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चुनाव 2019; दिल्ली: जीएसटी, नोटबंदी, सांप्रदायिकता से परेशान चाँदनी चौक क्षेत्र !

मटिया महल के स्थानीय निवासी आसिफ़ ने न्यूज़क्लिक से कहा, "क्योंकि पिछले 5 सालों में भाजपा और उसके नेताओं ने अल्पसंख्यकों के ख़िलाफ़ इतना ज़हर और नफ़रत का इज़हार किया है कि अब हमारे लिए उनके पक्ष में खड़ा होना मुश्किल है।" वहीं, सदर बाज़ार, मॉडल टाउन, आदर्श नगर विधानसभा में भी व्यापारी समूचित विकास न होने से नाराज़ हैं।
चुनाव 2019; दिल्ली: जीएसटी, नोटबंदी, सांप्रदायिकता से परेशान चाँदनी चौक क्षेत्र

दिल्ली में 12 मई को मतदान हैं। जनसंख्या के हिसाब से दिल्ली की सबसे छोटी लोकसभा सीट, चाँदनी चौक ऐतिहासिकता समेटे हुए है। यहाँ हवेली, कटरे और गलियों में अतीत ही नहीं बल्कि यहाँ कई मज़दूर आंदोलनों का भी इतिहास रहा है। यहाँ वज़ीरपुर औद्योगिक क्षेत्र में कई अनाधिकृत बस्तियाँ हैं जहाँ आज भी लोग मूलभूत सुविधाओं से वंचित हैं। इन बस्तियों में अधिकतर मेहनतकश मज़दूर रहते हैं। चाँदनी चौक लोकसभा सीट की अपनी यही अलग और अहम पहचान है।  

हालांकि, इस चुनाव में इस सीट को लेकर इतनी चर्चा नहीं है जितनी पूर्वी दिल्ली, उत्तर पूर्वी दिल्ली जैसी सीटों की है। परन्तु यहाँ भी मुक़ाबला बहुत कड़ा होने वाला है। इस सीट पर सभी पर कई विविधताएँ हैं, जैसे सामाजिक, जातीय, धर्मिक विभिन्नता और साथ ही वर्गीय विभाजन भी दिखता है। इसके आलावा अवैध निर्माण, ख़स्ताहाल सड़कें, पार्किंग की कमी और रोज़ाना के ट्रैफ़िक जाम इस बार के चुनाव में अहम मुद्दे हैं। इसके साथ ही, सीलिंग का मुद्दा भी चुनाव में महत्वपूर्ण साबित होगा।

अपनी इन्हीं विशेषताओं के कारण चाँदनी चौक लोकसभा क्षेत्र का अपना महत्व है। यहाँ अपनी क़िस्मत आज़मा रहे उम्मीदवारों के भाग्य का फ़ैसला 12 मई को क्षेत्र के लगभग 15.32 लाख मतदाता करेंगे। 

राजनीतिक स्थिति 

2014 में बीजेपी के डॉ. हर्षवर्धन, आम आदमी पार्टी के आशुतोष और कांग्रेस के दिग्गज कपिल सिब्बल ने यहाँ से चुनाव लड़ा था। डॉ. हर्षवर्धन ने 437938 वोटों के साथ जीत हासिल की थी। उनके क़रीबी प्रतिद्वंदी आशुतोष को 3,01,61 वोटों मिले थे जबकि तीसरे स्थान पर कांग्रेस के कपिल सिब्बल ने कुल 176206 वोट हासिल किए थे। इस बार बीजेपी ने डॉ. हर्षवर्धन को तो आप ने पंकज गुप्ता को और कांग्रेस ने जेपी अग्रवाल को टिकट दिया है। 

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चाँदनी चौक लोकसभा में 10 विधानसभा क्षेत्र हैं- आदर्श नगर, शालीमार बाग़, शकूर बस्ती, त्रि-नगर, वज़ीरपुर, मॉडल टाउन, सदर बाज़ार, चाँदनी चौक, मटिया महल और बल्लीमारान। इस सीट को हमेशा ही व्यापरियों के दबदबे वाली सीट माना जाता रहा है और कहा जाता है व्यापरियों में भाजपा मज़बूत है लेकिन पिछले विधानसभा चुनावों के आधार पर देखें तो इन 10 विधान सभा में से भाजपा को शून्य सीट हासिल हुई थी और कांग्रेस भी अपना खाता नहीं खोल पाई थी। 

इसके अनुसार देखें तो भाजपा और कांग्रेस इस सीट पर रेस से बाहर दिख रहे है लेकिन ऐसा होता दिख नहीं रहा है क्योंकि 2015 का चनाव एक अपवाद था। दिल्ली की राजनीति में उसके आधार पर आंकलन करना सही नहीं होगा लेकिन अगर हम इस सीट को 'आप' के आने से पहले भी देखें तो भी बीजेपी  इस सीट पर कही नहीं दिख थी। आप दिल्ली में 2013 से चुनावों में आई है इससे पहले भी इन दस विधानसभाओ में बीजेपी के पास केवल दो सीटें थीं जबकि कांग्रेस के पास सात सीट थी और एक सीट मटिया महल पर शोएब इक़बाल का क़ब्ज़ा रहा था जो अब कांग्रेस के साथ हैं।

क्या कांग्रेस इसे वापस ले सकती है?

