधार्मिक विवाह को लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट के फ़ैसले के बाद हालात बदलेंगे?

Related Stories

कोरोना वायरस
न्यूज़क्लिक टीम
कोरोना अपडेट: देश भर में 225 दिन बाद 200 से कम मरीज़ों की मौत हुई
11 January 2021
दिल्ली: केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा आज सोमवार, 11 जनवरी को जारी आंकड़ों के अनुसार देश में पिछले 24 घंटों में कोरोना के 16,3
देश में पोषण के हालात बदतर
अजय कुमार
देश में पोषण के हालात बदतर फिर भी पोषण से जुड़ी अहम कमेटियों ने नहीं की मीटिंग!
10 January 2021
पोषण से जुड़ी भारत सरकार की तीन महत्वपूर्ण राष्ट्रीय स्तर की कमेटियां हैं। इन तीनों कमेटियों की जिम्मेदारी इतनी बड़ी है कि अगर यह काम न करें तो इसक
कोरोना वायरस
न्यूज़क्लिक टीम
कोरोना अपडेट: देश में 24 घंटों में 18,222 नए मामले, 228 मरीज़ों की मौत
09 January 2021
दिल्ली: केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा आज शनिवार, 9 जनवरी को जारी आंकड़ों के अनुसार देश में पिछले 24 घंटों में कोरोना के 18,22

Pagination

  • Previous page ‹‹
  • Next page ››

बाकी खबरें

  • File Photo
    मो. इमरान खान
    बिहार: नीतीश कुमार के ड्रीम प्रोजेक्ट ‘हर घर नल जल’ में भारी अनियमितताओं के आरोप
    15 Jan 2021
    इस संबंध में 373 मुखियाओं के खिलाफ अनियमितताओं के आरोपों के सिलसिले में प्राथिमिकी दर्ज की गई है। इसके अतिरिक्त संबंधित अधिकारियों को 45 ठेकेदारों, 62 सुपरवाइजरों सहित 32 पंचायत सचिवों के खिलाफ भी…
  • सोनिया यादव
    यूपी: क्या मायावती के अलग चुनाव लड़ने का ऐलान बसपा के अस्तित्व को बचा पायेगा?
    15 Jan 2021
    उत्तर प्रदेश में बसपा का जनाधार लगातार खिसकता जा रहा है, उसके कई क़द्दावर नेता पार्टी छोड़कर दूसरी पार्टियों में चले गए। ऐसे में क्या मायावती के अलग चुनाव लड़ने का दांव क्या उनकी नैया पार लगा पाएगा।
  • पीपल्स डिस्पैच
    संभावित मानवीय संकट को लेकर यूएन का यूएस से हौदी को आतंकवादी घोषित करने के फैसले को पलटने का आग्रह
    15 Jan 2021
    यूनाइटेड नेशन ऑफिस फॉर द कोऑर्डिनेशन ऑफ ह्यूमनिटेरियन अफेयर्स के महानिदेशक मार्क लोकोक ने गुरुवार 14 जनवरी क
  • United States of America
    सुबीर पुरकायस्थ
    हम अमेरिकी राजनीति की इस दुखद स्थिति तक कैसे पहुंचे?
    15 Jan 2021
    दशकों तक रिपब्लिकन ने रिपब्लिकन पार्टी के उस आधार को सोच-समझकर 'बेज़ुबान' बनाने का काम किया, ताकि रिपब्लिकन अभिजात वर्ग अपनी मनपसंद नीतियों के साथ बिना किसी रुकावट के कार्य कर सके। इस वजह से जो…
  • पीपल्स डिस्पैच
    अफ़्रीका में कोविड-19 से मौत में वृद्धि, संक्रमण की कुल संख्या 3.1 मिलियन से अधिक
    15 Jan 2021
    लगभग 1.26 मिलियन कोविड-19 संक्रमण के मामलों के साथ दक्षिण अफ़्रीका पहले पायदान पर है वहीं इसके बाद मोरक्को, ट्यूनीशिया और ईजिप्ट हैं।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें