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बैंक धोखाधड़ी: मोदी सरकार अपने उत्तरदायित्व से भागने की फ़िराक में

नीरव मोदी के खिलाफ दोनों एफआईआर 2017-18 की अवधि से संबंधित हैं।
Nirav Modi
Image Courtesy: Sirf News

यह भारत में फिर से धुँए और दर्पण का दौर है। दंग रह गए देश को जब पता चला कि ऊँची छलाँग भरने वाले उद्योगपति नीरव मोदी और उनके सहयोगियों ने पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी) को 11,400 करोड़ रुपये का चूना लगा दिया, यह कांग्रेस और भाजपा के बीच की सरकारों के बीच घटित हुआ है। भाजपा के दबाव के तहत, ज़्यादातर टेलीविज़न चैनलों पर सबसे अधिक बात कर रहे टी.वी. सर्वेसर्वाओं का मानना है कि यह सब कांग्रेस की पिछली सरकार के शासन के दौरान हुआ था। केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने शुक्रवार को दावा किया कि हीरा व्यापारियों नीरव मोदी और मेहुल चोक्सी को ज़्यादातर स्वीकृत “क़र्ज़" यूपीए सरकार के दूसरे कार्यकाल के दौरान दिए गए।

केंद्रीय जाँच ब्यूरो (सीबीआई) द्वारा दर्ज एफआईआर पर अगर करीब से नज़र डालें तो घोटाला के बारे में वह ही कहानी ब्यान करती है।

शनिवार को, सीबीआई ने एक नई प्राथमिकी दर्ज की जिसमें कहा गया है कि 2017-18 की अवधि के दौरान चौकसी को धोखाधड़ी से 4,886 करोड़ रुपये की एल..यू. देने का ज़िक्र किया गया है। 31 जनवरी, 2018 की पहली प्राथमिकी, पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी), अवनीश नेपिया के उप-महाप्रबंधक द्वारा दायर एक शिकायत पर आधारित थी, जिसमें कहा गया है कि शिकायत में उल्लेखित साझेदारी फर्मों ने 280.70 करोड़ रुपये की कमाई की थी। बैंक को उसी राशि का नुकसान उठाना पड़ा है। बाद में इसे पीएनबी द्वारा दी गई सूचना के आधार पर विस्तारित किया गया था और 6,498 करोड़ रुपये पायी गयी। जबकि कुल राशि 11,400 करोड़ रुपए है और जिसके लिए 293 एल..यू. शामिल हैं।

सीबीआई जिन पीएनबी के चार अधिकारियों से पूछताछ कर रहा है वे जो 2014-17 की अवधि के दौरान संबंधित पदों पर थे। अधिकारियों में फरवरी 2015-17 के दौरान नरिमन पॉइंट शाखा मुंबई में स्थित मुख्य प्रबंधक बेचू तिवारी; 2016-17 के दौरान ब्रैडी हाउस शाखा में संजय कुमार प्रसाद- एजीएम; नवंबर 2015 से 17 जनवरी तक समवर्ती लेखा परीक्षक मोहिंदर कुमार शर्मा; और मनोज खरात जोकि एकल खिड़की संचालक नवंबर 2014-दिसंबर 2017 के दौरान रहे आदि शामिल हैं।

जांच के अनुसार, जिन एफआईआर और एलओयू का उल्लेख है - सभी 2014 के बाद की हैं। इसलिए, यह कहना सही होगा कि यह धोखाधड़ी भाजपा की नाक के नीचे घटी है।

यह जोड़ा जाना चाहिए कि 17 फरवरी तक इसे अलग रूप में खेला जाता रहा। भारतीय घोटालों में समय के गुजरने के साथ उसके नए आयामों का खुलासा होने की एक गंदी आदत होती है। और भारत में सुपर अमीर सभी बड़े दलों, विशेष रूप से कांग्रेस और भाजपा के साथ क्रोनिक रिश्ते रखते हैं। इसलिए, 11,400 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी से ऊपर और उससे परे कुछ भी मानने के लिए तैयार है।

लेकिन एक और झुकाव का कारण है क्योंकि मोदी सरकार को इस घोताके की गरमाई महसूस हो रही है। इससे पहले जो शिकायतें विभिन्न सरकारी निकायों और प्रधानमंत्री कार्यालय से दायर की गई थीं, वे सबूत देते हैं कि मोदी सरकार और उसकी जांच एजेंसियों को नीरव मोदी और उसके सहयोगियों की धोखाधड़ी की गतिविधियों से अवगत थे।

