NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu
image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
कृषि
मज़दूर-किसान
भारत
राजनीति
यूपी: सरकार एमएसपी पर नहीं खरीद रही धान, किसान औने-पौने दाम पर बेचने को मजबूर
ग्राउंड रिपोर्ट- उत्तर प्रदेश में अच्छे धान का न्यूनतम समर्थन मूल्य 1888 रुपये प्रति कुंतल है और कॉमन धान का 1868 रुपये प्रति कुंतल है लेकिन ज्यादातर जिलों में किसान 1000 रुपये से लेकर 1200 प्रति कुंतल धान बेचने को मजबूर हैं।
गौरव गुलमोहर
20 Oct 2020
 धान

देश के विभिन्न राज्यों में जहां धान की खरीद रफ्तार पकड़ चुकी है वहीं उत्तर प्रदेश के पूर्वी जिलों में अभी धान खरीद की शुरुआत हुई है। जो अनाज मंडियां अक्टूबर महीने तक धान से भर जाती थीं वे अभी खाली पड़ी हैं या सुस्त गति से आगे बढ़ रही हैं। आढ़ती और किसान दोनों इसका कारण सरकार का ढुलमुल रवैया मानते हैं।

योगी सरकार चौंकाने वाले दावे कर रही है कि पिछले साल 10 अक्टूबर तक प्रदेश में न्यूनतम समर्थन मूल्य पर 837 टन धान खरीद हुई थी जबकि इस वर्ष 15845 टन धान खरीद हुई है। वहीं दूसरी ओर कौशाम्बी जिले की सबसे बड़ी अनाज मंडी, मंझनपुर ओसा मंडी में पांच दिन पहले ही सरकारी केंद्रों की शुरुआत हुई और अभी तक भारतीय खाद्य निगम और  उत्तर प्रदेश एग्रो सरकारी केंद्र पर क्षेत्र के एक भी किसान ने धान नहीं तौलाया है।

कौशाम्बी जिले के किसानों का आरोप है कि मंझनपुर मंडी के सरकारी केंद्रों पर किसानों से सिर्फ दो क़िस्म के धान की खरीद हो रही है, मंसूरी और दामिनी। इन दो किस्मों के अलावा धान पैदा करने वाले किसान बिचौलियों के माध्यम से बगैर एमएसपी का लाभ उठाये औने-पौने दामों पर अपना धान बेच रहे हैं।

1_41.JPG

किसान अनय उपाध्याय लगभग पचास कुंतल धान एक बिचौलिये के माध्यम से मंझनपुर मंडी लेकर आये हैं। अनय 1868 रुपये प्रति कुंतल का धान मंडी में ही 768 रुपये के नुकसान के साथ 1100 रुपये में बेचकर घर जा रहे हैं। यह स्थिति अकेले अनय उपाध्याय की ही नहीं है बल्कि जिले के लगभग सभी किसानों की यही स्थिति है।
 
‘पराली के भाव धान बेचने को मजबूर’

कृषि कानूनों के खिलाफ हो रहे आंदोलन के बीच खाद्य व कृषि संगठन (एफएओ) की 75वीं वर्षगांठ पर शुक्रवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक बार फिर दोहराया है कि सरकार न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर कृषि फसलों की खरीद को प्रतिबद्ध है। एमएसपी और सरकारी खरीद को देश की खाद्य सुरक्षा का अभिन्न अंग बताते हुए पीएम मोदी ने कहा कि मंडी के बुनियादी ढांचे को बेहतर करने के प्रयास किये जा रहे हैं। ताकि वैज्ञानिक तरीके एमएसपी खरीद प्रक्रिया जारी रहे।

जबकि किसान प्रधानमंत्री के वादे के बिल्कुल उलट स्थिति का सामना कर रहे हैं। उत्तर प्रदेश में धान का एमएसपी के तहत सरकारी रेट दो श्रेणियों में विभाजित कर तय की गया है, पहली श्रेणी में सामान्य धान 1868 रुपये प्रति कुंतल है तो दूसरी श्रेणी में अच्छे धान (ग्रेड ए) 1888 रुपये प्रति कुंतल है। लेकिन उत्तर प्रदेश के किसान 1000 से लेकर 1200 रुपये प्रति कुंतल तक बेचने को मजबूर हैं।

