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यूपी सरकार का गन्‍ना किसानों को चीनी का ऑफर, किसानों ने कहा- हमें पैसा चाहिए

सरकार किसानों को बकाया के बदले चीनी देने की योजना लेकर आई है। इस योजना के तहत बकाया पैसे से भुगतान करते हुए किसानों को हर महीने एक कुंतल चीनी दी जाएगी। यह योजना तीन महीने (अप्रैल-जून) के लिए लागू रहेगी। वैसे ये योजना वैकल्पिक है, लेकिन किसान इससे खुश नहीं हैं।
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गन्ना किसानों को चीनी मिलों से बकाए के बदले चीनी देने की योजना लायी गयी है.

''लॉकडाउन में सरकार हमें चीनी दे रही है। आप ही बताइए, हम 100 किलो चीनी कहां बेचने जाएंगे? हमें तो हमारा बकाया पैसा चाहिए, वो मिल जाए बस।''

तल्‍ख़ लहजे में यह बात गन्‍ना किसान मनबीर सिंह कहते हैं। मनबीर उत्‍तर प्रदेश के पीलीभीत जिले के दूधियाखुर्द गांव के रहने वाले हैं। उनका करीब 10 लाख रुपया चीनी मिलों पर बकाया है।

मनबीर इस बात से नाराज़ हैं कि चीनी मिलों की ओर से गन्‍ने का पेमेंट वक्‍त पर नहीं किया जा रहा। उल्‍टा सरकार किसानों को बकाया पैसे के बदले चीनी देने की योजना लेकर आई है। इस योजना के तहत बकाया पैसे से भुगतान करते हुए किसानों को हर महीने एक कुंतल (100 किलो) चीनी दी जाएगी। यह योजना तीन महीने (अप्रैल-जून) के लिए लागू रहेगी। वैसे तो इस योजना का लाभ लेना या न लेना किसान पर निर्भर करता है, यानी अगर किसान की इच्‍छा है तो ही वो चीनी ले। इसके बाद भी किसानों को यह योजना उनके जले पर नमक छिड़कने जैसी लग रही है।

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 मनबीर सिंह अपने गन्ने के खेत में 

उत्‍तर प्रदेश में चीनी मिलों पर गन्‍ना किसानों का करीब 12,000 करोड़ रुपये बकाया है। चीनी उत्‍पादन के मामले में देश में सबसे आगे होने के बाद भी उत्‍तर प्रदेश में गन्‍ना किसान पेमेंट को लेकर हमेशा परेशान रहे हैं। इस परेशानी के बीच ऐसी योजना को लेकर भी उनमें उलझन साफ देखी जा रही है। हालांकि उत्‍तर प्रदेश के गन्‍ना मंत्री सुरेश राणा इस योजना को किसानों के लिए लाभकारी बता रहे हैं।

न्‍यूजक्‍लिक के लिए बात करते हुए सुरेश राणा कहते हैं, ''इस योजना को लाने के दो-तीन लॉजिक हैं। हमने कहा है कि तीन महीने तक किसान हर महीने एक कुंतल चीनी ले सकता है। किसान जब शुगर मिल में गन्‍ना लेकर आता है तो उसी पर चीनी ले जा सकता है। इसमें ट्रांसपोर्ट का खर्च भी नहीं होगा। वो इस चीनी का इस्‍तेमाल घर पर कर सकता है।'' 

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''दूसरा यह कि कोरोना की वजह से एक्‍सपोर्ट से लेकर तमाम चीजें प्रभावित हुई हैं। इसलिए भी हमने कहा कि एक मिल पर 50 से 60 हजार किसान होते हैं। अगर इसमें से 25 हजार लोग भी एक कुंतल चीनी उठाते हैं तो एक मिल पर 25 हजार कुंतल की खपत होगी। इसे इस तरह भी देख सकते हैं कि 60 हजार किसान हैं एक शुगर मिल पर, अगर एक ने 3,200 की चीनी उठा ली, यह करीब 18 करोड़ हो गए। अब प्रदेश में करीब 100 चीनी मिलें हैं तो इस हिसाब से 1,800 करोड़ की चीनी का भुगतान होता है। एक पक्ष यह भी है कि किसान की आर्थ‍िक स्‍थ‍िति भी सही होगी।'' - सुरेश राणा कहते हैं

किसानों की आर्थ‍िक स्‍थ‍िति सही होने की जो बात सुरेश राणा कह रहे हैं यही बात इस योजना को लेकर जारी प्रेस नोट में भी कही गई है। इसमें बताया गया है कि इस फैसले से गन्‍ना किसानों को प्रति कुंतल 1,300 से 1,400 रुपये का फायदा होगा। इस फायदे के बारे में अपर गन्‍ना आयुक्‍त योगेश्‍वर मलिक बताते हैं, ''चीनी मिल पर किसान को एक कुंतल चीनी 3,100 तक मिलेगी, बाजार में इसकी कीमत करीब 4,200 से हैं। यह फायदा इसी हिसाब से जोड़कर बताया गया है।'' 

