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देश में न सिर्फ़ सैन्यकर्मियों की बल्कि जजों, डॉक्टरों, शिक्षकों की भी भारी कमी है

सेना में कुल 11,35,799 जूनियर कमीशंड अधिकारियों और अन्य रैंकों में से 97,177 पद खाली हैं।
agneepath

केंद्र सरकार की नई सेना भर्ती योजना अग्निपथ के खिलाफ देश भर में हिंसक विरोध प्रदर्शन हुए विपक्षी पार्टियों समेत आकांक्षी उम्मीदवारों ने इस योजना को वापस लेने की मांग की लेकिन सरकार ने इसे फिलहाल ठुकरा दिया है। ज्ञात हो कि पिछले सप्ताह इस योजना के लॉन्च होने के बाद बिहार समेत अन्य राज्यों में हिंसक प्रदर्शन हुए कई जगह ट्रेनों को जला दिया गया था और स्टोशनों पर तोड़ फोड़ की गई। वहीं कई जगह राजमार्गों को अवरुद्ध कर दिया गया था और पूरे भारत में आगजनी, पथराव, पुलिस फायरिंग और बड़े पैमाने पर गिरफ्तारियां हुई हैं और केस दर्ज किए गए हैं।

छात्रों की इस नाराजगी को पिछले दो साल से सेना में न के बराबर हुई भर्ती के संदर्भ में देखा जाना चाहिए। लाखों युवाओं ने प्रशिक्षण लिया और इसके लिए उन्होंने इंतजार किया। सरकार के आंकड़ों के हवाले से डक्कन हेराल्ड की रिपोर्ट के अनुसार, भारतीय सेना के तीनों अंगों में अधिकारी रैंक में 8,362 सहित 1,22,000 से अधिक रिक्तियां हैं। सेना में कुल 11,35,799 जूनियर कमीशंड अधिकारियों और अन्य रैंकों में से 97,177 पद खाली हैं। इसी तरह, स्वीकृत 63,515 पदों के मुकाबले नौसेना में 11,166 नौसैनिकों की कमी है। वायु सेना में 4,850 रिक्त पद हैं। ये जानकारी दिसंबर 2021 में सीपीआई (एम) के सांसद वी शिवदासन द्वारा किए गए सवालों के लिखित जवाब में रक्षा राज्य मंत्री अजय भट्ट ने दिया था।

सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी (सीएमआईई) के आंकड़ों के अनुसार, भारत में बेरोजगारी अप्रैल 2022 में बढ़कर 7.83 प्रतिशत हो गई, जो मार्च महीने में 7.60 प्रतिशत थी। सबसे अधिक बेरोजगारी दर 34.5 प्रतिशत हरियाणा में दर्ज की गई थी, इसके बाद राजस्थान में 28.8 प्रतिशत दर्ज की गई थी। बिहार में ये दर 14.4% दर्ज की गई थी। तीनों ही राज्यों में वर्तमान में अग्निपथ योजना के खिलाफ उग्र विरोध प्रदर्शन हुए थे।

सीएमआईई के अनुसार शहरी बेरोजगारी दर अप्रैल में 9.22 प्रतिशत थी जो मार्च में 8.28 प्रतिशत थी, जबकि ग्रामीण बेरोजगारी दर 7.29 प्रतिशत से मामूली रूप से गिरकर 7.18 प्रतिशत हो गई।

बेरोजगार युवाओं (15-29 वर्ष) की स्थिति चिंताजनक बनी हुई है। केंद्रीय सांख्यिकी एवं कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय द्वारा जारी क्वार्टर्ली बुलेटिन ऑफ लेबर फोर्स सर्वे (पीएलएफएस) के अनुसार, अक्टूबर-दिसंबर 2021 के दौरान शहरी क्षेत्रों में युवा बेरोजगारी दर 20.8 प्रतिशत थी।

सभी को याद होगा कि इसी साल जनवरी में रेलवे भर्ती में गड़बड़ी को लेकर बिहार के गया में हिंसक विरोध प्रदर्शन हुए थे। नाराज छात्रों ने इस दौरान भी ट्रेन में आग लगा दिया था और तोड़ फोड़ की थी। लगभग 12.5 मिलियन उम्मीदवारों ने लगभग 35,000 पदों के लिए परीक्षा देने के लिए आवेदन किया था। उम्मीदवारों द्वारा दो चरणों में परीक्षा आयोजित करने के रेलवे के फैसले का विरोध करने के बाद युवाओं का विरोध बिहार से उत्तर प्रदेश तक फैल गया था। रेलवे को अंततः इन परीक्षाओं को स्थगित करना पड़ा था और एक उच्च स्तरीय समिति नियुक्त करनी पड़ी थी। यह ऐसे समय में हुआ है जब रेलवे को कर्मियों की सख्त जरूरत है। ज्ञात हो कि इस साल फरवरी तक भारतीय रेलवे में करीब 3 लाख पद खाली थे।

