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उत्तराखंड : पटवारी भर्ती परीक्षा पेपर लीक के बाद युवाओं में चिंता और ग़ुस्सा, पक्ष-विपक्ष का आरोप-प्रत्यारोप

परीक्षाओं के पेपर लीक मामले को लेकर युवा कई बार सड़क पर उतरे हैं, तो वहीं चर्चा विधानसभा से लेकर लोकसभा तक गूंजी है। हालांकि इसके बाद भी ये मसला जस का तस बना हुआ है।
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उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने पेपर लीक मामले में कुछ ही दिन पहले एक बयान देते हुए कहा था कि अब भर्तियों में धांधली के विषय में सोचना भी कठिन होगा। हालांकि उनके इस बयान के मात्र तीन दिन बाद ही राज्य में हुई पटवारी भर्ती परीक्षा का पेपर लीक हो गया और अब सरकार ने भर्ती परीक्षा को रद्द कर नई तारीख जारी की है। फिलहाल पुलिस ने इस मामले में आयोग के अधिकारी समेत कुछ और गिरफ्तारियां जरूर की हैं लेकिन परीक्षा में बैठे करीब सवा लाख छात्रों का भविष्य अधर में लटक गया है।

बता दें कि ये पहली या दूसरी बार नहीं है जब उत्तराखंड में किसी भर्ती परीक्षा का पेपर लीक हुआ हो। इससे पहले भी उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग (यूकेएसएसएससी), सचिवालय रक्षक भर्ती परीक्षा, कनिष्ठ सहायक ज्यूडिशियरी, फॉरेस्ट गार्ड आदि की परीक्षाओं के पेपर लीक हो चुके हैं, जिसे लेकर युवा कई बार सड़क पर उतरे हैं, तो वहीं इस मामले की गूंज विधानसभा से लेकर लोकसभा तक गूंजी है। हालांकि इसके बाद भी ये मसला जस का तस बना हुआ है।

क्या है पूरा मामला?

प्राप्त जानकारी के मुताबिक उत्तराखंड लोक सेवा आयोग की ओर से पटवारी लेखपाल के 563 पदों पर भर्ती निकाली गई थी। इसके आवेदन की प्रक्रिया बीते साल 14 अक्तूबर से शुरू हुई थी। इस आवोदन के लिए उम्मीदवारों को 4 नवंबर 2022 तक का समय दिया गया था। इस साल आठ जनवरी को इसकी परीक्षा प्रदेश के 498 केंद्रों पर कराई गई थी। इस भर्ती परीक्षा में कुल1,58,210 अभ्यर्थी पंजीकृत थे। इनमें से 1,14,071 अभ्यर्थियों ने ये परीक्षा दी थी। अब पेपर लीक होने के बाद ये परीक्षा दोबारा 12 फरवरी को होगी और 12 फरवरी को प्रस्तावित सहायक लेखाकार परीक्षा अब 19 फरवरी को आयोजित कराई जाएगी।

मीडिया में एक बार फिर पर्चा लीक होने का मामला सामने आने के बाद अब प्रदेश के युवाओं में गुस्सा और भविष्य को लेकर चिंता नज़र आ रही है। तो वहीं विपक्षी राजनीतिक दल के कार्यकर्ता भी इन युवाओं को समर्थन देते नज़र आ रहे हैं। आज शुक्रवार, 13 जनवरी को इस मामले ने खासा तूल पकड़ लिया। बड़ी संख्या में अभ्यर्थियों और कांग्रेस, आम आदमी पार्टी कार्यकर्ताओं ने उत्तराखंड लोक सेवा आयोग के बाहर जमा होकर प्रदर्शन किया। हरिद्वार, ऋषिकेश और देहरादून में सरकार का पुतला दहन कर विरोध प्रदर्शन किया गया। धरने पर बैठे अभ्यर्थियों और कार्यकर्ताओं ने उत्तराखंड लोक सेवा आयोग को भंग करने की मांग के साथ ही पटवारी भर्ती परीक्षा पेपर लीक मामले की सीबीआई जांच की मांग की।

क्या गारंटी है कि 12 फरवरी का पेपर सही से हो जाएगा?

