क्या अहमदाबाद के तामझाम से ट्रम्प होंगे मेहरबान?
एक सबसे बड़ी बात अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के बारे में जो है, वो ये है कि वे बेरहमी की हद तक अनौपचारिक हो सकते हैं। हाल ही में ट्रम्प ने फोन पर ही ब्रिटिश पीएम बोरिस जॉनसन को खरी खोटी सुनाना शुरू कर दिया, जिसमें उनका कहना था कि वाशिंगटन की ओर से चीनी टेक-कम्पनी को हाथ तक न लगाने की कई बार की मिन्नतों के बावजूद कैसे उन्होंने हुआवेई को ब्रिटेन में काम करने की अनुमति दे डाली।
वॉशिंगटन ने तो यहां तक धमकी दे दी कि अगर चीन में विकसित 5 जी से उसका कोई लेना-देना पाया गया तो, लंदन को फाइव आइज़ (अमेरिका, कनाडा, ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड के बीच खुफिया-साझाकरण व्यवस्था) से निकाल बाहर किया जाएगा।
लेकिन जॉनसन अपनी बात पर अड़े रहे, और उन्होंने ठीक ही फैसला लिया है, क्योंकि ब्रेक्सिट-बाद की ब्रिटिश अर्थव्यस्था को उम्मीद है कि भविष्य के विकास और समृद्धि को बनाए रखने के लिए चीन से पर्याप्त मात्रा में संसाधन मुहैय्या होने जा रहे हैं। जिस पर ट्रम्प ने फोन पटक दिया और इस बातचीत को बीच में ही खत्म कर दिया। वही जॉनसन ने भी अनिश्चित काल के लिए वाशिंगटन की अपनी पूर्वनिर्धारित यात्रा को स्थगित कर दिया है।
इसीलिए आगामी 24-25 फरवरी को होने जा रही ट्रम्प की भारत यात्रा पर उनकी बेबाक टिप्पणी पर भी किसी प्रकार का आश्चर्य नहीं होना चाहिए। मीडिया के साथ एक सवाल के जवाब में मंगलवार को उन्होंने कहा,"हाँ, यह सही है कि हम भारत के साथ एक व्यापार सौदे में जा सकते हैं, लेकिन असल में मैं बड़ी डील बाद के लिए करने जा कर रहा हूं। भारत के साथ हम एक बेहद बड़ा व्यापारिक सौदा करने जा रहे है। हम इसे कर लेंगे। मुझे नहीं पता कि यह चुनाव से पहले हो जाएगा, लेकिन भारत के साथ एक बहुत बड़ा व्यापारिक सौदा होकर रहेगा।”
"हमारे प्रति भारत का व्यवहार काफी अच्छा नहीं रहा है, लेकिन मैं प्रधान मंत्री मोदी को काफी पसंद करता हूं। और उन्होंने मुझे कह रखा है कि हवाई अड्डे और कार्यक्रम स्थल के बीच उनके 7 मिलियन [70 लाख] लोग स्वागत के लिए मौजूद रहेंगे। और स्टेडियम, मैं समझता हूं कि अभी निर्माणाधीन स्थिति में ही है, लेकिन यह दुनिया का सबसे बड़ा स्टेडियम होने जा रहा है। तो कुल मिलाकर ये काफी रोमांचक होने वाला है। लेकिन मोदी ने कहा है कि स्टेडियम और हवाई अड्डे के बीच हमारे लगभग 7 मिलियन लोग उपस्थित रहने वाले हैं। तो कुलमिलाकरयह बेहद रोमांचक होने जा रहा है। मुझे आशा है आप सबको भी आनन्द आएगा।"
अब करीब-करीब यह तय है कि ट्रम्प इस यात्रा को रद्द नहीं करने जा रहे हैं, जैसा कि अंतिम क्षणों में उनका ध्यान उससे भी किसी और रोमांचक यात्रा के लिए भटक जाने के लिए अभ्यस्त रहा है।
वास्तव में देखें तो पीएम मोदी ने भी बड़ी चतुराई से ट्रम्प को कतारबद्ध सड़कों पर खड़े 70 लाख लोगों वाले मनोहारी दृश्य की संभावना के बीच फांसने का काम किया है, जिसमें अहमदाबाद हवाईअड्डे से लेकर शहर में बन रहे नवनिर्मित मोटेरा स्टेडियम तक लोग ही लोग दिखने जा रहे हैं।किसी भी जन-लोकप्रिय राजनीतिज्ञ को विशाल जनसमूह के बीच मुख्य वक्ता के रूप में सम्बोधित करने के लालच में फाँसने से बेहतर और क्या हो सकता है? मोदी उन चंद लोगों में से हैं जो ट्रम्प की इस कमजोरी को बखूबी से समझते हैं।
ट्रम्प के लिए राजनीति भी एक रियलिटी शो की तरह है। वे किसी विचारवान, पांडित्य से भरे राजनीतिज्ञ की छवि के ठीक उलट व्यक्तित्व के मालिक हैं। विचार उनके लिए कोई मायने नहीं रखते, उनके लिए तो शब्दाडम्बर और शोमैनशिप ही सब कुछ है।ट्रम्प को बौद्धिकता से सख्त एलर्जी है, जबकि फर्जी खबरों के प्रति उनका झुकाव रहता है, जमकर झूठ बोलना उनकी आदत में शुमार है (यहां तक कि अपने संघ राज्य के भाषण तक में।) अब्राहम लिंकन ने जिस बात को एक बार कहा था, उसका वे जीता-जागता नमूना हैं “करीब-करीब सभी लोग प्रतिकूल परिस्थिति का सामना कर सकते हैं, लेकिन आप यदि किसी इंसान के चरित्र को आँकना चाहें तो उसे एक बार सत्ता सौंपकर परख सकते हैं।”
लेकिन ट्रम्प जैसे बेहद सफल व्यवसायी कैसे इस प्रकार से खुद को नौसिखिया सिद्ध कर सकते हैं जिसे मोदी पर भरोसा हो कि वे 70 लाख गुजरातियों की एक मानव श्रृंखला उनके स्वागत में जुगाड़ सकते हैं?
