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उत्तराखंड : आयुष कुकरेती पर दर्ज एफआईआर रद्द करने की मांग

पहाड़ की दिक्कतों को देखते, झेलते, समझते, बड़े हुए नौजवान को ये एहसास नहीं रहा होगा कि उसके द्वारा शेयर किया गया एक वीडियो उसे सियासत के भंवर में फंसा देगा।
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आयुष की फेसबुक वॉल से ली गई तस्वीर

एक नौजवान जो अपने देश-काल-परिस्थिति पर नज़र रखता है। जो राज्य और देश में चल रहे मुद्दों पर सवाल पूछता है, जवाब मांगता है, वह अभी डरा हुआ है। उसका फ़ोन बंद है। बीएससी कर रहे इस नौजवान का भविष्य दांव पर है। पहाड़ की दिक्कतों को देखते, झेलते, समझते, बड़े हुए नौजवान को ये एहसास नहीं रहा होगा कि उसके द्वारा शेयर किया गया एक वीडियो उसे सियासत के भंवर में फंसा देगा।

श्रीनगर गढ़वाल के छात्र आयुष कुकरेती पर दर्ज मुकदमा वापस होना चाहिए। सीपीआई-एमएल समेत राज्य के प्रबुद्ध लोग मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत से छात्र पर दर्ज एफआईआर रद्द करने की मांग कर रहे हैं।

क्या है पूरा मामला?

बीते तीन अक्टूबर को आईआईटी रुड़की के दीक्षांत समारोह में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने छात्र-छात्राओं को डिग्रियां प्रदान की। यहां राष्ट्रपति की पत्नी भी मौजूद थीं। कार्यक्रम में मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने अपने भाषण में राष्ट्रपति की पत्नी को श्रीमती रामनाथ कोविंद कहकर संबोधित किया (हालांकि मुख्यमंत्री को राष्ट्रपति की पत्नी को ससम्मान उनके नाम के साथ संबोधित करना चाहिए)। वीडियो से ऐसा लग रहा था कि मुख्यमंत्री ने राष्ट्रपति को श्रीमती रामनाथ कोविंद कहा। आयुष ने इस वीडियो को अपने फेसबुक पेज पर अपलोड किया। जिसके बाद ये वीडियो वायरल हो गया। मुख्यमंत्री ट्रोल हो गए। उन पर अभद्र टिप्पणियां भी की गईं।

 सीपीआई-एमएल नेता इंद्रेश मैखुरी कहते हैं कि उनकी आयुष से फ़ोन पर बात हुई। अपनी गलती का एहसास होने पर उसने वो वीडियो अपने फेसबुक से हटा लिया।

 वीडियो हटाने के बाद देहरादून में अरुण कुमार पांडे नाम के व्यक्ति ने आयुष कुकरेती के खिलाफ़ एफआईआर दर्ज करायी। उन पर वास्तविक वीडियो से छेड़छाड़, आईटी एक्ट और छवि धूमिल करने का मामला दर्ज किया गया।

आयुष पर दर्ज एफआईआर रद्द करने की मांग

ये मानते हुए कि आयुष ने गलती की, क्या उस पर क्रिमिनल केस होना चाहिए? आयुष को लेकर लोगों में सहानुभूति है। वे चाहते हैं कि एक नौजवान का भविष्य बरबाद न हो। वे पूछते हैं कि क्या एक फेसबुक पोस्ट या वीडियो से राज्य के मुखिया की छवि धूमिल हो जाएगी?

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(HNBGU को लेकर आयुष का बनाया हुआ एक कार्टून)

इस पूरे मामले पर प्रतिक्रिया देते हुए देहरादून के अखिलेश डिमरी अपनी फेसबुक पोस्ट में लिखते हैं कि “ये उस सूबे की जवां पीढ़ी है, जो बीस साल पहले इस सूबे की आमदी के जलसे में अपने नन्हे हाथों से आपकी हमारी पीढी के लोगों के लिए "आज दो अभी दो उत्तराखंड राज्य दो" "कोदा झंगोरा खाएंगे उत्तराखंड बनाएंगे" जैसे नारों की तख्तियाँ लिख कर सपनों के सूबे की चाहत में इंकलाब बोल रही थी, हुजूर ये उस पीढ़ी की तस्वीर है जिसने आपकी वल्कीयत के आगे कभी भी इंकलाबी होने का सार्टिफिकेट नहीं माँगा ये अलग बात कि दौर ए सल्तनत में इस तरह के सार्टिफिकेट भी खूब बांटे गए”।

ये पोस्ट बताती है कि उत्तराखंड आंदोलन में शहीद होने वाले ज्यादातर आयुष जैसे नौजवान थे। राज्य आंदोलन में जिन्होंने गोलियां खाईं, वे कॉलेज जाने वाले युवा थे। वही पीढ़ी आज राज्य की हालत पर निराश है। अखिलेश इशारा करते हैं कि आयुष जैसे बच्चे राज्य आंदोलन के समय पैदा हुए हैं। अगर नौजवान एक बार फिर राज्य आंदोलन सरीखे जोश में आ गए तो बड़े से बड़े तख्त-ओ-ताज उखड़ जाएंगे।

सीपीआई-एमएल के गढ़वाल सचिव इंद्रेश मैखुरी कहते हैं कि जो वीडियो अपलोड किया गया, उसमें कोई छेड़छाड़ नहीं हुई। बल्कि संबोधन को न समझने के चलते, एक टिप्पणी लिखी गयी, जो उचित नहीं थी। जिस छात्र आयुष कुकरेती पर मुकदमा दर्ज करवाया गया है, उसे भी संभवतः यह बात थोड़ी देर में समझ में आ गयी। इसलिए उसने, वह वीडियो और टिप्पणी अपने फेसबुक एकाउंट से डिलीट कर दी।

