नए संसद भवन का उद्घाटन राष्ट्रपति से कराने संबंधी याचिका पर कोर्ट ने सुनवाई से किया इनकार
नयी दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने लोकसभा सचिवालय को नये संसद भवन का उद्घाटन राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से कराने के लिए निर्देश देने का अनुरोध करने वाली जनहित याचिका पर सुनवाई करने से शुक्रवार को इनकार कर दिया।
न्यायमूर्ति जे के माहेश्वरी और न्यायमूर्ति पी एस नरसिम्हा की पीठ ने याचिकाकर्ता एवं वकील जय सुकीन से कहा कि न्यायालय इस बात को समझता है कि यह याचिका क्यों और कैसे दायर की गई तथा वह संविधान के अनुच्छेद 32 के तहत इस याचिका की सुनवाई नहीं करना चाहता।
SC refuses to entertain PIL seeking direction to Lok Sabha Secretariat for inauguration of new Parliament building by President
— Press Trust of India (@PTI_News) May 26, 2023
सुकीन ने कहा कि संविधान के अनुच्छेद 79 के तहत राष्ट्रपति देश की कार्यपालिका की प्रमुख हैं और उन्हें आमंत्रित किया जाना चाहिए था। उन्होंने कहा कि यदि न्यायालय सुनवाई नहीं करना चाहता, तो उन्हें याचिका को वापस लेने की अनुमति दी जाए।
सुप्रीम कोर्ट ने 28 मई को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू द्वारा नए संसद भवन का उद्घाटन करने का निर्देश देने वाली जनहित याचिका को खारिज कर दिया। https://t.co/NdPYrE34dZ
— ANI_HindiNews (@AHindinews) May 26, 2023
केंद्र की ओर से पेश हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि यदि याचिका को वापस लेने की अनुमति दी जाती है, तो उसे उच्च न्यायालय में दायर किया जाएगा। इसके बाद पीठ ने याचिका को वापस ले ली गई मानकर खारिज कर दिया।
याचिका में कहा गया था कि प्रतिवादी--लोकसभा सचिवालय और भारत संघ--उन्हें (राष्ट्रपति को) उद्घाटन के लिए आमंत्रित नहीं कर राष्ट्रपति को ‘‘अपमानित’’ कर रहे हैं।
यह याचिका, 28 मई को नये संसद भवन का उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा किये जाने के कार्यक्रम को लेकर छिड़े एक विवाद के बीच दायर की गई।
करीब 20 विपक्षी दलों ने राष्ट्रपति को ‘‘दरकिनार’’ किये जाने के विरोध में समारोह का बहिष्कार करने का फैसला किया है।
बुधवार को 19 राजनीतिक दलों ने एक संयुक्त बयान में कहा था, ‘‘जब लोकतंत्र की आत्मा को ही संसद से बाहर निकाल दिया गया है, तब हमें एक नये भवन का कोई महत्व नजर नहीं आता।’’
वहीं, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नीत राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) ने इस ‘‘तिरस्कारपूर्ण’’ फैसले की निंदा की।
सत्तारूढ़ राजग में शामिल दलों ने बुधवार को एक बयान में कहा था, ‘‘यह कृत्य केवल अपमानजनक नहीं, बल्कि महान राष्ट्र के लोकतांत्रिक लोकाचार और संवैधानिक मूल्यों का घोर अपमान है।’’
लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने हाल में प्रधानमंत्री से मुलाकात की थी और उन्हें भवन का उद्घाटन करने के लिए आमंत्रित किया था। मोदी ने 2020 में इस भवन का शिलान्यास भी किया था और ज्यादातर विपक्षी दल उस समय इस कार्यक्रम से दूर रहे थे।
(न्यूज़ एजेंसी भाषा के इनपुट के साथ)
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