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यूपी: केजीएमयू की नर्स कोरोना पॉजिटिव, बीमारी के बावजूद ड्यूटी लगाए जाने का आरोप

उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी (केजीएमयू) के ट्रॉमा सेंटर की नर्स कोरोना से संक्र‍मित मिली है। आरोप है कि नर्स को जुकाम, बुखार होने के बावजूद आईसीयू में ड्यूटी लगाई गई।  
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Image courtesy: Shiksha

लखनऊ: उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी (केजीएमयू) में ड्यूटी पर तैनात नर्स के कोरोना टेस्ट पॉज़िटिव होने से हड़कंप मच गया। कोरोना के लक्षण स्पष्ट दिखते हुए भी 51 वर्षीया नर्स को ड्यूटी लगाने से केजीएमयू प्रशासन पर लापरवाही नज़र आ रही है।

केजीएमयू में लापरवाही का यह पहला उदाहरण नहीं है। इससे पहले 13 अप्रैल को एक वरिष्ठ डॉक्टर ने कोरोना संक्रमित मरीज़ को केजीएमयू के ट्रॉमा सेंटर (कैजअल्टी) में भर्ती करा दिया था। जिससे प्रतिदिन आने वाले सैकड़ों मरीज़ों की जान को ख़तरा पैदा गया था। बाद में कोरोना संक्रमित रोग़ी की मौत हो गई थी।

अब शनिवार की रात कोरोना के लक्षण वाली नर्स की ड्यूटी क्रिटिकल केयर मेडिसिन विभाग में लगाकर वहां भर्ती मरीज़ों को ख़तरे में डाल दिया गया। जब संक्रमित नर्स वहां ड्यूटी दे रही थी उस समय विभाग में क़रीब 14 मरीज़ वेंटिलेटर पर भर्ती थे। विभाग में गंभीर रोगियों को वेंटिलेटर पर रखा जाता है।

उल्लेखनीय है कि पुराने शहर के नक्ख़ास में रहने वाली नर्स को सर्दी, जुकाम और बुख़ार के बावजूद 25 अप्रैल की रात सीसीएम विभाग में ड्यूटी पर लगाया गया। सूत्र बताते हैं कि नर्स केजीएमयू में संविदा पर काम करती है। वह 21 अप्रैल की रात तक ड्यूटी थी लेकिन सुबह वह अपनी तबियत ख़राबी की बात बताकर छुट्टी लेकर चली गयी थी। छुट्टी लेते समय उसने सर्दी, जुकाम और बुख़ार की बात बता दी थी।

नर्स के पास 24 अप्रैल को फ़ोन आया कि तुरंत ड्यूटी पर आयें वरना नौकरी भी जा सकती है। वह 25 अप्रैल की रात 8 बजे से दोबारा ड्यूटी पर तैनात हो गई। जब उसकी तबियत ज़्यादा बिगड़ी तो उसने इसके बारे में वार्ड प्रभारी को बताया।

जिसके बाद उसके लक्षण देखते हुए एक रेज़िडेंट डाक्टर ने नर्स को संदिग्ध वार्ड में भर्ती कराया। बाद में कोरोना की जांच के लिए नमूना लिया गया। रविवार की सुबह नर्स की रिपोर्ट पॉज़िटिव आने से हड़कंप मच गया। नर्स के कोरोना पॉज़िटिव होने की पुष्टि होने के बाद वार्ड में भर्ती सभी मरीज़ों और 25 केजीएमयू कर्मचारियों (डॉक्टरों समेत) को क्वॉरंटीन कर दिए गए है।

केजीएमयू कर्मचारी परिषद ने कहा है कि स्टाफ़ को ड्यूटी पर रोस्टर प्रणाली पर बुलाया जाए।परिषद के अध्यक्ष प्रदीप गंगवार का कहना कि अगर रोस्टर प्रणाली लागू नहीं हुई तो भविष्य में  क्रिटिकल केयर मेडिसिन विभाग की तरह दूसरे विभागों का काम भी ठप हो जाएगा। प्रदीप गंगवार के अनुसार अगर रोस्टर प्रणाली से ड्यूटी लगे तो कुछ कर्मचारी अगर संक्रमित होते हैं, तो दूसरे काम को संचालित रख सकेंगे।