किसान अनय उपाध्याय बताते हैं कि सरकार धान पैदा करने के समय किसानों को 6444 धान के बीज पर छूट देती है लेकिन जब धान पैदा हो जाता है तो उसकी खरीद नहीं करती है। किसानों को अपना धान पराली के भाव बेचना पड़ता है। वे कहते हैं कि सरकार सामान्य धान का 1868 रुपये मूल्यांकन रेट तय की है लेकिन हम 1100 रुपये में बेच रहे हैं। अनय सवाल उठाते हैं कि जब सरकार 6444 धान के बीज पर छूट देती है तो उसे क्यों नहीं खरीदती है?

2_41.JPG

उत्तर प्रदेश के कौशाम्बी जिले में धान की पैदावार अन्य जिलों की अपेक्षा अधिक होती है। मंझनपुर मंडी से लगभग सात किलोमीटर दूर कादिराबाद गांव के किसान चंद्रभान यादव ने दस बीघा में पायनियर धान पैदा किया है। चन्द्रभान इस बार की पैदावार से संतुष्ट हैं लेकिन वे गांव में ही एक व्यापारी को 1120 रुपये प्रति कुंतल के भाव से अपना धान बेच रहे हैं। कारण पूछने पर बताते हैं कि मंडी में सरकारी केंद्रों पर सिर्फ दो किस्म के धान की खरीद हो रही है। इसलिए मजबूरी में बेचना पड़ रहा है।

चन्द्रभान कहते हैं कि मंडी में कोई किसी की सुनता नहीं, मनमानी चल रहा है। बाद में उनके निर्धारित लक्ष्य से धान जब कम पड़ेगा तो व्यपारियों से खरीदकर कोटा पूरा कर लेंगे। लेकिन किसान से नहीं खरीदेंगे। सरकारी केंद्रों पर दामिनी और मंसूरी धान की खरीद हो रही है लेकिन हमारे खेत ऐसे नहीं कि धानों की यह दोनों किस्म पैदा किया जा सके। इसलिए हम पायनियर या 6444 पैदा करते हैं।

चन्द्रभान बताते हैं कि वे पिछली बार पायनियर धान 1350 रुपये में बेचे थे लेकिन इस बार एमएसपी 53 रुपये प्रति कुंतल बढ़ने के बाद भी 1120 रुपये में बेचना पड़ रहा है।

एमएसपी के नाम पर किसानों से ठगी क्यों?

हमने किसानों के आरोपों की सच्चाई जानने के लिए कौशाम्बी की बड़ी अनाजमंडी, मंझनपुर के सरकारी केंद्रों पर जाकर देखा तो किसानों के आरोप किसी हद तक सच साबित हुए। पूर्वी उत्तर प्रदेश के जिलों में सरकारी केंद्रों पर धान खरीद 15 अक्टूबर से 28 अक्टूबर तक होगी। मंझनपुर मंडी के सरकारी केंद्र सूने पड़े हैं वहीं दूसरी ओर प्राइवेट आढ़तों पर धान खरीद जारी है।

मंझनपुर मंडी में अभी तक कुल चार सरकारी केंद्रों उत्तर प्रदेश एग्रो, एफसीआई, विपणन और केकेएन  पर धान खरीद शुरू हो चुकी है। फूड कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया (एफसीआई) का मंझनपुर मंडी में कुल धान खरीद का लक्ष्य बीस हजार कुंतल का है। लेकिन अभी तक एफसीआई केंद्र तक कुछ किसानों के धानों के सैम्पल ही पहुंचे हैं। जबकि एफसीआई केंद्र का कहना है कि वे किसानों से लगातार संपर्क कर रहे हैं।

3_27.JPG

कौशाम्बी जिले के किसान संजय पांडेय अपना धान लेकर मंडी में आये हैं लेकिन वे एमएसपी पर अपना धान नहीं बेच पा रहे हैं। कारण पूछने पर गुस्से में बताते हैं कि उनका धान सरकार नहीं खरीद रही है इसलिए उन्हें 1100 में धान बेचना पड़ रहा है।

