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एमएलसी चुनाव: बनारस में बाहुबली बृजेश सिंह की पत्नी के आगे दीन-हीन क्यों बन गई है भाजपा?

पीएम नरेंद्र मोदी का दुर्ग समझे जाने वाले बनारस में भाजपा के एमएलसी प्रत्याशी डॉ. सुदामा पटेल ऐलानिया तौर पर अपनी ही पार्टी के दिग्गज नेताओं, पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं पर आरोप जड़ रहे हैं कि वो अंदरखाने माफिया बृजेश सिंह की पत्नी अन्नपूर्णा सिंह का समर्थन कर रहे हैं। सिर्फ समर्थन ही नहीं, उनके प्रभाव में आकर उनके लिए काम भी कर रहे हैं।
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वाराणसी में नामांकन के समय बाहुबली बृजेश सिंह की पत्नी अन्नपूर्णा सिंह अपने समर्थकों के साथ

उत्तर प्रदेश के वाराणसी में स्थानीय प्राधिकारी निर्वाचन क्षेत्र की हाईप्रोफाइल सीट पर भाजपा की हालत दीन-हीन जैसी है। एमएलसी चुनाव में इस सीट पर भाजपा को बाहुबली बृजेश सिंह की पत्नी अन्नपूर्णा सिंह से तगड़ी चुनौती मिल रही है। पीएम नरेंद्र मोदी का दुर्ग समझे जाने वाले वाराणसी में भाजपा के एमएलसी प्रत्याशी डॉ. सुदामा पटेल ऐलानिया तौर पर अपनी ही पार्टी के दिग्गज नेताओं, पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं पर आरोप जड़ रहे हैं कि वो अंदरखाने माफिया बृजेश सिंह की पत्नी अन्नपूर्णा सिंह का समर्थन कर रहे हैं। सिर्फ समर्थन ही नहीं, उनके प्रभाव में आकर अन्नपूर्णा सिंह के लिए काम भी कर रहे हैं। एमएलसी चुनाव में बनारस, चंदौली और भदोही के 4949 मतदाता भाजपा, सपा और निर्दल अन्नपूर्णा सिंह के भाग्य का फैसला करेंगे। 

यूपी में विधान परिषद की 36 सीटों के लिए नौ अप्रैल को वोट डाले जाएंगे। बनारस सीट पर बाहुबली बृजेश सिंह की पत्नी जहां निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में भाग्य आजमा रही हैं तो भाजपा के डा. सुदामा पटेल और सपा के उमेश यादव के मैदान में उतरने से यहां लड़ाई तिकोनी हो गई है। आमतौर पर यही माना जाता है कि जो पार्टी सत्ता में होती है, एमएलसी चुनाव में विजय पताका भी वही पार्टी फहराया करती है। लेकिन बनारस में स्थिति उल्टी है। इस सीट पर पिछले दो दशक से कपसेठी हाउस का कब्जा है और उसके वर्चस्व को तोड़ पाना भाजपा के लिए आसान नहीं हैं। यह स्थिति तब है जब पीएम नरेंद्र मोदी इस सीट के लिए होने वाले प्रतिष्ठापरक चुनाव में खुद भी वोटर हैं। 

क्यों घबरा रहे भाजपा प्रत्याशी? 

एमएलसी चुनाव में भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी डॉ. सुदामा पटेल बाहुबली एमएलसी बृजेश सिंह के प्रभाव से बहुत ज्यादा घबराए हुए नजर आ रहे हैं। उन्होंने कुछ रोज पहले भाजपा के कुछ नेताओं पर माफिया की पत्नी अन्नपूर्णा सिंह के पक्ष में चुनाव प्रचार करने का आरोप लगाकर सनसनी फैला दी थी। उन्होंने यहां तक कह दिया था कि भाजपा के कुछ लोग बृजेश सिंह की पत्नी को जिताने में लगे हुए हैं। जो लोग ऐसा कर रहे हैं उनके बारे में हमें पूरी जानकारी है। भाजपा प्रत्याशी डा.सुदामा कहते हैं, "यूपी में भाजपा की सरकार है और इस चुनाव में हम सभी की प्रतिष्ठा दांव पर है। फिर भी कुछ लोग मोदी जी के गढ़ में हमें चुनाव हराने में लगे हुए हैं। हमारे खिलाफ भाजपा में ही गोलबंदी की जा रही है। यह गोलबंदी वो लोग कर रहे हैं जो पैसे के भूखे हैं। बृजेश सिंह वाराणसी के सेंट्रल जेल में बंद हैं और यहीं चुनाव भी हो रहा है। सेंट्रल जेल में उनसे मिलने-जुलने वालों का तांता लगा रहता है।" 

