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विहिप और बजरंग दल नेताओं से भरवाया गया निजी मुचलका, संगठनों ने चुपके से बाहर किया

गंगा घाट पर 'गैर-हिंदुओं का प्रवेश प्रतिबंध' के पोस्टर लगाने के मामले में पुलिस ने आरोपियों को हिरासत में लेकर निजी मुचलके पर छोड़ा। ख़ूब छीछालेदर के बाद आरएसएस-भाजपा से जुड़े इन संगठनों से बाहर किए गए दोनों नेता।
VHP and Bajrang Dal

बनारस में गंगा घाटों पर 'गैर-हिंदुओं का प्रवेश प्रतिबंध' के पोस्टर लागने के मामले में पुलिस ने विहिप और बजरंग दल के बेलगाम नेताओं को हिरासत में लिया। इस मुद्दे को लेकर दोनों संगठनों के नेताओं व कार्यकर्ताओं से तीखी झड़प हुई और बाद में दो पदाधिकारियों को पांच-पांच लाख के निजी मुचलके पर रिहा कर दिया गया। वाराणसी कमिश्नरेट पुलिस के विशेष कार्यपालक मजिस्ट्रेट ने बजरंग दल काशी के संयोजक निखिल त्रिपाठी रुद्र और विश्व हिंदू परिषद के महानगर मंत्री राजन गुप्ता को तब नोटिस जारी किया जब कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने दोनों के खिलाफ लिखित शिकायत दर्ज कराई।

इस मामले में शहर भर में विरोध और भाजपा की जमकर छीछालेदर होने के बाद आनन-फानन में विहिप और बजरंग दल के पदाधिकारियों ने विवादित पोस्टर चस्पा करने वाले दोनों पदाधिकारियों को बाहर का रास्ता दिखा दिया। यह कार्रवाई नौ जनवरी की शाम की गई। इस मामले में दोनों संगठनों के पदाधिकारी कोई भी बयान देने से बच रहे हैं।

विवादित पोस्टर चिपकाए जाने के खिलाफ प्रदर्शन करते कांग्रेस कार्यकर्ता

कार्यपालक मजिस्ट्रेट ने बजरंग दल काशी के संयोजक निखिल त्रिपाठी रुद्र और विश्व हिंदू परिषद के महानगर मंत्री राजन गुप्ता को नोटिस जारी करते हुए कोर्ट में तलब किया। पूछा कि आप दोनों से एक साल तक शांति बनाए रखने के लिए पांच लाख का व्यक्तिगत बंधपत्र और इतनी ही धनराशि की दो प्रतिभूतियां क्यों न ली जाएं? निखिल त्रिपाठी रुद्र और राजन गुप्ता से पांच-पांच लाख का निजी मुचलका भरवाया गया। चेतावनी दी गई कि यदि इस तरह की गलती दोबारा हुई तो विधिक कार्रवाई में देरी नहीं की जाएगी।

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पुलिस से हुई तीखी झड़प

 मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक पुलिस लाइन में विहिप और बजरंग दल के नेताओं से जिस समय मुचलका भरवाया जा रहा था उस समय दोनों संगठनों के नेताओं व कार्यकर्ताओं से पुलिस की झड़प और कहासुनी भी हुई। कार्यकर्ताओं ने पुलिस के खिलाफ नारेबाजी की और एक्शन लेने वाले पुलिस अफसरों को धमकाया भी गया।  

गंगा घाटों पर धार्मिक भेदभाव आधारित पोस्टर चिपकाए जाने की शिकायत कांग्रेस और साझा संस्कृति मंच कई संगठनों ने 8 जनवरी को अपर पुलिस आयुक्त (मुख्यालय एवं अपराध) सुभाष चंद्र दुबे से की थी। इसके अलावा सोशल मीडिया यूजर्स ने भी इसकी जमकर आलोचना की थी। शिकायत के आधार पर अपर पुलिस आयुक्त (मुख्यालय एवं अपराध) ने भरोसा दिया था कि वह प्रकरण की जांच कराकर नियमानुसार उचित कार्रवाई करेंगे।

बनारस के पुलिस अफसर से शिकाय करते कांग्रेस नेता 

वाराणसी के गंगा घाटों पर बजरंग दल और विश्व हिंदू परिषद (विहिप) के कार्यकर्ताओं की ओर से चिपकाए गए विवादित पोस्टर के खिलाफ कांग्रेस ने मोर्चा खोला दिया था। शुक्रवार को कांग्रेस के प्रतिनिधिमंडल ने अपर पुलिस आयुक्त (मुख्यालय एवं अपराध) सुभाष चंद्र दुबे से मुलाकात की और उन्हें शिकायती पत्र देकर कहा कि धार्मिक भेदभाव फैलाने वाले विवादित पोस्टर शहर में चिपकाने वालों के खिलाफ पुलिस कार्रवाई क्यों नहीं कर रही है? चुनावी माहौल में शहर में ऐसी गलत हरकतें क्यों करने दी जा रही हैं?

