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बिल्किस बानो को दो सप्ताह में मुआवज़ा, नौकरी और मकान देने का आदेश

प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगाई, न्यायमूर्ति एस ए बोबडे और न्यायमूर्ति एस अब्दुल नजीर की पीठ ने गुजरात सरकार से सवाल किया कि शीर्ष अदालत के 23 अप्रैल के आदेश के बावजूद उसने अभी तक बिल्किस बानो को मुआवजा, नौकरी और आवास क्यों नहीं दिया।
बिल्किस बानो

सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद गुजरात दंगों की पीड़िता बिल्किस बानो को इंसाफ नहीं मिला। गुजरात सरकार ने एक तरह से सुप्रीम कोर्ट की अवमानना करते हुए राहत और मुआवज़े के लिए दिए गए निर्देशों को नज़रअंदाज़ कर दिया।  
सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को गुजरात सरकार को निर्देश दिया कि 2002 के दंगों के दौरान बलात्कार की शिकार हुयी बिल्किस बानो को दो सप्ताह के भीतर 50 लाख रुपये मुआवजा, नौकरी और रहने के लिये आवास प्रदान किया जाये।

बिल्किस बानो पर जब यह कहर टूटा था तब वे पांच महीने की गर्भवती थी।

इसे पढ़ें : बिल्किस बानो मामला : गुजरात सरकार को 50 लाख मुआवजा, नौकरी और मकान देने का आदेश

प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगाई, न्यायमूर्ति एस ए बोबडे और न्यायमूर्ति एस अब्दुल नजीर की पीठ ने गुजरात सरकार से सवाल किया कि शीर्ष अदालत के 23 अप्रैल के आदेश के बावजूद उसने अभी तक बिल्किस बानो को मुआवजा, नौकरी और आवास क्यों नहीं दिया।
गुजरात सरकार की ओर से सालिसीटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि गुजरात के पीड़ितों को मुआवजा योजना में 50 लाख रूपए के मुआवजे का प्रावधान नहीं है। उन्होंने कहा कि सरकार अप्रैल के इस आदेश पर पुनर्विचार के लिये आवेदन दायर करेगी।

इस पर पीठ ने मेहता से कहा, ‘‘क्या हमें अपने आदेश में इसका जिक्र करना चाहिए कि इस मामले के तथ्यों को ध्यान में रखते हुये मुआवजे का आदेश दिया गया है।’’ पीठ ने राज्य सरकार से कहा कि वह दो सप्ताह के भीतर पीड़ित को मुआवजा, नौकरी और आवास उपलब्ध कराये।
सालिसीटर जनरल ने बाद मे न्यायालय में यह आश्वासन दिया कि दो सप्ताह के भीतर पीड़ित को मुआवजे की राशि, नौकरी और आवास उपलब्ध करा दिया जायेगा।
(समाचार एजेंसी भाषा के इनपुट के साथ)

इसे भी देखें : बिलकिस बानो के साथ एक्सक्लूसिव : सालों बाद देश की एकता के लिए वोट दिया 

 

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