आडवाणी, मोदी और सियासी ज़हर का रास्ता
भाजपा के संस्थापक नेताओं में सबसे बुजुर्ग लालकृष्ण आडवाणी ने बीते 4 अप्रैल को एक ब्लॉग लिखा। इसमें उन्होंने अपने राजनीतिक शिष्य और मौजूदा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का नाम लिये बगैर उनकी कई नीतियों की आलोचना की। इसमें सबसे प्रमुख थी : मौजूदा भाजपा सरकार और सत्ताधारी पार्टी की विभाजनवादी नीति! असहमत लोगों को देशद्रोही तक कह देने की प्रवृत्ति! इशारों में मोदी-शाह की जोड़ी पर हमलावर हुए आडवाणी की विपक्षी खेमे के कुछ नेताओं और मीडिया के हलके में कुछ लोगों ने तारीफ की। लेकिन उन्होंने इस बात को नज़रंदाज कर दिया कि 91 वर्षीय आडवाणी गांधीनगर लोकसभा सीट से बेदखल किए जाने के बाद यह 'ज्ञान' दे रहे हैं! ऐसे लोग यह भी भूल रहे हैं कि मोदी-शाह की जोड़ी को भाजपा में आडवाणी ने ही पाला-पोसा! संयोगवश, 6 अप्रैल भाजपा का स्थापना दिवस है। इस पार्टी, आडवाणी और मोदी के लंबे सियासी सफर पर रोशनी डाली रहे हैं : वरिष्ठ पत्रकार उर्मिलेश।
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