कांग्रेस ने पुलिस को सौंपा शिकायती पत्र

अपर पुलिस आयुक्त ने कांग्रेस कार्यकर्ताओं को आश्वासन दिया कि पुलिस प्रकरण की जांच कर उचित कार्रवाई करेगी। प्रतिनिधिमंडल में शैलेन्द्र सिंह, ओमप्रकाश ओझा, फसाहत हुसैन बाबू, अशोक सिंह, डॉ. राजेश गुप्ता, हसन मेंहदी कब्बन, ब्रह्मदत्त त्रिपाठी, आशीष सिंह विक्की, रंजीत तिवारी, आशीष गुप्ता, रोहित दुबे, विनीत चौबे, रामजी गुप्ता, रितेश वर्मा, राज जायसवाल, इम्तियाज अली सहित कांग्रेस के अन्य लोग शामिल थे।

ऐसे पोस्टरों से बिगड़ सकता है सौहार्द

भेलूपुर थाने के दरोगा वीरेंद्र यादव ने भी भेलूपुर के इंस्पेक्टर भेलूपुर को अपनी रिपोर्ट दी थी, जिसमें उन्होंने कहा था कि अस्सी घाट, उसके आसपास के अन्य घाटों और रास्तों पर धार्मिक भेदभाव आधारित पोस्टर चस्पा किए गए थे। उन पोस्टर से सामाजिक सौहार्द पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है और कभी भी लोकशांति भंग हो सकती है।

दरोगा वीरेंद्र यादव की इस रिपोर्ट को भी विशेष कार्यपालक मजिस्ट्रेट/सहायक पुलिस आयुक्त गंभीरता से लिया। निखिल त्रिपाठी रुद्र और राजन गुप्ता के खिलाफ दंड प्रक्रिया संहिता के तहत नोटिस जारी कर उन्हें आठ जनवरी को अपने कार्यालय में तलब किया था।

पुलिस ने की लीपापोती

बनारस में हिन्दू युवा वाहिनी (हियुवा) के जुलूस में तलवार चमकाने और उन्मादी नारेबाजी का के बाद गैर-हिंदुओं के प्रवेश पर प्रतिबंध वाले पोस्टर लगाए जाने का मामला न्यूज़क्लिक ने प्रमुखता से प्रकाशित किया था। दोनों मुद्दों पर बनारस पुलिस तमाशबीन बनी रही और कुछ भी बोलने से बचती रही।

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सियासी दल और सामाजिक संगठनों ने इस मद्दे पर पुलिस को कठघरे में खड़ा करना शुरू किया तो अपनी नाक बचाने के लिए उसे आरएसएस-भाजपा से जुड़े इन संगठनों के दोनों नेताओं के खिलाफ एक्शन लेना पड़ा। हालांकि पुलिस को उन्माद भड़काने के मामले में जिस तरह की कार्रवाई करनी चाहिए थी वैसी नहीं की गई। संगीन धाराओं में मुकदमा दर्ज दर्ज करने के बाजाय सिर्फ शांति भंग के मामले में नोटिस जारी करके इस मामले को पुलिस ने रफा-दफा कर दिया।

कांग्रेस के महानगर अध्यक्ष राघवेंद्र चौबे ने न्यूज़क्लिक से कहा, "जब भी कोई चुनाव नजदीक आता है, भाजपा और उसके सहयोगी संगठनों के नेता योजनाबद्ध ढंग से सांप्रदायिकता का जहर उगलने लगते हैं। उनके दुष्प्रचार का मुद्दा होता है-हिंदू-मुसलमान, भारत-पाकिस्तान और सांप्रदायिक दुष्प्रचार। ये लोग दुष्प्रचार वहां करते हैं, जहां उनकी सरकारें होती हैं। यूपी में भाजपा और उससे जुड़े संगठनों के लोग इसलिए मनमानी पर उतारू हैं, क्योंकि यहां उनकी सरकार है। यूपी की राज्यपाल आनंदीबेन का जुड़ाव भी भाजपा कैडर रहा है। सांप्रदायिक दुष्प्रचार का ताजा मामला काशी में देखने को मिल रहा है। जुलूस में कहीं तलवारें चमकाई जा रही हैं तो कहीं धार्मिक भेदभाव वाले पोस्टर और बैनर लगाए जा रहे हैं। काशी ऐसा शहर है जहां से एकता और अखंडता का संदेश समूची दुनिया में जाता है। ऐसे में काशी की आत्मीयता पर आघात करने वालो पर सख्त कार्रवाई होनी चाहिए। मामूली धाराओं में नोटिस देने देकर मुचलके पर छोड़ने भर से काम नहीं चलेगा। दोनों आरोपितों के साथ उनके सभी सहयोगियों को गिरफ्तार कर जेल भेजा जडाना चाहिए।"

समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता राजकुमार जायसवाल ने कहा, "बनारस का माहौल खराब करने के लिए यह कृत्य पूरी तरह से भाजपा के इशारे पर किया गया। चुनाव के समय धार्मिक तनाव पैदा करना भाजपा के चुनावी एजेंडे का एक हिस्सा है। पोस्टर प्रकरण की हम सब कड़ी निंदा करते हैं। हम प्रशासन से मांग करते है कि जो धार्मिक भेदभाव फैलाने और दुष्प्रचार का काम कर रहे हैं उन पर तत्काल कार्रवाई हो। जो भी काशी की एकता और अखंडता पर प्रहार करेगा हम उसके खिलाफ लड़ाई जारी रखेंगे।"

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