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आर्सेलर मित्तल दक्षिण अफ्रीका का सालदान्हा संयत्र बंद करेगी, 1,000 कर्मचारी होंगे प्रभावित

दक्षिण अफ्रीका सरकार ने आर्सेलर मित्तल अफ्रीका (एएमएसए) के करीब एक हजार कर्मचारियों को नौकरी से हटाने और सल्दान्हा में कारोबार बंद करने के फैसले को ‘निराशाजनक’ बताया है।
ArcelorMittal
Image courtesy: India Today

जोहानिसबर्ग: वैश्विक इस्पात बाजार में जारी सुस्ती के असर से दुनिया की सबसे बड़ी इस्पात विनिर्माता कंपनी आर्सेलर मित्तल भी अछूती नहीं रही है। कंपनी की दक्षिण अफ्रीका स्थित इकाई ने कहा है कि भारी वित्तीय नुकसान के चलते वह अपने साल्दान्हा संयंत्र को बंद करेगी। इससे संयंत्र के करीब 1,000 कर्मचारियों को नौकरी से हाथ धोना पड़ सकता है।

इस्पात क्षेत्र में लक्ष्मी मित्तल का पूरी दुनिया में बोल बाला है। दुनिया के 60 से अधिक देशों में लक्ष्मी मित्तल की कंपनी का कारोबार फैला है जबकि 18 देशों में उसकी औद्योगिक रूप से मौजूदगी है।

कंपनी ने यहां जारी विज्ञप्ति में कहा है कि उसने अपनी रणनीतिक समीक्षा में पाया कि उसके साल्दान्हा परिचालन ने अपनी प्रतिस्पर्धा खो दी है। यह संयंत्र लागत के मुताबिक निर्यात बाजार में प्रतिस्पर्धी नहीं रह गया है। इसकी मुख्य वजह कंपनी ने ‘कच्चा माल और मूल्य को नियमन दायरे में लाना’ बताया है।

कंपनी ने कहा है, ‘यह मुश्किल फैसला सरकार, संगठित श्रमिकों सहित विभिन्न पक्षों के साथ जारी रचनात्मक बातचीत के बाद लिया गया। इस बातचीत में दक्षिण अफ्रीका के इस्पात उद्योग में जारी कठिन स्थिति का वैकल्पिक समाधान तलाशने को लेकर हुई है।’

दक्षिण अफ्रीका सरकार ने आर्सेलर मित्तल अफ्रीका (एएमएसए) के करीब एक हजार कर्मचारियों को नौकरी से हटाने और सल्दान्हा में कारोबार बंद करने के फैसले को ‘निराशाजनक’ बताया है।

दक्षिण अफ्रीका के व्यापार एवं उद्योग विभाग ने कहा है, ‘सरकार और सार्वजनिक क्षेत्र की एजेंसियों द्वारा एएमएसए को पिछले कुछ महीनों के दौरान उल्लेखनीय तौर पर अतिरिक्त समर्थन दिये जाने के बावजूद आर्सेलर मित्तल ने यह कदम उठाया है। ये प्रयास इस दिशा में किये गये थे कि कंपनी में रोजगार का नुकसान नहीं हो और सल्दान्हा संयंत्र भी चलता रहे।’

आर्सेलर मित्तल की दक्षिण अफ्रीका की इस इकाई का सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी आईस्कोर से अधिग्रहण किया गया था। यह अधिग्रहण करीब दो दशक पहले हुआ था। मित्तल ने इस कारखाने का कायाकल्प कर लिया था लेकिन पिछले कुछ सालों से इस्पात उद्योग में जारी सुस्ती की वजह से यह कारखाना दबाव में आ गया। 

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