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राज्यों को केंद्र से असहमत होने का अधिकार, सीएए के लिए बाध्य नहीं कर सकते: कांग्रेस

कांग्रेस का बयान पार्टी के वरिष्ठ नेता कपिल सिब्बल के बयान के एक दिन बाद आया जिसमें उन्होंने कहा कि राज्य सीएए को लागू करने से तब मना नहीं कर सकते क्योंकि संसद से पहले ही यह पारित हो चुका है। 
CAA

नयी दिल्ली: संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) को लेकर कांग्रेस के भीतर दो सुर सुनाई पड़ रहे हैं, लेकिन कांग्रेस ने रविवार को साफ कर दिया कि उसका आधिकारिक स्टैंड यही है कि राज्यों को केंद्र से असहमत होने का अधिकार है और जबतक मुद्दे का अदालत में फैसला नहीं हो जाता, उन्हें ‘‘असंवैधानिक कानून’’ लागू करने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता।

कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने कहा कि सीएए भारत के संविधान पर हमला है और इसके खिलाफ लोगों का आंदोलन ‘‘बहादुरी और निर्भीकता’’ के साथ चलता रहेगा। 

कांग्रेस का बयान पार्टी के वरिष्ठ नेता कपिल सिब्बल के बयान के एक दिन बाद आया जिसमें उन्होंने कहा कि राज्य सीएए को लागू करने से तब मना नहीं कर सकते क्योंकि संसद से पहले ही यह पारित हो चुका है। 

हालांकि, सिब्बल ने यह भी कहा कि राज्य विधानसभाओं को प्रस्ताव पारित करने और सीएए को वापस लेने या बदलाव करने का अनुरोध करने का संवैधानिक अधिकार है परंतु उच्चतम न्यायालय द्वारा कानून को संवैधानिक करार दिए जाने पर विरोध करना मुश्किल होगा। 

इस बीच कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अहमद पटेल ने अहमदाबाद में कहा कि पार्टी द्वारा शासित राज्यों की विधानसभाओं में सीएए को लागू करने के खिलाफ प्रस्ताव लाने पर विचार किया जाएगा। 

उन्होंने कहा कि राजस्थान, मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ भी पंजाब का अनुकरण कर सकते हैं जिसने अपनी विधानसभा में सीएए के खिलाफ प्रस्ताव पारित किया है। 

सुरजेवाला ने कहा, ‘‘ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह संप्रदायवाद, कट्टरता और धर्मांधता के जीवंत प्रतीक हैं जिसका इस्तेमाल वे भारत के मूल्यों और संविधान पर हमला करने के लिए करते हैं।’’

उन्होंने आरोप लगाया कि मोदी और शाह सीएए का प्रयोग भ्रम की स्थिति पैदा करने और विभाजन कर राज करने के लिए कर रहे हैं। 

सुरजेवाला ने कहा, ‘‘राज्यों पर सीएए को लागू करने के लिए दबाव डालने के लिए गृहमंत्री अमित शाह और राज्यपालों द्वारा लगातार दिए जा रहे बयान असंगत हैं संवैधानिक संघवाद के सिद्धांत के खिलाफ है।’’

कांग्रेस प्रवक्ता की टिप्पणी ऐसे समय आई जब केरल में राज्यपाल आरिफ मोहम्मद और राज्य सरकार के बीच पिछले महीने विधानसभा में सीएए के खिलाफ प्रस्ताव पारित होने के बाद से ही गतिरोध बना हुआ है। 

सुरजेवाला ने कहा, ‘‘ भाजपा सरकार और उसके राज्यपालों को यह नहीं भूलना चाहिए कि भारत राज्यों का संघ है। स्थापित संसदीय परिपाटी के मुताबिक राज्य केंद्र से असहमत हो सकते हैं और वे अपने संवैधानिक अधिकार का इस्तेमाल कर संविधान के अनुच्छेद-131 के तहत चुनौती दे सकते हैं।’’

