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27 महीने बाद जेल से बाहर आए आज़म खान अब किसके साथ?

सपा के वरिष्ठ नेता आज़म खान अंतरिम ज़मानत मिलने पर जेल से रिहा हो गए हैं। अब देखना होगा कि उनकी राजनीतिक पारी किस ओर बढ़ती है।
azam khan

समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता और विधायक आज़म खान को 27 महीनों बाद अंतरिम ज़मानत पर जेल से रिहा कर दिया गया है। सीतापुर  जेल से बाहर आते ही उनके दोनों बेटे विधायक अब्दुल्ला आज़म खान और अदीब साथ नज़र आए। इसके अलावा उनके स्वागत के लिए प्रसपा प्रमुख शिवपाल यादव और समर्थकों का भारी हुजूम भी पहुंचा।

शिवपाल सिंह यादव आजम खान को लेने सीतापुर जेल पहुंचे, इसकी जानकारी उन्होंने ट्वीट कर दी। उन्होंने ट्वीट किया, "सूबे के आवाम के लिए यह सुखद है कि आजम खान साहब आज उनके चाहने वालों के बीच होंगे...मैं सीतापुर के लिए निकल चुका हूं, उत्तर प्रदेश के क्षितिज पर नया सूरज निकल रहा है। आइए, आजम खान साहब का इस्तकबाल करें।"

वहीं, आज़म खान की रिहाई पहले उनके बेटे अब्दुल्ला आज़म खान ने भी ट्वीट किया।

आज़म खान की रिहाई के वक्त सबसे ज्यादा नज़रें इसपर थीं कि क्या सपा प्रमुख अखिलेश यादव उनके स्वागत के लिए पहुंचेगें? हालांकि अखिलेश यादव ने एक ट्वीट के ज़रिए आज़म खान की ज़मानत का स्वागत किया।

आज़म खान को क्यों जाना पड़ा था जेल?

समाजवादी पार्टी के रामपुर विधायक आजम खान पर 88 आपराधिक शिकायतें दर्ज हैं। आजम खान परिवार पर दस्तावेजों में हेराफेरी करके फर्जी पैन कार्ड और पासपोर्ट बनवाने को लेकर, साल 2019 में मुकदमा दर्ज हुआ था। आरोप था कि आजम खान के बेटे अब्दुल्ला आजम ने अपनी उम्र छिपाने के लिए फर्जी जन्म प्रमाण पत्र दिया था।

बीजेपी नेता आकाश सक्सेना ने जनवरी, 2019 में अब्दुल्ला पर धोखाधड़ी से दो जन्म प्रमाण पत्र बनाने का आरोप लगाया था। आजम खान और उनकी पत्नी पर इसके लिए शपथपत्र देकर गलत जानकारी देने का आरोप लगाया था। इस मामले में उत्तर प्रदेश पुलिस ने अप्रैल, 2019 में चार्जशीट दाखिल की थी। आजम खान पर आरोप था कि वो इस मामले में अदालत के बार-बार बुलाने के बावजूद हाजिर नहीं हो रहे थे। जिसके बाद कोर्ट ने गैर जमानती वारंट जारी किया था। 26 फरवरी 2020 को तीनों ने अदालत में आत्मसमर्पण किया और जमानत मांगी लेकिन, अदालत ने उन्हें रामपुर की जिला जेल भेज दिया। तब से लेकर अब तक आजम खान पर एक के बाद कई केसों में आजम खान का नाम जुड़ता गया।

गौरतलब है कि आजम खान को  गुरुवार यानी 19 मई को सुप्रीम कोर्ट से अंतरिम जमानत मिली,  जिसके बाद देर रात उनकी रिहाई का आदेश जेल पहुंचा और तमाम काग़ज़ी कार्रवाई के बाद उन्हें शुक्रवार सुबह जेल से रिहाई मिली। सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें अंतरिम जमानत दी है। रेगुलर बेल के लिए उन्हें 14 दिन का समय दिया गया है। 14 दिन के भीतर उन्हें निचली अदालत से रेगुलर बेल लेनी होगी। अगर निचली अदालत से उन्हें बेल नहीं मिलती है तो फिर जेल जाना पड़ सकता है।

आपको बता दें कि रामपुर पब्लिक स्कूल से जुड़ा हुआ एक मामले भी आज़म खान के खिलाफ दर्ज किया गया था। रामपुर पब्लिक स्कूल मामले में आज़म खान ने अपने अधिवक्ता के माध्यम से सुप्रीम कोर्ट में अंतरिम ज़मानत के याचिका दाखिल की थी। जिसके बाद कोर्ट ने उन्हें गुरुवार को ज़मानत दे दी।

