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यूपी में मंत्रियों की ‘बग़ावत’: योगी सरकार में सब कुछ ठीक नहीं! 

उत्तर प्रदेश की योगी सरकार में एक साथ तीन मंत्रियों की नाराज़गी सामने आई है, यहां तक मंत्री दिनेश खटीक ने तो इस्तीफ़ा दे दिया है। और इस्तीफ़े में भी ख़ास बात यह है कि न यह मुख्यमंत्री को दिया गया, न प्रधानमंत्री को, न पार्टी अध्यक्ष को, बल्कि इसे गृहमंत्री को भेजा गया है।
UP

उत्तर प्रदेश में भले ही योगी सरकार की ऐतिहासिक वापसी हुई हो लेकिन अंदरखाने सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है। सरकार के 100 दिन पूरे होने के साथ ही ट्रांसफर के खेल ने सियासी गलियारों में हलचल मचा दी है। और यही कारण है कि योगी सरकार के तीन मंत्री चर्चा के केंद्र में बने हुए हैं। जिसमें पहला नाम है उप मुख्यमंत्री बृजेश पाठक का, दूसरे हैं जितिन प्रसाद और तीसरे हैं दिनेश खटीक।

दरअसल उप मुख्यमंत्री बृजेश पाठक के स्वास्थ्य मंत्रालय में ट्रांसफर का खेल सामने आया है, स्वास्थ्य विभाग में हुए तबादलों पर काफी आपत्तियां आईं थीं, जहां डॉक्टर्स ने आरोप लगाए थे कि ‘तबादला नीति’ को दरकिनार करके ट्रांसफर किए गए हैं। एक जिले में तैनात पति-पत्नी का ट्रांसफर अलग-अलग जिलों में कर दिया गया। स्वास्थ्य विभाग में हुए ट्रांसफर पर खुद मंत्री ब्रजेश पाठक ने सवाल उठाए थे। उन्होंने इस मामले में विभाग के अपर मुख्य सचिव अमित मोहन प्रसाद से जवाब भी तलब किया था। इसके बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने तबादलों पर जांच बैठा दी है।

योगी सरकार में डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक साल 2017 के चुनाव से पहले बसपा छोड़कर भाजपा में आए थे और उन्हें योगी सरकार के दूसरे कार्यकाल में दिनेश शर्मा की जगह उपमुख्यमंत्री बनाया गया था। उन्हें स्वास्थ्य मंत्रालय का जिम्मा सौंपा गया था।

इसी तरह कांग्रेस छोड़कर भाजपा में आए और योगी सरकार में मंत्री बनाए गए जितिन प्रसाद के पीडब्ल्यूडी विभाग में हुए ट्रांसफर में ऐसे अधिकारियों का भी तबादला कर दिया गया था, जो जीवित भी नहीं हैं। जूनियर इंजीनियर घनश्याम दास का तबादला झांसी कर दिया गया था, जिनका तीन साल पहले ही निधन हो चुका है, इसी तरह से राजकुमार का तबादला इटावा से ललितपुर जिले में कर दिया गया था जबकि इस नाम कोई शख्स विभाग में है ही नहीं। ऐसे ही कई कर्मचारियों का तबादला तब बहुत दूर कर दिया गया, जब वे एक-दो साल के अंदर ही रिटायर होने वाले थे।

पीडब्ल्यूडी विभाग में तबादलों में गड़बड़ियों को लेकर लोक निर्माण मंत्री जितिन प्रसाद चर्चा के केंद्र में बने हुए हैं, लोक निर्माण विभाग में बड़ी कार्रवाई के बाद मंत्री जितिन प्रसाद नाराज हैं, लेकिन उनकी नाराजगी अभी तक खुलकर सामने नहीं आई है। माना जा रहा है कि केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह से दिल्ली में मुलाकात कर तबादलों पर कार्रवाई और जांच को लेकर जितिन प्रसाद अपनी बात रख सकते हैं, हालांकि, जितिन प्रसाद ने इसी बात को लेकर मंगलवार को सीएम योगी आदित्यनाथ से भी मुलाकात की थी।