7 मई 2015 को, एक शिकायत कॉर्पोरेट मामलों के मंत्रालय में किसी श्री वैभव खुरानिया और आर.एम. ग्रीन सोल्यूशन प्राइवेट लिमिटेड द्वारा दायर की गई थी। शिकायत की एक प्रति प्रधान मंत्री कार्यालय, प्रवर्तन निदेशालय, गंभीर धोखाधड़ी जांच कार्यालय को भी भेजी गयी था। इसी तरह की शिकायत मुंबई पुलिस के उपायुक्त, धोखाधड़ी के शिकायत, ट्रस्ट के आपराधिक उल्लंघन और एम/एस गीतांजलि आभूषण लिमिटेड के अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक मेहुल सी. चोकसी द्वारा धोखाधड़ी के मामले में भी एक शिकायत दर्ज की गई थी। इन पर ये मामले धारा 420, 406, 468, 34/120 बी के तहत आईपीसी के तहत दर्ज किये गए थे, "कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने गुरुवार को प्रेस को संबोधित करते हुए बताया।

दिग्वीजयसिंह जडेजा ने भे धोखा देने के लिए मेहुल चोक्सी और अन्य के खिलाफ एक और शिकायत दर्ज की थी। जडेजा ने अहमदाबाद आर्थिक अपराध विंग, गुजरात में प्राथमिकी दर्ज की। बाद में, यह मामला गुजरात उच्च न्यायालय में चला गया, जहां गुजरात सरकार उसमें एक पार्टी थी, 2015 में विशेष आपराधिक आवेदन सं. 4758 में दिग्विजयसिंह जडेजा ने 20 जुलाई 2016 को एक हलफनामा दायर किया, विशेष रूप से बताते हुए कि मेहुल चोक्सी और अन्य लोगों पर 9872 करोड़ रुपये बैंकों का कर्ज काया है और भारत से भागने की फ़िराक में है।

फिर, 26 जुलाई, 2016 को श्री हरिप्रसाद ने प्रधानमंत्री कार्यालय को एक शिकायत दर्ज की थी। इसके बाद, एक अन्य व्यक्ति श्री वैभव खुरानी ने भी 3 मई 2017 को सेबी के साथ शिकायत दर्ज की थी।

इसके साथ, निर्वाचक नीरव मोदी का मामला विजय माल्या की तरह दिखना शुरू हो गया। याद रखें कि सभी लोग जानते थे कि मल्लिया, उन सुपर-समृद्ध, सेलिब्रिटीज, जो फिल्म सितारों और क्रिकेटरों के साथ मिलकर काम करते थे, ने बैंकों 9000 करोड़ रुपये के ऋणों क चुना लगा दिया था और फिर वह ऐन मौके पर इंग्लैंड भाग गए?

तो नीरव मोदी भी और उनका परिवार, मेहुल चोकसी सहित जनवरी की शुरुआती में पूरे गिरोह के साथ भारत से भाग गए दुनिया के विभिन्न ठिकानों में चुपके से छिप कर बैठ गए, ताजा रिपोर्ट बताती है कि वे न्यूयॉर्क में हैं। जनवरी के मध्य में दावोस में प्रधान मंत्री मोदी के साथ ग्रुप फोटो में नीरव मोदी की तस्वीरों का ट्वीट भी मौजूद है।

जनवरी के अंत में ही पीएनबी ने पुलिस के साथ शिकायत दर्ज की थी। लेकिन तब तक पक्षी अपना घोंसला छोड़ उड़ चुके थे। जैसे कि माल्या ने 2016 में किया था। नीरव मोदी को हवा मिल गई होगी कि खेल खत्म हो गया है उसने भी वैसा ही किया - जैसा कि माल्या ने किया था।

अगर इस सब को मिलकर देखें तो धुंधला चित्र साफ़ होना शुरू हो जाता है - यह एक धोखाधड़ी है, लेकिन आपराधिक को पलायन करने के लिए रास्ता देना भी उससे बड़ी धोखधड़ी है। और अभी तक के दस्तावजों नसे ऐसा लगता है कि यह बीजेपी की घड़ी में ही हुआ है।

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