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‘राष्ट्रीय बेरोज़गार दिवस’ मनाने का मौका देने के लिए थैंक्यू मोदी जी! हैप्पी बर्थडे!!

मोदी राज में गगनचुंबी बेरोज़गारी से पीड़ित लाखों युवाओं ने ट्वीटरूपी सैलाब के साथ आज 17 सितंबर यानी प्रधानमंत्री मोदी के जन्मदिन को #राष्ट्रीय_बेरोजगार_दिवस और #NationalUnemploymentDay जैसे हैशटैग के साथ ट्विटर पर मनाया।
‘राष्ट्रीय बेरोज़गार दिवस’ मनाने का मौका देने के लिए थैंक्यू मोदी जी! हैप्पी बर्थडे!!
प्रतीकात्मक तस्वीर। साभार : सोशल मीडिया

आज देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी का 71वां जन्मदिन है। मोदी जी ने इतिहास में एक ऐसे प्रधानमंत्री के रूप में अपना नाम दर्ज करा लिया है जिनके जन्मदिन को राष्ट्रीय बेरोज़गार दिवस के रूप में मनाया जाने लगा है। मोदी दौर में बेरोज़गारी का चौतरफा विकास हुआ है ये एक जगजाहिर तथ्य है जो इस सरकार की विफलता की गवाही देता रहेगा। इस बात की पुष्टि तमाम आंकड़ें करते हैं। यही वजह है कि आज 17 सितंबर यानी प्रधानमंत्री मोदी के जन्मदिवस को देशभर के तमाम छात्रों और युवाओं ने एक बार फिर 'राष्ट्रीय बेरोज़गार दिवस' के रूप में मनाया।

मोदी दौर में ही देश ने रिकॉर्ड बेरोज़गारी देखी। चाहे नौकरीपेशा लोग हों या व्यापार से जुड़े लोग, प्राइवेट सेक्टर के कर्मचारी हों या सरकारी नौकरियों के प्रतिभागी सभी ने बेरोज़गारी के इस दंश को झेला है। इन्हीं सब बातों से आक्रोशित युवाओं और छात्रों ने ट्वीट्स के सैलाब के साथ अपना विरोध दर्ज कराया और आज के दिन को 'राष्ट्रीय बेरोज़गार दिवस' के रूप में मनाया।

क्या हुआ दिनभर?

मोदी राज में गगनचुंबी बेरोज़गारी से पीड़ित लाखों युवाओं ने ट्वीटरूपी सैलाब के साथ आज 17 सितंबर यानी प्रधानमंत्री मोदी के जन्मदिन को #राष्ट्रीय_बेरोजगार_दिवस और #NationalUnemploymentDay जैसे हैशटैग के साथ ट्विटर पर मनाया। ट्विटर पर आज के दिन 1.44 मिलियन यानी 14 लाख से अधिक ट्वीट्स के साथ #राष्ट्रीय_बेरोजगार_दिवस ट्रेंडिंग में रहा।

इसके साथ ही 10 लाख और 5.5 लाख ट्वीट्स के साथ #NationalUnemploymentDay और #मोदी_रोज़गार_दो भी आज के टॉप 4 ट्रेंडिंग टॉपिक्स में शामिल थे। वही वर्ल्डवाइड ट्विटर ट्रेंड की बाते करें तो विश्वभर में भी #राष्ट्रीय_बेरोजगार_दिवस ट्रेंडिंग में रहा।

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ये अपने आप में एक अनोखा विरोध प्रदर्शन था जिसमें प्राइवेट सेक्टर से बेरोज़गार हो चुके लोगों से लेकर सरकारी भर्तियों की दुर्दशा झेल रहे देशभर के लाखों अभ्यर्थी शामिल थे। इन युवाओं ने ट्विटर और अन्य सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स को एक माध्यम के तौर पर चुना और अपना आक्रोश दर्ज कराया। इस विरोध प्रदर्शन को देश के मुख्य विपक्षी दलों का भी समर्थन प्राप्त हुआ।