भाजपा नेताओं के साथ पार्टी के प्रत्याशी डा. सुदामा पटेल

"वाराणसी एमएलसी सीट पर उनके परिवार का सालों-साल से कब्जा है। वह जब अंडरग्राउंड थे तब भी उन्हीं के प्रभाव से ही उनके बड़े भाई एमएलसी चुने जाते थे। आज भी लोग उनके प्रभाव को समझते हैं और डरते हैं कि यदि वह सुदामा पटेल का चुनाव प्रचार करेंगे तो चिह्नित हो जाएंगे। बृजेश सिंह के पास करोड़ों की दौलत है। उनका बड़ा साम्राज्य है, इसलिए उनकी ओर से पैसे भी बांटे जा रहे हैं। हमारे पास इतनी दौलत नहीं है हम मतदाताओं को दे सकें। हमने भाजपा में रहकर सत्य और न्याय के रास्ते पर चलना सीखा है। आगे भी इसी रास्ते पर चलते रहेंगे।"

एमएलसी चुनाव में धनबल और बाहुबल का आरोप ऐलानिया तौर पर लगा रहे डॉ. सुदामा यह भी कहते हैं, "अपराध के कारण पूर्वांचल में बृजेश का साम्राज्य पहले से ही बना हुआ है। हमें कोई धमकी वगैरह तो नहीं मिली है, लेकिन हमारा चुनाव प्रचार जरूर प्रभावित हो रहा है। जब बड़े बाहुबली के परिवार को कोई शख्स चुनाव मैदान में होता है तो कई कार्यकर्ता साइलेंट हो जाते हैं और कुछ डर कर खुद ही दूरी बना लेते हैं। लोगों में डर का माहौल है।" डॉ. सुदामा पटेल ने अभी तक चुनाव प्रचार प्रभावित होने की शिकायत निर्वाचन आयोग से नहीं की है। वह सीएम योगी आदित्यनाथ को अपनी मुश्किलें बता चुके हैं। भाजपा हाईकमान के निर्देश का इंतजार कर रहे हैं। ऊपर से निर्देश मिलेगा तो शिकायत भी करेंगे। 

एक तीर से दो निशाना 

बनारस के वरिष्ठ पत्रकार एवं चुनाव विश्लेषक प्रदीप कुमार कहते हैं, "एमएलसी चुनाव में भाजपा एक तीर से दो निशाने साध रही है। बाहुबली बृजेश सिंह से भाजपा का प्रेम कई बार उजागर हो चुका है। चेहरे पर महीन सा पर्दा डालने के लिए भाजपा ने डॉ. सुदामा पटेल को टिकट दिया है। उन्हें तो बलि का बकरा बनाया गया है। ख़ानापूर्ति के लिए भाजपा नेता कुछ जगहों पर बैठक कर रहे हैं। सिर्फ कमेरा समाज में यह संदेश देने की कोशिश की जा रही है कि भाजपा उनके साथ हैं। दूसरी ओर, डॉ. सुदामा की कोई मदद न करके अंदर ही अंदर उनके सारे लोग अन्नपूर्णा सिंह के लिए काम कर रहे हैं। हमें लगता है कि भाजपा की कोशिश है कि अन्नपूर्णा सिंह जीत जाएं और पटेल समुदाय में यह संदेश भी चला जाए कि भाजपा उनके समाज के साथ शिद्दत से खड़ी है। हालांकि भाजपा प्रत्याशी सुदामा पटेल ने अपने बयान से सनसनी जरूर फैला दी है, जिससे इनका खेल थोड़ा पंचर हो गया है। ड़ा. सुदामा पटेल जब खुलेआम आरोप लगा रहे हैं कि भाजपा के लोग उनका साथ नहीं दे रहे हैं तो भाजपा के राष्ट्रीय अथवा प्रदेश स्तर के नेता खामोश क्यों है? इस बाबत किसी भाजपा नेता का अभी तक कोई बयान अथवा स्पष्टीकरण क्यों नहीं आया है? "  

