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बिहार चुनाव:पीएम मोदी की रैलियों से रोज़गार का मुद्दा नदारद,नौजवानों में नाराज़गी

जिस तरह महागठबंधन के मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार,तेजस्वी यादव ने रोज़गार पर अपना ध्यान केंद्रित किया है,उम्मीद की जा रही थी कि उसी तरह मोदी भी रोज़गार के मुद्दे को लेकर अपने रैलियों को संबोधित करेंगे। हालांकि उनके भाषणों में धारा 370 और 'विकास' जैसे मुद्दे ही हावी रहे।
बिहार चुनाव
फ़ोटो,साभार: इंडिया डॉट कॉम

पटना: यह देखते हुए कि आगामी बिहार चुनावों में "रोज़गार" सबसे गर्म मुद्दा रहेगा, इस बात की उम्मीद की जा रही थी कि प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी अपने चुनाव प्रचार के पहले दिन,शुक्रवार को इस मुद्दे  की चर्चा करेंगे,लेकिन वह इस मुद्दे से लगातार बचते रहे। प्रधानमंत्री ने राज्य में लालू-राबड़ी कुशासन के 15 साल से लेकर अनुच्छेद 370 को ख़त्म करने और विकास तक के ज़्यादतर बातें गिनाते रहे, लेकिन ऐसा लगा कि उन्होंने अपने तीन चुनावी सम्मेलनों में रोज़गार और आजीविका के अवसरों जैसे मुद्दे को भूला दिया है। यह स्थानीय लोगों, ख़ासकर नौजवानों को रास नहीं आया है।

जिस तरह महागठबंधन के मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार,तेजस्वी यादव ने रोज़गार पर अपना ध्यान केंद्रित किया है,उम्मीद की जा रही थी कि उसी तरह मोदी भी रोज़गार के मुद्दे को लेकर अपने रैलियों को संबोधित करेंगे। तेजस्वी यादव की चुनावी सभा में भारी भीड़ के आकर्षित होने के पीछे की वजह यही माना जा रहा कि उन्होंने अपने गठबंधन के सत्ता में आने पर दस लाख रोज़गार देने का वादा किया है।

लोग प्रधानमंत्री की तरफ़ से रोजगार के मुद्दे को दरकिनार किये जाने को लेकर सवाल कर रहे हैं। प्रधानमंत्री ने अपनी रैली में कहा, “बिहार को भी रोज़गार पाने और कारोबार करने का हक़ है। मगर,यह कौन तय करेगा ? वे लोग,जो  सरकारी नौकरी को रिश्वत कमाने का ज़रिया मानते हैं या वे लोग,जो बिहार में कारोबार को आसान करने और कौशल को बेहतर बनाने के लिए काम कर रहे हैं।”

एक नौजवान,रितेश कहते हैं कि मोदी के पास सरकारी नौकरी देने की कोई योजना तो है नहीं और वह अब हमें बताने चले हैं कि सरकारी नौकरी रिश्वत कमाने का एक तरीक़ा है। यह तो सरकारी नौकरियों के लिए कोशिश करने वाले हर नौजवान का अपमान है।  

मोदी ने रोहतास, गया और भागलपुर ज़िलों के अपने चुनावी भाषणों में रोज़गार का ज़िक़्र तक नहीं किया। उन्होंने कहा कि एनडीए के ख़िलाफ़ खड़ी पार्टियां देश के विकास के ख़िलाफ़ हैं और बिहार की जनता को पता है कि राज्य के तेज़ विकास के लिए नीतीश कुमार को फिर से मुख्यमंत्री बनाना कितना “अहम” है।

मोदी ने यह भी बताया कि विपक्षी दल किस तरह कश्मीर में धारा 370 की बहाली का वादा कर रहे हैं और उन्होंने सभी से अपील करते हुए कहा कि वे इस साल त्योहारों के लिए स्थानीय चीज़ों की ख़रीदारी करें,ताकि इससे स्थानीय कारीगरों को बढ़ावा मिले।

भाजपा के एक आधिकारिक विज्ञप्ति के मुताबिक़ मोदी बिहार में 12 चुनावी सभाओं को संबोधित करेंगे,

“मोदी ने रोज़गार को लेकर कुछ भी कहने से परहेज़ इसलिए किया है,क्योंकि केंद्र में उनकी सरकार और बिहार में एनडीए सरकार,दोनों ही इस मोर्चे पर नाकाम रही हैं। उसके पास बेरोज़गार नौजवानों को देने के लिए कुछ भी नहीं है। हम सभी को यह याद होगा कि 2014 के लोकसभा चुनावों के दौरान उन्होंने दो करोड़ नौकरियों का वादा किया था और यह जुमला साबित हुआ था।” ये बातें पटना के एक कॉलेज के छात्र संतोष कुमार आर्य ने कही।