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सीपीआई (एम) के जनरल सेक्रेटरी सीताराम येचुरी ने अपने एक ट्वीट में मोदी सरकार पर निशाना साधते हुए लिखा, "मोदी सरकार के द्वारा भारत की क्षमताओं और भविष्य का विनाश हुआ है।" उन्होंने युवा बेरोज़गारी को लेकर एक आंकड़ा भी साझा किया जिसके अनुसार युवा बेरोज़गारी दर 2016-17 में 15.66 प्रतिशत थी जोकि 2020-21 में बढ़कर 28.26 प्रतिशत को गई जबकि 2021 के अगस्त में ये बढ़कर 32.03 प्रतिशत तक पहुंच गई है।

जहां राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री मोदी को उनके जन्मदिन पर बधाई संदेश दिया वहीं कांग्रेस पार्टी ने आज के इस #राष्ट्रीय_बेरोजगार_दिवस को बेहद आक्रामक ढंग से देशभर में मनाया। भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के आधिकारिक ट्विटर हैंडल से ट्वीट किया गया, "उन्होंने कहा : सबका साथ, सबका विकास उन्होंने किया : सबका साथ, सबका विनाश"

एक अन्य ट्वीट में कांग्रेस पार्टी ने लिखा, "करोड़ों रोजगार देने का वादा करने वाले लोगों की सरकार में बेरोजगारी दर ऐतिहासिक रूप से बढ़ रही है। नया रोजगार मिलना दूर की बात, जिन लोगों के पास पहले से था उनकी भी नौकरियां छीनी जा रही हैं।"

कांग्रेस नेता शशि थरूर ने अपने एक ट्वीट में कहा, "भारतीय सेना में 1,07,000 और अध्यापकों के 10,60,139 से ज़्यादा पद खाली पड़े हैं। लेकिन बेरोजगारी अब तक के उच्चतम स्तर पर दर्ज की गई है। आइए इस ढीठ और अयोग्य सरकार को उसके गैर-सहानुभूतिपूर्ण कार्यों के लिए जवाबदेह ठहराएं!"

देश के जाने-माने वकील और एक्टिविस्ट प्रशांत भूषण तंज ने तंज कसते हुए ट्वीट के माध्यम से कहा, "मोदी राज में ग्रेजुएट्स में बेरोजगारी बढ़कर 63 फीसदी हुई! यह सभी क्षेत्रों में अभूतपूर्व ऊंचाई पर है। करोड़ों नौकरियां तबाह हो गई हैं। इसीलिए युवा आज उनका जन्मदिन #राष्ट्रीय_बेरोजगार_दिवस और #NationalUnemploymentDay के रूप में मना रहा है।"

वहीं 'युवा हल्लाबोल' के अध्यक्ष अनुपम ने आज के दिन को #राष्ट्रीय_बेरोजगार_दिवस के साथ ही #जुमला_दिवस के रूप में मनाया। उनकी टीम ने न सिर्फ ट्विटर पर बल्कि ज़मीन पर भी बेरोज़गारी, मंहगाई और निजीकरण के खिलाफ अपना विरोध दर्ज कराया और केक काटकर आज के दिन को #जुमला_दिवस के तौर पर मनाया।

यूथ कांग्रेस ने भी आज देशभर में बढ़चढ़कर विरोध प्रदर्शन किया। यूथ कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्रीनिवास बीवी ने ट्वीट करते हुए कहा, "इतिहास में पहली बार किसी प्रधानमंत्री के जन्मदिन पर देश का बेरोजगार युवा #राष्ट्रीय_बेरोजगार_दिवस की लानतें भेज रहा है।"

आज का ये मेगा डिजिटल आक्रोश यूंही नही हुआ है। ये परिणाम है मोदी सरकारी की विनाशकारी नीतियों का जिसके कारण वो युवा जिसने नरेंद्र मोदी को सत्ता तक पहुंचाने का काम किया था आज वही युवा बेरोज़गारी का दंश झेल रहा है और खुद को ठगा सा महसूस कर रहा है। आज के दिन लाखों ट्वीट्स के माध्यम से अपनी हताशा और निराशा को व्यक्त कर रहा नौजवान, प्रधानमंत्री से सवाल भी कर रहा है कि क्या हुआ उनके 2 करोड़ नौकरी की वायदे का? 7 साल के हिसाब से 14 करोड़ नौकरियाँ कहाँ है? सरकारी भर्तियों में अनियमितता कब होगी बन्द?

