भड़काऊ बयान देने वाली रागिनी तिवारी पर आख़िर क्यों नहीं हो रही कार्रवाई?
“…अगर किसान आंदोलन से सरकार मुक्त नहीं कराती है दिल्ली को, तो फिर से जाफराबाद रागिनी तिवारी बनाएगी। और जो होगा, उसकी जिम्मेदार केंद्र और राज्य सरकार होगी। दिल्ली पुलिस होगी। जय श्री राम।”
रागिनी तिवारी, इस नाम से शायद सब वाक़िफ़ होंगे। दिल्ली दंगों से पहले ‘मार डालो, काट डालो’ की बात करने वाली रागिनी तिवारी अब किसान आंदोलन को खत्म करने के लिए केंद्र और राज्य सरकार को चेतावनी दे रही हैं। सोशल मीडिया पर वायरल एक वीडियो में वो कहती नज़र आ रही हैं कि अगर 16 दिसंबर तक सरकार किसान आंदोलन को हटाती नहीं है, तो 17 को फिर ज़ाफराबाद बनेगा।
आपको बता दें कि नागरिकता संशोधन क़ानून सीएए और एनआरसी के विरोध में 22 फरवरी को ज़ाफराबाद मेट्रो स्टेशन के पास लोग जमा थे। इसके बाद दंगा भड़क गया था जिसमें कई लोग मारे गए थे। और अब रागिनी का कहना है कि अगर आंदोलन 16 तक खत्म नहीं हुआ तो जैसे ज़ाफराबाद में स्थिति हुई थी, वही स्थिति वो किसान आंदोलन में करेंगी।
क्या है पूरा मामला?
उत्तर-पूर्वी दिल्ली में हिंसा भड़काने से ठीक एक दिन पहले 23 फरवरी को खुद को हिंदुत्ववादी नेता बताने वाली रागिनी तिवारी उर्फ जानकी बहन ने एक भड़काऊ वीडियो बनाया था। जिसे कई मीडिया रिपोर्ट्स में हिंसा का चेहरा भी बताया गया था।
मौजपुर से एक फेसबुक लाइव में उन्होंने कहा था,“दिल्ली पुलिस लट्ठ बजाओ, हम तुम्हारे साथ हैं..., जरूरत पड़ी तो हमें बुलाओ, हम तुम्हारे साथ हैं। काट डालो, जो भी है, काट डालो…अब जिसका खून न खौला, खून नहीं वो पानी है।”
This lady ( Ragni Tiwari) doing Facebook live from past 3-4 days with similar provocative slogans .
Hello @DelhiPolice, Her provocative videos are now viral on Facebook and whatsapp. pic.twitter.com/0CZKQfN7xI— Mohammed Zubair (@zoo_bear) February 27, 2020
एबीपी न्यूज़ की रिपोर्ट के मुताबिक रागिनी तिवारी ने 24 फरवरी को भी लगातार ज़ाफराबाद का माहौल बिगाड़ने की कोशिश की। वो लगातार भड़काऊ बातें करती रहीं। लोगों की भीड़ को भड़काती रहीं, सड़क जाम करती रहीं।
बार-बार भड़काया
24 तारीख की सुबह भी रागिनी तिवारी ने फिर से फेसबुक लाइव किया। इसी फेसबुक लाइव में रागिनी तिवारी ने एक बार फिर लोगों को भड़काया और उन्हें घर से बाहर निकलने को कहा।
रागिनी ने कहा,“दिल्ली के लोगों से मैं ये कहना चाहती हूं कि बाहर निकलिए। पहले शाहीन बाग, फिर जाफराबाद, फिर आगे... ये क्या दिखाना चाहते हैं...?.”
कोई कार्रवाई नहीं हुई!
मालूम हो कि इतना सब कहने और करने के बाद भी रागिनी तिवारी अभी तक दिल्ली पुलिस की गिरफ़्त से बाहर हैं। ‘द क्विंट’ की एक रिपोर्ट के मुताबिक, रागिनी तिवारी के वीडियो वायरल होने के बावजूद उनका नाम दिल्ली हिंसा की चार्जशीट में नहीं था।
दिल्ली पुलिस की तरफ से हिंसा मामले में दायर चार्जशीट में जो विस्तृत घटनाक्रम (क्रोनोलॉजी) है, उसमें भी रागिनी का नाम नहीं है। इस क्रोनोलॉजी में पुलिस ने उन भाषणों और घटनाओं का जिक्र किया है, जिनके बाद हिंसा शुरू हुई थी।
लोग रागिनी तिवारी के ख़िलाफ़ कार्रवाई की मांग कर रहे हैं!
