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बिहार पंचायत चुनाव : सत्ता विरोधी प्रत्याशियों पर चल रहा पुलिस प्रशासन का डंडा!

बिहार में जारी पंचायत चुनाव में विपक्ष का आरोप है कि सत्ताधारी दल समर्थित उम्मीदवारों को जिताने में पुलिस प्रशासन लगा रहा एड़ी चोटी का ज़ोर लगा रहा है।
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पंचायत चुनाव में पटना जिला स्थित धनरुवा प्रखंड के मोरियावां में पुलिस पर ज़्यादती व पक्षपात का आरोप है। इसके विरोध में प्रदर्शन किया गया।

हमारे देश में लोकतंत्र के ज़मीनी विकेंद्रीकरण के लिए पंचायती राजव्यवस्था को एक सशक्त माध्यम माना गया है। वर्ष 1993 में संविधान के 73वें संशोधन द्वारा पंचायती राज व्यवस्था को संवैधानिक मान्यता मिली थी। जिसे और भी बेहतर व सुचारू बनाने के लिए पुनः 1980 में तत्कालीन केंद्र की सरकार ने पंचायती राज संस्थाओं पर संकलन पत्र तैयार करने के उद्देश्य एक समिति का गठन किया था। जिसकी अनुशंसाओं के अनुसार इस पहलू पर विशेष जोर दिया गया था कि पंचायती राज के परिचालन गति का उद्देश्य समुदाय और समाज को इस बात के लिए तैयार करना कि जाति, धर्म तथा लिंग के बंधनों से ऊपर उठ  जाना हो।

लेकिन इन दिनों बिहार में जारी 2021 के पंचायत चुनाव में उक्त आदर्शों की धज्जियां उड़ाई जा रहीं हैं। विपक्ष का आरोप है कि जिस तरह से उत्तर प्रदेश के पंचायत चुनाव में वहाँ के पुलिस प्रशासन ने सत्ताधारी योगी सरकार के पक्ष में अपने पावर का इस्तेमाल कर लोकतंत्र के विकेंद्रीकरणको बाधित किया, वही कृत्य बिहार में भी दुहराया जा रहा है।

24 अक्टूबर से 12 दिसंबर तक 11 चरणों में संपन्न होने वाले इस बार भी बिहार पंचायत चुनाव गैर दलीय आधार पर हो रहा है। लेकिन अधिकांश उम्मीदवार किसी न किसी राजनितिक दल समर्थित प्रत्याशी के बतौर खड़े हुए हैं। विपक्ष द्वारा मीडिया को साक्ष्य देते हुए बताया जा रहा है कि किस तरह से इस चुनाव में भी सत्ताधारी दल धनबल के साथ साथ पुरे प्रशासनिक तंत्र का खुलकर इस्तेमाल कर रहे हैं।

चार चरण के चुनाव संपन्न हो चुके हैं। जिसमें कई स्थानों पर पुलिस प्रशासन ने सत्ताधारी दल समर्थित उम्मीदवारों के विरोध में खड़े प्रत्याशियों और उनके समर्थक लोगों पर धौंस धमकियां देने और लाठियां चलाने की ख़बरें आयीं हैं।

24 अक्टूबर को होने वाले दूसरे चरण के चुनाव का प्रचार समाप्त होने के दिन 22 अक्टूबर को पटना जिला स्थित धनरुवा प्रखंड के मोरियावां में पुलिस ज्यादती व पक्षपात का विरोध कर रहे ग्रामीणों पर लाठीचार्ज कर 10 राउंड गोलियां भी चलायी गयीं। जिसमें एक ग्रामीण युवा की घटनास्थल पर ही मौत हो गयी और दर्जनों घायल हो गए। मीडिया ने इसे पुलिस और ग्रामीणों के बीच हिंसक झड़पकि खबर के रूप प्रचारित किया।

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अपना दुख सुनातीं महिलाएं।

इस काण्ड की जांच में विधायक गोपाल रविदास (भाकपा माले) और रेखा देवी (राजद) के नेतृत्व में गयी जांच टीम को गाँव के दलित टोले की महिलाओं ने रोते हुए बताया कि किस तरह से स्थानीय पुलिस अधिकारी ने उन्हें भद्दी अश्लील गलियाँ देते हुए जाति सूचक बातें कहीं वहीं ग्रामीणों ने बताया कि चुनाव प्रचार की निर्धारित समय सीमा समाप्त होने से काफी पहले ही 2.30 बजे दिन में पुलिस ने भाकपा माले समर्थित प्रत्यशी के चुनाव प्रचार वाहन को रोककर माइक जब्त कर लिया और उसमें टंगे बैनर को फाड़ दिया। विरोध करने पर सभी को मारा पीटा जाने लगा। जब स्थानीय लोग पुलिस के विरोध में वहाँ जमा होने लगे तो पुलिस को तत्काल पीछे हटना पड़ा। लेकिन शाम 6 बजे भरी संख्या में पुलिस का सशत्र बल ने गाँव के दलितों के टोले में पहुंचकर लोगों को धमकाते हुए गाली गलौज देना करना शुरू कर दिया। कुछ युवकों ने जब इसका वीडियो बनाना चाहा तो पुलिस ने मारपीट करते हुए तोड़ फोड़ शुरू कर दी। आरोप है कि पुलिस बल का नेतृत्व कर रहे स्थानीय सर्किल पुलिस इन्स्पेक्टर ने विरोध कर रही दलित टोले की महिलाओं को जब जाति सूचक गालियाँ दी तो लोग आक्रोशित होकर पुलिस विरोधी नारे लगाने लगे। जवाब में पुलिस ने लाठीचार्ज करते हुए बिना किसी चेतावनी के निहत्थे ग्रामीणों पर फायरिंग शुरू कर दी।