1957 से लेकर वर्ष 2014 तक कुल 14 आम चुनाव हो चुके हैं। इनमें से कांग्रेस अब तक नौ बार जीती है। वहीं, भाजपा को चार बार जीत हासिल हुई है। पिछली बार यहाँ से भाजपा ने जीत दर्ज की थी परन्तु इस बार यहाँ त्रिकोणीय मुक़ाबले की उम्मीद है। हालांकि, यहाँ के तीन ऐसे इलाक़े- बल्लीमारान, मटिया महल और चाँदनी चौक में भाजपा को वोट मिलना थोड़ा मुश्किल लग रहा है। मटिया महल के स्थानीय निवासी आसिफ़ ने न्यूज़क्लिक से कहा, "क्योंकि पिछले 5 सालों में भाजपा और उसके नेताओं ने अल्पसंख्यकों के ख़िलाफ़ इतना ज़हर और नफ़रत का इज़हार किया है कि अब हमारे लिए उनके पक्ष में खड़ा होना मुश्किल है।" वहीं, सदर बाज़ार, मॉडल टाउन, आदर्श नगर विधानसभा में भी व्यापारी समूचित विकास न होने से नाराज़ हैं। .

कांग्रेस ने यहाँ से दिल्ली कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष जेपी अग्रवाल को उम्मीद्वार बनाया है। जेपी अग्रवाल इस क्षेत्र में काफ़ी समय से परिचित हैं। उनकी राजनीति की शुरुआत इसी क्षेत्र से हुई थी। यहाँ एक तरह से इनकी घरवापसी है। इनकी व्यापारियों में भी अच्छी पकड़ मानी जाती है। अग्रवाल तीन बार चाँदनी चौक से सांसद रहे हैं। उनका ख़ुद का जनाधार है। वह न केवल स्थानीय मुद्दों बल्कि केंद्र सरकार की नीतियों की विफ़लता भी मतदाताओं से गिनवा रहे हैं। वह सीलिंग का मुद्दा ज़ोरशोर से उठा रहे हैं। इनके आने से कांग्रेस को उम्मीद है कि वो इस सीट को दोबारा जीत पाएगी।

सामाजिक स्थति और मुद्दे 

इस लोकसभा में 10 विधानसभा में से 7 विधानसभाएँ- चाँदनी चौक, मटिया महल, बल्लीमारान, सदर बाज़ार, मॉडल टाउन, वज़ीरपुर व त्रिनगर में थोक सामान के बाज़ार व औद्योगिक इलाक़े हैं।  शालीमार बाग़, मॉडल टाउन व त्रिनगर जैसे इलाक़ों में तो कारोबारी सीलिंग की मार झेल रहे हैं। इसके आलावा चाँदनी चौक के आस-पास के इलाक़ों में ट्रफ़िक जाम के भरी समस्या है। इसके अलावा शकूरपुर बस्ती ,वज़ीरपुर जैसे इलाक़े हैं जहाँ आज भी मूलभूत सुविधाओं की ज़रूरत बनी हुई है। परन्तु यहाँ के लोग केजरीवाल के सरकार द्वारा किये गए स्कूल और अस्पतालों के काम से ख़ुश हैं। 

क्या जीएसटी और सीलिंग भाजपा को ले डूबेगी ?

चावडी बाज़ार के हार्डवेयर कारोबारी हरीश गोयल कहते हैं, ‘नोटबंदी और जीएसटी के असर से निकल ही नहीं पा रहे हैं कमाई तो पूरी तरह से ख़त्म हो गई है। पहले हमारे यहाँ 5 से 7 लोग काम करते थे परन्तु आज 3 लोग ही काम कर हर हैं। क्योंकि काम पूरी तरह से ख़त्म हो गया है। बीते कुछ साल बहुत दिक़्क़तों में गुज़रे हैं।"

इसी मार्केट में झल्ली (समान उठाने) का काम करने वाले दिनेश जो आज से 14 साल पहले दिल्ली आए थे और तब से ही इसी जगह काम करते हैं, उन्होंने बाज़ार की दुकानों पर पसरे सन्नाटे की ओर इशारा करते हुए कहा, ‘जीएसटी और नोटबंदी  से काम ख़त्म हो गया है। पहले एक दिन में 600 से 700 रुपये आराम से कमा लेते थे लेकिन अब 300 के भी लाले पड़ गए हैं।" 

चाँदनी चौक लोकसभा क्षेत्र कारोबारियों की बहुलता वाला क्षेत्र है। कारोबारियों को प्रभावित करने वाले नोटबंदी, जीएसटी और सीलिंग के मुद्दे यहाँ सबकी ज़ुबान पर हैं।

मुस्लिम और वैश्य वोटरों का दबदबा 

इस लोकसभा क्षेत्र में कुल मतदाताओं की संख्या 1562268 है। चुनाव आयोग के आंकड़ों के मुताबिक़ इसमें सबसे अधिक 20% मुस्लिम, 17% एससी और 17% वैश्य वोटर हैं। ये तीनों वर्ग इस सीट पर बहुत अहम हैं और तीनों ही बीजेपी से नाख़ुश हैं। जिसका फ़ायदा आप और कांग्रेस को हो सकता है परन्तु इन दोनों में वोट का बंटवारा होगा तो उसका सीधा फ़ायदा बीजेपी को मिलेगा जिसकी उसे उम्मीद भी है। परन्तु कोंग्रस को भी उम्मीद है कि वो अपनी खोई ज़मीन वापस हासिल कर पाएगी।

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