आठ जनवरी की भर्ती परीक्षा में शामिल चमोली की पूनम न्यूज़क्लिक को बताती हैं कि बीते कई सालों से वो सरकारी नौकरी के लिए तैयारी कर रही हैं। लेकिन बीते कुछ समय में उन्होंने जो भी पेपर दिया, वो लीक की भेंट चढ़ गया और रद्द हो गया। उनका कहना है कि हर बार पेपर और भर्ती की आस में घर से कई किलोमिटर दूर जाना होता है, जिसमें अच्छा-खासा खर्चा भी लगता है, ऐसे में जब पेपर रद्द हो जाता है, तो सारी आस टूट जाती है। ऐसा लगता है सब व्यर्थ हो गया।

इस परीक्षा में बैठने वाली एक अन्य अभ्यर्थी विपिन बिष्ट कहते हैं कि पिछली बार उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग का पेपर लीक हुआ था अब लोक सेवा आयोग का पेपर लीक हो गया। यहां एक के बाद एक पेपर लीक होते जा रहे हैं और सरकार बस तारीख और आश्वासन देती जा रही है। विपिन सवाल करते हैं कि ऐसी क्या गारंटी है कि 12 फरवरी का पेपर सही से हो जाएगा।

विपिन के अनुसार ऐसे पेपर लीक होने से तैयारी का सारा सिस्टम हिल जाता है। पहले ही सरकारी नौकरियां घट रही हैं और फिर ये बार-बार पेपर घोटाला इन सब से बच्चों का मनोबल टूट जाता है। फिर जो परीक्षा 19 फरवरी को होनी है, उस पेपर तैयारी से भी इस पेपर की तैयारी क्लैश करेगी। ऐसे में अलग टेंशन का माहौल बन जाता है, बच्चों पर पहले से ही प्रेशर अलग से होता है। कोई करे तो क्या करे, जाए तो कहां जाए।

आरोप-प्रत्यारोप का दौर

उत्तराखंड में पेपर लीक मामले में अब सियासी बयानबाजी भी तेज हो गई है। इस पूरे मामले में विपक्ष सरकार की कार्यशैली पर सवाल उठा रही है, तो वहीं सरकार बीर-बीर भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की प्रतिबद्धता बता रही है।

इस पूरे मामले में हल्द्वानी में नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य ने मीडिया से कहा कि यह सब घोटाला और पेपर लीक सरकार की सरपरस्ती में हो रहे हैं। राज्य के युवाओं के साथ छलावा किया जा रहा है। नकल माफिया राज्य के अंदर हावी है, उनको सरकार और कानून का भय नहीं है।

दूसरी ओर इस पर विपक्ष के आरोपों को राजनीति से प्रेरित व दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट ने कहा राज्य निर्माण से अब तक सामने आए ऐसे तमाम मामलों में फर्क साफ है। कांग्रेस सरकारों के मंत्री तक भर्ती घोटालों में शामिल रहे और उन्होंने ऐसे मामलों मे कार्यवाही तो दूर उन्हे दबाने की कोशिशें की। वहीं भाजपा सरकार में तत्काल पारदर्शी, सख्त एवं निर्णायक कार्यवाही की जा रही है ।

गौरतलब है कि सियासत से इतर उत्तराखंड के अलग राज्य बनने के करीब 23 साल बाद भी उत्तराखंड के लाखों युवा रोज़गार की तलाश में हर साल अपने घरों को छोड़ मैदानों में पलायन कर रहे हैं। लाखों की संख्या में युवा राज्य सरकार की नौकरियों के लिए सालों तैयारी करते हैं लेकिन भर्तियों में हो रहे ये घोटाले उनके हक़ मार जाते हैं। हालांकि ये सिर्फ उत्तराखंड का हाल नहीं बल्कि राजस्थान, उत्तर प्रदेश समेत देश के कई अन्य हिस्सों की भी सच्चाई है। लेकिन एक सच्चाई ये भी है कि युवाओं के भविष्य को लेकर बड़े-बड़े दावे और वादे करने वाली कांग्रेस और बीजेपी की सरकारें एक जैसी ही हैं। राजनीति के अलावा किसी को उन अभ्यार्थियों की नहीं पड़ी, जो सालों-साल सरकारी नौकरी के इंतजार में तैयारी कर पेपर पर पेपर देते रह जाते हैं और कुछ लोग चंद पैसों के लालच में उनकी मेहनत पर पानी फेर जाते हैं। अगर परीक्षाओं की गोपनीयता पर करोड़ों खर्च होने के बावजूद पेपर लीक हो जाता है तो ऐसे में सरकार पर सवाल उठना लाजमी है।

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