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कोलकाता सिटी लेदर कॉम्प्लेक्स में काम फिर से शुरू

चमड़े के क्षेत्र में एकमात्र ट्रेड यूनियन, पश्चिम बंगाल टेनरी मज़दूर यूनियन के महासचिव के मुताबिक़ शहर में लगभग 40,000 प्रवासी मज़दूर टेनरी के काम से जुड़े हुए हैं।
कोलकाता

कोलकाता: पिछले दो महीनों में प्रवासी मज़दूरों के गांवों से वापस लौट आने से कलकत्ता लेदर कॉम्प्लेक्स (CLC) में काम की गति बढ़ गई है, जिसे कार्य-प्रगति पर है माना जाता है, यह बड़ी तेजी के साथ एशिया का सबसे बड़े चमड़ा केंद्र के रूप में उभर रहा है।

विभिन्न वर्गों से मिले इनपुट जिसमें टेनरी के मालिक, तैयार माल बनाने वाली इकाइयां और  ट्रेड यूनियन नेता शामिल हैं, सब का मानना हैं कि यद्यपि राज्य सरकार ने अप्रैल के अंत में सीएलसी में काम फिर से शुरू करने की अनुमति दी थी, लेकिन कई हफ्तों से काम गति नहीं पकड़ रहा था क्योंकि हजारों प्रवासी मजदूरों को बिहार, उत्तर प्रदेश, झारखंड और मध्य प्रदेश में अपने गावों से लौटने में समय लग रहा था। अब सभी टेनरियों के काम में मई के अंत तक सुधार शुरू हो गया और पिछले सात-आठ हफ्तों में यूनिट के मालिक कच्चे माल/खाल को प्रोसेस/संसाधित करने में कामयाब हुए हैं क्योंकि खालें लॉक-डाउन के दौरान कोविड-19 महामारी के कारण प्रोसेस नहीं हो पाई थी। 

तैयार माल इकाइयों में काम करने वाले अधिकतर मजदूर पश्चिम बंगाल से हैं, इसलिए मालिकों ने अधूरे ऑर्डर को पूरा करने और नए ऑर्डर के लिए सेंपल भेजने के काम को प्राथमिकता दी है। अब सीएलसी में उम्मीद यह है कि लंबे समय से पहले ही प्रवासी मजदूर बचे 5-7 प्रतिशत भी टैनरी के काम के लिए वापस आ जाएंगे। लेकिन, तैयार माल के लिए नए ऑर्डर का इंतजार लंबा होगा। जो महत्वपूर्ण बात है वह यह कि जब तैयार माल की इकाइयों के मालिक ओर्डेर्स की बात करते हैं, तो इनका व्यावहारिक उद्देश्यों का मतलब निर्यात ऑर्डर से है क्योंकि ये निर्यात उन्मुख इकाइयां हैं। यहाँ के निर्यात में प्रमुख: जूते, चमड़े के सामान और सहायक उपकरण (बैग, पर्स, दस्ताने सहित), तैयार चमड़ा, चमड़े के वस्त्र और सेडलर और हारनेस लेदर है। 

दक्षिण 24 परगना जिले में मौजूद कोलकाता के पूर्वी तट पर बंटाला में सीएलसी लगाई गई है, सितंबर के अंतिम सप्ताह में यहां तब एक नया मील का पत्थर साबित हुआ जब विदेशी तकनीकी से सुसज्जित “प्रवाह उपचार संयंत्र (सीईटीपी)” की क्षमता में उल्लेखनीय वृद्धि के साथ काम शुरू किया गया और जिसके लिए 35 करोड़ रुपये की अनुमानित धनराशि की सहायता लगी। कलकत्ता टेनर्स एसोसिएशन (CTA) के अध्यक्ष और काउंसिल फॉर लेदर एक्सपोर्ट्स (CLE) के रमेश जुनेजा के अनुसार, इसकी एशिया के सबसे बड़े चमड़े के केंद्र के रूप में मान्यता पाने की सीएलसी उत्सुकता का एक बढ़ता कदम है, जिसमें एक फुटवियर पार्क का निर्माण भी शामिल है।  

जुनेजा ने न्यूज़क्लिक को बताया कि यह राज्य में किसी भी परियोजना का एक दुर्लभ उदाहरण है जिसके लिए 11 और 12 दिसंबर 2019 में पूर्वी मेदिनीपुर जिले के दीघा में आयोजित बंगाल बिजनेस कॉन्क्लेव में वार्ता के बाद लगभग आठ महीने में सभी तैयारी पूरी कर ली गई थी। 

प्रदूषण न फैले इसलिए कच्ची खाल की प्रक्रिया या प्रोसेस में भारी मात्रा में पानी का उपयोग होता है। वर्तमान में, चार सीईटीपी मॉड्यूल हैं जो प्रति दिन 20 मिलियन लीटर अपशिष्टों को सँभाल सकते हैं। विस्तार को ध्यान में रखते हुए और प्रति दिन 40 मिलियन लीटर तक उपचार क्षमता बढ़ाने के लिए चार सीईटीपी मॉड्यूल स्थापित करने की परिकल्पना की गई है। जुनेजा ने बताया कि टेनरीज की संख्या मौजूदा समय में 375 से बढ़कर 800 तक पहुंचने की उम्मीद है।

यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा यूपी में बूचड़खानों और टेनरियों पर गंभीर अंकुश लगाने के बाद, विशेष रूप से कानपुर टेनरस ने 1,150 एकड़ के सीएलसी हब में इन सुविधाओं को स्थापित करने में रुचि दिखाई जिसे सीएम ममता बनर्जी ने ‘कर्म दिगंत’ कहा।  पश्चिम बंगाल के वित्त, सूचना प्रौद्योगिकी और उद्योग मंत्री अमित मित्रा ने पहले मीडिया को सूचित किया कि राज्य सीएलसी पर 540 करोड़ रुपये खर्च करेगा। कानपुर के टेनरी मालिकों द्वारा दिखाई गई रुची के संदर्भ में, मित्रा ने कहा, “कानपुर के मुक़ाबले हमें एक फायदा यह है कि हम पानी को गंगा में नहीं छोड़ते हैं। यह बंटाला में एक नहर में जाता है जो मौजूदा योजना के अनुसार सभी रासायनिक जमा को भी साफ कर देगा।"

पर्यावरण में सुधार करने और टैनरी कर्मियों की क्षमता निर्माण परियोजना को “प्रभावी अपशिष्ट प्रबंधन और सतत विकास” जो कोलकाता में एमएसएमई टेनरी कंपनियों के विकास का जरिया है। इसके कार्यान्वयन में शामिल नीदरलैंड का सॉलिडारिड है, "एक वैश्विक नागरिक समाज संगठन जिसका मुख्यालय यूट्रेक्ट में है।

चमड़े और डेयरी के सीनियर प्रोग्राम मेनेजर, सोलीरेडाड एशिया, ताथेर जैदी की देखरेख में यह काम होना है, इन हस्तक्षेपों का आधार पांच विषयों के तहत है। य़े हैं:

चमड़े के निर्माण के दौरान उत्पन्न ठोस कचरे का प्रबंधन और उसे उपयोग में लाना जैसे कि, चमड़े की कटिंग, छीलन, खाल से निकाले गए मांस को मूल्य वर्धित उत्पादों में बदलना, जैसे कि पेवर टाइल, बैग, पर्स, तेल आदि तैयार करना;

टेनिंग प्रक्रिया के दौरान प्रदूषण को कम करने के लिए पानी और रासायनिक बचत प्रौद्योगिकियों को अपनाने से चमड़े के प्रोसेस/प्रसंस्करण के दौरान अपशिष्ट का प्रबंधन करना;

व्यावसायिक स्वास्थ्य और सुरक्षा से संबंधित सर्वोत्तम प्रथाओं को अपनाने के लिए टेनरी कर्मियों की क्षमता का निर्माण करना:

पहले तीन हस्तक्षेपों के माध्यम से सिद्ध तकनीकी-आर्थिक तरीकों को अपनाने में सक्षम बनाने के लिए श्रमिकों के कौशल उपग्रेड करना और सरकार द्वारा नामित बहु-हितधारक मंच का गठन करना है। 

सीटीए के अध्यक्ष और क्षेत्रीय सीएलई अध्यक्ष ने कहा कि पर्यावरण उन्नयन और प्रस्तावित फुटवियर पार्क से निर्यात को काफी बढ़ावा देगा। शहर में बाटा के आने के कई साल बाद, अब यह पार्क, उसके मुक़ाबले एक मजबूत अंतरराष्ट्रीय उपस्थिति दर्ज़ करेगा। उन्होंने कहा कि इसके माध्यम से निर्यात को तीन साल में 6,000 करोड़ रुपये से 13,000 करोड़ रुपये मूल्य तक बढ़ाया जा सकता है।

ज़िया नफीस हाईद एजंसी के बैनर तले बनी एक टेनरी यूनिट जो अच्छी सुविधा के रूप में काम करती है, इसके मालिक ज़िया नफीस ने न्यूज़क्लिक को बताया कि एक्सपोर्ट एक्टिविटी में बहुत धीरे-धीरे बदलाव हो रहा है और उनके आकलन के अनुसार लॉकडाउन से पहले की दर पर पहुंचने में पांच से छह महीने लगेंगे। यूरोपीयन यूनियन इसके व्यापार लिए महत्वपूर्ण है और एक बार यूरोपीय यूनियन की तरफ से ऑर्डर मिलने लगे तो काम को काफी बढ़ावा मिलेगा। प्रवासी श्रमिकों में से अधिकांश की वापसी हो गई है- उनके 42 मजदूरों में से केवल छह ही बाकी रह गए हैं- निश्चित रूप से इससे मदद मिली है, नफीस ने बताया और कहा कि उन्हें उम्मीद है कि शेष छह भी जल्द ही वापस आ जाएंगे, क्योंकि यहाँ "नौकरी की सुरक्षा है"।

विनीत ग्लोव्स मेनूफेक्चरिंग के प्रबंध निदेशक विनित कुमार खेतान, जिनकी चार इकाइयाँ हैं- उसमें से एक टेनरी और तीन तैयार माल बनाने की इकाईयां हैं- उन्होने न्यूज़क्लिक को बताया कि पिछले दो महीनों में इकाइयाँ काम के सामान्य स्तर पर पहुँच गई हैं- कच्चा माल से  दस्ताने बनाने काम शुरू हो गया है और बकाया ऑर्डर को पूरा किया जा रहा है। उन्होंने कहा, "हमें कुछ नुकसान जरूर हुआ है, लेकिन हम संतुष्ट हैं कि श्रमिकों की कुछ कमी के बावजूद बहाली फिर से सुचारू हो गई है।" यूरोपीय यूनियन, अमेरिका और जापान हमारे प्रमुख बाजार हैं। खेतान के अनुसार, ऑर्डर के प्रवाह में संभवतः 2021 के मध्य से सुधार होगा। तब तक, अमेरिका की चुनावी सरगर्मी पूरी तरह से खत्म हो चुकी होगी और घरेलू व्यापार और बाज़ार का दृष्टिकोण भी उम्मीद से कहीं बेहतर होगा।

अखिल भारतीय ट्रेड यूनियन कांग्रेस से संबद्ध केवल एक ट्रेड यूनियन- पश्चिम बंगाल टेनरी मजदूर यूनियन- राज्य के चमड़ा क्षेत्र में काम करती है। इस यूनियन के महासचिव प्रेमचंद राम के कहा कि, “हम निहित स्वार्थों के बावजूद 1972 से जीवित रहने के प्रयास कर रहे हैं और कामयाब रहे हैं। तृणमूल कांग्रेस मालिकों का समर्थन करती है; यह राज्य सरकार की नीति के हिस्से के रूप में हो सकता है। ”उन्होंने कहा कि मूल रूप से यूनियन की स्थापना 1954 में इंडियन नेशनल ट्रेड यूनियन कांग्रेस द्वारा की गई थी और बाद में यह एआईटीयूसी के अंतर्गत आ गई थी। 

कुल कार्यबल, विशेष रूप से प्रवासी मजदूरों का अनुमान लगाना मुश्किल है। उनके आकलन के बारे में पूछे जाने पर, राम ने न्यूज़क्लिक को बताया कि कुछ 40,000 प्रवासी कर्मचारी टेनरी गतिविधि में लगे हुए हैं। तैयार माल बनाने में लगभग 15,000 बंगाली-बोलने वाले श्रमिक काम करते हैं।

अब तक, सेंटर ऑफ इंडियन ट्रेड यूनियन्स इस सेक्टर में अपनी उपस्थिति दर्ज़ करने के में विफल रही है। 2011 में टीएमसी के सत्ता में आने के बाद, इसने पंजीकरण के लिए आवेदन किया था। लेकिन, दक्षिण 24 परगना जिले के टुलू घोष दस्तीदार जो सीटू के कार्यकर्ता हैं के शब्दों में कहे तो, राज्य सरकार ने इतनी कड़ी शर्तें लगाई कि उन्हे स्वीकार करना मुश्किल था।  घोष दस्तीदार ने न्यूज़क्लिक को बताया, “लेकिन, हमने हार नहीं मानी है; हम पंजीकरण के लिए फिर से आवेदन करने के लिए अवसर की प्रतीक्षा कर रहे हैं।”

मूल रूप से अंग्रेज़ी में प्रकाशित बातचीत पढ़ने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें

Return of Migrant Workers Helps Resumption of City Leather Complex Work in Kolkata

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