निखिल यदुवंशी नाम के एक ट्विटर यूज़र ने लिखा, " ये पिछले सात साल मेरी ज़िंदगी के सबसे खराब साल रहे। मैं छात्रों की जिंदगियां बर्बाद होते हुए देख सकता हूँ।"

ट्विटर यूज़र उत्सव यादव लिखते हैं, "ये देश है बेरोजगारों का
महंगाई निजीकरण के मारो का
इस देश में बस जुमले बंटते हैं
नित पेट्रोल डीजल के दाम बढ़ते है !"

रामकृष्ण यादव नाम से एक ट्विटर यूज़र ने लिखा, "पिछले साल हमने माननीय प्रधानमंत्री के जन्मदिन को #राष्ट्रीय_बेरोजगार_दिवस के रूप में मनाया और हमने सोचा कि स्थिति बदल जाएगी और चीजें सुधर जाएंगी लेकिन कुछ भी नहीं सुधरा है। मुझे नहीं पता कि हमारे पीएम कैसी प्रतिक्रिया देते हैं लेकिन हम लगातार ऐसा करेंगे।"

एक नज़र डालते हैं आंकड़ों पर

सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकॉनमी (CMIE) के ताज़ा आंकड़ों के अनुसार इस साल के अगस्त में बेरोज़गारी दर बढ़कर 8.32 प्रतिशत हो गई जबकि जुलाई में यह 6.96 फीसदी थी। CMIE के आंकड़ों के अनुसार अगस्त में करीब 15 लाख लोग बेरोज़गार हो गए। इसके अलावा अगस्त में शहरी बेरोज़गारी दर में करीब 1.5 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई। जहां जुलाई महीने में शहरी बेरोज़गारी दर 8.3 प्रतिशत थी वही अगस्त में ये बढ़कर 9.78 प्रतिशत हो गयी। वहीं ग्रामीण बेरोज़गारी दर की बात करें तो इसमें भी 1.3 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। जुलाई में ग्रामीण बेरोज़गारी दर 6.34 प्रतिशत थी जोकि अगस्त में बढ़कर 7.64 प्रतिशत हो गई। वही राज्यों की बात करें तो हरियाणा 35.7 प्रतिशत की बेरोज़गारी दर के साथ शीर्ष पर रहा।

हाल ही में राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (NSO) के द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार देश मे एक साल में बेरोज़गारी दर 2.4 प्रतिशत बढ़कर 10.3 प्रतिशत हो गई। शहरी इलाकों में सभी उम्र के लिए भारत की बेरोज़गारी दर अक्टूबर-दिसंबर 2020 में बढ़कर 10.3 प्रतिशत हो गई जबकि एक साल पहले 2019 में इन्हीं महीनों में ये दर 7.8 प्रतिशत थी। बेरोज़गारी के इन आंकड़ों के बीच सरकारी भर्तियों में इस तरह की लापरवाही और अनदेखी छात्रों के लिए यकीनन दर्दनाक है।

नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) के चौंका देने वाले आंकड़ों के मुताबिक देश में बेरोज़गारी के कारण साल 2018 में औसतन 35 लोगों ने रोज़ाना आत्महत्या की है। सेंटर फ़ॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनोमी (CMIE) के द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार 2018 में क़रीब एक करोड़ 10 लाख लोगों ने अपनी नौकरियां खोयीं। नोटबन्दी और जीएसटी जैसे फैसलो से भी रोज़गार पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा और लाखों लोगों को नौकरी से हाथ धोना पड़ा।