इंद्रेश मैखुरी ने इस संबंध में मुख्यमंत्री को एक पत्र भी लिखा। उन्होंने मुख्यमंत्री से सवाल किया है कि उत्तराखंड के मुख्यमंत्री की छवि एक ऐसी पोस्ट से खराब होगी, जो डिलीट की जा चुकी है और बी.एस.सी. तृतीय वर्ष के एक मेधावी छात्र को जेल भेजने से वह छवि चमकने लगेगी, क्या यह तर्कसंगत बात है? महोदय, मेरा यह दृढ़ विश्वास है कि लोकतांत्रिक व्यवस्था में मतभिन्नता या विरोध, नीतिगत होना चाहिए, व्यक्तिगत नहीं। निश्चित ही यह बात उस युवक को भी सीखनी है, जिसके विरुद्ध मुकदमा दर्ज करवाया गया है। लेकिन एक ऐसा छात्र जो इंस्पायर स्कॉलरशिप पर बी.एस.सी. की पढ़ाई कर रहा है, जो बेहद सृजनशील है, क्या उसे लोकतंत्र का यह मूलभूत सबक जेल भेज कर सिखाया जा सकेगा”?

इस पूरे मामले पर भाजपा के प्रदेश मीडिया प्रभारी डॉ देवेंद्र भसीन कहते हैं कि उस छात्र ने मुख्यमंत्री की छवि को धूमिल करने का प्रयास किया। उनका कहना है कि ये एफआईआर किसी व्यक्ति विशेष ने की है। इसमें हमारी पार्टी या सरकार की कोई भूमिका नहीं है। हमारा उस व्यक्ति से कोई लेना देना नहीं है।

देवेंद्र भसीन नाराजगी जताते हैं कि आयुष की फेसबुक पोस्ट कई दिनों तक चलती रही, उस पर रिएक्शन आते रहे, पूरा समय लेकर लोगों ने मुख्यमंत्री को बदनाम करने के लिए षड्यंत्र किया। वह कहते हैं कि कानून अपना काम करेगा। ये दो व्यक्तियों के बीच का मसला है। मुख्यमंत्री और सरकार को बदनाम करने के लिए देश में कई प्रकार के षड्यंत्र हो रहे हैं, जो निंदनीय है। हमें आलोचना से कोई दिक्कत नहीं है लेकिन बदनाम करने की नीयत से चीजों को तोड़ेंगे मरोड़ेंगे तो ये आपत्तिजनक है।

 इससे पहले के मामले

मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत पर टिप्पणी या फेसबुक पोस्ट को लेकर पुलिसिया कार्रवाई का ये पहला मामला नहीं है।

इससे पहले जुलाई में उत्तरकाशी के एक युवा किसान राजपाल सिंह को गिरफ्तार किया गया था। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को संबोधित करते हुए फेसबुक पर एक पत्र लिखा, जिसमें त्रिवेंद्र सिंह रावत को लेकर कहा गया कि वे सरकार की योजनाएं लागू करने में सक्षम नहीं है, प्रधानमंत्री को उन पर कार्रवाई करनी चाहिए। राजपाल पर आरोप था कि उन्होंने मुख्यमंत्री के लिए अभद्र भाषा का इस्तेमाल किया। राजपाल पर स्थानीय भाजपा नेता पवन नौटियाल ने एफआईआर दर्ज करायी थी।

यहां उत्तरकाशी की 57 वर्षीय शिक्षिका उत्तरा बहुगुणा भी याद आती हैं। जिन्हें पिछले वर्ष जून महीने में मुख्यमंत्री ने अपने जनता दरबार से बाहर निकाल दिया था और उन्हें निलंबित करने का आदेश दिया था। साथ ही हिरासत में लेने को भी कहा था। जिस पर पुलिस ने शांति भंग के तहत चालान कर दिया था। बाद में उन्हें जमानत पर रिहा किया गया। उत्तरा नौगांव क्षेत्र के प्राइमरी स्कूल की प्रिंसिपल हैं और तबादले को लेकर मुख्यमंत्र से उनकी बहस हुई। इस वर्ष जनवरी में उत्तरा बहुगुणा ने शिकायत की थी कि इस दौरान प्रशासन द्वारा उन्हें लगातार परेशान किया जा रहा था। उनके परिवार को मुश्किलों का सामना करना पड़ा। प्रशासनिक अधिकारी उनकी समस्या पर ध्यान नहीं दे रहे थे।

उत्तराखंड ही नहीं देशभर में इस तरह के मामले सामने आ रहे हैं। अभी कुछ ही रोज़ पहले मॉब लिंचिंग की घटनाओं को लेकर प्रधानमंत्री को पत्र लिखने वाले 49 लोगों पर एफआईआर दर्ज की गई। जिनमें रामचंद्र गुहा से लेकर अपर्णा सेन तक शामिल हैं। उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पर ट्वीट को लेकर एक पत्रकार को गिरफ्तार कर लिया गया था।

इस दौर में सरकारें फेसबुक पोस्ट, ट्वीट और पत्र से आहत हो रही हैं। क्या उनकी छवि इतनी कमज़ोर है कि एक वायरल वीडियो से उस पर बट्टा लग जाएगा। एक फेसबुक पोस्ट, एक ट्विट उनकी छवि बिगाड़ देगी। क्या आयुष कुकरेती को अपराधी बनाना जरूरी है?

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