हालांकि इस फायदे के गणित को किसान पूरी तरह नकार देते हैं। किसानों का साफ कहना है कि आज जब बाजार बंद हैं तो वो चीनी बेचने कहां जाएंगे। इस फायदे की बात पर राष्‍ट्रीय किसान मजदूर संगठन के संयोजक सरदार वीएम सिंह कहते हैं, ''ऐसा बताया जा रहा है कि एक कुंतल चीनी के पीछे किसानों को 1,300 से 1,400 का फायदा होगा। यह नहीं बताया जा रहा कि वो चीनी बेचेगा कहां, बाजार तो बंद हैं। अगर किसान जून में चीनी बेचेगा तो उन्‍हें यह फायदा मिलेगा, लेकिन किसानों को तो पैसा आज चाहिए। किसानों को कटाई करनी है, बुवाई करनी है, कोरोना है, घर को सम्‍हालना है, इन हालातों में वो चीनी बेचने कहां जाएगा? आज एक बोरा चीनी बेचने से ट्रैक्‍टर की टंकी नहीं भरेगी।''

सरदार वीएम सिंह इस योजना में किसानों को घाटे की बात भी कहते हैं। उनके मुताबिक यह सोची समझी रणनीति है जिससे किसानों को उनके गन्‍ने का कम पैसा मिले। वो कहते हैं, ''इस योजना को समझने की जरूरत है। इसमें कहा गया है कि किसान का पैसा जीएसटी समेत कटेगा। तीन साल तक इन्‍होंने गन्‍ने का रेट नहीं बढ़ाया, अब यह तरकीब निकाल दी है कि गन्‍ने का रेट किसान को कम मिले। इसे ऐसे समझें कि अगर किसान ने 10 कुंतल गन्‍ना मिल में दिया तो 315 रुपये के हिसाब से उसका 3,150 रुपये बना। अब किसान अगर 3,150 रुपये का चीनी लेता है तो उसको 157 रुपये जीएसटी देना होगा। ऐसे में किसान को अपने 10 कुंतल गन्‍ने का दाम 2993 रुपया मिला। यानी एक कुंतल गन्‍ना 299 रुपये में बिका, तुरंत 16 रुपये का घाटा।'' 

वीएम सिंह जो नुकसान की बात कह रहे हैं यही बात पीलीभीत जिले के पंचखेड़ा गांव के रहने वाले प्रगतिशील किसान मंजीत सिंह भी कहते हैं। मंजीत का चीनी मिल पर करीब 8 लाख का बकाया है। उन्‍हें अभी तक जनवरी तक का ही पेमेंट मिता है। मंजीत बताते हैं, ''इस वक्‍त में पैसों की बहुत जरूरत है, चीनी लेने से हमें कोई फायदा नहीं होने वाला। बाजार बंद हैं तो चीनी कहां बेचेंगे? हमें पैसा मिल जाए तो लेबर को पेमेंट कर दें, बीज-खाद से लेकर तमाम खर्च हैं जो निपटा सकते हैं।''

मंजीत जैसे तमाम किसान हैं जो सीधे तौर पर इस योजना को नकार देते हैं। वहीं, इस योजना को लेकर जारी प्रेस नोट में कहा गया है कि यह योजना किसानों की मांग पर ही शुरू की गई है। इससे करीब 50 लाख किसानों को लाभ होगा। हालांकि जब अपर आयुक्‍त से पूछा गया कि कितने किसानों ने इस योजना का लाभ लेते हुए मिलों से चीनी उठाई है तो उनके पास इसका कोई आंकड़ा मौजूद नहीं था।

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गन्‍ने के भगुतान को लेकर क्‍या बोले मंत्री

उत्‍तर प्रदेश में चीनी मिलों पर किसानों के बकाया की बात हमेशा कायम रहती है। कोई भी साल हो इस बारे में चर्चा होना जरूरी है। गन्‍ना किसानों के भुगतान को लेकर यूपी के गन्‍ना मंत्री सुरेश राणा ने न्‍यूज़क्‍लिक के लिए बताया, ''हम गन्‍ना किसानों के त्‍वरित भुगतान को लेकर कटिबद्ध हैं। एक चीनी मिल की जितनी सेलिंग होगी उसका 85 फीसदी पैसा किसान के खाते में जाएगा ही, इसका एक पैसा डायवर्ट नहीं हो सकता। इसके अलावा हमने शीरा, बिजली, वेगास को भी इसमें शामिल कर दिया है, इससे भी अगर मिलों की आमदनी होगी तो उसका 85 फीसदी किसान को देना ही पड़ेगा। यही वजह है कि आज हमने 57 फीसदी भुगतान कर दिया है।'' 

सुरेश राणा कहते हैं ''लॉकडाउन हुआ तो हमारे सामने शुगर मिल को चलाना बड़ी चुनौती थी। क्‍योंकि गन्‍ना ऐसी फसल नहीं है कि हम शुगर मिल को मई-जून के बाद भी चला लेंगे या उसे स्‍टोर कर लेंगे। ऐसे हाल में हमारी मजबूरी थी और चैलेंज था कि शुगर मिल को चलाना है। आज किसानों का अधिकांश गन्‍ना क्रश कर दिया गया है। पिछले साल के मुकाबले अबतक हम लगभग 5 करोड़ कुंतल गन्‍ना ज्‍यादा क्रश कर चुके हैं। हमारे दो प्रमुख बिंदू हैं - पहला किसानों का गन्‍ना क्रश कराना और उनका भुगतान करना, दोनों पर हम काम कर रहे हैं। मैं किसानों को आपके माध्‍यम से यह सुनिश्‍चित करता हूं कि आपका एक-एक गन्‍ना क्रश होगा और हम जल्‍द से जल्‍द भुगतान करेंगे।''  

(लेखक स्वतंत्र पत्रकार हैं।)

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