कर्मचारी परिषद का कहना है कि इस समय केजीएमयू प्रशासन का स्टाफ़ पर बहुत दबाव है, लेकिन ड्यूटी लगाने से पहले कर्मचारी की स्वास्थ्य की हालत भी देखना चाहिए। बता दें कि कोरोना प्रकोप के बाद से कई बार केजीएमयू को अपनी अलग-अलग इकाइयाँ बंद करनी पड़ी हैं।

केजीएमयू प्रशासन का कहना है कि संक्रमित नर्स के सम्पर्क में आने वाले सभी डॉक्टरों और कर्मचारियों को तुरंत क्वॉरंटीन कर दिया गया है। यूनिवर्सिटी के प्रवक्ता डॉक्टर सुधीर सिंह के अनुसार नर्स के परिवार को भी उसके कोरोना होने की सूचना दे दी गई है और उन्हें भी क्वॉरंटीन में रहने को कहा गया है।

सीसीएम विभाग में आने-जाने पर रोक लगा दी गई है। यह प्रश्न करने पर की नर्स को ख़राब स्वास्थ्य के बावजूद ड्यूटी पर क्यूँ और किसने बुलाया। उन्होंने कहा यह सारी जाँच की रिपोर्ट आने के बात बताया जा सकता है। फ़िलहाल यह जाँच हो रही है कि नर्स संक्रमित कैसे हुई।

ट्रॉमा के डॉक्टर संदीप तिवारी ने बताया कि सीसीएम में भर्ती सभी रोगियों और वहाँ तैनात सभी मेडिकल स्टाफ़ की कोरोना रिपोर्ट जाँच के लिए भेजी गईं हैं। जब रिपोर्ट आ जाएगी तब विभाग को दोबारा शुरू करने पर विचार किया जाएगा।

इसके अलावा सीसीएम विभाग अभी सील कर दिया गया है। फ़िलहाल विभाग में नये मरीज़ों को नहीं लिया जा रहा है और केवल रविवार को ही क़रीब 05 रोगियों को बिना भर्ती हुए लौटना पड़ा।

केजीएमयू के ट्रॉमा सेंटर में इस से पहले भी बड़ी लापरवाही सामने आई थी। जब कैजुअल्टी वार्ड में कोरोना पॉजिटिव रोग़ी भर्ती कर दिया गया। केजीएमयू के सूत्रों के मुताबिक उसे वहां एक डॉक्टर की सिफारिश पर भर्ती किया गया। इस घटना के रोग़ी के संपर्क में आए 13 रेजिडेंट डॉक्टरों के साथ ही 52 और मेडिकल कर्मचारियों को 14 दिन के लिए क्वारंटीन करना पड़ा था।

केजीएमयू चिकित्सा विशेषज्ञों के अनुसार उस समय इस ग़लती से निपटने के लिए ट्रॉमा सेंटर के मेडिसिन विभाग को सील करना पड़ा था और कैजुअल्टी की धुलाई की गई थी। क्योंकि ट्रामा में भर्ती अन्य मरीजों पर भी कोरोना वायरस का खतरा मंडरा रहा था।

उल्लेखनीय है कि इस पहले भी केजीएमयू के रेज़िडेंट डॉक्टर कोरोना से संक्रमित हो गया था।हालाँकि वह अब स्वस्थ हैं और उन्होंने प्लाज़्मा भी डोनेट (दान) किया है। उत्तर प्रदेश स्वस्थ विभाग से प्राप्त आँकड़ों के अनुसार 26 अप्रैल (रविवार) शाम 07 बजे तक लखनऊ में कोरोना के पुष्ट रोगियों की संख्या 194 है।

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