आज़म खान पर दर्ज महत्वपूर्ण मामले

मज़दूरों के हक़ का पैसा दबाने का आरोप

नियम ये कहता है कि जब कोई बिल्डिंग का निर्माण करवाया जाता है तो उसकी कीमत का एक फीसदी लेबर डिपार्टमेंट में जमा कराया जाता है। इस पैसे से उत्तर प्रदेश भवन एवं कारागार कल्याण बोर्ड, मज़दूरों के विकास के लिए काम करवाता है। जौहर विश्वविद्यालय के निर्माण लागत के आधार पर 4.5 करोड़ रुपये आज़म खान को भी जमा कराने थे, लेकिन आरोप है कि उन्होंने चुप्पी साध ली। बाद में स्थानीय भाजपा नेता आकाश सक्सेना के हो-हल्ला मचाने पर आज़म खान की ओर से सिर्फ 1 करोड़ 97 लाख रुपये जमा करा दिए गए।

सरकारी ज़मीन पर रिसॉर्ट बनाने का आरोप

सुप्रीम कोर्ट ने आज़म खान पर 5 लाख 32 हज़ार रुपये का ज़ुर्माना लगाया है, क्योंकि आज़म का हमसफर रिसॉर्ट सरकारी ज़मीन पर बनाया गया था।

पीडब्ल्यूडी को 3.27 करोड़ की देनदारी

सरकारी सड़क पर जौहर यूनिवर्सिटी का गेट बना देने के कारण कोर्ट ने आज़म खान पर 3 करोड़ 27 लाख का ज़ुर्माना लगाया है, इस रकम को भी आज़म खान को जमा करना है, हालांकि अभी तक पैसे जमा नहीं करवाए गए हैं। 

आज़म खान पर बकरी और भैंस चुराने के भी आरोप

27 महीने बाद जेल से रिहा हुए आज़म खान पर कुछ अन्य मामले भी दर्ज हैं, जिनमें बकरी और भैंस चुराने के साथ बूढ़ी महिला के जेवरात और एक शख्स के पॉकेट से कुछ रुपये चुराने का आरोप लगा था। कई केस ऐसे रहे, जिन्हें भाजपा के समर्थक रहे शख्स ने दर्ज कराए। आज़म के परिवार इन आरोपों को हास्यास्पद करार देते हुए भरोसे के लायक नहीं बताया।

वक़्फ़ बोर्ड की ज़मीन का ग़लत इस्तेमाल

आज़म खान के खिलाफ एक और बड़ा मामला दर्ज हैं, जिसमें उनके खिलाफ वक्फ बोर्ड की ज़मीन ग़लत तकीरे से अपने पक्ष में कराने के मामले में केस दर्ज हुआ था। हालांकि इस मामले में इसी साल 5 मई को सुनवाई हुई थी, तब अदालत ने फैसला सुरक्षित रख लिया था। हालांकि 10 मई को इस मामले में आज़म को ज़मानत मिल गई थी।

जेल में रहकर भी नहीं घटा वर्चस्व

हालहि में उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव गुज़रे हैं, जिसमें भाजपा ने बहुमत की सरकार बनाई। इन चुनावों के वक्त आज़म खान जेल में ही थे लेकिन उन्होंने चुनाव लड़ा और लगातार 10वीं बार जीत हासिल की। इतना ही नहीं रामपुर की 5 में से 3 सीटों पर आज़म का दबदबा साफ दिखा और सपा उम्मीदवारों ने जीत भी हासिल की।

आज़म खान पर सभी पार्टियों की नज़र

उत्तर प्रदेश की राजनीति में आज़म खान एक ऐसे नेता हैं, जो 20 मुसलमानों के साथ-साथ यादव समाज में भी अपनी अच्छी पकड़ रखते हैं। यही कारण है कि अखिलेश यादव हों या फिर मुलायम सिंह यादव.. आज़म के लिए हमेश मधुर बोली ही बोलते हैं। लेकिन पिछले दिनों जब आज़म जेल में थे तब उनके मीडिया प्रभारी फसाहत खान शानू ने ये तक कह दिया था कि योगी आदित्यनाथ सही कह रहे थे कि अखिलेश नहीं चाहते कि आज़म खान जेल से बाहर आए। जिसके बाद ख़बरें आने लगी कि अखिलेश यादव के जेल में सिर्फ एक बार मिलने आने के कारण आज़म उनसे नाराज़ हैं, जिसके बाद दूसरी राजनीतिक पार्टियों का आज़म से मुलाकात के लिए तांता लग गया। जिसमें शिवपाल यादव सबसे आगे रहे। इसके अलावा कांग्रेस नेता आचार्य प्रमोद कृष्णम भी जेल में आज़म खान से मिलने पहुंचे उधर जयंत चौधरी भी आज़म के परिवार से मिलने उनके घर पहुंच गए थे। जिसके बाद कई सवाल उठने लगे कि आज़म कहां जाएंगे और किसके साथ अपनी सियासी पारी को आगे बढ़ाएंगे। 

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