कुछ भारतीय विश्लेषकों का अनुमान है कि असल में करीब तीन लाख गुजरातियों को 24 फ़रवरी के दिन इस बाइस किलोमीटर लंबी ट्रम्प-मोदी रोड शो में शामिल किया जा सकता है। यह रोड शो बीस "प्रशिक्षित ब्राह्मणों" के शंखनाद के बाद हवाई अड्डे से मोटेरा स्टेडियम के लिए चलेगा।
ट्रम्प ने इस बात का अवश्य अनुमान लगा रखा होगा कि भले ही मोदी ने जितने लोगों का वादा किया है उसके अगर दस प्रतिशत लोग भी इस रोड शो में शामिल हो जाते हैं, तो यह टीवी स्क्रीन पर एक बेहद लुभावना दृश्य साबित होने जा रहा है, क्योंकि ये छवियाँ अमेरिकन घरों के अंदर तक अपना असर छोड़ने वाली साबित होंगी।
इस सारे तमाशे का जो गहरा प्रभाव अमेरिकी जनता पर पड़ने वाला है उससे जनता में यह धारणा घर कर सकती है कि समूची मानवजाति में ट्रम्प कितने अधिक लोकप्रिय हैं, जबकि अपने देश में आधे अमेरिकी उनके खिलाफ थुक्कम-फजीहत से बाज नहीं आते हैं।इसे सुनिश्चित करने के लिए मोदी सरकार ने भी अपनी ओर से कोई कोर-कसर नहीं छोड़ रखी है। सरकार को उम्मीद है कि वह मोटेरा स्टेडियम में रैली में शामिल होने के लिए 1.2 लाख लोगों की व्यवस्था कर लेगी। विभिन्न जिलों से स्टेडियम तक लोगों को लाने-ले जाने के लिए 3,000 बसों की तैनाती की जा रही है।
गुजरात मॉडल के विकास को एक नया लुक देने के लिए उम्मीद है कि राज्य सरकार अकेले सड़क नवीकरण, सुरक्षा कवर, सांस्कृतिक कार्यक्रम, सजावट आदि पर 100 करोड़ रुपये से अधिक का खर्च कर रही है। अपनी इस यात्रा को लेकर ट्रम्प के मन में कोई शंका नहीं है। उन्होंने इस बात के संकेत दे दिये हैं कि हो सकता है कि व्यापारिक डील अभी भी न हो। उनकी यह टिप्पणी दिल्ली के साथ कुछ झुंझलाहट के संकेत देती है – जो संभवतः उनके अमेरिका फर्स्ट प्रोजेक्ट या भारत में उनके परिवार के व्यावसायिक हितों के लिए अधिक उपयोगी नहीं होने के चलते हो।
लेकिन साथ ही साथ वे मोदी को “काफी” पसन्द भी तो करते हैं। कुल मिलाकर कह सकते हैं कि इस यात्रा को एक तरह से मोदी पर अहसान जताने के रूप में देखा जाना चाहिए, जिनके एक बार गणतंत्र दिवस पर मुख्य अतिथि के रूप में दिए गए निमन्त्रण को वे पहले ठुकरा चुके हैं।ऐसा प्रतीत होता है कि ट्रम्प किसी बादशाह की तरह शिकार की सैर पर निकले हों, जहाँ पर अपनी जेब से बिना कोई दमड़ी खर्च किये सब चीज का बंदोबस्त हो रखा है और अहम की तुष्टि के भी सभी इंतजामात मौजूद हैं।
इसके बदले में गरीब जनता को क्या उम्मीद रखनी चाहिए? पुराने जमाने में तो बादशाह जब सडकों से गुजरता था तो गरीबों पर सोने के सिक्के उछाला करता था।
सौजन्य: इण्डियन पंचलाइन
अंग्रेजी में लिखा मूल आलेख आप नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक कर पढ़ सकते हैं।
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