एक और मंत्री जिनकी सबसे ज्यादा चर्चा हो रही है, वो हैं जल शक्ति मंत्री दिनेश खटीक। इन्होंने गृह मंत्रालय को अपना इस्तीफा भी भेज दिया है। जिस लेटर में दिनेश खटीक ने अपना इस्तीफा लिखकर भेजा उसमें सरकार की कार्यप्रणाली में भ्रष्टाचार को तो उजागर किया ही गया, साथ ही ख़ुद के साथ भेदभाव जैसे आरोप भी लगा दिए, क्योंकि वो दलित समाज आते हैं।

मंत्री दिनेश खटीक ने आरोप लगाया कि दलित होने की वजह से अफसर मेरी बिल्‍कुल नहीं सुनते। अभी तक विभाग में मुझे कोई काम तक नहीं मिला है। दलित समाज का राज्य मंत्री होने के कारण उनके किसी भी आदेश पर कोई कार्यवाही नहीं की जाती है। न ही उन्‍हें सूचना दी जाती है कि विभाग में कौन-कौन सी योजनाएं चल रही हैं। उन पर क्या कार्यवाही हो रही है? यूपी सरकार के अफसर दलितों को अपमान कर रहे हैं।

रार यहां भी नज़र आती है जब बीते मंगलवार यानी 19 जुलाई को योगी आदित्यनाथ मंत्रियों के साथ बैठक कर रहे थे तब दिनेश खटीक नहीं पहुंचे थे। जबकि किसान भवन में ग्रामीण जलापूर्ति विभाग के अधिकारियों के साथ जलशक्ति मंत्री स्वतंत्रदेव सिंह ने बैठक की तो उसमें राज्यमंत्री खटीक पहुंचे तो थे, लेकिन बैठक बीच में ही छोड़कर चले गए। जिसके बाद  चर्चा हुई कि तबादलों को लेकर भी कुछ खींचतान हुई थी, जिसमें उनकी बात नहीं सुनी गई। उन्होंने सरकारी गाड़ी और सुरक्षा भी छोड़ दी है। कहा तो ये भी जा रहा है कि दिनेश खटीक से किसी का संपर्क भी नहीं हो पा रहा है।

उत्तर प्रदेश सरकार के भीतर से ये मामले निकलने के बाद विपक्षी भी तुरंत हमलावर हो गए। सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने ट्वीट कर बकायदा क्रोनोलॉजी समझाई।

इससे पहले अखिलेश यादव ने एक ट्वीट और किया था जिसमें उन्होंने दिनेश खटीक की ओर लगाए गए आरोपों को हथियार बनाकर योगी सरकार पर हमला बोला। इसके अलावा इसी मुद्दे पर बसपा प्रमुख मायावती ने भी ट्वीट कर योगी सरकार को घेरने की कोशिश की

दिनेश खटीक के पत्र को ट्वीट करते हुए भीम आर्मी चीफ चंद्रशेखर ने लिखा  कि योगी सरकार में दलित मंत्री की हैसियत इस पत्र को पढ़ कर लगा सकते है। उत्तर-प्रदेश सरकार में राज्यमंत्री दिनेश खटीक जी की सरकार द्वारा जिस तरह उपेक्षा करी गई वो बहुत ही निंदनीय है। भाजपा सरकार ने पिछड़े, दलित समुदाय के मंत्रियों की हैसियत आप चिट्ठी में पढ़े। इनको केवल गाड़ी उपलब्ध करा दी जाती है और निर्णय लेने के अधिकारों से वंचित रखा जाता है।

फिलहाल उत्तर प्रदेश सरकार में मंत्री खटीक ने तो इस्तीफा दे दिया है, इसके अलावा जितिन प्रसाद और ब्रजेश पाठक के मंत्रालयों में हुए तबादलों पर जांच भी बिठा दी गई है। यानी देखने वाली बात होगी कि अब इन दोनों मंत्रियों की नाराज़गी से हुआ डैमेज भाजपा किस तरह कंट्रोल करती है।

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