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आर्टिकल 370 के हटने के बाद क्या हैं कश्मीर के हालात 

राज्यसभा के बाद लोकसभा में जम्मू-कश्मीर पर बहस जारी है, लेकिन उधर दिल्ली से इतर कश्मीर के हालात थोड़े अलग हैं। घाटी के हालात पर पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती की बेटी सना से 'वॉइस नोट्स' के जरिए न्यूज़क्लिक ने बातचीत की।
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राजधानी दिल्ली में देश की संसद में जम्मू-कश्मीर पर बहस जारी है। सोमवार को राज्यसभा में जम्मू कश्मीर राज्य का पुनर्गठन और 370 के अधिकतर प्रावधानों को समाप्त करने के विधेयक के पास होने के बाद आज, मंगलवार को लोकसभा इसपर चर्चा कर रही है। लेकिन दिल्ली से इतर कश्मीर के हालात थोड़े अलग हैं। 

आर्टिकल 370 हटने के बाद पुलिस ने सोमवार शाम को जम्मू कश्मीर के दो पूर्व मुख्यमंत्रियों महबूबा मुफ्ती और उमर अब्दुल्ला के अलावा सज्जाद लोन व इमरान अंसारी को गिरफ्तार कर लिया है। जबकि नेशनल कांफ्रेंस के अध्यक्ष और सांसद डॉ. फारूक अब्दुल्ला समेत मुख्यधारा के एक दर्जन नेताओं के साथ कट्टरपंथी सैयद अली शाह गिलानीमीरवाइज मौलवी उमर फारूक समेत कई प्रमुख अलगाववादी नेताओं को उनके घरों में नजरबंद कर दिया गया है।  

घाटी में इंटरनेट सेवाओं को भी बंद करने के साथ ही श्रीनगर में धारा 144 लगा दी गई है। वादी के महत्वपूर्ण संस्थानों और संवेदनशील क्षेत्रों की चौकसी बढ़ा दी गई है। चप्पे-चप्पे पर सुरक्षा बल तैनात हैं। राज्य के सभी जिलों में तमाम शिक्षण संस्थान अगले आदेश तक बंद कर दिए गए हैं।

राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने प्रशासनिक मशीनरी से पूरी तरह सजग रहने और किसी भी स्थिति से निपटने के लिए समन्वित प्रयास करने का निर्देश दिया है। साथ ही विभिन्न राजनीतिक दलोंमजहबी संगठनों व सामाजिक संगठनों के नेताओं व आम जनता से कानून व्यवस्था की स्थिति बनाए रखने में राज्य प्रशासन का सहयोग करने की अपील की है।

संसद में जम्मू कश्मीर को लेकर सोमवार हुए राजनीतिक घटनाक्रम से पैदा हालात के बीच सेना की उत्तरी कमान प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल रणबीर सिंह ने राज्यपाल सत्यपाल मलिक से मुलाकात की है। 

घाटी के हालात पर कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती की बेटी इल्तिजा जावेद (घर का नाम सना) से 'वॉइस नोट्सके जरिए न्यूज़क्लिक ने बातचीत की। 

उन्होंने बताया, 'कश्मीर में हालात बिल्कुल ठीक नहीं है। यहां एक खौफ का माहौल है। हालांकि लोगों को हफ्ते भर से कुछ अंदेशा थाजब से अमरनाथ यात्रा रोकी गई थी और पर्यटकों को यहां से बाहर भेजा गया था। अब जबसे केंद्र ने आर्टिकल 370 को लेकर फैसला किया तब से हालात बहुत ही तनावपूर्ण है। किसी को कुछ पता नहीं है कि आपस में एक दूसरे से कैसे बात करें। बड़ी संख्या में लोगों को अपने ही घरों में कैद कर दिया गया है। पता नहीं केंद्र सरकार कश्मीर के लोगों को ऐसे कितने दिनों तक रखने वाली है।