उन्होंने कहा कि पहले भी कर्नाटक, बिहार, राजस्थान जैसे कई राज्यों ने भारत सरकार के साथ विभिन्न मुद्दों पर विवाद होने पर समाधान के लिए अनुच्छेद-131 के तहत उच्चतम न्यायालय का रुख किया था। 

सुरजेवाला ने कहा, ‘‘जब तक अनुच्छेद-131 के तहत दायर याचिका का निपटारा नहीं हो जाता, तब तक राज्य सीएए जैसे अंसवैधानिक कानून को लागू करने के लिए बाध्य नहीं है। वह केरल सरकार द्वारा सीएए की वैधता को चुनौती देते हुए उच्चतम न्यायालय में दायर याचिका का संदर्भ दे रहे थे जिसमें कानून को रद्द करने की मांग करते हुए कहा गया कि यह संविधान की एकता, स्वतंत्रता और धर्मनिरपेक्षता के सिद्धांत का उल्लंघन करता है। 

संवाददाता सम्मेलन में वरिष्ठ कांग्रेस नेता अभिषेक सिंघवी ने सिब्बल की टिप्पणी के बारे में पूछे पर कहा, ‘‘ सविंधान के अनुच्छेद के तहत राज्य के स्तर पर जो याचिकाएं दायर की गई है... क्या उनका मौलिक अधिकार नहीं है उच्चतम न्यायालय में इसको चुनौती देने की।’’ 

सिंघवी ने कहा, ‘‘जबतक देश की सर्वोच्च अदालत से इसपर फैसला नहीं हो जाता, क्या यह सलाह देना गलत है कि हम फैसले का इंतजार करेंगे और कानून को लागू नहीं करेंगे, जिसे हमने चुनौती दी है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘मैं नहीं मानता कि यह कोई असहयोग आंदोलन या बगावत है, जैसा कि कुछ लोगों द्वारा कहा जा रहा है।’’ 

सुरजेवाला ने अपने बयान में कहा कि ‘‘विभाजनकारी’’ सीएए भारतीय संविधान, गरीबों, अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों और अल्पसंख्यकों पर हमला है।’’

उन्होंने आरोप लगाया कि मोदी और शाह सीएए का इस्तेमाल अर्थव्यवस्था में नाकामी, बढ़ती बेरोजगारी और खुदकुशी कर रहे युवाओं पर अक्षम्य नाकामी छिपाने के लिए कर रहे हैं।’’

सुरजेवाला ने कहा कि कांग्रेस राष्ट्रीयता, देश, स्थान जाति या धर्म के बजाय सभी को भारतीय नागरिकता लेने का मौका देने के पक्ष में है। 

सुरजेवाला ने प्रधानमंत्री और गृहमंत्री से कई सवाल किए। उन्होंने पूछा, ‘‘क्यों श्रीलंका, तिब्बत और म्यांमार के हिंदू, सिख, ईसाई, बौद्ध, जैन, पारसी और मुस्लिम को भारतीय नागरिकता देने से अलग रखा गया? क्यों नेपाल और भूटान के हिंदू और अन्य समुदायों को मौजूदा सीएए में भारतीय नागरिकता देने से इनकार किया गया?’’ 

सुरजेवाला ने कहा कि अगर यह सच है कि केवल 33,313 लोग ही अल्पसंख्यक समुदाय के हैं तो किसे सीएए से फायदा हुआ?

उन्होंने कहा, ‘‘अगर सीएए असंवैधानिक नहीं है तो क्यों भाजपा के अपने सहयोगी आसू, अकाली दल, एनपीएफ इसका विरोध कर रही हैं? क्यों असम में भाजपा के मुख्यमंत्री इसका विरोध कर रहे हैं? 

सुरजेवाला ने कहा कि इससे भाजपा के अपने दोहरेपन और विभाजनकारी एजेंडे का पर्दाफाश होता है। 

(समाचार एजेंसी भाषा के इनपुट के साथ)
 

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