संजय पांडेय कहते हैं कि पराली जलती है तो उसका धुंआ विधानसभा में पहुंच जाता है लेकिन किसानों का धान 1100 में बिकता है तो किसी को पता नहीं चलता है। संजय पांडेय गुस्से में कहते हैं कि पिछली बार भाजपा को वोट दिया था लेकिन इसबार नहीं दूंगा।

सरकारी केंद्र उत्तर प्रदेश एग्रो पर जब हमने जानना चाहा कि सिर्फ दो किस्म के धान की ही खरीद क्यों हो रही है तो यूपी एग्रो कर्मचारी राहुल कुमार बताते हैं कि ग्रेड ए धान में 67 फीसदी रिकवरी नहीं है, कुछ कॉमन धान में भी 67 फीसदी चावल की रिकवरी नहीं है इसलिए केंद्र पर ऐसे धान की खरीद नहीं हो रही है जिसमें एक कुंतल में 67 किलो चावल न निकले। यदि हम एमएसपी पर ऐसे धान खरीद लेते हैं जिसमें 67 फीसदी रिकवरी नहीं है तो सरकार बाद में हमसे वह धान नहीं खरीदेगी। सरकार ऐसे ही धान खरीदती है जिस धान में 67 फीसदी की रिकवरी होती है।

4_24.JPG

कौशाम्बी जिलाधिकारी ने किसानों की सरकारी केंद्रों पर धान खरीद समस्या पर दो टूक कहा कि "जिस धान की 67 फीसदी निकासी होती है एफसीआई उसी धान की उठान उठान करता है, वर्ना नहीं करता है। हर जगह यही स्थिति है और यह आज नहीं हमेशा से होता है।"

एफसीआई के एक अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि एफसीआई को किसानों के सभी किस्म का धान खरीदने में कोई दिक्कत नहीं है लेकिन सरकार का दबाव है कि उसे वही धान चाहिए जिसमें 67 फीसदी तक की निकासी हो। दामिनी और मंसूरी ऐसे धान हैं जिसमें लगभग 67 फीसदी की निकासी हो जाती है जबकि अन्य धानों की किस्मों में 67 फीसदी की निकासी मुश्किल हो जाता है। सरकार को यह नियम बदलना ही चाहिए।

आपको बता दें कि सरकार जिस धान को खरीद में प्राथमिकता दे रही है उसे कुछ किसान ही पैदा करते हैं, और वे भी बहुत कम मात्रा में। जैसा किसानों ने बताया कि दामिनी और मंसूरी इन दोनों धानों में अधिक पानी और देखभाल की आवश्यकता होती है। इन दो किस्मों में गंडो (फंगस) भी ज्यादा लगता है। यह धान पछाड़ी भी होता है, और अभी यह धान खेत में खड़ा भी है। किसान इसलिए भी यह धान नहीं पैदा करते क्योंकि उन्हें अगली खेती यानी गेहूं, आलू, चना, मटर, सरसों की खेती करनी रहती है।

यहां मुख्य सवाल ये है कि जब किसान सामान्य धान ज़्यादा उगाता है और सरकार ने उसकी एमएसपी भी तय की है तो उसे फिर खरीदती क्यों नहीं। ऐसे में आख़िर आम किसान कहां जाए।

(गौरव गुलमोहर स्वतन्त्र पत्रकार हैं।)

UttarPradesh
UP farmer
farmer
farmer crises
paddy farmers
Paddy MSP
Yogi Adityanath
yogi government
Farmer Crisis in UP
Narendra modi
BJP

Trending

मानेसर: वेतन बढ़ोतरी की मांगों को लेकर हजारों मजदूरों ने काम किया बंद, बैठे हड़ताल पर
खुला पत्र: मीलॉर्ड ये तो सरासर ग़लत है, नहीं चलेगा!
बलात्कार मामले में CJI की टिप्पणी, मानेसर में कर्मचारियों का कामबंद और अन्य
मोदी राज में सूचना-पारदर्शिता पर तीखा हमला ः अंजलि भारद्वाज
आइए, बंगाल के चुनाव से पहले बंगाल की चुनावी ज़मीन के बारे में जानते हैं!
एक बेटी की रुदाली