भाजपा की सियासी चालों से पर्दा उठाते हुए प्रदीप यह भी कहते हैं, "एमएलसी चुनाव में पीएम नरेंद्र मोदी खुद बनारस के मतदाता हैं। बनारस में जब भी कोई चुनाव होता है, पीएम यहां जरूर आते हैं। वह अक्सर प्रचार भी करते हैं। ऐसे में उन्हें बनारस आना चाहिए। वोटरों की बैठक बुलाकर भाजपा प्रत्याशी को जिताने के लिए अपील करनी चाहिए। भाजपा के पास तो सत्ता की ताकत और मजबूत संगठन भी है। वह चाहे तो अपने प्रत्याशी को विधान परिषद में ज़रूर भेज सकती है, लेकिन दूसरे सीटों पर जबर्दस्त तरीके से सक्रियता दिखाने वाली भाजपा की चुप्पी और निष्क्रियता बहुत कुछ कहती है।"

"यूपी के लोग देख चुके हैं कि एमएलसी चुनाव के नामांकन के समय भाजपा के लोगों ने कैसा खेल खेला था? यूपी में कई जगहों पर नामांकन करने जा रहे विपक्षी प्रत्याशियों के पर्चे फाड़े गए और मारपीट तक की गई। गाजीपुर में एक निर्दलीय प्रत्याशी को पकड़ने के लिए तमाम जगहों पर दबिशें तक दी गईं। आखिर वह कौन सी वजह है कि भाजपा बनारस सीट पर दीन-हीन बनी हुई है? भाजपा के अधिकृत प्रत्याशी डा. सुदामा पटेल अगर अपने नेताओं पर खुलेआम यह आरोप लगे हैं कि भाजपा के लोग हमारे साथ खड़े नहीं हैं तो सियासत के गलियारों में इसका निहितार्थ क्या निकाला जाएगा? सुना जा रहा है कि ज्यादातर वोटरों के पास बाहुबल का पैसा पहुंच गया है। समझने की बात यह है कि भाजपा अगर माफिया बृजेश सिंह की पत्नी को सचमुच हराना चाहती है तो वह बनारस में दोरंगी चाल क्यों चल रही है? "

कपसेठी हाउस के कब्जे में सीट 

वाराणसी में स्थानीय प्राधिकारी निर्वाचन सीट पर पिछले दो दशक से बाहुबली बृजेश सिंह के परिवार यानी कपसेठी हाउस का कब्जा रहा है। इस सीट पर साल 1998 में बृजेश सिंह के भाई उदयनाथ सिंह ने पहली बार जीत हासिल की थी। उन्होंने 2004 का चुनाव भी जीता। दोनों ही बार बीजेपी के टिकट पर चुनाव लड़े। उदयनाथ सिंह के निधन के बाद साल 2010 में बृजेश सिंह की पत्नी अन्नपूर्णा सिंह बसपा के टिकट पर चुनाव मैदान में उतरी और जीत गईं। बाद में उन्हें पार्टी से निकाल दिया गया। पिछली मर्तबा यानी 2016 में बृजेश सिंह खुद मैदान में उतर गए। भाजपा ने उन्हें वाकओवर दिया। उनके खिलाफ प्रत्याशी मैदान में नहीं उतारा। बृजेश सिंह ने समाजवादी पार्टी की मीना सिंह को हरा दिया। मीना सिंह, भाजपा विधायक एवं बृजेश के भतीजे सुशील सिंह के प्रतिद्वंद्वी रहे सपा नेता मनोज सिंह डब्लू की बहन हैं। साल 2012 के डब्लू ने यूपी विधानसभा का चुनाव बृजेश सिंह को चंदौली की सैयदराजा सीट से हराया था। अबकी बृजेश की पत्नी अन्नपूर्णा सिंह फिर मैदान में हैं। इनके समर्थक चिरपरचित अंदाज में अपनी मजबूती के लिए काम कर रहे हैं। दूसरी ओर, भाजपा प्रत्याशी डा. सुदामा सिंह के तीखे बयान से पार्टी के नेता असहज महसूस कर रहे हैं। उन्हें जनता के सवालों का जबाद देना भारी पड़ रहा है। 

