Skip to main content
xआप एक स्वतंत्र और सवाल पूछने वाले मीडिया के हक़दार हैं। हमें आप जैसे पाठक चाहिए। स्वतंत्र और बेबाक मीडिया का समर्थन करें।

'लोकतंत्र के ख़ात्मे' पर इतनी ख़तरनाक ख़ामोशी क्यों है?

हैरानी की बात है कि इन परिस्थितियों पर समाज में जितनी चिंता की जानी चाहिए, समाज को जिस तरह से आंदोलित होना चाहिए, वह नदारद है।
democracy
सांकेतिक तस्वीर (फ़ाइल फ़ोटो)

भारत की जनता स्वतंत्रता के लिए संघर्ष कर रही थी। जवाहरलाल नेहरू भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अध्यक्ष थे। उनकी लोकप्रियता और स्वीकार्यता तेजी से बढ़ रही थी। उसी बीच, 1937 में कलकत्ता के 'मॉडर्न रिव्यू' में 'द राष्ट्रपति' शीर्षक से एक लेख छपा। लेखक का नाम था 'चाणक्य'। यह लेख कहता है कि "जवाहरलाल जिस तेजी से लोकप्रिय हो रहे हैं, उनमें एक तानाशाह बनने की पूरी संभावना है। जरा सा दिमाग फिरा तो वे लोकतंत्र को ताक पर रख सकते हैं। ऐसा हुआ तो यह हिंदुस्तान के लिए भयावह होगा। नेहरू को इतना मजबूत न होने दो कि वो सीजर हो जाए। हमें तानाशाहों की जरूरत नहीं है।"

यह चाणक्य कोई और नहीं था, यह खुद जवाहरलाल नेहरू थे जो छद्म नाम से अपने ही खिलाफ लेख लिख रहे थे और लेख में वकालत की गई थी कि नेहरू को एक बार फिर से कांग्रेस अध्यक्ष नहीं बनना चाहिए। कहते हैं कि उस समय चारों ओर नेहरू की जय-जयकार से वे खुद उकता गए थे और यह लेख इसलिए लिखा क्योंकि उन्हें डर था कि कहीं ऐसा न हो कि देश की जनता उनमें एक तानाशाह देखने लगे।

भारतीय लोकतंत्र की यात्रा यहां से शुरू हुई थी कि जो व्यक्ति स्वतंत्रता संग्राम के अगुआ चेहरों में था, वह विपक्षी संतुलन बनाने के लिए अपनी ही आलोचना कर रहा था। नेहरू का मानना था, ‘मैं नहीं चाहता कि भारत ऐसा देश बने जहां लाखों लोग एक व्यक्ति की ‘हां’ में हां मिलाएं, मैं एक मजबूत विपक्ष चाहता हूं।’ लोकतंत्र अकेले नेहरू का नहीं, पूरे स्वतंत्रता आंदोलन का सामूहिक प्रयास था। यह हमारे महापुरुषों की ओर से भारतीय जनता से किया गया वादा था, जिसे नेहरू निबाह रहे थे। अब आते हैं 2022 में।

कांग्रेस नेता राहुल गांधी भारत जोड़ो यात्रा पर निकले हैं। हाल ही में इंदौर की एक सभा में उन्होंने जनता से कहा, "लोकसभा में कांग्रेस के सांसदों ने अनेक बार किसानों के मुद्दे, नोटबंदी, गलत जीएसटी, महंगाई जैसे मुद्दे उठाने की कोशिश की, लेकिन जब भी हम जनता के मुद्दे उठाने की कोशिश करते हैं तो हमारा माइक बंद कर दिया जाता है।" इतना बोलने के बाद उन्होंने अपना माइक बंद कर दिया और बोलते रहे। जनता को आवाज सुनाई देनी बंद हो गई तो जनता चिल्लाने लगी। इस पर राहुल गांधी ने कहा कि जो अभी आपने देखा, यही हमारे साथ संसद में होता है। हम बोलते रहते हैं, लेकिन हमारी आवाज बंद कर दी जाती है।

जो लोग भारत जोड़ो यात्रा पर नजर रख रहे हैं, वे जानते हैं कि राहुल गांधी शुरुआत से ही अपनी हर सभा में और उसके पहले से ये बातें लगातार दोहरा रहे हैं। यात्रा से पहले जब जयपुर में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का चिंतन शिविर आयोजित हुआ तो इसमें राहुल गांधी ने अपने कार्यकर्ताओं से कहा था, "आज हमें चर्चा करने की इजाजत नहीं है। संसद में हमारे माइक बंद कर दिए जाते हैं। सदस्यों को बाहर फेंक दिया जाता है। न्यायपालिका दबाव में है। संवाद की परंपरा को रौंद दिया गया है। इस देश की संस्थाओं को अपना काम नहीं करने दिया जा रहा है। मीडिया अपना काम नहीं कर पा रहा है। हम बहुत गंभीर संकट का सामना कर रहे हैं। पेगासस के जरिये इस देश के राजनीतिक वर्ग को बोलने से रोका जा रहा है। देश आर्थिक संकट का सामना कर रहा है। महंगाई और बेरोजगारी इतिहास की सबसे बड़ी समस्या बन गए हैं। अब सवाल ये है कि कांग्रेस को क्या करना चाहिए।... हमारी जिम्मेदारी जनता के साथ खड़े होने की है। हमें जनता के पास जाना पड़ेगा। हमारे लिए नहीं, देश के लिए।"