सरकारी नौकरियों की दुर्दशा

मोदी सरकार की खराब नीतियों की मार सरकारी नौकरियों के इच्छुक छात्रों पर भी पड़ी है। बढ़ती बेरोज़गारी के इस दौर में वेकैंसी का साल-दर-साल कम होना देशभर के तमाम छात्रों के लिए एक चिंता का विषय बन चुका है।

एक नज़र डालते हैं लगातार घटती वेकैंसी पर-

एसएससी, आईबीपीएस (बैंक), और आरआरबी (रेलवे) ये मुख्यतौर पर विशेष रिक्रूटमेंट बोर्ड्स हैं जिनका काम विभिन्न विभागों में विभिन्न पदों के लिए उम्मीदवारों का चयन करना हैं। इन चयन आयोगों के द्वारा आयोजित परीक्षाओं में हर साल लाखों छात्र भाग लेते हैं। इनमें हर साल कम होती वेकैंसी पर एक नज़र डालते हैं :

एसएससी की तैयारी करने वाले छात्रों के बीच एसएससी सीजीएल की परीक्षा बेहद लोकप्रिय है। एसएससी सीजीएल की साल 2013 में कुल 16114 वेकैंसी थी, साल 2014 में 15549, 2015 में 8561, 2016 में 10661, 2017 में 8134, 2018 में 11271, 2019 में 8582 तथा साल 2020 में ये संख्या 7035 हो गयी। यानी साल 2020 में निकली वेकैंसी की संख्या की तुलना साल 2013 से करें तो लगभग 56 फीसदी की गिरावट देखने को मिली हैं।

इसके अलावा बैंकिंग क्षेत्र की बात करें, तो साल 2013 में आईबीपीएस (PO) की 21680 वेकैंसी थीं, साल 2014 में 16721, 2015 में 12434, 2016 में 8822, 2017 में 3562, 2018 में 4252, 2019 में 4336 तथा साल 2020 में ये संख्या महज़ 1167 रह गयी। वेकैंसी की लिहाज़ से साल 2020 की तुलना 2013 से करें तो करीब 95 फीसदी की भारी गिरावट देखने को मिलती है। ये बैंकिंग क्षेत्र में रोज़गार का सूरत-ऐ-हाल बयां करता है।

वहीं सिविल सेवा परीक्षा यानी यूपीएससी की बात करें तो साल 2013 में इसकी 1000 वेकैंसी थीं, 2014 में 1291, 2015 में 1129, 2016 में 1079, 2017 में 980, 2018 में 782, 2019 में 896 तथा साल 2020 में ये संख्या 796 थी।

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(नोट : उपरोक्त सभी आँकड़ें इन परीक्षाओं के ऑफिशियल नोटिफिकेशन पर आधारित हैं।)

उपरोक्त सभी आंकड़े इस बात की गवाही देते हैं कि किस तरह मोदी राज में बेरोज़गारी एक विकराल समस्या बन चुकी है। बेरोज़गारी की मार से कोई भी सेक्टर अछूता नही रहा। हैरानी नही होगी अगर आज के इस विशाल डिजिटल आक्रोश को सरकारी नुमाइंदे किसी न किसी लेबल से नवाज़े। इसीलिए सरकार को आज समझने की ज़रूरत है कि आज के दिन जिन लाखों युवाओं ने प्रधानमंत्री मोदी के जन्मदिन को राष्ट्रीय बेरोज़गारी दिवस के रूप में मनाया कभी उन्ही युवाओं ने 2014 में मोदी जी के भाषणों में रोज़गार और नौकरी को लेकर कई हसीन ख्वाब देखे थे। अगर मोदी सरकार समय रहते बेरोज़गारी का समाधान नही तलाशती तो ये मोदी सरकार के लिए बड़ी सरदर्दी साबित होने वाला है।

(अभिषेक पाठक स्वतंत्र लेखक हैं। विचार व्यक्तिगत हैं।)

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