भाजपा के एमएलसी प्रत्याशी डा. सुदामा पटेल से ‘न्यूजक्लिक’ ने लंबी बात की। वह कहते हैं, "भाजपा हाईकमान के निर्देश पर हम मैदान में उतरे हैं। नामांकन समय भी हमारे साथ सिर्फ एक विधायक आए थे। बाकी मंत्री बनने के लिए परेशान थे और लखनऊ दौड़ रहे। हमने भाजपा के राष्ट्रीय संगठन महामंत्री बीएल संतोष से चुनाव लड़ने की इच्छा जताई थी। टिकट देते समय हमसे कहा गया था कि बिकना नहीं। हमें खरीदने की बहुत कोशिशें हुईं। फिर भी हम नहीं बिके। मजबूती से लड़ रहे हैं और चुनाव जीतेंगे भी।" धन और बल के इस्तेमाल के डा. सुदामा पटेल साफ-साफ कहते हैं, "चुनाव में सब दिख रहा है। उनका बल भी दिख रहा है और धन भी। उनके पास अकूत दौलत है। मैं पिछड़े समाज से हूं। मैं चुनाव हारता हूं तो भाजपा के साथ-साथ पिछड़े और दलित समाज की हार होगी। माफिया बृजेश सिंह पांच साल से जेल में हैं और एमएलसी है। उन्होंने जनता का कोई सरोकार नहीं। उनकी ज्यादा उम्र फरारी में कटी और अब जेल में कट रही है। समाज में उन्होंने कोई काम नहीं किया। धनबल और बाहुबल का प्रदर्शन करने वाले जनता के लिए भला क्या काम करेंगे? उनसे तो लोगों को जान बचाना ही मुश्किल है।"

भाजपा प्रत्याशी डा. सुदामा सिंह पटेल यहीं नहीं रुकते। वह कहते हैं, "हमें डमी प्रत्याशी वही लोग बता रहे हैं जो हमारी पार्टी में रहकर सिर्फ दलाली करते हैं। शायद वो भूल गए हैं कि बनारस में पीएम मोदी के विकास की गंगा बहती है। प्रधानमंत्री को खुद हमारी चिंता है। बृजेश सिंह के भतीजे भाजपा विधायक सुशील सिंह अब हमारा प्रचार कर रहे हैं। नौबतपुर और जसुरी में बैठकें हो चुकी हैं। जहां हमारे विधायक नहीं, वहां दूसरे जिले के विधायक बैठकों में हिस्सा ले रहे हैं। हमने अपनी समस्या सीएम योगी आदित्यनाथ को बता दी है। चुनाव जीतने के लिए पार्टी ने गाइडलाइन तय कर दी है। हर विधायक ब्लाकवार बैठकें कर रहा है, लेकिन कार्यकर्ताओं का चुप रहना हमें खल रहा है।"  

