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बुलंदशहर कांड : योगेश ने आख़िर 2 दिसंबर को मंदिर में लोगों को क्यों जमा किया?

बुलंदशहर की घटना को लेकर उठे सवालों का जवाब तलाशने न्यूज़क्लिक की टीम बुलंदशहर पहुंची। न्यूज़क्लिक की टीम के सामने कई ऐसी बातें और तथ्य आए जिससे संकेत मिलता है कि पूरी घटना एक बड़ी साज़िश का हिस्सा थी।
BULANDSHAHR

बुलंदशहर के स्याना गांव में गौहत्या के शक में भड़की हिंसा और दो लोगों की मौत के बाद अब कई गंभीर सवाल उठ रहे हैं जिन पर गौर करें तो बुलंदशहर में फैली हिंसा और तनाव के सुनियोजित होने के संकेत मिलते हैं। 

सवाल उठता है कि आखिर इस घटना के लिए 3 दिसंबर का दिन ही क्यों चुना गया? इस घटना के पीछे मंशा क्या थी? एक जगह गौमांस को क्यों रखा गया? कुछ गायों के ही अवशेष क्यों मिले हैं? जबकि बड़ी संख्या में गायों की हत्या की बात की जा रही है। गौ हत्या का विरोध करने के लिए इतनी तादाद में भीड़ कहां से आई? भीड़ के हाथों में हथियार किसने दिए? पुलिसवालों के खिलाफ भीड़ को उकसाने का आरोपी योगेश राज अब तक फरार क्यों है?

इन्हीं सवालों के जवाब तलाशने न्यूज़क्लिक की टीम बुलंदशहर पहुंची। अपनी पड़ताल और स्थानीय नागरिकों से बात करने पर न्यूज़क्लिक संवाददाता अलीम जाफरी ने जब महाव गांव के पूर्व सरपंच झूमेंद्र सिंह से घटनाक्रम को जानने कि कोशिश की तो उन्होंने पूरे घटनाक्रम में मुस्लिम समुदाय के शामिल होने के सवाल पर ही प्रश्नचिह्न लगाते हुए कहा  कि "गांव में मुस्लिम आबादी बेहद कम है और वे आर्थिक रूप से बेहद कमजोर हैं। इतनी बड़ी मात्रा में गौकशी की घटना को वे लोग नहीं कर सकते।"

स्थानीय लोगों से बातचीत से पता चला कि गौवंश के अवशेषों और घटना का पता "सुबह 6 बजे" ही हो गया था तथा पुलिस द्वारा मामले का शांतिपूर्ण तरीके से निपटारा भी कर दिया गया था। उसके बाद बजरंग दल और अन्य हिंदूवादी संगठनों द्वारा मामले को भड़काया गया जिसके कारण हिंसा फैली।

कौन है योगेश राज?

बुलंदशहर हिंसा में  शहीद हुए इंस्पेक्टर सुबोध कुमार सिंह और मारे गए एक अन्य युवक सुमित के अलावा एक और नाम चर्चा में है - योगेश राज। योगेश राज हिंदुवादी संगठन बजरंग दल का जिला संयोजक है। योगेश राज पर हिंसा फैलाने का आरोप है।

घटना के फरार मुख्य आरोपी योगेश राज के परिवार से न्यूज़क्लिक ने बात की तो उन्होंने योगेश को निर्दोष बताते हुए कहा कि "वह पढ़ने-लिखने वाला एक साधारण व्यक्ति हैं और सामाजिक कार्यों में शामिल रहता है।" हिंसा को लेकर पूछे गये सवालों पर परिवार ने जवाब दिया कि "योगेश इस प्रकार की किसी भी घटना में शामिल नहीं था।"

