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चुनाव 2019 : गणित बता रहा है कि यूपी में भाजपा का गणित गड़बड़ा गया है

न्यूज़क्लिक के डेटा विश्लेषण के मुताबिक पांच चरणों में यूपी की 53 सीटों में से सपा+बसपा+ रालोद गठबंधन भाजपा से 35-16 सीट से आगे चल रहा है।
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ताज़ा अनुमानों के अनुसार उत्तर प्रदेश में 6 मई को हो रहे वाले 5वें चरण के मतदान के बाद, न हारने वाला अजेय गठबंधन भारतीय जनता पार्टी के विरुद्ध अपनी निर्णायक बढ़त को बनाए रखेगा, और 14 सीटों पर होने वाले मतदान में से आठ सीट पर जीत हासिल करेगा जबकि कांग्रेस अपनी दोनों सीटों को बरकरार रखेगी। भाजपा को सिर्फ चार सीटों से ही संतोष करना पड़ेगा। 2014 के चुनावों की तुलना में, सत्तारूढ़ भाजपा का यह बहुत ही निराशाजनक प्रदर्शन होगा, जिसने तब इनमें से 12 सीटें जीती थीं। इसका संकेत न्यूज़क्लिक की डेटा एनालिटिक्स टीम द्वारा किए गए सीट के अनुमानों से लगाया है जिसका आधार 2017 में हुए विधानसभा चुनाव परिणामों को बनाया गया है और यह भी माना जा रहा है कि अगर भाजपा से 2.5 प्रतिशत मत दूर होते हैं तो उपरोक्त परिणाम सामने आएंगे।

अगर यूपी में हुए पहले पांच चरणों के मतदान के अनुमानित परिणामों को जोड़ दें, तो समाजवादी पार्टी (सपा), बहुजन समाज पार्टी (बसपा) और राष्ट्रीय लोक दल (आरएलडी) का गठबंधन 53 में से 35 सीटें हासिल करने जा रहा हैं। 2014 के लोकसभा चुनाव में इसे केवल चार सीटें ही मिली थी। अनुमान के मुताबिक कांग्रेस अपनी दोनों सीटें बरकरार रख पाएगी का भी अनुमान है जबकि भाजपा इस बार 2014 में जीती 47 सीटों में से मात्र 16 सीटों पर सिमट जाएगी।

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पांचवें चरण के होने वाले मतदान में अवध क्षेत्र के निर्वाचन क्षेत्र शामिल हैं, जिसमें बुंदेलखंड का कुछ हिस्सा भी शामिल है। इस चरण में होने वाले चुनाव में लखनऊ सबसे बड़ा शहर है। इसमें फैजाबाद निर्वाचन क्षेत्र भी शामिल है, जहां अयोध्या, विवादित राम जन्मभूमि/बाबरी मस्जिद का स्थान है। यह इलाका बहराइच के बेहद उपेक्षित तराई जिलों और खीरी के कुछ हिस्सों, उपजाऊ मैदानों से होते हुए बांदा के शुष्क और पिछड़े बुंदेलखंड जिले तक फैला है।

यह मुख्य रूप से कृषि क्षेत्र है, औद्योगिकीकरण बहुत कम है, कुछ जिलों में स्वास्थ्य और शिक्षा को लेकर चौंकाने वाली स्थिति है (न्यूज़क्लिक के सहयोग से इंडियास्पेंड द्वारा स्थापित Factchecker.in का निर्वाचन क्षेत्र अनुभाग देखें)।

मिसाल के तौर पर, तराई क्षेत्र के बहराइच जिले में, 5 साल से कम उम्र के 65 प्रतिशत बच्चे अविकसित हैं और 74 प्रतिशत बच्चों में खून की कमी है। कक्षा V के स्तर पर स्कूल से ड्रॉप-आउट दर चौंका देने वाली 41 प्रतिशत की है और महिलाओं में 10 साल तक की स्कूली शिक्षा केवल 16 प्रतिशत ने पूरी की है। मोहनलालगंज जिले में, जोकि लखनऊ के ठीक बगल में है, 41 प्रतिशत बच्चे अविकसित हैं और 68 प्रतिशत बच्चों खून की कमी से पीड़ित थे। उस पर 55 प्रतिशत से अधिक महिलाएं भी खून की कमी से पीड़ित पाई गयी हैं। दक्षिणी छोर पर, बांदा में भी स्थिति कुछ अलग नहीं है, यहां 5 से कम उम्र के बच्चों में 48 प्रतिशत अविकसित हैं और 67 प्रतिशत खून की कमी से पीड़ित हैं। केवल 26 प्रतिशत महिलाओं ने 10 वर्ष या उससे ज्यादा समय तक स्कूली शिक्षा हासिल की है।

उत्तर प्रदेश के इस हिस्से में बीजेपी के अनुमानित नुकसान से आगामी छठे और सातवें चरण के मतदान में आने वाली स्थिति का जायज़ा स्पष्ट रुप से लिया जा सकता है, जो पांचवें चरण के निर्वाचन क्षेत्रों के समान ही हैं। यह यूपी के पूर्वी हिस्से में पड़ने वाला एक बहुत बड़ा जनसंख्या घनत्व का क्षेत्र है और पारंपरिक रूप से सपा और बसपा दोनों का गढ़ रहा है। उनका एक साथ आना गठबन्धन को बहुत मज़बूत स्थिति में ले आया है, जैसा कि पिछले साल गोरखपुर और फूलपुर उपचुनावों में हुआ था, जहाँ सूबे के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य की सीटें गबंधन ने जीत ली थी।

 

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