भाजपा के एमएलसी प्रत्याशी के बयानों पर गौर किया जाए तो इस चुनाव में पार्टी में काफी विसंगति दिख रही है। बड़ा सवाल यह है कि आखिर वो कौन लोग हैं जो बृजेश सिंह के प्रभाव में आकर पार्टी प्रत्याशी के खिलाफ प्रचार कर रहे हैं, मगर उनका चेहरा सामने नहीं आ रहा है? एमएलसी चुनाव की प्रशासनिक तैयारी अंतिम दौर में है। इस चुनाव में समाजवादी पार्टी ने उमेश यादव को अपना प्रत्याशी बनाया है। पूर्व विधायक अन्नपूर्णा सिंह इस चुनाव को अबकी पहले से ज्यादा गंभीर नजर आ रही हैं। पिछली मर्तबा तो भाजपा ने खुद बृजेश सिंह का समर्थन किया था। इस पार्टी ने उनके खिलाफ कोई प्रत्याशी मैदान में नहीं उतारा था। अटकलें लगाई जा रही थीं कि इस बार भी भाजपा कपसेठी हाउस को क्लीन चिट देगी। बनारस में जब भाजपा की किरकिरी होने लगी प्रत्याशी की खोजबीन शुरू होने लगी। चुनाव लड़ने के लिए भाजपा के कई नेताओं को आफर दिया गया, लेकिन कोई भी नेता इस बाहुबली बृजेश सिंह से मुकाबला करने के लिए तैयार नहीं हुआ। भाजपा जब बुरी तरह घिरने लगी तो डा. सुदामा पटेल पर बाजी लगा दी। आखिरी दिन भाजपा विधायक सौरभ श्रीवास्तव के साथ डा.पटेल को पर्चा दाखिल करने के लिए भेजा। फकत एक विधायक और कुछ पदाधिकारियों को छोड़कर ज्यादातर जनप्रतिनिधि चुनावी नेपथ्य से गायब हैं।

बनारस में चुनाव प्रचार करते सपा प्रत्याशी उमेश यादव 

मोदी के गढ़ में बाहुबल का जोर? 

पत्रकार अमित मौर्य कहते हैं, "सीएम योगी आदित्यनाथ पर ठाकुरों के खिलाफ सॉफ्ट होने के आरोप लगते हैं। इस वजह से यहां भाजपा ने अपना प्रत्याशी मैदान में उतारा है। बृजेश सिंह की पत्नी के खिलाफ उम्मीदवार उतारकर भाजपा ने अपनी इमेज सुधारने की कोशिश जरूर की है, लेकिन वह इस चुनाव में शिद्दत से लड़ती हुई नहीं दिख रही है। साल 2016 के चुनाव में भाजपा ने इसलिए अपना प्रत्याशी नहीं उतारा था, क्योंकि उस समय भाजपा सत्ता में नहीं थी और उसे सपा के खिलाफ सत्ता विरोधी संदेश भी देना था। इस बार सत्ता में होने की वजह से लाचारी में उसे प्रत्याशी उतारना पड़ा।"

बनारस के वरिष्ठ सपा नेता मनोज राय धूपचंडी दावा करते हैं, "बनारस की एमएलसी सीट जीतने के लिए समाजवादी पार्टी पूरे दम-खम से चुनाव लड़ रही है। पार्टी के वरिष्ठ नेता सुरेंद्र पटेल, शालिनी यादव और उमाशंकर यादव के नेतृत्व में तीन सदस्यीय कमेटी बनाई गई है। यह कमेटी चुनाव संयोजन का काम देख रही है। संभव है कि इस चुनाव में कुछ लोग धनबल और बाहुबल का इस्तेमाल कर रहे हों। यह सोचना तो सत्तारूढ़ दल भाजपा का काम है। भाजपा प्रत्याशी के बयान से जगजाहिर हो चुका है कि भाजपा के तमाम लोग बृजेश सिंह की पत्नी अन्नपूर्णा का सहयोग कर रहे हैं। हमें भी इसमें कुछ सच्चाई दिख रही है, क्योंकि भाजपा के चुनाव प्रचार में न कोई मंत्री दिख रहा है और न ही हमेशा मीडिया में छाई रहने वाली भाजपा का प्रचार।"

माना जाता है कि जो पार्टी सत्ता में होती है, इस चुनाव में विजय पताका वही पार्टी फहराया करती है। बनारस में भाजपा के लिए कपसेठी हाउस का वर्चस्व तोड़ पाना आसान नहीं हैं। नतीजा क्या होगा, इसके लिए 12 अप्रैल तक इंतजार करना होगा। देखना यह है कि पीएम के संसदीय क्षेत्र बनारस में बाहुबली बृजेश सिंह का जोर चलेगा अथवा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का? 

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