प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार पुलिस ने 10 राउंड गोलियां चलाईं। आरोप है कि इस गोलीबारी में 27 वर्षीय रोहित कुमार की घटनास्थल पर ही मौत हो गयी। दर्जनों घायल हुए जिनमें से अस्पताल में भर्ती चार ग्रामीणों की स्थिति गंभीर बनी हुई है।

29 अक्टूबर को समस्ती पुर जिला स्थित दलसिंह सराय के उजियारपुर में सत्ताधारी दल समर्थित प्रत्याशी को जिताने के लिए मतगणना में चुनाव प्रशासन द्वारा की गयी धांधली के विरोध में भाकपा माले ने प्रतिवाद सभा की। जिसे संबोधित करते हुए भाकपा माले विधायक दल नेता महबूब आलम ने आरोप लगाया कि नीतीश कुमार की सरकार नया पुलिस कानून बनाकर पंचायत चुनाव में भी अपने विरोधियों को दबाने के लिए बर्बर औजार देकर पुलिसिया आतंक कायम रही है। हरपुर-रेवाड़ी में हुए चुनाव मतगणना फिर से कराये जाने की मांग कर रहे मुखिया प्रत्याशी और उनके समर्थकों पर लाठीचार्ज कर प्रत्यशी समेत 13 लोगों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया है। प्रतिवाद सभा से वहां लगे सीसीटीवी फुटेज को सार्वजनिक कर दोषी चुनाव अधिकारी और पुलिस पर कारवाई तथा गिरफ्तार लोगों की अविलम्ब रिहाई की मांग की गयी। 

सिवान जिला स्थित गुठनी प्रखंड के बिरवार पंचायत में भी हिंसा हुई है। आरोप है कि पराजित सत्ताधारी दल समर्थित मुखिया प्रत्याशी ने विरोधी प्रत्यशी को वोट देने का आरोप लगाकर दलित समुदाय के माले कार्यकर्ता की गोली मरकर हत्या कर दी। इस संबंध में पुलिस में भी शिकायत दी गई। हालांकि पुलिस और मीडिया ने इस हत्याकांड को आपसी रंजिश बताकर दुष्प्रचारित किया। स्थानीय माले विधायक सत्यदेव राम के नेतृत्व में प्रतिवाद सभा कर हत्यारों कि गिरफ्तार नहीं किये जाने पर आन्दोलन तेज़ करने की चेतावनी दी है।

ऐसी अनेक ज़मीनी खबरें हैं जिन्हें सरकार के निर्देश पर मीडिया ने पूरी तरह से सेंसर कर रखा है। जिसमें सत्ताधारी जदयू भाजपा दलों समर्थित पंचायत उम्मीदवारों को जिताने के लिए पुलिस-प्रशासन ने आदर्श चुनाव अचार संहिता की धज्जियाँ उड़ाकर पंचायत चुनाव को प्रभावित किया है। विपक्षी महागठबंधन दलों के समर्थित प्रत्याशियों और उनके समर्थकों के खिलाफ लाठीचार्ज करने और फर्जी मुकदमों का सिलसिला जारी है। कई इलाकों में मतदान के पूर्व और उसके बाद तक सामंती व दबंग ताक़तों द्वारा दलित पिछड़े समाज के लोगों के खिलाफ खुलेआम की जा रही दबंगई के सामने मौन खड़ी रह रही है।

अभी की सियासी चर्चा का केंद्र रहे कुशेश्वर स्थान और तारापुर में 30 अक्टूबर को हुए उपचुनाव में भी  ऐसी ही खबरें आयीं हैं। जिसमें मतदान दिवस के पूर्व खुलेआम सत्ताधारी दल के प्रत्याशी समर्थकों द्वारा खुलेआम पैसा और साड़ी बांटने के वीडियो वायरल होने की घटनाओं पर चुनाव प्रशासन ने पूरी तरह से चुप्पी साध रखी है। चुनाव के दिन भी कुछ स्थानों पर चुनाव धांधली का विरोध कर रहे राजद समर्थकों पर पुलिस लाठी चार्ज की ख़बरें आयी हैं।

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