पुलिस बलों में क़रीब 5 लाख पद खाली

ऐसी ही स्थिति पुलिस बलों में भी है। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने मार्च में लोकसभा को बताया था कि राज्य पुलिस बलों में पुलिस कर्मियों के करीब 5,30,000 पद खाली हैं जो स्वीकृत संख्या के मुकाबले 21 फीसदी कम है। पुलिस की स्वीकृत संख्या 26,23,225 है और वास्तविक संख्या 20,91,488 है। सिर्फ यूपी में 1,00,000 से अधिक के साथ जनवरी 2020 से 5,31,737 पद खाली हैं। यूपी के बाद पश्चिम बंगाल (55,294) और बिहार (47,099) हैं।

न्यायपालिका में भी हैं काफ़ी रिक्तियां

न्यायपालिका की भी स्थिति करीब करीब ऐसी ही है। मार्च महीने में सरकार ने लोकसभा को बताया कि सुप्रीम कोर्ट में 70,154 सहित विभिन्न अदालतों में 4.7 करोड़ से अधिक मामले लंबित हैं। इनमें से 87.4 प्रतिशत अधीनस्थ न्यायालयों में और 12.4 प्रतिशत उच्च न्यायालयों में लंबित हैं। करीब 1,82,000 मामले 30 से अधिक वर्षों से लंबित हैं।

भारत के अधिक आबादी वाले राज्यों के उच्च न्यायालयों में न्यायाधीशों की सबसे अधिक रिक्तियां हैं। इलाहाबाद हाईकोर्ट में स्थायी और अतिरिक्त पदों पर 67 रिक्तियां हैं, जो कि सभी उच्च न्यायालयों में सबसे अधिक हैं। इसके बाद बॉम्बे (36), पंजाब और हरियाणा (36), कलकत्ता (33), पटना (28) और दिल्ली (27) का स्थान है। कुल मिलाकर, यूपी में फिर से सबसे अधिक रिक्तियां (1,106) हैं। इसके बाद बिहार (569), मध्य प्रदेश (476), गुजरात (347) और हरियाणा (295) हैं। वर्तमान में, भारत में निचली अदालतों में 5,000 रिक्तियां हैं।

आईएएस अधिकारियों की भारी कमी

नौकरशाही की भी स्थिति बेहतर नहीं है। पिछले महीने, एक संसदीय स्थायी समिति ने एक रिपोर्ट पेश की जिसमें सुझाव दिया गया था कि सरकार आईएएस अधिकारियों की बहाली में वृद्धि करे। समिति ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि केंद्र और राज्य स्तर पर 1,500 से अधिक आईएएस अधिकारियों की "भारी कमी" है।

स्वास्थ्य व्यवस्था की भी स्थिति बदतर

देश में स्वास्थ्य व्यवस्था की भी स्थिति बदतर है जो समय समय पर सामने आ जाती है। भारत में 1,511 लोगों पर एक एलोपैथिक डॉक्टर है जो कि डब्ल्यूएचओ के 1,000 लोगों पर एक डॉक्टर के मानदंड से बहुत अधिक है। प्रशिक्षित नर्सों की कमी और भी विकट है। नर्स और जनसंख्या अनुपात की बात करें 670 लोगों पर एक नर्स है, जबकि डब्ल्यूएचओ का मानदंड के अनुसार 300 लोगों पर एक नर्स होने चाहिए। ये आंकड़े 15वें वित्त आयोग द्वारा बताए गए हैं।

प्रमुख राज्यों में बिहार, छत्तीसगढ़, झारखंड, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और यूपी सरकारी डॉक्टरों और जनसंख्या अनुपात में दूसरों राज्यों से काफी पीछे हैं। नर्सों की कमी बिहार, झारखंड, सिक्किम, तेलंगाना, यूपी और उत्तराखंड में सबसे ज्यादा है।

पिछले साल के अंत में सामने आए यूनेस्को की एक रिपोर्ट के मुताबिक, हमारा शिक्षा क्षेत्र में स्थिति बेहतर नहीं है। पूरे भारत के स्कूलों में दस लाख से अधिक शिक्षकों की कमी है। भारत में लगभग 1,10,000 स्कूल में सिर्फ एक शिक्षक है। देश के स्कूलों में कुल 19 प्रतिशत या 1.116 मिलियन शिक्षकों के पद खाली हैं। ग्रामीण इलाकों में यह संख्या 69 फीसदी तक है। रिपोर्ट, '2021 स्टेट ऑफ द एजुकेशन रिपोर्ट फॉर इंडिया: नो टीचर, नो क्लास’ में पाया गया कि हिंदी पट्टी के राज्यों में यूपी, बिहार और मध्य प्रदेश में सबसे ज्यादा शिक्षकों की रिक्तियां हैं। सिर्फ यूपी और बिहार में 1,00,000 से अधिक रिक्तियां हैं।

उच्च शिक्षा क्षेत्र में फैकल्टी पोजिशन खाली

उच्च शिक्षा क्षेत्र की स्थिति भी बदतर है। डक्कन हेराल्ड की रिपोर्ट के अनुसार दिसंबर 2021 में शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने संसद को बताया कि केंद्रीय विश्वविद्यालयों, आईआईटी और आईआईएम में 10,000 से अधिक फैकल्टी पोजिशन खाली हैं। कुल 10,814 रिक्तियों में से 6,535 केंद्रीय विश्वविद्यालयों में हैं जिनमें इग्नू भी शामिल है। आईआईएम में 403 और आईआईटी में 3,876 पद रिक्त हैं।

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