संतोष ने बताया कि तेजस्वी की ओर से तय किये गये एजेंडे का मुक़ाबला करने के लिए उनकी पार्टी के बिहार चुनाव के घोषणा पत्र में 19 लाख नौकरियों का वादा किया गया है,लेकिन इसके बावजूद मोदी रोज़गार के मुद्दे पर चुप हैं।

जहानाबाद ज़िले के मखदुमपुर के रहने वाले प्रदीप कुमार कहते हैं, “मोदी को विपक्ष के इस दावे का जवाब देना चाहिए था कि एनडीए सरकार रोज़गार के मोर्चे पर नाकाम रही है। रोज़गार के मुद्दे पर मोदी की चुप्पी ने एक बात तो तय कर दी है कि नौजवानों को सम्बोधित करने के लिए उनके पास कुछ भी नहीं है।”

भोजपुर ज़िले के निवासी-मनीष कुमार सिंह ने बताया कि मोदी ने जानबूझकर इस मुद्दे का ज़िक़्र इसलिए नहीं किया, क्योंकि उनकी सरकार इस मामले में पूरी तरह से विफल रही है। वह आगे बताते हैं,“बेरोज़गारी बढ़ी है,नौजवानों के पास कोई उम्मीद बाक़ी नहीं रह गयी है,रोज़गार के अवसर रिकॉर्ड स्तर तक कम हो गये हैं। पिछले पांच सालों में रोज़गार की स्थिति बद से बदतर हुई है।”

भागलपुर के रहने वाले डॉ.सांबे का कहना है कि मोदी एक साल में दो करोड़ नौकरियों के वादे को पूरा करने में नाकाम रहे, इसलिए उन्होंने इस मुद्दे को ही छोड़ दिया है। वह अपनी बातों को आगे बढ़ाते हुए कहते हैं, “मोदी ने ख़ुद को एकदम से बेपर्द कर दिया है। उन्हें बेकार के मुद्दों की चिंता तो है, लेकिन नौजवानों और उनके लिए रोज़गार के अवसरों की चिंता बिल्कुल नहीं है।”

गया के एक पेशेवर,दानिश ख़ान का कहना है कि मोदी और उनकी पार्टी फिर से लोगों का ध्यान असली मुद्दे से भटकाने की कोशिश कर रहे हैं। वह अपनी बात पर ज़ोर देते हुए कहते हैं, "लेकिन इस बार वे ऐसा कर पायेंगे,ये तो मुश्किल ही लगता है,क्योंकि विपक्ष ने रोज़गार को एक बड़ा मुद्दा बना दिया है और इस मुद्दे का चुनावों में हावी रहने की संभावना है।"

बिहार में तीन-चरण के पहले चुनाव से एक हफ़्ते पहले सीएम के ख़िलाफ़ सत्ता विरोधी भावना प्रबल दिखती है। इसके अहम कारकों में से एक कारक तो राज्य में बढ़ती बेरोज़गारी है। इसी असंतोष को भांपते हुए तेजस्वी यादव ने सत्ता में आने पर सीएम के रूप में अपनी पहली कैबिनेट बैठक में दस लाख सरकारी नौकरियों के लिए एक आदेश पर हस्ताक्षर करने का वादा किया है।

यह समझते हुए कि बेरोज़गारी हर किसी को प्रभावित करती है, राजद, कांग्रेस और वामपंथी पार्टियां बेरोज़गारी, पलायन नहीं रोक पाने और लोगों को काम देने की सरकार की नाकामी को लगातार सामने ला रही हैं।

सेंटर फ़ॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी के अनुमानों के मुताबिक़, फरवरी 2019 से लेकर पिछले 20 महीनों से बिहार में बेरोज़गारी की दर 10% से ज़्यादा रही है। यह बेरोज़गारी का सबसे लंबा चक्र है, जिसे राज्य ने कभी नहीं देखा है।

कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष,राहुल गांधी और राजद नेता,तेजस्वी यादव ने भी शुक्रवार को बिहार में चुनावी सभाओं को संबोधित किया। दोनों ने रोज़गार मुहैया कराने, पलायन रोकने और विकास के मुद्दे को लेकर मोदी और नीतीश कुमार पर हमले किये।

अंग्रेज़ी में प्रकाशित मूल आलेख को पढ़ने के लिए नीचे दिये गये लिंक पर क्लिक करें

Bihar Elections: Youth Miffed After PM Modi Skips Rozgar Issue in Rallies

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