दो पूर्व मुख्यमंत्रियों महबूबा मुफ्ती और उमर अब्दुल्ला की गिरफ्तारी पर उन्होंने कहा, 'सबसे पहले उमर (अब्दुल्लाह) साहब ने ट्वीट किया। फिर मेरी मां को भी इस बारे में पता चला। मेरी मां सोमवार शाम तक नज़रबंद थीं। उन्हें किसी से मुलाकात नहीं करने दिया जा रहा था। अब उन्हें अलग से गेस्ट हाउस में रखा गया है। दिल्ली सरकार ने उन्हें अपने परिवार से भी दूर कर दिया है। वह उन्हें भावनात्मक रूप से तोड़ना चाहती है लेकिन मैं सबको बताना चाहती हूं कि वह बहुत मजबूत लेडी हैं। इससे भी वह बाहर निकल जाएंगी। सरकार जो तरीके अपना रही है कश्मीरियों परवह असंवैधानिक और गैरकानूनी है। देश के कई बड़े वकीलों ने भी सरकार के इस फैसले को गैरकानूनी बताया है। कश्मीर के सभी राजनीतिक दल मिलकर इस फैसले को चुनौती देंगे। हमारी लड़ाई इसके खिलाफ जारी रहेगी।'

इल्तिजा जावेद ने कश्मीर से इतर देश के दूसरे लोगों से इस मसले पर सपोर्ट की अपील की है। उन्होंने कहा, 'मेरी भारत के लोगों से अपील है कि वो सारी स्थिति के बारे में ठीक से समझे। आपको जो बताया जा रहा है कश्मीर की वास्तविक स्थिति उससे बहुत अलग है। आपकी कंडीशनिंग ऐसी की जा रही है कि आपको कश्मीर के लोगों से नफरत हो। कश्मीर के लोगों ने बहुत कष्ट झेला है। कश्मीर के आज के हालात पर आपको अगर खुशी है तो आपको यह समझना होगा कि कल यह आपके साथ भी हो सकता है। कश्मीरियों के लिए अभी मुश्किल हालात है। आपसे अपील है कि आप कश्मीरियों के लिए प्यार और सहानुभूति भरा व्यवहार करें। अपनी आंख और दिल खोल कर रखिए। कश्मीरियों की स्थिति को समझिए। इस पूरे मसले को ढंग से समझिए।

आपको बता दें कि जम्मू-कश्मीर के स्थानीय लोग तो घबराए हुए हैं हीवो लोग भी घबराए हैं जो अपने घरों से दूर हैं। सोशल मीडिया पर बहुत से लोग से कश्मीर से बाहर हैं और इंटरनेट तक उनकी पहुंच है ऐसे पोस्ट लिख रहे हैं। घाटी में मोबाइल इंटरनेट सेवा ठप होने के चलते यह बेचैनी ज्यादा है। 

गौरतलब है कि अमेरिका के एक मीडिया संगठन ने भारत से कश्मीर में इंटरनेट एवं संचार सेवाओं को बहाल करने का आग्रह किया है। घाटी में कानून व्यवस्था कायम रखने के लिए एहतियाती कदम उठाते हुए इंटरनेट सेवाएं बंद कर दी गई हैं। 
 

अमेरिका के कमेटी टू प्रोटेक्ट जर्नलिस्ट्स (सीपीजे) ने बयान में जम्मू-कश्मीर में संचार सेवाओं को बाधित करने पर चिंता व्यक्त की है। 

सीपीजे की एशिया कार्यक्रम की वरिष्ठ शोधकर्ता आलिया इफ्तिखार ने कहा है, 'कश्मीर में इस अहम वक्त में संचार सेवाओं को बाधित करना स्वतंत्र प्रेस से सूचनाएं पाने के नागरिकों के अधिकारों का गंभीर उल्लंघन है।'

उन्होंने कहा, 'हम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और प्रशासन से आग्रह करते हैं कि वे यह सुनिश्चित करें कि कश्मीर में संचार सेवाओं पर लगी रोक को हटाई जाए और पत्रकार स्वतंत्र रूप से रिपोर्ट कर सके। लोकतंत्र में संचार को बाधित करने की कोई जगह नहीं है।'

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