अब एक बार फिर रागिनी तिवारी का धमकी भरा वीडियो सामने आने के बाद लोग ट्विटर पर दिल्ली पुलिस को टैग कर रागिनी तिवारी के खिलाफ कार्रवाई की मांग कर रहे हैं। लोगों का ये भी कहना है कि जब रागिनी तिवारी खुद फेसबुक लाइव के ज़रिए दिल्ली दंगों के दौरान ऐसे भड़काऊ बातें कह रही थी, तो इससे पूछताछ क्यों नहीं हुई और इसे दंगे में आरोपी क्यों नहीं बनाया गया। हालांकि खबर लिखे जाने तक दिल्ली पुलिस की तरफ से कोई जवाब नहीं आया है।
किसान आंदोलन को लेकर क्या कहा रागिनी तिवारी ने?
किसान आंदोलन को लेकर सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे रागिनी के वीडियो को कई लोगों ने दिल्ली पुलिस और CP दिल्ली को टैग करते हुए शेयर किया है। इसमें रागिनी तिवारी कह रही हैं, “मुझे लोग जानकी तिवारी कहते हैं। किसान आंदोलन जो दिल्ली में हो रहा है... हम गांधी के बंदर नहीं बन सकते, आंख बंदकर के नहीं देख सकते ऐसे साजिश को… मुझे नहीं मतलब है केंद्र सरकार और राज्य सरकार से।”
Ragini Tiwari openly gave call for slaughtering Muslims on FB live from North East Delhi. She was not even interrogated or made an accused.
Now she has given a fresh warning to end farmers' protest otherwise "she will turn it into another Jaffrabaad" 1/2@CPDelhi @DelhiPolice pic.twitter.com/QIQPBfwsvf
— Nabiya Khan | نبیہ خان (@NabiyaKhan11) December 12, 2020
रागिनी यहीं नहीं रुकतीं, वो आगे कहती हैं... मैं गांधी की बंदर महिला नहीं हूं, 16 तारीख तक अगर सरकार किसान आंदोलन को हटाती नहीं है, किसान आंदोलन से निपटती नहीं है, तो 17 को फिर ज़ाफराबाद बनेगा। और रागिनी तिवारी फिर रोड खाली कराएगी और आंदोलन बंद कराएगी और इसकी पूरी जिम्मेदारी केंद्र सरकार और राज्य सरकार की होगी।
गौरतलब है कि रागिनी तिवारी खुद को हिंदुत्व नेता बताती हैं। उनके फेसबुक अकाउंट के मुताबिक वो बिहार के मुज़फ़्फ़रपुर की रहने वाली हैं। हालांकि उनका दावा है कि वो किसी भी राजनीतिक पार्टी से नहीं जुड़ी हैं, पर कई मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो, वो खुद दावा करती हैं कि उन्होंने दिल्ली विधानसभा में बीजेपी प्रत्याशी अभय वर्मा के लिए कैम्पेनिंग की थी। इसके अलावा वो पीएम मोदी को भी पसंद करती हैं।
छात्र नेताओं पर कार्रवाई लेकिन राजनेताओं से पूछताछ भी नहीं!
बता दें कि इस साल फरवरी के आखिर में हुए दिल्ली दंगों में पुलिस के अनुसार आधिकारिक तौर पर 53 लोग मारे गए थे। 13 जुलाई को दिल्ली हाईकोर्ट में दायर दिल्ली पुलिस के हलफ़नामे के मुताबिक़, मारे गए लोगों में से 40 मुसलमान और 12 हिंदू थे। जबकि एक व्यक्ति की पहचान नहीं हो पाई थी। इस मामले में पुलिस ने जेएनयू के पूर्व छात्र उमर ख़ालिद और मौजूदा छात्र शरजील इमाम को भड़काऊ भाषण देने के आरोप में गिरफ्तार किया है तो वहीं कई छात्र नेताओं पर एफ़आईआर दर्ज की है जो दिल्ली में सीएए के खिलाफ़ प्रदर्शनों में आगे-आगे दिख रहे थे।
हालांकि इस दौरान सोशल मीडिया और सार्वजनिक तौर पर कई राजनेताओं के बयानों को हिंसा भड़काने के लिए भी जिम्मेदार बताया गया। जिसमें केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर, बीजेपी नेता कपिल मिश्रा, परवेश वर्मा समेत कई अन्य के नाम सामने आए लेकिन दिल्ली पुलिस ने अब तक इन पर कोई कार्रवाई नहीं की। ठीक इसी तरह रागिनी तिवारी भी पुलिस कार्रवाई से अब तक बची हुई हैं।
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