उसने गोली चलाई और कहा, 'सर जी! हालात कंट्रोल में हैं'…
नज़्म : इदरीस बाबर
उस ने meeting बुलाई और कहा,
'लोग दिन रात कंट्रोल में हैं'
टेप मुँह पर लगाई और कहा,
'सब बयानात कंट्रोल में हैं'
उसने गोली चलाई और कहा,
'सर जी, हालात कंट्रोल में हैं'
सब ज़मीं पर ख़ुदा के नायब थे
सब ज़मीं पर ख़ुदा के नायब हैं
वो जो अपनी रज़ा से मारे गए
वो जो अपनी ख़ुशी से ग़ायब हैं
- इदरीस बाबर
ग़ज़ल : शाहबाज़ रिज़वी
कैसे सुनाऊँ दुखड़ा मैं पीर मीर साहब
आँखों में जम गई है तस्वीर मीर साहब
आँसू नहीं गिरे हैं शोला नहीं उठा है
फिर भी पिघल रही है ज़ंजीर मीर साहब
दिल्ली धधक रही है सब शोर कर रहे हैं
दोहरा रहे हैं ग़ालिब तहरीर मीर साहब
लाशों पे चल रहे हैं और रक्स कर रहे हैं
रस्ते बदल रहे हैं रहगीर मीर साहब
जैसी उदास आँखें वैसी उदास ग़ज़लें
इक शेर है निशाना इक तीर मीर साहब
झेलम का सुर्ख़ पानी यमना से आ मिला है
दिल्ली भी बन रही है कश्मीर मीर साहब
वहशत बला की वहशत, ख़लवत अजीब ख़लवत
रो रो के हो रहा हूं, मैं "मीर" मीर साहब
-शाहबाज़ रिज़वी
शाहबाज़ रिज़वी दिल्ली के शाहीन बाग़ में रहते हैं। शाहीन बाग़ में ढाई महीने से चल रहे नागरिकता संशोधन क़ानून के ख़िलाफ़ प्रदर्शन में शाहबाज़ लगातार शामिल हो रहे हैं। वो वहीं बच्चों को तालीम देते हैं। देश के मौजूदा हालात पर एक मुखर नज़रिया रखने वालों में शाहबाज़ शामिल हैं।
इदरीस बाबर पाकिस्तान के कराची में रहते हैं। पाकिस्तान की मौजूदा शायरी में नौजवान शायरों की फ़हरिस्त में इदरीस एक अहम नाम हैं।
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