Related Stories

Writers' Building
अजय कुमार
आइए, बंगाल के चुनाव से पहले बंगाल की चुनावी ज़मीन के बारे में जानते हैं!
02 March 2021
साल 2019 के बाद पहली बार पांच राज्यों के एक साथ होने वाले चुनावों की घोषणा चुनाव आयोग के जरिए की जा चुकी है। चुनावी शेड्यूल के मुताबिक बंगाल की खाड
एक बेटी की रुदाली
न्यूज़क्लिक टीम
एक बेटी की रुदाली
02 March 2021
यूपी का फ़ेसियल रिकॉग्निशन तकनीक के इस्तेमाल का मक़सद भेदभाव वाला बर्ताव तो नहीं ?
मुअज्जम नासिर, आशीष कुमार
यूपी का फ़ेसियल रिकॉग्निशन तकनीक के इस्तेमाल का मक़सद भेदभाव वाला बर्ताव तो नहीं ?
02 March 2021
फ़ेशियल रिकॉग्निशन तकनीक में एक तरह की ढांचागत कमी है। डेटासेट मानव रूप से डिज़ाइन किये गये हैं। अगर ऐतिहासिक आपराधिक डेटा को एल्गोरिथ्म में डा

Pagination

  • Next page ››

बाकी खबरें

  • मानेसर
    न्यूज़क्लिक टीम
    मानेसर: वेतन बढ़ोतरी की मांगों को लेकर हजारों मजदूरों ने काम किया बंद, बैठे हड़ताल पर
    02 Mar 2021
    देश में कोरोना के बाद जहां एक तरफ सरकार द्वारा दावा किया जा रहा है कि आम जन जीवन पटरी पर लौटा रहा है लेकिन इसके विपरित मजदूरों पर अब कोरोना की आड़ में लिए गए मजदूर विरोधी कदम के दुष्परिणाम सामने आ…
  • SC
    भाषा सिंह
    खुला पत्र: मीलॉर्ड ये तो सरासर ग़लत है, नहीं चलेगा!
    02 Mar 2021
    ऐसा लगता है कि बलात्कार और यौन उत्पीड़न पर जो व्यापक महिला पक्षधर समझदारी निर्भया कांड के बाद जस्टिस वर्मा कमेटी की सिफारिशों से बनी थी, वह धुंधली पड़ती जा रही है।
  • daily
    न्यूज़क्लिक टीम
    बलात्कार मामले में CJI की टिप्पणी, मानेसर में कर्मचारियों का कामबंद और अन्य
    02 Mar 2021
    आज के डेली राउंड-अप में शुरुआत करेंगे उच्चतम न्यायलय में चल रही एक सुनवाई से, जहाँ CJI AS Bobde ने नाबालिग़ लड़की से दुष्कर्म के आरोपी से यह सवाल पूछ लिया की "क्या तुम लड़की से शादी करोगे", इस मामले…
  • Writers' Building
    अजय कुमार
    आइए, बंगाल के चुनाव से पहले बंगाल की चुनावी ज़मीन के बारे में जानते हैं!
    02 Mar 2021
    हार जीत के अलावा थोड़ा इस पहलू पर नजर डालते हैं कि चुनाव के लिहाज से पश्चिम बंगाल की पृष्ठभूमि क्या है?
  • एक बेटी की रुदाली
    न्यूज़क्लिक टीम
    एक बेटी की रुदाली
    02 Mar 2021
    उत्तर प्रदेश में एक और सनसनीखेज मामला सामने आया हैI एक लड़की के रुदाली का वीडियो. मुद्दा यह है कि उसके पिता की हत्या कर दी गई और वह भी उस शख्स द्वारा जिसने आज से करीब ढाई साल पहले उसकी बेटी के साथ…
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें