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किसे नहीं लेनी चाहिए वैक्सीन: कोविशील्ड और कोवैक्सीन के लिए फेक्ट शीट जारी

बुखार से पीड़ित लोगों, गर्भवती एवं स्तनपान कराने वाली महिलाओं तथा रक्त विकारों से पीड़ित लोगों को टीका नहीं लगवाने की सलाह दी गई है।
कोरोना वायरस

नयी दिल्ली: ‘कोविशील्ड’ और ‘कोवैक्सीन’ की निर्माता कंपनियों ने टीका लेने वालों के लिए ‘फैक्ट शीट’ जारी कर कहा है कि अगर उन्हें स्वास्थ्य संबंधी कोई परेशानी हो तो उन्हें फिलहाल टीका नहीं लेना चाहिए और इस बारे में डॉक्टर को बताना चाहिए।

कोविड-19 टीका निर्माता कंपनी सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया ने लोगों से कहा है कि अगर उन्हें कंपनी के टीका ‘कोविशील्ड’ के निर्माण में इस्तेमाल किसी भी घटक से कोई गंभीर एलर्जी होने की आशंका है तो वे इसे नहीं लें।

कंपनी की ओर से टीका लेने वालों के लिए जारी ‘फैक्ट शीट’ में कहा गया है कि अगर इस टीके की पहली खुराक से किसी तरह की कोई गंभीर एलर्जी की शिकायत हुई हो तो उन्हें कोविशील्ड की अगली खुराक नहीं लेनी चाहिए।

सीरम इंस्टीट्यूट ने कहा कि कोविशील्ड के निर्माण में एल-हिस्टीडाइन, एल-हिस्टीडाइन हाइड्रोक्लोराइड मोनोहाइड्रेट, मैग्नेशियम क्लोराइड हेक्साहाइड्रेट, पॉलीसॉरबेट 80, इथेनॉल, सुक्रोज, सोडियम क्लोराइड, डाइसोडियम इडेटेट डाइहाइड्रेट (ईडीटीए), पानी की मात्रा का इस्तेमाल किया गया है।

कंपनी ने अपनी वेबसाइट पर ‘फैक्ट शीट’ जारी कर टीका लेने वालों को कोविशील्ड की जोखिम और फायदों से अवगत कराने का प्रयास किया है।

टीका निर्माता ने यह भी कहा कि लोगों को टीका लेने से पहले अपनी स्वास्थ्य की सभी स्थितियों से डॉक्टरों को अवगत कराना चाहिए।

कंपनी ने कहा कि कोविशील्ड टीका लेने से पहले लोगों को स्वास्थ्यसेवा प्रदाता को सभी चिकित्सीय स्थितियों के बारे में बताना चाहिए और यह भी बताना चाहिए कि ‘‘क्या आपको किसी भी दवा, खाद्य सामग्री, किसी भी टीका या काविशील्ड में प्रयुक्त किसी भी घटक से कभी किसी तरह की कोई एलर्जी की शिकायत तो नहीं हुई थी।’’

सीरम इंस्टीट्यूट ने कहा कि अगर किसी को बुखार है, अत्यधिक रक्तस्राव या खून से संबंधित कोई बीमारी है या उनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता कम है अथवा वे प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए कोई दवा लेते हैं तो वे टीका लेने से पहले डॉक्टर को इस बारे में जरूर बताएं।

‘फैक्ट शीट’ में कहा गया है कि अगर कोई महिला गर्भवती है या भविष्य में गर्भधारण करना चाहती है अथवा स्तनपान कराती है तो उन्हें भी टीका लेने से पहले डॉक्टर को इस बारे में बताना चाहिए।

सीरम इंस्टीट्यूट ने कहा कि टीका लेने वालों को यह भी बताना चाहिए कि क्या उन्होंने कोविड-19 का कोई और टीका तो नहीं लिया है।

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार सोमवार को शाम पांच बजे तक 3,81,305 लोगों का टीकाकरण हुआ और टीकाकरण के बाद 580 लोगों में प्रतिकूल असर देखने को मिला।

बुखार से पीड़ित लोग, गर्भवती एवं स्तनपान कराने वाली महिलाएं टीका नहीं लगवाएं : भारत बायोटेक

हैदराबाद:  भारत बायोटेक ने अपने कोविड-19 के टीके ‘कोवैक्सीन’ को लेकर परामर्श जारी किया है और अपनी फैक्ट शीट में बुखार से पीड़ित लोगों, गर्भवती एवं स्तनपान कराने वाली महिलाओं तथा रक्त विकारों से पीड़ित लोगों को टीका नहीं लगवाने की सलाह दी है।

टीका निर्माता कंपनी ने अपनी वेबसाइट पर कोवैक्सीन के बारे में तथ्य प्रकाशित किए हैं और कहा है कि टीके के असर को लेकर परीक्षण अभी बाकी है तथा तीसरे चरण के परीक्षण में इसका अध्ययन किया जा रहा है। इसलिए यह बताना जरूरी हो जाता है कि टीका लगवाने का मतलब यह नहीं है कि कोविड-19 से संबंधी जरूरी एहतियातों का पालन करना छोड़ दिया जाए।

परामर्श में कहा गया है, ‘‘अगर आपको किसी भी तरह की कोई एलर्जी है तो आप भारत बायोटेक का कोविड-19 टीका ‘कोवैक्सीन’ नहीं लगवाएं। अगर आपको तेज बुखार है, रक्त संबंधी विकार है तो यह टीका नहीं लगवाएं।’’

कंपनी ने कहा, ‘‘अगर आपकी रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर है या रोग प्रतिरोधक क्षमता को प्रभावित करने वाली कोई दवा लेते हैं, गर्भवती हैं या स्तनपान कराती हैं तो टीका लेने से बचें।’’

फैक्ट शीट में लोगों से यह भी कहा गया है कि टीका लेने से पहले उन्हें निगरानी अधिकारी को अपनी स्वास्थ्य संबंधी स्थिति के बारे में बताना चाहिए।

भारत बायोटेक ने कहा कि कोवैक्सीन के मौजूदा परीक्षण में यह पता चल रहा है कि चार हफ्ते के अंतराल पर टीके की दो खुराक लेने के बाद लोगों में प्रतिरोधक क्षमता बढ़ी है।

कोवैक्सीन के आपात स्थिति में सीमित इस्तेमाल की मंजूरी दी गयी है।

फैक्ट शीट में कहा गया है कि केंद्रीय लाइसेंसिंग प्राधिकरण ने जनहित में आपात स्थितियों में पूरे एहतियात के साथ टीके के इस्तेमाल और इसकी बिक्री एवं वितरण की अनुमति दी है।

इसमें कंपनी ने कहा कि कोवैक्सीन स्वदेश विकसित कोविड-19 टीका है, जिसे भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद और राष्ट्रीय विषाणु विज्ञान संस्थान ने संयुक्त रूप से बनाया है।

कोविड-19 के टीकाकरण में प्रतिकूल असर के केवल 0.18 प्रतिशत मामले आए हैं : स्वास्थ्य मंत्रालय

नयी दिल्ली:  सरकार ने मंगलवार को कहा कि कोविड-19 से बचाव के लिए टीका लेने वाले कुल लोगों में से 0.18 प्रतिशत में ही प्रतिकूल असर देखने को मिला, जबकि 0.002 प्रतिशत लोगों को अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा जो कि बहुत निम्न स्तर है।

नीति आयोग के सदस्य (स्वास्थ्य) वी के पॉल ने कहा कि टीकाकरण के बाद दुष्प्रभाव और गंभीर समस्या अब तक नहीं देखने को मिली है। प्रतिकूल असर के नगण्य मामले आए हैं। उन्होंने इस बात पर बल दिया कि दोनों टीके सुरक्षित हैं।

केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव राजेश भूषण ने कहा, ‘‘उपलब्ध आंकड़ों के मुताबिक टीकाकरण के बाद प्रतिकूल असर (एईएफआई) के अब तक केवल 0.18 प्रतिशत मामले आए हैं और केवल 0.002 प्रतिशत लोगों को ही अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा, जो कि निम्न स्तर है। जहां तक हमें पता है पहले तीन दिनों में प्रतिकूल असर का यह सबसे कम मामला है।’’

उन्होंने कहा कि भारत में पहले दिन कोविड-19 टीकाकरण अभियान के तहत सबसे अधिक लोगों को टीके दिए गए।

लोगों की आशंकाएं और तकनीकी समस्याएं कम टीकाकरण के कारण हो सकते हैं: विशेषज्ञ

नयी दिल्ली:  विशेषज्ञों का मानना है कि कोविड-19 टीकाकरण अभियान के पहले दिन टीके के प्रतिकूल प्रभाव के कुछ मामले सामने आने के बाद लोगों के आशंकित होने और तकनीकी समस्याएं अभियान के दूसरे दिन टीका लगवाने वाले लोगों की संख्या में कमी के कुछ कारण हो सकते हैं।

दिल्ली में सोमवार को लगभग 3,600 स्वास्थ्य कर्मियों को टीके लगाए गए। सूत्रों के मुताबिक, एम्स में केवल आठ स्वास्थ्य कर्मियों ने टीके लगवाए।

अधिकारियों द्वारा बाद में साझा किए गए आंकड़ों के अनुसार, दिल्ली में दिन का लक्ष्य 8,136 टीके रखा गया था, इस प्रकार इसके केवल 44 प्रतिशत तक ही पहुंचा जा सका।

अधिकारियों ने सोमवार को बताया कि 26 व्यक्तियों में टीकाकरण के बाद प्रतिकूल प्रभाव (एईएफआई) के मामले सामने आए, जिनमें दो गंभीर मामले हैं और एक व्यक्ति को अस्पताल में भर्ती कराया गया।

उन्होंने बताया कि एक दिन में पहले दिन दिल्ली में टीकाकरण के लिए पंजीकृत लोगों में से 53.3 प्रतिशत यानी 4,319 स्वास्थ्य कर्मियों को टीके लगाए गए। उस दिन एईएफआई का एक गंभीर और 51 मामूली मामलों की सूचना मिली।

अब तक कम टीकाकरण के पीछे कई चीजों को जिम्मेदार ठहराया जा रहा है, जिनमें कुछ तकनीकी समस्याएं और इसके प्रतिकूल प्रभाव को लेकर लोगों में पैदा हो रहा डर शामिल हैं।

विशेषज्ञों का मानना है कि एईएफआई के कई मामले सामने आने के बाद लोग आशंकित हो रहे हैं जोकि इसका एक बड़ा कारण हो सकता है।

इसके अलावा, कई लोग इंतजार करो और देखो की नीति को अपना रहे हैं, इसके अलावा को-विन ऐप में भी खामियां रहीं, जो कम टीकाकरण के अन्य कारणों में शामिल हैं।

राजीव गांधी अति विशिष्ट अस्पताल के चिकित्सा निदेशक बी एल शेरवाल ने कहा, ‘‘हां, एईएफआई के मामलों ने लोगों के दिमाग पर प्रभाव डाला है और इसको लेकर फैली आशंका कम टीकाकरण का कारण हो सकती है। लेकिन इसके कुछ अन्य कारण भी हैं। और, आखिरकार यह एक स्वैच्छिक कार्य है, इसलिए लोग अपनी पसंद से यह निर्णय लेते हैं। लेकिन, हम अपने अस्पताल के सभी विभाग प्रमुखों के माध्यम से स्वास्थ्य कर्मियों तक पहुंचने की कोशिश कर रहे हैं, ताकि उनका आत्मविश्वास बढ़ाया जा सके।’’ एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि दिल्ली सरकार द्वारा संचालित एलएनजेपी अस्पताल में अधिकारियों द्वारा साझा किए गए आंकड़ों के अनुसार, केवल 12 स्वास्थ्य कर्मियों को सोमवार को टीका लगाया गया, जबकि पहले दिन 32 स्वास्थ्य कर्मियों ने टीके लगवाए थे। इस अस्पताल में किसी में भी इसका प्रतिकूल प्रभाव सामने नहीं आया है।

इस बीच दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन ने मंगलवार को कहा कि यह कवायद स्वैच्छिक और व्यक्तिगत निर्णय से जुड़ी है कि टीका लगवाना है या नहीं? हालांकि लोगों का भरोसा बढ़ाने के लिए सभी प्रयास किए जा रहे हैं। साथ ही कहा कि लोगों का भरोसा धीरे-धीरे बढ़ेगा।

उन्होंने कहा कि यह एक स्वैच्छिक कार्यक्रम है और लोग स्वयं अपना फैसला ले रहे हैं क्योंकि यह शुरुआती चरण है।

यह पूछे जाने पर कि कुछ नेताओं द्वारा इसके प्रभाव एवं सुरक्षा को लेकर संशय जताया जाना भी एक कारण हो सकता है तो जैन ने कहा, ' नहीं। टीका लगवाना व्यक्तिगत निर्णय है और इसका टीके के संबंध में की गई राजनीतिक बयानबाजी से कोई लेना-देना नहीं है।'

को-विन कोविड-19 टीका वितरण की निगरानी के लिए एक ऑनलाइन प्लेटफॉर्म है।

एलएनजेपी अस्पताल के चिकित्सा निदेशक सुरेश कुमार ने कहा, "हमारे अस्पताल में ऐप में कुछ गड़बड़ियां थीं। हमें अभियान के दौरान यह संख्या बढ़ने की उम्मीद है।" भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद के पूर्व महानिदेशक एन के गांगुली ने कहा कि धीरे-धीरे यह संख्या बढ़ेगी क्योंकि लोग टीकों के बारे में पूरी तरह से अवगत होना चाहते हैं।

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