चुनाव 2019: अंतिम अनुमानों के अनुसार बीजेपी होगी पराजित
अब जबकि कड़वाहट में लड़ा गया 2019 का लोकसभा चुनाव 19 मई को समाप्त होने जा रहा है, न्यूज़क्लिक की डाटा एनालिटिक्स टीम ने विश्लेषण के आधार पर यह अनुमान लगाया है कि संभावित अंतिम परिणाम ये होंगे:
बीजेपी के नेतृत्व वाली एनडीए को 166 सीटें हासिल होंगी जबकि कांग्रेस के नेत्रत्व वाली यूपीए 200 सीटों पर जीत हासिल करेगी। चुनाव 542 सीटों पर हुए थे, एक सीट वेल्लोर पर चुनाव रद्द कर दिये गए थे।
अन्य पार्टियाँ जो इन गठबंधनों का हिस्सा नहीं हैं, उन्हें 175 सीटें मिलने का अनुमान है। चूंकि बहुमत के लिए अब 271 सीटों की ज़रूरत है, तो ये संभव है कि यूपीए और यह अन्य दल साथ आ कर गठबंधन की सरकार बनाएँगे, और नरेंद्र मोदी का प्रधानमंत्री के तौर पर कार्यकाल ख़त्म हो जाएगा।
ये आंकड़े राज्यों के वोटिंग ट्रेंड के विस्त्रत विश्लेषण, वर्तमान गठबंधन और केंद्र और राज्यों में हर पार्टी के वोट स्विंग के आधार पर तैयार किए गए हैं। ये अनुमान एक्ज़िट या ओपिनियन पोल के आधार पर क़तई नहीं हैं।
पिछली लोकसभा में सत्ताधारी एनडीए के 339 सांसद थे जिसमें शिव सेना, जनता दल(यूनाइटेड), लोक जनशक्ति पार्टी और अन्य क्षेत्रीय दल शामिल थे। एनडीए ने इस दौरान काफ़ी आना-जाना देखा है, जिसमें जेकेपीडीपी और टीडीपी का एनडीए को छोड़ना और एआईएडीएमके का उसे समर्थन देना शामिल है। कांग्रेस के नेत्रत्व वाली यूपीए ने डीएमके, एनसीपी, आरजेडी और जेडीएस के साथ गठबंधन किया है। ये सभी दल राज्य स्तर पर काफ़ी मज़बूत खिलाड़ी माने जाते हैं और ख़ास तौर पर तमिल नाडु में यूपीए की संख्या में भारी इज़ाफ़ा कर सकते हैं।
हालांकि मोदी के नेत्रत्व वाले गठबंधन को सबसे बड़ा झटका उत्तर प्रदेश में हुए बहुजन समाज पार्टी(बसपा), समाजवादी पार्टी(सपा) और राष्ट्रीय लोक दल(आरएलडी) के गठबंधन से लग सकता है। जहाँ 2014 में सपा को सिर्फ़ 5 सीटें मिली थीं, इस बार गठबंधन बीजेपी को हराने के लिए और 52 सीटों पर लड़ रहा है। ऐसा ही कुछ तमिल नाडु में देखा जा सकता है जहाँ डीएमके के नेत्रत्व वाले गठबंधन को 38 में से 28 सीटें मिलने का अनुमान है, जबकि यहाँ पिछली बार एआईडीएमके को 37 सीटें और बीजेपी को 2 सीटें मिली थीं। अनुमान बताते हैं कि ममता बनर्जी की तृणमूल कांग्रेस(टीएमसी) पश्चिम बंगाल में अपनी पूर्व-प्रतिष्ठित छवि बरक़रार रखते हुए बीजेपी को अपनी पैठ जमाने का कोई मौक़ा नहीं देगी, जैसा कि अनुमान लगाया जा रहा है।
यूपीए और एनडीए के अलावा संभावित तौर पर 175 सीटें पाने वाली पार्टियों को देखा जाए तो पता चलता है कि उन्होंने व्यापक तौर पर मोदी सरकार की असफ़लताओं के ख़िलाफ़ ज़मीनी स्तर पर चुनाव लड़ा है। इसलिए चुनाव के बाद होने वाली हलचल में उनका एनडीए को समर्थन देना मुमकिन नहीं लग रहा है। उदाहरण के लिए उत्तर प्रदेश का गठबंधन(57 सीटों के साथ) और टीएमसी(34 सीटों के साथ) संभावित तौर पर यूपीए का समर्थन करेगा और सरकार बनाने में उसकी मदद करेगा। सांसदों का वाम मोर्चा पहले से ही केंद्र में बीजेपी के अलावा किसी भी सरकार का समर्थन करने की बात कह चुका है।
डाटा विश्लेषण के आधार पर जो परिणाम निकाल कर आए हैं उसकी बड़ी वजह मोदी सरकार की विफ़लता है। मोदी सरकार तमाम मुद्दों जैसे बेरोज़गारी, किसानों की लगातार गिरती आय और उन पर बढ़ता क़र्ज़, मज़दूरों को न्यूनतम वेतन ना मिलना, भ्रष्टाचार ख़त्म करने में नाकामी, क्रोनिज़्म का खुला खेल, संवैधानिक संस्थानों पर लगातार हुए हमले, मुस्लिम विरोधी स्वरूप और हिन्दू धर्मांधता को बढ़ावा, ऊँची जाति का निचली जाति पर लगातार बढ़ा ज़ुल्म और आदिवासियों से उनकी ज़मीन छीनना जैसे मुद्दों पर असफ़ल साबित हुई है। जन सेवाओं जैसे शिक्षा और स्वास्थ्य के निजीकरण और सरकारी संस्थानों को निजी कंपनियों को बेच देने से भी जनता में मोदी सरकार के ख़िलाफ़ आक्रोश है।
आधिकारिक परिणाम 23 मई को गणना शुरू होने के बाद घोषित किए जाएंगे। संवैधानिक अनिवार्यताओं की वजह से चुनावी प्रक्रिया को 27 मई तक ख़त्म करना होगा।
(डाटा एनालिसिस पीयूष शर्मा द्वारा और मैप्स ग्लेनिसा परेरा द्वारा)
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