जयपुर चिंतन शिविर के कुछ दिन बाद कांग्रेस पार्टी ने रामलीला मैदान में एक महंगाई रैली आयोजित की। इस रैली में भी राहुल गांधी ने दोहराया कि सारी संस्थाएं और एजेंसियां, मीडिया और अदालतें जनता से छीन ली गई हैं। अब हमें जनता की अदालत में जाना होगा। यात्रा के दौरान राहुल गांधी बार-बार कह रहे हैं कि हमारे लोकतंत्र में विपक्षी पार्टियां सत्ताधारी पार्टी से जिन लोकतांत्रिक साधनों से मुकाबला करती थीं, वे सारे साधन, सारे लोकतांत्रिक हथियार छीन लिए गए हैं। अब आरएसएस और भाजपा को सिर्फ देश की जनता हरा सकती है।

यह देश की सबसे पुरानी और संसद में सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी की ओर से लगातार किया गया ऐलान है कि देश में लोकतंत्र को खत्म कर दिया गया है। इसे मात्र राजनीतिक बयान समझकर नजरअंदाज करना एक बेहद खतरनाक वक्त का इंतजार करना है। क्या यह सच नहीं है कि जिस राज्य में चुनाव होने होते हैं, वहां चुनाव आयोग के पहले ईडी और सीबीआई सक्रिय हो जाती हैं? क्या यह सच नहीं है कि विपक्षी पार्टियों और नेताओं पर एजेंसियों द्वारा दबाव बनाया जाता है ताकि वे राजनीतिक रूप से निष्क्रिय रहें? क्या यह सच नहीं है कि चुनाव आयोग पक्षपाती रवैया अपनाता हुआ दिखता है और नरेंद्र मोदी के खिलाफ आचार संहिता के उल्लंघन की शिकायतों को भी नजरअंदाज करता है? क्या यह सच नहीं है कि न्यायपालिका ने कई सबसे अहम मौकों पर जनता को निराश किया और उसपर दबाव की चर्चाएं छिड़ीं? क्या यह सच नहीं है कि देश में मुख्यधारा के मीडिया को सत्ता का दरबारी बना दिया गया है?

हैरानी की बात है कि इन परिस्थितियों पर समाज में जितनी चिंता की जानी चाहिए, समाज को जिस तरह से आंदोलित होना चाहिए, वह नदारद है। दुर्भाग्य से मीडिया और बुद्धिजीवी वर्ग भी इस तानाशाही को नजरअंदाज कर रहा है और विपक्ष की इन शिकायतों पर मौन है। यह सामान्य बात नहीं है कि देश का विपक्ष जनता के सामने इतनी लाचारी का प्रदर्शन करे कि देश की सारी संस्थाएं हमसे छीन ली गई हैं और हम राजनीतिक रूप से बदलाव लाने के लिए सक्षम नहीं बचे हैं। यह देश में लोकतंत्र की हत्या का ऐलान है, यह देश में लोकतंंत्र के खत्म हो जाने की मुनादी है।

राहुल गांधी जो कह रहे हैं, उसकी सच्चाई को जांचने के लिए आपको अन्ना हजारे के नेतृत्व में हुए एक कथित आंदोलन को याद करना चाहिए। इस आंदोलन की शुरुआत हुई तो पहली बार महज कुछ हजार लोग एकत्र हुए थे, लेकिन मीडिया चैनल इस पर दिनरात प्रसारण कर रहे थे। आज भारत जोड़ो यात्रा में हर दिन लाखों लोग जुट रहे हैं, लेकिन मीडिया से यह यात्रा गायब कर दी गई है। मीडिया अगर लोकतंत्र का चौथा स्तंभ होता है तो भारत में यह स्तंभ ढहाकर इसे झूठ और नफरत के हथियार में बदल दिया गया है।

हमारे देश के विपक्ष ने तो लोकतंत्र के खात्मे की मुनादी कर दी है। सारे विपक्षी दल बार बार जनता को आगाह कर रहे हैं। राहुल गांधी, कांग्रेस पार्टी, कई सामाजिक संगठन और तमाम बुद्धिजीवी जन मिलकर इस यात्रा के बहाने लोकतंत्र को बचाने निकले हैं। लेकिन सवाल है कि क्या यह लोकतंत्र सिर्फ राहुल गांधी, नरेंद्र मोदी, कांग्रेस, भाजपा या कुछ लोगों का है? यह लोकतंत्र तो भारत की जनता का है, जिसने कुर्बानियां देकर इसे बनाया है। क्या जनता सिर्फ मूकदर्शक बनी रहेगी?

(लेखक स्वतंत्र पत्रकार हैं। विचार व्यक्तिगत हैं।)

अपने टेलीग्राम ऐप पर जनवादी नज़रिये से ताज़ा ख़बरें, समसामयिक मामलों की चर्चा और विश्लेषण, प्रतिरोध, आंदोलन और अन्य विश्लेषणात्मक वीडियो प्राप्त करें। न्यूज़क्लिक के टेलीग्राम चैनल की सदस्यता लें और हमारी वेबसाइट पर प्रकाशित हर न्यूज़ स्टोरी का रीयल-टाइम अपडेट प्राप्त करें।

टेलीग्राम पर न्यूज़क्लिक को सब्सक्राइब करें

Latest