वहीं नयाबांस गांव के स्थानीय लोगों का कहना है कि योगेश राज पहले भी इलाके में माहौल खराब कर चुका है और मस्जिद से लाउडस्पीकर हटवाने में उसका हाथ था। बातचीत में सबसे ज्यादा चौंकाने वाली बात यह सामने आई कि 2 दिसंबर की शाम (घटना से पहले की शाम), को योगेश राज द्वारा गांव में एनाउंसमेंट (उद्घोषणा) करवाया था। इस उद्घोषणा में सभी हिन्दुओं को गांव में स्थित "महादेव मंदिर" पर इकट्ठा होने के लिए कहा गया। जहां चाय-बिस्कुट की व्यवस्था भी की गई थी। आपको बता दें योगेश राज द्वारा ही गौ हत्या की  एफआईआर दर्ज करवाई गयी है, जिसमें सात लोगों  का नाम दर्ज है और तीन लोग उसी गाँव से हैं जिस गाँव का योगेश राज निवासी है।

एफआईआर में योगेश ने नयाबांस के सुदैफ चौधरी, इलियास, शराफत, परवेज, सफरुद्दीन और दो नाबालिगों का नाम  दर्ज कराया। उसने अपनी तहरीर में कहा था कि वह सोमवार को करीब 9 बजे सुबह अपने दोस्तों के साथ जंगलों में घूम रहा था तब उसने इन लोगों को गौवंश का कत्ल करते देखा।  जबकि स्थानीय लोगों को घटना का पता "सुबह 6 बजे" ही लग गया था। इस तरह से यह साफ़ तौर पर लगता है कि योगेश राज द्वारा एफआईआर में दर्ज कराई गयी जानकारी गलत है।  

योगेश राज द्वारा दर्ज एफआईआर में जिन नाबालिगों पर गौहत्या का आरोप लगाया गया, उनसे न्यूज़क्लिक ने बात की। बातचीत में नाबालिग के पिता ने बताया कि "मेरे बेटे और भतीजे के खिलाफ साजिश के तहत एफआई दर्ज कराई गई है। पुलिस हमें थाने में ले गई और परेशान किया। हमें चार घंटे बैठाया गया, जबकि बच्चे बेकसूर हैं और घटना के वक्त दोनों बच्चे गांव में मौजूद नहीं थे और इज़्तमा के लिए बुलंदशहर गए थे।"

हिंसा में मारे गए एक अन्य शख्स सुमित के परिवार से न्यूज़क्लिक ने जब बात की तो उनका कहना है कि "सुमित का इस तरह की किसी भी घटना से कोई संबंध नहीं है। वह अपने दोस्त से मिलने बस स्टैंड तक गया था जहां गोली मारकर उसकी हत्या कर दी गई।" बातचीत में परिवार ने मुआवजे की भी मांग की। परंतु मृतक सुमित का एक कथित वीडियो सामने आया है जिससे परिवार द्वारा कही बातें ग़लत साबित होती हैं। वीडियो में देखने पर पता चलता है कि सुमित भी हिंसक भीड़ का हिस्सा था।

स्थानीय मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार हिंसा के दिन वहां से मुश्किल से 100 मीटर दूर स्थित स्कूल में बच्चों को समय से पहले ही मिड-डे मील दे दिया गया था। स्कूल के शिक्षक प्रभारी ने बताया कि बच्चों को जल्दी भोजन खिलाने और तुरंत घर भेजने के आदेश मिले थे।
वहीं डीजीपी ओपी सिंह ने भी घटना पर सवाल उठाते हुए कहा "3 दिसंबर की घटना महज लॉ एंड ऑर्डर की मुद्दा नहीं बल्कि बाबरी विध्वंस की बरसी 6 दिसंबर से पहले एक सुनियोजित साजिश है।"

इन सभी तथ्यों पर गौर करें तो बुलंदशहर की हिंसा अचानक इकट्ठा भीड़ द्वारा किया कृत्य नहीं बल्कि इससे कही ज्यादा है। इस घटना का उद्देश्य  गौहत्या के नाम पर प्रदेश में हिंसा और तनाव फैलाकर माहौल बिगाड़ने का ही नज़र आता  है।  मुख्य आरोपी योगेश राज अभी तक फरार है और भाजपा सांसद द्वारा उसका बचाव किया जा रहा है  इससे यह अंदेशा जाहिर होता है कि यह घटना पूरी तरह से सुनियोजित थी। 

 

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